लूका और प्रेरितों के काम के माध्यम से एक यात्रानमूना

लूका और प्रेरितों के काम के माध्यम से एक यात्रा

दिन 36 का 40


जैसे-जैसे पॉल येरूशलेम की ओर आगे बढ़ते हैं, वह रास्ते में यीशु के अनुयायियों के बढ़ते हुए समुदाय की मुलाकात करने के लिए रुकते हैं। वह सभी राजधानी में प्रवेश करने के उनके इरादे के बारे में जानते हैं और उसके खिलाफ वाद-विवाद करते हैं। वह उनसे आग्रह करते हैं कि वह न जाएं, क्योंकि उन लोगों को विश्वास है कि अगर वह जाते हैं, तो उन्हें या तो बंदी बना लिया जाएगा या मार दिया जाएगा। लेकिन पॉल वह जो मानते है उसके लिए मरने तक को तैयार हैं, और इसलिए वह आगे बढ़ते ही रहते हैं। जब वह येरुशलेम पहुँचते हैं, तो वह यहूदी परंपराओं का अनुसरण करते हैं जिससे अन्य लोग देख पाएं कि वह यहूदी-विरोधी नहीं हैं। वास्तव में वह एक धर्मनिष्ठ यहूदी हैं, जो अपने पूर्वजों के परमेश्वर से प्रेम करता है और अपने साथी यहूदी के लिए प्राणों की बाज़ी भी लगा देगा। लेकिन यहूदी केवल पॉल के गैर-यहूदियों से संबंध को ही देखते हैं। वह पॉल के संदेश को अस्वीकार करते हैं, उन्हें मंदिर से धक्के मार कर निकाल देते हैं और मार-मार कर जान लेने की कोशिश करते हैं।

रोमनों को यह संदेश मिलता है कि येरूशलेम में परिस्थिति काबू के बाहर है और वह पॉल की पिटाई को जानलेवा बनने से रोकने के लिए सही समय पर पहुँच जाते हैं। पॉल को हिंसक भीड़ से दूर ले जाया जाता है, और वह सेनापति को उन्हें अपने पर अत्याचार करने वालों को संबोधित करने का मौका देने को मना लेते हैं। पिटाई से घाव और खून निकलता होने के बावजूद, पॉल खड़े रह कर हिम्मतपूर्वक अपनी कहानी सुनाते हैं। वह जो लोग उनकी जान लेने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें समझाने और उनके साथ एक होने का अनुभव करने के लिए हिब्रू में बात करते हैं। वह लोग हर बात को सुनते हैं जब तक कि पॉल परमेश्वर की जेन्टाइल (गैर-यहूदियों) को अपनी उद्धार योजना में शामिल करने की इच्छा की बात नहीं करते हैं। इस पर भीड़ तुरंत पॉल के खिलाफ मौत की धमकियाँ चिल्लाने लगती है। अफरा-तफरी मच जाती है और रोमन सेनापति समझ नहीं पाते हैं कि गैर-यहूदियों की बात करने से यहूदी पॉल के खिलाफ इतना नाराज़ क्यों हो जाते हैं। इसलिए सेनापति को लगता है कि इस कहानी में कुछ और भी होगा जो और अत्याचार से सामने लाया जा सकता है। लेकिन पॉल यह बता कर कि वह रोमन नागरिक हैं, अपने खिलाफ इस गैरकानूनी व्यवहार को रोक देते हैं। सेनापति को समझ में आ जाता है कि किसी रोमन नागरिक को नुकसान पहुँचाने से वह खुद मुश्किल में पड़ सकता है, इसलिए पॉल को तुरंत हिरासत से रिहा कर दिया जाता है और एक सुनवाई के लिए ले जाया जाता है, जहाँ पर वह उन पर इल्ज़ाम लगाने वाले धार्मिक नेताओं के सामने अपनी बात रख सकें। 

पवित्र शास्त्र

दिन 35दिन 37

इस योजना के बारें में

लूका और प्रेरितों के काम के माध्यम से एक यात्रा

दिनों में व्यक्तियों, छोटे समूहों और परिवारों को लूका और प्रेरितों के काम की पुस्तकों को शुरू से अंत तक पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। यह योजना प्रतिभागियों को यीशु से सामना करने और लूका के शानदार साहित्यिक रचना और विचार के प्रवाह के साथ जुड़ने में मदद करने के लिए एनिमेटेड वीडियो और गहरी समझ वाले सारांश सम्मिलित करती है।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए बाइबिलप्रोजेक्ट को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://bibleproject.com