बदलाव लाने के लिए बदल जायें नमूना
कलीसिया में हमारी भूमिका
“..सब एक ही बात कहो; और तुम में फूट न हो..” (पद 10)
परमेश्वर के द्वारा दिए गए अधिकार के साथ, पौलुस कलीसिया में विभिन्नता को एकता में लाने की चुनौती को स्वीकार करता है| वो कभी किसी का पक्ष नहीं लेता लेकिन प्रभु की सेवा में अपना ध्यान लगाता है| आज भी कलीसिया में अलग-अलग विचार और ख्याल के बीच कई मतभेद है| मतभेद को सुनना और उसका समाधान निकलना या उसको सही प्रकार से स्पष्ट करना ज़रूरी है| ऐसे मतभेद सुलझ सकते हैं, यदि सबका मसीह के पीछे चलने का एक समान उद्देश्य हो| लोग जिनके विचार और ख्याल अलग होते हैं वे अक्सर अपने उद्देश्य से भटक जाते हैं और गलत शिक्षा के शिकार बन जाते हैं और अन्य विभाजित समूहों को पैदा करते हैं| उन्हें फिर से उनके विश्वास के शुरुआत की बिंदु में लाना ज़रूरी है, और उन्हें प्रोत्साहन करना होगा कि वे केवल मसीह को अपना कोने का पत्थर मान कर फिर से नई शुरुआत करें| इस आधुनिक युग में भी केवल मसीह महत्वपूर्ण है| हमारा अनुभव,कि यीशु मसीह ही अंतिम प्रकाशन है, लोगों को मसीह में केन्द्रित होने में लोगों को प्रेरित करें| सो हम सुसमाचार को पुरे अधिकार के साथ प्रचार करें, परमेश्वर की सच्चाई के सामने परम्परा और रीतिरिवाजों को आने न दें, परन्तु केवल मसीह को महिमा दें,
जब हम अपने हिस्से के कार्य को करते हैं तो परमेश्वर को उनके समर्थ को प्रदर्शित करने दें|
“..पौलुस तुम्हारे लिए क्रूस पर नहीं चढ़ाया गया..”
यह जानना बेहद जरूरी है कि जब हम पापी ही थे , मात्र यीशु मसीह हमारे लिए क्रूस पर चढ़ाये गए, ना कि कोई संत या व्यवस्था का प्रचारक| पूरे युग में मात्र मसीह की महिमा हो| लोग अक्सर आश्चर्य के कार्य, निपुण वार्तालाप और तर्क, देखी हुई बातों को ही खोजते है| लेकिन यह महत्पूर्ण है कि हम उन्हें क्रूस की ओर रास्ता दिखाए जहाँ यीशु मसीह हमारे लिए क्रूस पर चढ़ाये गए| यह परमेश्वर के सामर्थ और प्यार का आश्चर्यजनक प्रदर्शन है| सो आओ, परमेश्वर के बुलाये हुओं के सामान, नम्रता के साथ यह अंगीकार करें कि हम इसलिए नहीं बचाए गए क्योंकि हम बुद्धिमान या शक्तिशाली है | परन्तु परमेश्वर ने हमें हमारे मूर्ख होने पर भी हमको चुना ताकि बुद्धिमान शर्म में पड़ जाये और तुम्हारी कमजोरी से ताक़त वर लोग शर्म में पड़ जायें |
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
परमेश्वर की बुलाहट, और हमारे लिए उनके उद्देश्य को समझने का अनुभव| गवाही से भरा जीवन जीना, दूसरों को उनके उद्धार भरे अनुग्रह के बारे में बताना| वर्तमान समय को भविष्य की आशा से जीतना| परमेश्वर के द्वारा चुने एक पात्र के रूप में एक योग्य जीवन जीना| मात्र मसीह को सिर मानते हुए, कलीसिया में एकता को बढ़ावा देना| परमेश्वर के वचन की घोषणा करना और उसे सिखाना|
More
हम इस योजना को प्रदान करने के लिए सी जेबराज को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://jebaraj1.blogspot.com/