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लूका 11

11
यीसु चेलन काहीं प्राथना करँइ सिखाइन
(मत्ती 6:9-13)
1यीसु एकठे जघा माहीं प्राथना करत रहे हँय। अउर जब ऊँ प्राथना कइ चुकें, तबहिनय उनखे चेलन म से एक जने कहिन, “हे प्रभू, जइसन यूहन्ना अपने चेलन काहीं प्राथना करँइ सिखाइन तय, उहयमेर अपनव हमहीं पंचन काहीं सिखाई।”
2तब यीसु उनसे कहिन, “जब तूँ पंचे प्राथना किहा, तब इआमेर से किहा,
‘हे पिता परमातिमा, अपना के नाम पबित्र माना जाय, अपना के राज आबय।
3हमरे पंचन के दिन भर के खाँय के खातिर खाना हमहीं रोज देबा करी।
4हमरे पापन काहीं माफ करी, काहेकि हमहूँ अपने सगले गुनहगारन के गलतिन काहीं माफ करित हएन, अउर हमहीं परिच्छा माहीं न डारी’।”
प्राथना करँइ के बारे माहीं यीसु के सिच्छा
(मत्ती 7:7-11)
5यीसु उनसे कहिन, “तोंहरे बीच म से कोहू के एकठे साथी होय, त तूँ आधी रातके ओखे लघे जाइके कहा, ‘हे साथी; हमहीं तीनठे रोटी दइ द्या।’ 6काहेकि एकठे हमार साथी हमरे लघे यात्रा से आए हँय, अउर उनहीं खबामँइ के खातिर हमरे लघे कुछू नहिं आय। 7अउर उआ साथी भीतर से जबाब देय, ‘हमहीं दुख न द्या, अब त हम दुआर बन्द कइके अपने लड़िकन-बच्चन के साथय बिस्तर माहीं परे हएन, एसे हम उठिके तोंहईं कुछू नहीं दइ सकी’?” 8यीसु कहिन, “हम तोंहसे सही कहित हएन, कि अगर ओखर साथी होंइ के कारन ओही उठिके न देय, तऊ ओखे बिना लजाने मागँइ के कारन, उठिके ओही जेतनी जरूरत होई त ओही देई। 9अउर हम तोंहसे सही कहित हएन, कि तूँ पंचे मागत रइहा, त तोंहईं दीन जई; ढूँढ़त रइहा, त जरूर पइहा; खट-खटाबत रइहा, त तोंहरे खातिर दुअरा खोल दीन जई।
10काहेकि जे कोऊ मागत रहत हय, त ओही जरूर मिलत हय; अउर जे कोऊ ढूँढ़त रहत हय, उआ जरूर पाबत हय; अउर जे कोऊ खट-खटाबत रहत हय, त ओखे खातिर दुअरा खोल दीन जई। 11तोंहरे म से अइसा केखर बाप होई, कि जब ओखर लड़िका रोटी माँगय, त ओही पथरा देय; इआ कि मछरी माँगय, त मछरी के बदले माहीं साँप देय? 12इआ कि अन्डा माँगय त बीछी देय? 13एसे जब तूँ पंचे बुरे होइके, अपने लड़िकन काहीं नीक चीजँय देंइ जनते हया, त स्वरग माहीं रहँइ बाले तोंहार पिता परमातिमा, अपने मागँइ बालेन काहीं पबित्र आत्मा जरूर देइहँय।”
यीसु अउर बालजबूल
(मत्ती 12:22-30; मरकुस 3:20-27)
