नीतिवचन 4:20-27
नीतिवचन 4:20-27 पवित्र बाइबल (HERV)
हे मेरे पुत्र, जो कुछ मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दे। मेरे वचनों को तू कान लगा कर सुन। उन्हें अपनी दृष्टि से ओझल मत होने दे। अपने हृदय पर तू उन्हें धरे रह। क्योंकि जो उन्हें पाते हैं उनके लिये वे जीवन बन जाते हैं और वे एक पुरुष की समपूर्ण काया का स्वास्थ्य बनते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि तू अपने विचारों के बारे में सावधान रह। क्योंकि तेरे विचार जीवन को नियंत्रण में रखते हैं। तू अपने मुख से कुटिलता को दूर रख। तू अपने होठों से भ्रष्ट बात दूर रख। तेरी आँखों के आगे सदा सीधा मार्ग रहे और तेरी टकटकी आगे ही लगी रहें। अपने पैरों के लिये तू सीधा मार्ग बना। बस तू उन राहों पर चल जो निश्चित सुरक्षित हैं। दाहिने को अथवा बायें को मत डिग। तू अपने चरणों को बुराई से रोके रह।
नीतिवचन 4:20-27 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
मेरे पुत्र, मेरी बातें ध्यान से सुन, मेरे वचनों की ओर कान दे। ये तेरी आंखों से ओझल न हों, इनको अपने हृदय में धारण कर। जो व्यक्ति उनको प्राप्त कर लेता है, उसको मानो जीवन मिल जाता है; वह सदा स्वस्थ रहता है। मेरे पुत्र, सबसे अधिक अपने हृदय की रक्षा कर; क्योंकि जीवन के स्रोत उससे ही फूटते हैं। अपने मुंह से कुटिल बातें मत निकालना, और न ओंठों पर धोखा-धड़ी की बातें आने देना। तेरी आंखें सामने की ओर देखें, तेरी पलकें सीधी दिशा में खुली रहें। कदम उठाने के पूर्व अपने पैरों को तौल ले! तब तेरा सारा पथ निरापद हो जाएगा। पथ में न दाहिनी ओर मुड़ना और न बाई ओर, बुरे मार्ग से अपने पैर हटा लेना।
नीतिवचन 4:20-27 Hindi Holy Bible (HHBD)
हे मेरे पुत्र मेरे वचन ध्यान धरके सुन, और अपना कान मेरी बातों पर लगा। इन को अपनी आंखों की ओट न होने दे; वरन अपने मन में धारण कर। क्योंकि जिनको वे प्राप्त होती हैं, वे उनके जीवित रहने का, और उनके सारे शरीर के चंगे रहने का कारण होती हैं। सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है। टेढ़ी बात अपने मुंह से मत बोल, और चालबाजी की बातें कहना तुझ से दूर रहे। तेरी आंखें साम्हने ही की ओर लगी रहें, और तेरी पलकें आगे की ओर खुली रहें। अपने पांव धरने के लिये मार्ग को समथर कर, और तेरे सब मार्ग ठीक रहें। न तो दहिनी ओर मुढ़ना, और न बाईं ओर; अपने पांव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले॥
नीतिवचन 4:20-27 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
हे मेरे पुत्र, मेरे वचन ध्यान धरके सुन, और अपना कान मेरी बातों पर लगा। इनको अपनी आँखों की ओट न होने दे; वरन् अपने मन में धारण कर। क्योंकि जिनको वे प्राप्त होती हैं, वे उनके जीवित रहने का, और उनके सारे शरीर के चंगे रहने का कारण होती हैं। सबसे अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है। टेढ़ी बात अपने मुँह से मत बोल, और चालबाज़ी की बातें कहना तुझ से दूर रहे। तेरी आँखें सामने ही की ओर लगी रहें, और तेरी पलकें आगे की ओर खुली रहें। अपने पाँव रखने के लिये मार्ग को समथर कर, और तेरे सब मार्ग ठीक रहें। न तो दाहिनी ओर मुड़ना, और न बाईं ओर; अपने पाँव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले।
नीतिवचन 4:20-27 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
हे मेरे पुत्र मेरे वचन ध्यान धरके सुन, और अपना कान मेरी बातों पर लगा। इनको अपनी आँखों से ओझल न होने दे; वरन् अपने मन में धारण कर। क्योंकि जिनको वे प्राप्त होती हैं, वे उनके जीवित रहने का, और उनके सारे शरीर के चंगे रहने का कारण होती हैं। सबसे अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है। टेढ़ी बात अपने मुँह से मत बोल, और चालबाजी की बातें कहना तुझ से दूर रहे। तेरी आँखें सामने ही की ओर लगी रहें, और तेरी पलकें आगे की ओर खुली रहें। अपने पाँव रखने के लिये मार्ग को समतल कर, तब तेरे सब मार्ग ठीक रहेंगे। (इब्रा. 12:13) न तो दाहिनी ओर मुड़ना, और न बाईं ओर; अपने पाँव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले।
नीतिवचन 4:20-27 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
मेरे पुत्र, मेरी शिक्षाओं के विषय में सचेत रहना; मेरी बातों पर विशेष ध्यान देना. ये तुम्हारी दृष्टि से ओझल न हों, उन्हें अपने हृदय में बनाए रखना. क्योंकि जिन्होंने इन्हें प्राप्त कर लिया है, ये उनका जीवन हैं, ये उनकी देह के लिए स्वास्थ्य हैं. सबसे अधिक अपने हृदय की रक्षा करते रहना, क्योंकि जीवन के प्रवाह इसी से निकलते हैं. कुटिल बातों से दूर रहना; वैसे ही छल-प्रपंच के वार्तालाप में न बैठना. तुम्हारी आंखें सीधे लक्ष्य को ही देखती रहें; तुम्हारी दृष्टि स्थिर रहे. इस पर विचार करो कि तुम्हारे पांव कहां पड़ रहे हैं तब तुम्हारे समस्त लेनदेन निरापद बने रहेंगे. सन्मार्ग से न तो दायें मुड़ना न बाएं; बुराई के मार्ग पर पांव न रखना.