प्रत्येक सुबह परमेश्वर से सुननानमूना
पहली प्रतिक्रिया
हे परमेश्वर, तू मेरा ईश्वर है, मैं तुझे यत्न से ढूंढूंगा। (भजन संहिता 63:1)
कभी-कभी मैं इस बात पर अचंभा करती हूं कि हम कुछ परिस्थितियों में कितने समय तक संघर्ष कर सकते हैं, इससे पहले कि हम इसके बारे में परमेश्वर से बात करें और उनकी आवाज सुनें। हम अपनी समस्याओं के बारे में शिकायत करते हैं; हम बड़बड़ाते हैं; हम असन्तोष दिखलाते हैं; हम अपने दोस्तों को बताते हैं; और हम इस बारे में बात करते हैं कि हम कैसे चाहते हैं कि परमेश्वर इसके बारे में कुछ करे। हम अपने मन में और अपनी भावनाओं के साथ संघर्ष करते हैं जब हम अक्सर सबसे सरल समाधान का लाभ उठाने में असफल होते हैं: प्रार्थना। लेकिन इससे भी बदतर, तब होता है जब हम शायद सबसे हास्यास्पद बयान करते हैं: “ठीक है, मुझे लगता है कि मैं अब जो कर सकता हूं वह प्रार्थना ही है”। मुझे यकीन है कि आपने पहले सुना है और शायद आपने भी कहा है। हम सभी ने कहा है। हम सभी प्रार्थना को अंतिम प्रयास के रूप में मानते हैं और कहते हैं, “ठीक है, कुछ और काम नहीं कर रहा है, इसलिए शायद हमें प्रार्थना करनी चाहिए।” क्या आप जानते हैं कि यह मुझे क्या बताता है? यह मुझे बताता है कि हम वास्तव में प्रार्थना की शक्ति पर विश्वास नहीं करतें जिस तरह से हमें करना चाहिए। हम उन बोझों को ढोते हैं, जिन्हें हमें सहन करने की आवश्यकता नहीं है - और जीवन आवश्यकता से अधिक कठिन हो जाता है - क्योंकि हमें एहसास नहीं है कि प्रार्थना कितनी शक्तिशाली है। अगर हमें पता होता, तो हम परमेश्वर से बात करते और उनकी बातों को सुनते, अंतिम उपाय के रूप में नहीं, बल्कि पहली प्रतिक्रिया के रूप में।
आपके लिए आज का परमेश्वर का वचनः प्रार्थना को अपनी अंतिम प्रतिक्रिया न होकर अपनी पहली प्रतिक्रिया बनाए।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
यह डिवोशनऱ छोटे, सशक्त अनुस्मारकों को ऩेश करता है जो ऩरमेश्वर के साथ समय बबताने को आऩकी सवोच्च प्राथममकता बनाने, उसके साथ हररोज समय बबताने के मऱए एक जुनून ववकमसत करने, आऩकी प्राथथनाओं के प्रतत उसकी प्रततक्रियाओं को समझने, और ऩरमेश्वर के साथ अधधक व्यक्क्तगत समय बबताने के दौरान आऩके ररश्तों को बनाए रखने में आऩको प्रेररत और मदद करेंगे।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए जॉयस मेयर मंत्रालयों को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/ |