14यीसु एक दिन गूँगी बुरी आत्मा काहीं एकठे मनई से निकारिन। जब बुरी आत्मा ओसे निकरिगे, तब उआ गूँगा बोलँइ लाग; अउर उहाँ ठाढ़ सगले मनई खुब अचरज मानिन। 15पय उनमा से कुछ मनई कहँइ लागें, “यीसु त बालजबूल नाम के बुरी आत्मन के मुखिया अरथात सइतान के मदत से बुरी आत्मन काहीं मनइन से निकारत हें।” 16अउर कुछ जने यीसु के परिच्छा लेंइ के खातिर कहिन, कि “तूँ अइसा कउनव अदभुत चिन्हारी देखाइके साबित करा, कि परमातिमा तोंहईं पठइन हीं।” 17पय यीसु उनखे मन के बात जानिके कहिन, “जउने-जउने राज माहीं फूट होत ही, त उआ राज नास होइ जात हय; अउर अगर कउनव घर माहीं फूट परि जात ही, त उआ घर बरबाध होइ जात हय। 18अउर अगर सइतान खुद अपनय बिरोधी बनिके, अपने बीच म फूट डारी, त ओखर राज कइसा बना रही, ओखर त नासय होइ जई। हम तोंहसे एसे पूँछित हएन, कि तूँ पंचे कहते हया, कि हम सइतान के मदत से बुरी आत्मन काहीं निकारित हएन। 19अगर हम सइतान के मदत से बुरी आत्मन काहीं निकारित हएन, त तोंहार सन्तान केखे मदत से बुरी आत्मन काहीं निकारत हें? एसे उँइन तोंहार फँइसला करिहँय। 20पय अगर हम परमातिमा के सामर्थ से, बुरी आत्मन काहीं निकारित हएन, त तूँ पंचे इआ जानिल्या, कि परमातिमा के राज तोंहरे लघे पहुँचिगा हय। 21जब कउनव बलमान मनई, हरेक मेर के हँथिआर लए पूरी तरह से तइआर होइके अपने घर के देख-रेख करत हय, त ओखर धन-सम्पत बची रहत ही। 22पय जब ओसे अउर बलमान मनई चढ़ाई कइके, उआ बलमान मनई काहीं हराय देत हय, त ओखर सगले हँथिआर छड़ाय लेत हय, जउने माहीं ओखर भरोसा रहत हय, अउर ओखर सगली धन-सम्पत लूटिके दुसरे काहीं बाँट देत हय। 23जे हमार बात नहीं मानय, उआ हमरे बिरोध माहीं काम करत हय, उआ मनइन काहीं हमरे लघे नहीं ले आबय, बलकिन उनसे पाप कर बाइके हमसे दूर करत हय।”
आधे सुधार से परेसानी
(मत्ती 12:43-45)
24यीसु उनसे पुनि कहिन, “जब बुरी आत्मा मनई से बहिरे निकर जात ही, तब अराम करँइ के खातिर, झुरान जघा ढूँढ़त फिरत ही, अउर उआ बुरी आत्मा जब झुरान जघा नहीं पाबय, त कहत ही, कि ‘हम अपने उहय घर माहीं लउटि जाब, जहाँ से निकरिके आएन तय।’ 25अउर बुरी आत्मा लउटिके उआ घर काहीं, झारा बटोरा अउर सजा-सजाबा पाबत ही। 26तब उआ जाइके, अपने से अउर बुरी सातठे आत्मन काहीं, अपने साथ लइ आबत ही, अउर उआ मनई के भीतर सगली सकाइके रहँय लगती हँय, अउर उआ मनई के हालत पहिले से अउर जादा खराब होइ जात ही।”
27यीसु जब ईं बातन काहीं कहतय रहे हँय, कि भीड़ म से एकठे मेहेरिआ खुब चन्डे कहिस, “धन्य हय उआ महतारी जेखे पेटे माहीं तूँ रहे हया, अउर उनखर दूध पिआ हय।” 28तब यीसु कहिन, “ऊँ त धन्य हइअय हईं, पय धन्य ऊँ पंचे हें, जउन परमातिमा के बचन सुनत हें, अउर सुनिके मानत हें।”
स्वरग के चिन्हारी देखामँइ के माँग
(मत्ती 12:38-42)
