यीशु के समान प्रार्थना करना सीखनानमूना

यीशु के समान प्रार्थना करना सीखना

दिन 2 का 5

यीशु के सकेन्द्रित होकर प्रार्थना करना सीखना

विज्ञान में हम एक केन्द्र बिन्दू के बारे में पढ़ते हैं जिसे आलम्ब भी कहा जाता है जिस पर अगर किसी चीज़ को लटका दिया जाता है तो वह बहुत आराम से घुमाया या हिलाया जा सकता है। सीसौ झूले या फिर कब्ज़े पर झूलते हुए दरवाज़े के बारे में विचार करें। ये दैनिक जीवन से जुड़ी चीज़ें एक आसानी और सहजता से उनके केन्द्र बिन्दू के कारण आगे हिलती या घूमती हैं। एक केन्द्र बिन्दू की वजह से बहुत कम ताकत का इस्तेमाल करके इधर उधर धुमाया जा सकता है। एक सकेन्द्रित प्रार्थना भी ठीक इसी प्रकार से कार्य करती है। यह ऐसी प्रार्थना होती है जो आत्मिक माहौल को बदलकर परमेश्वर की इच्छा को केन्द्र बिन्दू बना देती है। यह परमेश्वर का आदर करने वाली तथा परमेश्वर के राज्य का फायदा कराने वाली प्रार्थना होती है। जब चेलों ने यीशु से उन्हें प्रार्थना सिखाने के लिए निवेदन किया,तब यीशु ने उन्हें प्रार्थना करने का वह तरीका सिखाया जिसे हम “प्रभु की प्रार्थना” के नाम से भी जानते हैं। यह एक छोटी मगर सुन्दर प्रार्थना है,जिसमें लगभग सबकुछ शामिल है। एक सकेन्द्रि प्रार्थना ऐसी ही होती है। टिम एल्मोर सकेन्द्रित प्रार्थना को परिभाषित करते हुए कहते हैं यह “उच्च स्तर पर प्रार्थना करना सीखना” है। वह यह भी कहते हैं कि ये “लक्ष्य चालित प्रार्थनाएं होती है संरक्षण चालित नहीं”।

जब वह प्रभु की प्रार्थना को विश्लेषण करते हैं,तो हमें इसमें एक सकेन्द्रित प्रार्थना छिपी हुई नज़र आती है। इसका प्रारम्भ परमेश्वर पिता को सम्बोधित करते वह उसका आदर करते हुए होता है। आगे बढ़ते हुए यीशु परमेश्वर के राज्य को इस धरती पर आने,उन्हें उस दिन की सारी ज़रूरतों के लिए मुहैय्या कराने तथा प्रार्थना करने वाले जन के लिए क्षमा प्रदान करने का निवेदन करते हैं। यह प्रार्थना केवल यहीं समाप्त नहीं हो जाती,वरन यह सुनिश्चित करती है कि जैसे क्षमा मिलती है वैसे ही दूसरों पर क्षमा प्रगट हो,कहीं हम उसके बारे में भूल न जाए,और अन्त में बुराई से बचाने के निवेदन के साथ यह प्रार्थना समाप्त हो जाती है।

इस प्रकार की प्रार्थना उसके केन्द्र को हम से हटाकर परमेश्वर का राज्य बना देती है। अपने लिए प्रार्थना करना कोई गलत बात नहीं है-वरन ऐसा करना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है। लेकिन यदि हम अनन्त दृष्टिकोण से प्रार्थना करें तो कैसा रहेगा?कैसा रहेगा यदि हमारी प्रार्थनाओं में हम मांगने लगें कि हमारे जीवन में उसका राज्य आए ताकि बहुत से लोगों को यीशु के नाम में उद्धार प्राप्त हो सके?

इससे हमारे जीवनों में बड़ी क्रान्ति आ सकती है और हम संसार भर में परमेश्वर के कार्य करने हेतू सामर्थी माध्यम बन सकते हैं।

पवित्र शास्त्र

दिन 1दिन 3

इस योजना के बारें में

यीशु के समान प्रार्थना करना सीखना

मसीही जीवनों में प्रायः प्रार्थना नज़रअन्दाज़ होती है, क्योंकि हम सोचते हैं कि परमेश्वर सब जानते हैं,हमें उसे बताने की ज़रूरत नहीं है। यह योजना आपके जीवन को पुनः व्यवस्थित करने में सहायता करेगी जिससे आप योजनाबद्ध तरीके से अपने जीवन के लिए परमेश्वर की इच्छा को जानने के लिए समय निकालेगें और प्रार्थना का उत्तर मिलने तक प्रार्थना करेगें। प्रार्थना सभी बातों की प्रथम प्रतिक्रिया है,अन्तिम विकल्प नहीं।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए वी आर सिय्योन को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.wearezion.co/bible-plan