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मरक़ुस 39:4-40
किताबे-मुक़द्दस
URDGVH
वह जाग उठा, आँधी को डाँटा और झील से कहा, “ख़ामोश! चुप कर!” इस पर आँधी थम गई और लहरें बिलकुल साकित हो गईं। फिर ईसा ने शागिर्दों से पूछा, “तुम क्यों घबराते हो? क्या तुम अभी तक ईमान नहीं रखते?”
Mampitaha
Mikaroka मरक़ुस 4:39-40
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मरक़ुस 41:4
उन पर सख़्त ख़ौफ़ तारी हो गया और वह एक दूसरे से कहने लगे, “आख़िर यह कौन है? हवा और झील भी उसका हुक्म मानती हैं।”
Mikaroka मरक़ुस 4:41
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मरक़ुस 38:4
लेकिन ईसा अभी तक कश्ती के पिछले हिस्से में अपना सर गद्दी पर रखे सो रहा था। शागिर्दों ने उसे जगाकर कहा, “उस्ताद, क्या आपको परवा नहीं कि हम तबाह हो रहे हैं?”
Mikaroka मरक़ुस 4:38
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मरक़ुस 24:4
उसने उनसे यह भी कहा, “इस पर ध्यान दो कि तुम क्या सुनते हो। जिस हिसाब से तुम दूसरों को देते हो उसी हिसाब से तुमको भी दिया जाएगा बल्कि तुमको उससे बढ़कर मिलेगा।
Mikaroka मरक़ुस 4:24
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मरक़ुस 26:4-27
फिर ईसा ने कहा, “अल्लाह की बादशाही यों समझ लो : एक किसान ज़मीन में बीज बिखेर देता है। यह बीज फूटकर दिन-रात उगता रहता है, ख़ाह किसान सो रहा या जाग रहा हो। उसे मालूम नहीं कि यह क्योंकर होता है।
Mikaroka मरक़ुस 4:26-27
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मरक़ुस 23:4
अगर कोई सुन सके तो सुन ले।”
Mikaroka मरक़ुस 4:23
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