“जद्याँ थाँ एकाणो करो, तो कपट्या के जस्यान थाँको मुण्डो लटक्यो तको ने रेवे, काँके वीं खुद को मुण्डो अस्यानई लटकान राके हे, ईंऊँ वाँने मनक एकाणो राकबावाळा भगत हमजे। मूँ थाँने हाँची केऊँ हूँ के, वणा ईंको फळ पा लिदो हे। पण जद्याँ थाँ एकाणो राको तो आपणाँ बाला में तेल लगावो अन मुण्डा ने धोवे। ताँके मनक ने पण थाँको बाप ज्यो छाने में हे, थाँने एकाणो राकबावाळा हमजे। अणी दसा में थाँको बाप ज्यो थाँ छाने में करो हो वींने देके हे, वो थाँने फळ देई।