29अउर जब खुब भीड़ एकट्ठा होंइ लाग, तब यीसु कहँइ लागें, “इआ समय के मनई बुरे हँय; ऊँ कहत हें, कि तूँ परमातिमा के पठए आह्या, एखे खातिर कउनव चिन्हारी देखाबा; पय योना नबी के जीबन माहीं जउन अदभुत काम परमातिमा किहिन तय, ओखे अलाबा अउर कउनव चिन्हारी उनहीं न देखाई जई। 30अउर जइसन योना नबी नीनवे सहर के मनइन काहीं मुक्ती पामँइ के खातिर अदभुत चिन्हारी ठहरें हँय, उहयमेर मनई के लड़िका इआ समय के लोगन के खातिर अदभुत चिन्हारी ठहरी। 31इजराइल देस के दक्खिन दिसा के सीबा देस के रानी, परमातिमा के न्याय करँइ के दिन, इआ समय के मनइन के साथ ठाढ़ होइके, उनहीं दोसी ठहरइहँय, काहेकि ऊँ खुब दूरी से इजराइल के राजा सुलैमान के ग्यान के बातँय सुनँय के खातिर आई रही हँय, अउर देखा इहाँ, ऊँ हें, जउन सुलैमान से घलाय बड़े हँय। 32नीनवे सहर के मनई परमातिमा के न्याय करँइ के दिन, इआ समय के मनइन काहीं दोसी ठहरइहँय, काहेकि नीनवे सहर के मनई योना के प्रचार सुनिके, पाप करब छोंड़ दिहिन तय, अउर देखा इहाँ, ऊँ हें, जउन योना से घलाय बड़े हँय।
देंह के दिया
(मत्ती 5:15; 6:22,23)
33कउनव मनई दिया जलाइके भुँइहरा माहीं, इआ कि बरतन के नीचे नहीं धरय, बलकिन ऊँचे जघा माहीं धरत हय, कि भीतर आमँइ बालेन काहीं उँजिआर मिलय। 34एहिनतर तोंहरे देंह के दिया आँखी आय, एसे अगर तोंहार आँखी निरमल रही, त तोंहार सगली देंह घलाय उँजिआर पाई। अगर तोंहार आँखी बुरी हय, त तोंहार सगली देंह अँधिआर कि नाईं होइ जई। 35एसे सतरक रह्या, कि जउन तोंहार उँजिआर कि नाईं निकहा जीबन हय, त कहँव पाप म फँसिके अँधिआर कि नाईं खराब न होइ जाय। 36एसे अगर तोंहार सगली देंह उँजिआर कि नाईं निकही होई, अउर ओखे कउनव हिस्सा माहीं पाप न होई, त सगली देंह उँजिआर कि नाईं होइ जई, जइसन उआ समय होइ जात हय, जब दिया के उँजिआर तोंहईं मिलत हय।”
मूसा के बिधान सिखामँइ बालेन अउर फरीसी लोगन के बुराई
(मत्ती 23:1-36; मरकुस 12:38-40)
37जब यीसु बात करतय रहे हँय, तबहिनय कउनव फरीसी यीसु से बिनती किहिस, कि हमरे घर खाना खाँइ चली, तब यीसु उनखे घर माहीं जाइके खाना खाँइ बइठें। 38तब उआ फरीसी काहीं इआ देखिके बड़ा अचरज भ, कि यीसु खाना खाँइ से पहिले हाँथ नहीं धोइन। 39प्रभू उनखे मन के बात काहीं जानिके कहिन, “हे फरीसी लोगव, तूँ पंचे खोरबन अउर टठिअन काहीं उपरय-ऊपर मजते हया, पय तोंहरे भीतर छल-कपट अउर बुराई भरी हय। 40हे निरबुध्दिव, परमातिमा जउन देंह के बहिरे के हिस्सा काहीं बनाइन हीं, का उँइन देंह के भीतर के हिस्सा काहीं नहीं बनाइन? 41एसे जऊँ कुछू भीतर बाली चीज हईं उनहीं दान कइ द्या, त देखा, सब कुछू तोंहरे खातिर सुद्ध होइ जई।”
