यीशु: आपकी आत्मा का एकमात्र जुनूननमूना

यीशु: आपकी आत्मा का एकमात्र जुनून

दिन 4 का 5

प्रेम - यह एक शब्द में मूल जुनून को दर्शाता है। एक आदमी जिस चीज को प्यार करता है,वह उसके पिछे पड़ता है। एक महिला जिसे अहमियत देती है,वह बात मानेगी । एक व्यक्ति उसी के लिए जीएगा और मरेगा जिससे वह वास्तव में प्यार करता है। मसीहियों के लिए,परमेश्वर हमारा परम प्रेम,हमारा परम जुनून होना चाहिए।लेकिन असल जीवन में करना कठिन हो सकता है। शुक्र है,हमें इसे अकेले करने के लिए नहीं बुलाया गया है।

परमेश्वर आपके आत्मिक जीवन के बारे में उतने ही चिंतित हैं जितने आप हैं।इसके अलावा,असंभव को- आपकी अंततःसिद्धता को- अनिवार्य बनाने में वह माहिर हैं।पहली और बड़ी आज्ञा परमेश्वर के लिए जुनून को प्रकाशित करती है (मरकुस १२:२८-३१)। वहाँ हम यीशु की आत्मिक जुनून की अपनी अपेक्षा को पाते हैं। वह वर्णन करता है कि परमेश्वर के साथ चल रहे संबंध में क्या महत्वपूर्ण है और क्या कठिन है:"और तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना।"

प्रेम उन शब्दों में से एक है जिसे हम सहज रूप से समझते हैं,लेकिन इसके कई अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं। हालांकि,प्रति प्रेम बहुत विशिष्ट है। यह एक खास तरह का प्रेम है जो केवल परमेश्वर के लिए संरक्षित है। अपने आप से पूछे:

•क्या परमेश्वर मेरा पहला प्रेम है?मेरे मन का जुनून?

•क्या परमेश्वर मेरा सच्चा प्यार है?मेरी आत्मा का जुनून?

•क्या परमेश्वर मेरा सत्य प्यार है?मेरे विचारों का जुनून?

•क्या परमेश्वर मेरा पूरा प्यार है?मेरे जीवन का जुनून?

अगर आपके जवाब पहली बार में आपको हतोत्साहित कर रहे हैं,तो दिल थाम लीजिए! हम सब परमेश्वर से प्रेम करने में परमेश्वर की सामर्थ्य के अधीन रहते हैं। यूहन्ना 17:17 में,यीशु प्रार्थना करते हैं कि परमेश्वर अपने चेलों को सच्चाई से“शुद्ध”– या“पवित्र”करेगा। प्रेरित पौलुस ने भी इस सत्य के बारे में कहा:शान्ति का परमेश्‍वर आप ही तुम्हें पूरी रीति से पवित्र करे;और तुम्हारी आत्मा और प्राण और देह हमारे प्रभु यीशु मसीह के आने तक पूरे पूरे और निर्दोष सुरक्षित रहें।तुम्हारा बुलाने–वाला सच्‍चाहै,और वह ऐसा ही करेगा।”

(1 थिस्सलुनीकियों 5:23-24)

दिन 3दिन 5

इस योजना के बारें में

यीशु: आपकी आत्मा का एकमात्र जुनून

पांच दिन डॉ.रमेश रिचर्ड के साथ बिताएं, जो RREACH के अध्यक्ष और डालास थियोलोजिकल सेमिनरी के आचार्य हैं, वह पासबान के दृष्टिकोण से बताएंगे कि जीवन में अपनी आत्मा के जुनून को कैसे खोजा जाए एक सर्वोच्च उद्देश्य का पीछा करने वाला इच्छानुरूप जीवन जुनून से शुरू होता है। आप इसके साथ संगी योजना,"एक साशय जीवन का निर्माण करनाः अभी प्रारम्भ करें" का भी आनंद ले सकते हैं।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए रमेश रिचर्ड इवेंजेलिज़्म और चर्च हेल्थ को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://rreach.org/