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योना की संस्कृति को तोड़नाSample

योना की संस्कृति को तोड़ना

DAY 2 OF 5

समावेशित की संस्कृति

योना इस्राएलियों की चुनी हुई जाति के लिए एक भविष्यद्वक्ता था या वह ऐसा सोचता था । वह अपने राजा और अपने देश के प्रति वफादार था । इसलिए जब परमेश्वर ने उसे पड़ोसी देश में जाने के लिए कहा, जहां के लोग उद्धार पाये हुए नहीं थे और जिनका नाम दुष्ट या बुरे लोगों में गिना जाता था, वह पहले तो वहां जाने को तैयार नहीं हुआ और बाद में जिद्दी बन गया । उसकी विशिष्टता की भावना उस परमेश्वर की भावना के बिल्कुल विपरीत थी जिसकी वह सेवा करता था ।

विशिष्टता कभी भी अपने लोगों के लिए परमेश्वर की योजना नहीं थी बल्कि, यीशु ने मत्ती की पुस्तक में जी उठने के बाद अपने चेलों से कहा कि “सारे संसार में जाओ और उन्हें अपना चेला बनाओ ।” इस आज्ञा के साथ में कोई शर्त या सीमा नहीं थी ।

विशिष्टता समूहों में भी बंटवारा कर देती है और यह परमेश्वर के राज्य के लिए हानिकारक है । विशिष्टता के कारण लोग दूसरी जाति, समाज के दूसरे स्तर और कई बार हम से अगल नज़रिया रखने वाले लोगों को नीची नज़र से देखने लगते हैं । हमें एकता के सूत्र में बांधने वाली बातों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय बांटने वाली चीजों पर ध्यान से मतभेद उत्पन्न होगा ।

प्रारम्भिक कलीसिया भी इस समस्या से परेशान थी और इससे पहले कि यह समस्या जहरीली संस्कृति का प्रारम्भ करे उसे रोकना बहुत जरूरी है । पौलुस ने पतरस और बरनाबास को अलग बुला कर समझाया, जो वरिष्ठ अगुवे तो थे, लेकिन वे जाने अनजाने में बहक कर भेदभाव करने लगे थे ।

पौलुस उन्हें विश्वास के उस आधार को याद करने के लिए कहता है जिसके द्वारा उन सबका उद्धार हुआ है और उन्हें एक साथ बने रहने के लिए प्रोत्साहित करता है । हमें कलीसिया के तौर पर बहुत ध्यान के साथ विशिष्टता के माहौल से बचकर रहना है क्योंकि इसके होने से दुर्भाग्यवश परमेश्वर के राज्य के विस्तार में बाधा हो सकती है । 

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योना की संस्कृति को तोड़ना

योना की पुस्तक एक ऐसा महान रास्ता है जिसके द्वारा हम बाइबल में दर्पण के समान अपने जीवन का अध्ययन कर सकते और हमारे छुपी हुई धारणाओं और गलतियों का पता कर सकते हैं और इसी बीच में हम यह भी पता लगा सकते हैं कि जिस स्थान पर परमेश्वर ने हमें रखा है उस क्षेत्र में हम परमेश्वर की सेवा कैसे कर सकते हैं ।

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