42यीसु पुनि इहव कहिन, “पय हे फरीसी लोगव तोंहईं परमातिमा से खुब सजा मिली! तूँ पंचे पोदीना अउर सुदाब के, अउर हरेकमेर के सब्जी-भाजिन के, दसमा भाग त देते हया। पय न्याय अउर परमातिमा के प्रेम काहीं नहीं मनते आह्या; तोंहईं चाहँय क रहा हय, कि सगलेन के दसमा भागव देत रहत्या। अउर न्याय अउर परमातिमा के हुकुमन काहीं मानब न छोंड़त्या। 43हे फरीसी लोगव, तोंहईं परमातिमा से खुब सजा मिली! तूँ पंचे सभाघरन माहीं खास-खास आसन माहीं बइठते हया, अउर मान-सम्मान पामँइ के खातिर चहते हया, कि मनई बजारन माहीं हमहीं नबस्कार करँय। 44तोहईं पंचन काहीं परमातिमा से खुब सजा मिली। काहेकि तूँ पंचे छिपी ऊँ कब्रन कि नाईं हया, जेखे ऊपर मनई रेंगत हें, पय जाने नहीं पामँय।”
45तब एकठे यहूदी नेम सिखामँइ बाला यीसु काहीं जबाब दिहिस, “हे गुरू, ईं बातँय कहिके, अपना हमार पंचन के अपमान करित हएन।” 46तब यीसु कहिन, “हे मूसा के बिधान सिखामँइ बाल्या, तोंहईं परमातिमा से खुब सजा मिली! तूँ पंचे नेमन के अइसन बोझ, जिनखर पालन करब कठिन हय, दुसरे मनइन के ऊपर जबरई लदते हया, पय तूँ, ऊँ नेमन काहीं पालन करँइ के खातिर उनखर एकव मदत नहीं करते आह्या। 47तोंहईं परमातिमा से खुब सजा मिली! तूँ पंचे परमातिमा के ऊँ सँदेस बतामँइ बालेन के कब्रँय बनउते हया, जिनहीं तोंहरय बाप-दादा मार डारिन तय। 48अउर तूँ पंचे खुदय गबाह हया, अउर अपने बाप-दादन के कामन माहीं साझीदार हया; काहेकि ऊँ पंचे उनहीं मारि डारिन तय, अउर तूँ पंचे उनखर कब्रँय बनउते हया। 49एसे परमातिमा अपने बुद्धी से कहिन हीं, कि हम अपने सँदेस बतामँइ बालेन अउर यीसु मसीह के खास चेलन काहीं उनखे लघे पठउब, अउर ऊँ पंचे उनमा से कुछ जनेन काहीं मारि डरिहँय, अउर कुछ जनेन काहीं सतइहँय। 50कि जउने जेतने परमातिमा के सँदेस बतामँइ बालेन के खून, संसार के सुरुआत से बहाबा ग हय, ऊँ सगलेन के हिंसाब, इआ समय के मनइन से लीन जाय: 51हाबिल के हत्या से लइके जकरयाह के हत्या तक, जउन बेदी अउर मन्दिर के बीच माहीं मारि डारे गें तय। हम तोंहसे सही कहित हएन, कि ईं सगलेन के हिंसाब इहय समय के मनइन से लीन जई। 52हे, यहूदी नेम सिखामँइ बाल्या तोहईं पंचन काहीं परमातिमा से खुब सजा मिलँइ बाली हय। तूँ पंचे ग्यान के चाभी लइ त लिहा हय, पय खुदय ग्यान काहीं नहीं मान्या, अउर ग्यान के बात मानँइ बालेन काहीं मानँइ से रोंकते हया।”
53जब यीसु उहाँ से निकरें, तब मूसा के बिधान सिखामँइ बाले अउर फरीसी बुरी तरह से यीसु के पीछे परिगें, अउर उनहीं परेसान करँइ लागें, कि ऊँ अउर खुब बातन के चरचा करँय, 54जउने कउनव बातन माहीं गलती पाइके उनहीं पकड़ी, इआ मोका के ताक माही सगले लगे रहे हँय।

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