सर्वसक्तिमान यहोवा ह कहिथे, “बेटा ह अपन ददा के, अऊ गुलाम ह अपन मालिक के आदर करथे। यदि मेंह ददा अंव, त मोर आदर कहां हवय? अऊ यदि मेंह मालिक अंव, त मोर इज्जत कहां हवय, जेकर हकदार मेंह अंव?
“ये तुम पुरोहितमन अव, जेमन मोर नांव के आदर नइं करव।
“पर तुमन पुछथव, ‘हमन कइसे तोर नांव के आदर नइं करेंन?’