चिन्ता को उसी के रचे खेल में हरानानमूना

चिन्ता को उसी के रचे खेल में हराना

दिन 3 का 4

दिन में एक बार

हर एक दिन की अपनी अलग परेशानियाँ होती हैं। मुझे नहीं पता कि आप इस बात से सहमत होगें या नहीं लेकिन यह बात सत्य है। हर एक दिन में हम जिन चुनौतियों का सामना हमारे घर, कार्यालय, बच्चों के साथ, अपने घराने, अपने मित्रों के साथ करते हैं, उनके लिए हमें प्रतिदिन आवश्यक कृपा मिल जाती है। इसके लिए जरूरत होती है कि हम बुनियादी तौर हर दिन को हम, उसके उठने या गिरने, ऊंचाई या गहराई, नुकसान या फायदे के साथ अर्थात हर सूरत में ग्रहण करें। काफी बार हमारे हृदय में तब ज्यादा चिन्ता होने लगती है जब हम सोचते हैं कि हमें आज, या इस सप्ताह या इस महीने में इस काम को करना है। यीशु अर्थात देहधारी परमेश्वर ने स्वयं इस बात को कहा था कि भविष्य की चिन्ता करना व्यर्थ है। उसने हमारे ध्यान को मत्ती 6 में मैदान के फूलों, आकाश के पक्षियों की ओर खींचा जो अपना जीवन बिना किसी बात की चिन्ता किये हुए जीते हैं। वे न तो चिन्ता करते हैं और न ही कोई संघर्ष करते हैं परन्तु जैसा जीवन उन्हें दिया जाता है वैसा ही वे जीते हैं। मैसेज अनुवाद में 1पतरस 5 अध्याय पद 7 में लिखा है,  “परमेश्वर के सम्मुख चिन्ता मुक्त रहो, उसे आपका पूरा ख्याल है।” यह कितनी उत्साहित करने वाली बात है- वह हमें चिन्ता मुक्त जीवन जीने की अनुमति देता है जिसमें हमें ज़माने भर को बोझ अपने कांधों पर नहीं उठाना है। इसके द्वारा हमें हर दिन एक दृढ़ विश्वास के साथ प्रारम्भ करने में सहायता मिलती है कि हमारा पूरे दिन भर हमारे आगे और पीछे चलता है। इससे हमें अपना हर दिन इस साधारण विश्वास के साथ समाप्त करने में भी सहायता मिलती है कि वह हमारी देखभाल करेगा फिर चाहे अगला दिन कितना ही डरावना क्यों न हो क्योंकि वह समय से बंधा हुआ नहीं है और वह सब कुछ जानता है। इसका अर्थ यह है कि मेरे सामने जो भी कुछ आयेगा उसका सामना करने के लिए वह मुझे बुद्धि, हर बाधा को पार करने की सामर्थ्य, दौड़ पूरी करने के लिए धीरज प्रदान करेगा। हमें पता चलेगा कि दिन को एक बार में लेने पर हम सीखेगें किस प्रकार उपस्थित रहा जाता और हर एक क्षण का आनन्द लिया जाता है। जब चिन्ताएं हमारे जीवन में हावी हो जाती हैं तो हम उन आनन्दमय पलों का आनन्द लेने से चूक जाते हैं जो हमारे जीवन में रखा गया है, हम अपने साथियों के साथ शारीरिक रूप में मौजूद तो होते हैं लेकिन हमारा दिमाग कहीं और ही भटक रहा होता है। हमारे रिश्ते खराब हो जाते हैं और परिणाम स्वरूप हमारी सेहत भी बिगड़ जाती है। अपने दिमाग में, एक पक्षी के बारे में सोचें जो आपकी खिड़की से होकर गुज़र जाती है, या किसी फूल के बारे में सोचें जिसे आप किसी बगीचे में बड़े प्यार के साथ बढ़ते हुए देखते हैं, और फिर आप अपने जीवन के हर एक पल का आनन्द उठाने का प्रयास करें। हर एक दिन इस बारे में विचार करें कि आप कैसे किसी व्यक्ति को आशीष दे सकते या प्रोत्साहित कर सकते हैं। हमारे पास जीने के लिए केवल एक ही जीवन है, और यह हम पर निर्भर करता है कि हम उस जीवन को किस प्रकार जीना चाहते हैं। चिन्ता कोई समाप्त होने वाला मार्ग नहीं है, यह तो एक वापस मुड़ने वाला मोड़ है यदि आप कल की चिन्ता किये बगैर हर दिन को वैसे के वैसा ही ग्रहण कर लेते हैं तो वह आपको फिर से आपके जीवन के राजपथ पर लाकर जोड़ देता है। क्या आप अपनी गति को थोड़ा धीमा करके दिन का आनन्द उठाने के लिए तैयार हैं?

प्रार्थनाः 

प्रिय प्रभु, 

धन्यवाद प्रभु हर एक उस सुबह के लिए जो आप मुझे देते हैं। मैं आपके द्वारा दिये गये जीवन, स्वास्थ्य और शक्ति के लिए आपका धन्यवाद देती हूं। प्रभु इस दिन का इसकी पूरी क्षमता के साथ आनन्द उठाने में आप मेरी सहायता करें- प्रभु कल की चिन्ता को मेरे जीवन से दूर करके उसकी बजाय आप मुझे विश्वास से भर दें। 

यीशु के नाम में,  आमीन। 

दिन 2दिन 4

इस योजना के बारें में

चिन्ता को उसी के रचे खेल में हराना

चिंता किसी भी प्रारूप में कमज़ोर बना सकती है क्योंकि यह हमें असंतुलित करके भयभीत बना देती है। हालांकि यह कहानी का अन्त नहीं है, क्योंकि प्रभु यीशु में हमें परेशानियों से मुक्ति और जय पाने का अनुग्रह मिलता है। हम केवल इस पर जय ही नहीं पाते वरन पहले से बेहतर बन जाते हैं। इसके लिए परमेश्वर के वचन और सुनिश्चित करने वाली परमेश्वर की उपस्थिति का धन्यवाद दें।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए We Are Zion को धन्यवाद देना चाहेंगे। ज्यादा जानकारी के लिये पधारें: https://www.wearezion.co/bible-plan