लूका 5

5
सुरुक चेलनके
(मत्ती ४:१८-२२; मर्कू. १:१६-२०; यूह. १:४०-४२)
1मनै परमेश्वरके वचन सुनक लग हुँकार चारुओहोँर ठेलमठेल करतिहिँत, और येशू गनेसरेत तलुवक#5:1 गनेसरेत तलुवक यी गालील समुन्दरके दोसुर नाउँ हो आँरितिर ठरह्याइल रहिँत, तब असिके हुइल। 2ऊ समुन्दरके आँरितिर दुईथो लाउ देख्लाँ, पर मच्छी मरुइयन लाउसे बाहेर बैठके अपन मच्छी मरना जाल धुइतिहिँत। 3उ दुईथो लाउमेसे एकथो लाउ सिमोनके रहे। ओम्ने चहुँरके येशू लाउहे आँरितिरसे थोरचे दूर लैजाई कलाँ। ऊ लाउमे बैठके भीड़हे शिक्षा देहे लग्लाँ। 4जब ऊ भीड़के मनैनसे बात बत्वाके सेक्लाँ ते सिमोनहे कलाँ, “लाउहे गहिँर ओहोँर लैजाके मच्छी मारक लग अपन जाल लब्दाऊ।” 5पर सिमोन येशूहे कहल, “हे गुरुजी, हम्रे रातभर मेहनत करके फेन कुछु नै भेटैली, तभुन फेन अप्नि असिक करे कहती कलेसे मै जाल लब्दैम।” 6जब पत्रुस और ओकर संघरियन जाल लब्दैलाँ ते ओइने बहुत्ते मच्छी छोपलेलाँ, और ओइन्के मच्छी मरना जाल फाटे लग्निन। 7ओइने दोसुर लाउमे रहल संघरियनहे आके सहयोग करिँत कहिके गोहराई लग्लाँ, और आके ओइने दुनु लाउमे मच्छी भरलाँ, यहाँसम कि लाउ डुब्ना हस होगिल। 8तब यी देख्के येशूक गोरामे घोपत्या होके सिमोन पत्रुस कहल, “हे प्रभु, महिन्से दूर होजाई, काकरेकी मै पापी मनैया हुइतुँ।” 9अतरा धेउर मच्छी मारल देख्के ऊ और ओकर संगे रहुइयन सक्कु जाने महा अचम्म मन्लाँ। 10सिमोन पत्रुसके संघरियन याकूब और यूहन्ना जेने जब्दियक छावन रहिँत, ओइन्हे फेन अचम्म लग्लिन। तब येशू सिमोनहे कलाँ, “जिन डराऊ, आबसे तुँ मोरिक चेला हुइक लग मनैनहे जमा करैबो।” 11और जब ओइने अपन लाउ धिक्वामे नन्लाँ, ओइने सक्कु चिज छोरदेलाँ, और हुँकार पाछे लागगिलाँ।
कोढ़रोग लागल मनैया
(मत्ती ८:१-४; मर्कू. १:४०-४५)
12जब येशू कौनो एकथो शहरमे रहिँत, तबे एकथो कोढ़ रोग लागल मनैया येशूहे देख्के हुँकार गोरामे घोपत्या होके बिन्ती करे लागल, “हे प्रभु अप्नि चहबी कलेसे महिन्हे चोख्वाई सेक्बी।” 13येशू अपन हाँथ पसारके, “मै चहथुँ, तुँ चोखाजाऊ” कती उहिहे छुलाँ, और जुरतेहेँ ओकर कोढ़ ओकरमेसे हटगिलिस। 14तब् येशू उहिहे कलाँ, “यकर बारेम किहु ना बतैहो। पर जाऊ, और अपनहे पुजारीक थेन देखाऊ कि तुँ चोखागिलो। तब् जसिके परमेश्वरके अगमवक्ता मोशा आज्ञा देहल बा, ओकर अनुसार मनैनहे देखैना सबुतके लग मन्दिरमे बलिदान चह्राऊ।” 15पर येशूक बारेमे झन धेउर चर्चा जेहोँर तेहोँर फैलगिलिन। और मनैनके बरवार भीड़ हुँकार बात सुनक लग और अपन-अपन रोगसे चोखाइक लग जमा होगिलाँ। 16पर येशू भर सुनसान ठाउँमे जाके प्राथना करिँत्।
कुँज रोग लागल मनैया चोखैलक
(मत्ती ९:१-८; मर्कू. २:१-१२)
