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न्याय पर चिंतनSample

न्याय पर चिंतन

DAY 2 OF 31

एक महिला और 'अशुद्ध' के रूप में, इस महिला ने फिर भी चंगाई पाने की उम्मीद के साथ यीशु के पास आने का साहस किया। और उसने यह कदम उठाया। उसे शारीरिक और आत्मिक दोनों तरह की चंगाई मिली।

हालाँकि, उसके ठीक होने के बावजूद, जब उसके समुदाय ने उस खोज लिया तो उसे शर्म महसूस हुई, क्योंकि उसकी हालत की वजह से उसे सार्वजनिक समाज से निष्काषित कर दिया था। यह अंश हमें याद दिलाता है कि कोई भी व्यक्ति परमेश्वर से कभी इतना दूर नहीं हो सकता कि वह चंगा न हो पाए। आइए हम उसके सामने अपने पाप का अंगीकार करें और अपने अधर्म को न छिपाएँ; अपने अपराधों को प्रभु के सामने स्वीकार करें क्योंकि वह हमारे पाप के दोष को क्षमा करता है (भजन 32:5)।

हमें यह भी याद रखना चाहिए कि चाहे कोई भी हमें निराश और अयोग्य क्यों न समझे, यीशु हमें अपनी बेटी होने के योग्य मानता है, जो उसमें स्वतंत्रता और पूर्णता पाती है। दुनिया कैसे काम करती है, कैसे लोगों को अक्सर उनके मतभेदों के कारण बहिष्कृत किया जाता है, इसके बावजूद मैं व्यक्तिगत रूप से गवाही दे सकती हूँ कि प्रभु ने फिर भी मुझे उसकी सेवा करने और उसकी प्यारी बेटी होने के लिए चुना है।

चुनौती: जैसे यीशु ने पीड़ित महिला को देखा, वैसे ही अपने आस-पास के उन लोगों पर ध्यान दें जो खुद को अयोग्य समझते हैं। एक विशेष, व्यक्तिगत तरीके से साझा करें कि यीशु ने आपकी स्थिति को हाशिए पर पड़े और 'अशुद्ध' से बदलकर परमेश्वर के योग्य बालक में बदल दिया।

प्रार्थना: हे प्रभु, हमें अपने आस-पास के किसी भी हाशिए पर पड़े व्यक्ति को देखने में मदद करें और हमें उन तक पहुँचने का साहस दें ताकि हम आप में स्वतंत्रता और चंगाई के अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा कर सकें।

Day 1Day 3

About this Plan

न्याय पर चिंतन

न्याय पर दैनिक भक्तिपूर्ण चिंतन की एक श्रृंखला, दुनिया भर की मुक्ति फ़ौजिया महिलाओं द्वारा लिखित। सामाजिक न्याय के मुद्दे इन दिनों हमारे दिमाग में सबसे आगे हैं। सामाजिक न्याय पर चिंतन का यह संग्रह दुनिया भर की उन महिलाओं द्वारा लिखा गया है, जिनमें मसीह के नाम में दूसरों की मदद करने का जुनून और इच्छा है।

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