“जब तुम उपवास करो, त कपटियों को जसो तुम्हरो मुंह पर उदासी नहीं रहन ख होना, कहालीकि हि अपनो मुंह असो बनायो रह्य हंय, कि लोग उन्ख उपवासी हय असो जान सके। मय तुम सी सच कहू हय कि हि अपनो प्रतिफल पा चुक्यो हय। पर जब तय उपवास करजो त अपनो चेहरा धोव अऊर बाल पर तेल लगाय क कंग्गी कर, ताकि लोग नहीं पर तोरो बाप जो गुप्त म हय, तोख उपवासी जाने। यो दशा म तोरो बाप जो गुप्त म देखय हय, तोख प्रतिफल देयेंन।”