BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन नमूना

BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन

दिन 24 का 28

इब्रानी बाइबिल परमेश्वर के लोगों का इतिहास अंकित  करते समय बताती है की कैसे उन्होंने बार-बार परमेश्वर और दूसरों से प्रेम रखने वाली सबसे बड़ी आज्ञा को नज़रंदाज़ किया| तो हम उनसे बेहतर करने की आशा कैसे रख सकते हैं? यीशु हमारी सहायता करता है जब वह एक नयी आज्ञा को इस सबसे बड़ी पुरानी आज्ञा के साथ जोड़ देता है| उसकी नयी आज्ञा दर्शाती है की कैसे उसका बलिदान करने वाला प्रेम उसके चेलों को दूसरों से प्रेम रखने के लिए समर्थ बनाता है| 


पढ़ें: यूहन्ना १३:३४, और मरकुस १२:२९-३१ का पुनरावलोकन कीजिये, १ यूहन्ना ४:९-११  


चिंतन करें: यूहन्ना १३:३४ की तुलना मरकुस १२:२९-३१ से कीजिये| इन दोनों आज्ञाओं के मध्य क्या भिन्नता है? किस प्रकार से स्वयं यीशु का उद्धारण इस सबसे बड़ी आज्ञा को नया बनाता और पूरा करता है? 


१ यूहन्ना ४:९-११ का ध्यानपूर्वक पुनरावलोकन कीजिए| कौन से शब्द या वाक्यांश, आपके सामने उभर कर आते हैं? इस अंश अनुसार, यीशु ने अपना प्राण क्यूँ दिया, और किस बात के कारण हमें दूसरों से प्रेम रखने के लिए प्रेरित होना चाहिए? 


आज आपने जो सीखा है उसके प्रतिउत्तर में एक क्षण निकालकर प्रार्थना कीजिए|  

दिन 23दिन 25

इस योजना के बारें में

BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन

बाइबिल प्रोजेक्ट ने व्यक्ति-विशेष, छोटे समूहों एवं परिवारों को प्रेरित करने के लिए यीशु-आगमन सम्बन्धी चिंतन की संरचना की है ताकि वे यीशु के आगमन या आने का उत्सव मना सकें| इस चार सप्ताह की योजना में शामिल हैं एनीमेटेड वीडियो, छोटे सारांश, और चिंतन-प्रश्न जो प्रतिभागियों की सहायता करते हैं ताकि वे आशा, शान्ति, आनंद और प्रेम जैसे विचारों का अध्ययन बाइबिल में दिए गए अर्थ अनुसार कर सकें|

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए BibleProject को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://bibleproject.com