परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्रानमूना
2 तीमुथियुस– भय रहित विश्वासयोग्यता
64 AD (मसीह के पश्चात्) में नीरो द्वारा लगाई गई आग के कुछ वर्षों बाद, पौलुस का पत्र आता है, जो शायद उसका अंतिम पत्र था,जिसमें यातना के साथ मार दिये जाने की (शहादत की) आशंका व्यक्त की गई है। उदासीन, छोड़े हुये, (कुछ वफादार लोगों को छोड़कर) बेड़ियों में जकडे हुये, पर फिर भी विजयी।
"किसी भी वकील ने उनके मामले की वकालत करने का साहस नहीं किया , उनके लिए कोई सहायक नहीं आया, जैसे कि सामान्य परिस्थितियों में उनकी सहायता की जा सकती थी"; [1] 2 तीमुथियुस 4:16, 17
उसे इस बात की जरा भी जानकारी नहीं है कि अपनी मृत्यु के बाद भी वह लाखों जिंदगियों को प्रभावित करेगा; वह अपनी जिम्मेदारी वफादार अगुवों को सौंपता है।
प्रहरियों की बदली
वह "शुद्ध विवेक" (2 तीमुथियुस 1:3) के साथ रहते हुए, और "अच्छी कुश्ती लड़ते हुए" (2 तीमुथियुस 4:7) जो उपदेश देता है उसका पालन करता है।
शक्तिशाली प्रभाव के सच्चे प्रेरित होने के बावजूद, वह मानते हैं कि यह मसीह ही है जो उसमें हमारी स्थिति की रक्षा कर रहा है और इसे दूसरों तक पहुंचा रहा है (2 तीमुथियुस 1:12, 14)
फिर भी, इन महान सत्यों को दूसरों तक पहुँचाने के लिए मसीह हमसे अपेक्षा करता है और हम पर भरोसा करता है (2 तीमुथियुस 2:2)। यह हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और लक्ष्य होना चाहिए।
अपनी बुलाहट में बने रहें
जिन जगहों पर चुनौतियाँ हैं वहाँ..अपनी बुलाहट में बने रहें । अन्य मजबूरियों से अनजान होकर पूर्णता तक दृढ़ता से डटे रहना - यही हमारी बुलाहट है। (2 तीमुथियुस 1:9; 3:14)। इस अटल संकल्प के कई सजीव उदाहरण हैं।
समर्पित योद्धा (2 तीमुथियुस 2:3) – बंधनों (रुकावट) से मुक्त और दुख सहने के लिए तैयार
निपुण लडनेवाला (2 तीमुथियुस 2:5) - नियमों के अनुसार खेलता है, निगाहें पुरस्कार (मुकुट) पर टिकी होती हैं
मेहनती किसान (2 तीमुथियुस 2:6) - लाभ का पहला हिस्सा प्राप्त करने में मुक़ाबला करता है
स्वीकृत श्रमिक (2 तीमुथियुस 2:15) – जो लज्जित होने न पाए, और वचन को ठीक रीति से काम में लाये
उपयोगी पात्र (2 तीमुथियुस 2:20) - स्वच्छ, सम्माननीय और शुद्ध
धैर्यवान दास (2 तीमुथियुस 2:24,25) - नम्र और दयालु
अवास्तविक आशा (भ्रम) का पीछा
जहां कुछ लोग अपनी बुलाहट को दृढ़ता से थामे रहते हैं, वहीं अन्य लोग भ्रम का पीछा करते हैं। वे “ अस्वस्थ्य आत्मिक भोजन खाते हैं -अर्थात आकर्षक राय जो उनकी अभिलाषाओं को जगाती है। वे सच्चाई से मुँह मोड़ लेंगे और भ्रम का पीछा करेंगे।” 2 तीमुथियुस 4:3 (संदेश)
छोड़ना (2 तीमुथियुस 4:10,16) – चुनौतियाँ छोडने वालों (विश्वासघातियों) को बेनकाब करती हैं
निराशा (2 तीमुथियुस 1:15) - लोगों को विमुख कर देती है
पतन (2 तीमुथियुस 3:2-5) - धर्मी लगना, लेकिन वास्तव में इसकी शक्ति को नकारना
इच्छाएँ (2 तीमुथियुस 4:3,10) - संसार की लोकप्रियता और उनकी इच्छाओं के अनुरूप करने के लिए बाइबिल के अर्थ को तोडना मरोडना
धोखा (2 तीमुथियुस 3:8) - यहाँ तक कि चमत्कारी (अद्भुत) शक्तियाँ भी शैतानी हो सकती हैं - धोखा देने और धोखा खाने के लिये
अधिकार (2 तीमुथियुस 2:23) - अहंकारी, सत्ता के लिए पागल और मतभेद पैदा करने वाला
ऐसे कौन से अवसर हैं जिनसे हम भयभीत होते हैं? भय का कारण क्या हो सकता है? हम उन डर पर कैसे काबू पा सकते हैं? हम किस भ्रम का पीछा करते हैं? वे इतने वास्तविक क्यों लगते हैं? इस पुस्तक से हमें वफ़ादार बने रहने के लिए क्या प्रोत्साहन मिलता है?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
क्या हमारा जीवन मसीह से मुलाकात करने के बाद लगातार बदल रहा है? हम जीवन के परे सम्पत्ति को कैसे बना सकते हैं? हम कैसे आनन्द, सन्तुष्टि और शान्ति को हर परिस्थिति में बना कर रख सकते हैं? इन सारी बातों को वरन कई अन्य बातों को पौलुस की पत्री में सम्बोधित किया गया है।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए Bella Pillai को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://www.bibletransforms.com/