17एक दिन असिके हुइल कि येशू शिक्षा देहतिहिँत, और फरिसीनके और यहूदी कानुनके गुरुनके वहाँ बैठल रहिँत, जेने गालील प्रदेश और यहूदिया प्रदेशके प्रत्येक गाउँमेसे और यरुशलेम शहरमेसे आइल रहिँत। चोख्वाई सेक्ना परमप्रभुक शक्ति हुँकार संग रहिन। 18कौनो मनै एकथो कुँज रोग लागल मनैयाहे दरीमे नन्लाँ, और ओइने उहिहे भित्तर नाने और हुँकार थेन धारे खोज्लाँ। 19पर भीड़के कारण उ मनैयाहे भित्तर येशूक थेन पुगाई नै सेक्लाँ ते ओइने छँपरक उप्पर चहुँरलाँ। और ओइने खप्टा उजारके उ मनैयाहे दरीसुन्धे झुलाके मनैनके बिच्चेमे येशूक आघे उतारदेलाँ। 20येशू ओइन्के विश्वास देख्के कलाँ, “ए मोरिक संघरिया तोहाँर सक्कु पाप माफ होगिल।” 21तब् फरिसी दलके मनै और यहूदी कानुनके गुरुनके प्रश्न करे लग्लाँ, “यी ते परमेश्वरके निन्दा करता! पाप ते परमेश्वर किल माफ करे सेक्थाँ।” 22पर येशू ओइन्के मनके बात बुझके कलाँ, “तुहुरे अपन मनमे असिन काकरे सोँचतो? 23का कना सहजिल बा, ‘तोरिक पाप माफ होगिल’ कना कि ‘उठ् और नेङ्ग’ कना? 24पर मै चहथुँ कि तुहुरे जानो कि मै, मनैयक छावाहे धर्तीमे मनैनके पाप माफ करना अधिकार बा।” तब् येशू उ कुँज रोग लागल मनैयाहे कलाँ, “मै तुहिहे कहतुँ, ठरह्याजा, अपन दरी उठा और अपन घरे जा।” 25तब् उ जुरतेहेँ ओइनेहेँन्के आघे उठल, और जोन खटियामे उ बिल्तल रहे, उहिहे उठाके परमेश्वरके महिमा कर्ती उ अपन घर ओहोँर चलगिल। 26तब सक्कु जहनहे अचम्म लग्लिन, और ओइने परमेश्वरके महिमा करलाँ, और डराके असिक कलाँ, “आज हम्रे अचम्मक बात देख्ली।”
लेवीहे बोलावत
(मत्ती ९:९-१३; मर्कू. २:१४-१७)
27और यी काम करके सेकके येशू बाहेर गैलाँ, और लेवी नाउँक एकथो कर उठुइयाहे कर उठुइयनके ठाउँमे बैठल देख्लाँ, और उहिहे कलाँ, “मोरिक पाछे लाग।” 28तब् ऊ सक्कु चिज छोरके उठल, और येशूक पाछे लागगिल।
पापीनके संग खैना
29लेवी अपन घरेम येशूक लग बरवार भोजके आयोजन करल। वहाँ कर उठुइयन और औरेजाने बहुत्ते संख्यामे हुँकार संग खाना खाई बैठल रहिँत। 30फरिसी दलके मनै और यहूदी कानुनके गुरुनके हुँकार चेलनके विरोधमे असिक कहिके गनगन करे लग्लाँ, “तुहुरे कर उठुइयन और पापीनके संग काकरे खानपिन करतो?” 31पर येशू ओइन्हे जवाफ देलाँ, “निरोगीनहे वैदक जरुरी नै पर्थिन, पर रोगीनहे वैदक जरुरी पर्थिन। 32मै ओइन्हे बलाई नै अइनु, जेने अपनहे धर्मी मन्थाँ। पर मै पापीनहे बलाई अइनु, ताकि ओइने पाप करना छोरदिँत और अपन मन बद्लिँत।”
उपवास सम्बन्धीक प्रश्न
(मत्ती ९:१४-१७; मर्कू. २:१८-२२)
33कौनो मनैया येशूहे कहल, “यूहन्नक चेलनके घनिघनी उपवास बैट्थाँ, और प्राथना करथाँ। फरिसीनके चेलन फेन ते ओस्तेहेँ करथाँ, पर अप्निक चेलनके खैथाँ और पिथाँ।” 34येशू ओइन्हे कलाँ, “का दुल्हा संगे रहतसम बरत्यनहे उपवास बैठे लगाई सेक्बो? 35पर अस्तेहेँ दिन आई, जब दुल्हा ओइन्के थेनसे अलग करवाजाई। तब ओइने उ दिनमे उपवास बैठिहीँ।” 36येशू ओइन्हे एकथो दृष्टान्त फेन कलाँ, “केऊ फेन पुरान लुग्गामे लावा लुग्गक पेउँदा नै लगाइत। यदि ओइने असिक करहीँ कलेसे जब लुग्गाहे धुइहीँ। तब् पेउँदा फाट्के निकरजाई, और लावा पेउँदा पुरान लुग्गाहे आकुर धेउर फटादी। 37कौनो मनैया लावा अंगुरके रस पुरान छालक ठैलामे नै धारत। नै ते लावा अंगुरके रससे छाला फाटजाइत, और अंगुरके रस अराँजाइत, और ठैला फेन खराब होजाइत। 38लावा अंगुरके रस लावा छालक ठैलामे धारे परत। 39कौनो मनै पुरान अंगुरके रस पिके लावाहे चाह नै करी। काकरेकी ऊ कहत, ‘पुराने मजा बा।’”

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