मिशन का जीवननमूना
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जीवन मिशन पर होने का अर्थ क्या है?
लैटिन भाषा में एक पुरानी कहावत है “मिस्सिओ दी” जिसका मतलब है “परमेश्वर का मिशन” या “परमेश्वर द्वारा भेजा गया”–यह परमेश्वर के बड़े मिशन के सम्बन्ध में है की मनुष्य का मेल उनके साथ हो सके (यीशु को भेजने के द्वारा) और हमारे लिए उनकी बुलाहट के द्वारा, उनकी कलीसिया मिशन में भाग ले सके यह वह मिशन है जो हजारों साल पहले से आज तक चल रहा है।
यीशु उस मिशन की कुंजी है। उनके द्वारा हम इसमें भाग ले सकें हैं। यीशु न केवल हमें परमेश्वर पिता के साथ रिश्ता जोड़ने का मार्ग तैयार किया है, लेकिन हमें उद्हारण भी दिया है की मिशन पर जीवन जीना क्या होता है।
मत्ती 28:18-20 में जो महान आज्ञा दी गयी है, वही हमारी बुलाहट है। इस कारण आपको सारा अधिकार मिला है की आप जायें और लोगों को उन सब बात की शिक्षा दें जिनकी आज्ञा यीशु ने आपको दी है और उन्हें चेला बनाएं।
यह केवल किसी के लिए एक बुलाहट ही नहीं है लेकिन यह यीशु के अनुयायी होने के नाते आपके लिए व्यक्तिगत आज्ञा भी है। यह एक मुश्किल काम लगता है और कुछ प्रकार से यह है भी लेकिन आपको कभी भी यह अकेले करने को नहीं बुलाया गया है। सरल रूप से यह है की आप जहाँ कहीं भी जाते हैं मसीही अनुयायी के रूप में जीवन जियें और अपना मुह लोगों को अपनी आशा के बारे में बताने के लिए खोलें। सब जगह का मतलब यह नहीं की अपने जीवन के कुछ ही क्षत्रों में लेकिन सब क्षेत्रों में।इसलिए यह बहुत अधिक आवश्यक है की अपने जीवन में खुद परमेश्वर को जानें। जब आप किसी को जानते हैं, आप उनके कामों को और चरित्र को जानते हैं और उनके साथ आपकी घनिष्ट और करीबी दोस्ती हो जाती है। आप उनके साथ समय और ज़िन्दगी बिताना चाहते हैं।
कभी कभी मिशन पर जीवन बहुत महान दिखाई देता है तो कभी यह मैला दिखाई देता है। कभी दूसरों के साथ मिलकर काम करना होता है तो कभी अकेले, लेकिन यह कभी भी पवित्र आत्मा के बिना नहीं होता। हर योजना का केंद्र बिंदु वही है। बल्कि उसकी आवाज़ और मार्गदर्शन के प्रति आज्ञाकारी रहने से पता चलता है की हम मिशन में कितने प्रभावशाली हैं।
मिशन पर जीवन कोई काम नहीं है लेकिन यह एक जीवन शैली और समर्पण है जिसे हम यीशु को ग्रहण करते समय अपने गले लगते हैं।
जब हम यीशु को ग्रहण करते हैं तो हमें एक पहचान और उद्देश्य दोनों मिलते हैं। हमें उनके उद्देश्य और मिशन के लिए उद्धार दिया गया और बुलाया गया है। अगर आप कभी अपने उद्देश्य पर प्रश्न उठाते हैं तो यीशु की ओर देखें उन्होंने आपको पहले से ही यह बात आडिय है! आपको मनुष्य का मिलाप फिर से परमेश्वर से करने के परमेश्वर के महान मिशन लिए बुलाया गया है। प्रश्न यह है की क्या आप अपने मिशन और आज्ञाकारिता के लिए प्रभावशाली हैं?
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पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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मिशन का जीवन जीना कैसा होता है ? यीशु के प्रति जीवन को आत्मसमर्पण करने की संभावनाओं और साहस की , और पवित्र आत्मा के द्वारा चलना कैसा होता है इन सब बातों के लिए खोज करें। इस मिशन को , क्या आप इसे स्वीकार करने का चुनाव करते हैं, यह आपके जीवन जीने के तरीके को बदल देगा। यह उद्देश्य और जीवन से भरा है। इसका अर्थ यह है कि परमेश्वर के लिए आपकी व्यक्तिगत बुलाहट को समझें और जियें है।
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