नीतिवचन 27:1-10

नीतिवचन 27:1-10 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

कल के दिन के विषय में डींग मत मार, क्योंकि तू नहीं जानता कि दिन भर में क्या होगा। तेरी प्रशंसा और लोग करें तो करें, परन्तु तू आप न करना; दूसरा तुझे सराहे तो सराहे, परन्तु तू अपनी सराहना न करना। पत्थर तो भारी है और बालू में बोझ है, परन्तु मूढ़ का क्रोध उन दोनों से भारी है। क्रोध तो क्रूर, और प्रकोप धारा के समान होता है, परन्तु जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है। खुली हुई डाँट गुप्‍त प्रेम से उत्तम है। जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्‍वास योग्य हैं परन्तु बैरी अधिक चुम्बन करता है। सन्तुष्‍ट होने पर मधु का छत्ता भी फीका लगता है परन्तु भूखे को सब कड़वी वस्तुएँ भी मीठी जान पड़ती हैं। स्थान छोड़कर घूमनेवाला मनुष्य उस चिड़िया के समान है, जो घोंसला छोड़कर उड़ती फिरती है। जैसे तेल और सुगन्ध से, वैसे ही मित्र के हृदय की मनोहर सम्मति से मन आनन्दित होता है। जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना, और अपनी विपत्ति के दिन अपने भाई के घर न जाना। प्रेम करनेवाला पड़ोसी, दूर रहनेवाले भाई से कहीं उत्तम है।

नीतिवचन 27:1-10 पवित्र बाइबल (HERV)

कल के विषय में कोई बड़ा बोल मत बोलो। कौन जानता है कल क्या कुछ घटने को है। अपने ही मुँह से अपनी बड़ाई मत करो दूसरों को तुम्हारी प्रशंसा करने दो। कठिन है पत्थर ढोना, और ढोना रेत का, किन्तु इन दोनों से कहीं अधिक कठिन है मूर्ख के द्वारा उपजाया गया कष्ट। क्रोध निर्दय और दर्दम्य होता है। वह नाश कर देता है। किन्तु ईर्ष्या बहुत ही बुरी है। छिपे हुए प्रेम से, खुली घुड़की उत्तम है। हो सकता है मित्र कभी दुःखी करें, किन्तु ये उसका लक्ष्य नहीं है। इससे शत्रु भिन्न है। वह चाहे तुम पर दया करे किन्तु वह तुम्हें हानि पहुँचाना चाहता है। पेट भरजाने पर शहद भी नहीं भाता किन्तु भूख में तो हर चीज भाती है। अपना घर छोड़कर भटकता मनुष्य ऐसा, जैसे कोई चिड़िया भटकी निज घोंसले से। इत्र और सुगंधित धूप मन को आनन्द से भरते हैं और मित्र की सच्ची सम्मति सेमन उल्लास से भर जाता है। अपने मित्र को मत भूलो न ही अपने पिता के मित्र को। और विपत्ती में सहायता के लिये दूर अपने भाई के घर मत जाओ। दूर के भाई से पास का पड़ोसी अच्छा है।

नीतिवचन 27:1-10 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

आनेवाले कल के सम्‍बन्‍ध में शेखी मत मारना; क्‍योंकि तू नहीं जानता है कि कल क्‍या होगा? तू अपनी प्रशंसा अपने मुंह से न करना; दूसरे लोग तेरी प्रशंसा करें तो करें। दूसरे मनुष्‍य के मुख से तेरी प्रशंसा हो, यह शोभा देता है; अपने आप मियां-मिट्ठू मत बनना। पत्‍थर भारी होता है रेत भी वजनदार होती है, पर इनसे अधिक भारी होता है मूर्ख मनुष्‍य का क्रोध। क्रोध निर्दय होता है; गुस्‍सा मनुष्‍य को दबोच देता है; पर ईष्‍र्या के सामने कौन ठहर सकता है? प्रेम जो सक्रिय नहीं है, उससे उत्तम है ताड़ना जो मनुष्‍य को सुधारती है। शत्रु के अपार प्‍यार से सच्‍चे मित्र की मार श्रेष्‍ठ है। जिसका पेट भरा है, उसको शहद भी फीका लगता है; परन्‍तु जिसका पेट खाली है, उसको कड़ुवी वस्‍तु भी मीठी लगती है। घर छोड़कर चला जानेवाला आदमी उस पक्षी की तरह भटकता है, जो अपने घोंसले से दूर चला गया है। तेल और इत्र से हृदय प्रसन्न होता है; किन्‍तु संकट से मन घबरा जाता है। अपने मित्र को, और अपने पिता के मित्र को कभी मत छोड़ना; अपने संकट के दिन अपने भाई के घर में पैर मत रखना। दूर रहनेवाले भाई से पास रहनेवाला पड़ोसी उत्तम है।

नीतिवचन 27:1-10 Hindi Holy Bible (HHBD)

कल के दिन के विषय में मत फूल, क्योंकि तू नहीं जानता कि दिन भर में क्या होगा। तेरी प्रशंसा और लोग करें तो करें, परन्तु तू आप न करना; दूसरा तूझे सराहे तो सराहे, परन्तु तू अपनी सराहना न करना। पत्थर तो भारी है और बालू में बोझ है, परन्तु मूढ का क्रोध उन दोनों से भी भारी है। क्रोध तो क्रूर, और प्रकोप धारा के समान होता है, परन्तु जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है? खुली हुई डांट गुप्त प्रेम से उत्तम है। जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य है परन्तु बैरी अधिक चुम्बन करता है। सन्तुष्ट होने पर मधु का छत्ता भी फीका लगता है, परन्तु भूखे को सब कड़वी वस्तुएं भी मीठी जान पड़ती हैं। स्थान छोड़ कर घूमने वाला मनुष्य उस चिडिय़ा के समान है, जो घोंसला छोड़ कर उड़ती फिरती है। जैसे तेल और सुगन्ध से, वैसे ही मित्र के हृदय की मनोहर सम्मति से मन आनन्दित होता है। जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना; और अपनी विपत्ति के दिन अपने भाई के घर न जाना। प्रेम करने वाला पड़ोसी, दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है।

नीतिवचन 27:1-10 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

कल के दिन के विषय में डींग मत मार, क्योंकि तू नहीं जानता कि दिन भर में क्या होगा। (याकू. 4:13,14) तेरी प्रशंसा और लोग करें तो करें, परन्तु तू आप न करना; दूसरा तुझे सराहे तो सराहे, परन्तु तू अपनी सराहना न करना। पत्थर तो भारी है और रेत में बोझ है, परन्तु मूर्ख का क्रोध, उन दोनों से भी भारी है। क्रोध की क्रूरता और प्रकोप की बाढ़, परन्तु ईर्ष्या के सामने कौन ठहर सकता है? खुली हुई डाँट गुप्त प्रेम से उत्तम है। जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य हैं परन्तु बैरी अधिक चुम्बन करता है। सन्तुष्ट होने पर मधु का छत्ता भी फीका लगता है, परन्तु भूखे को सब कड़वी वस्तुएँ भी मीठी जान पड़ती हैं। स्थान छोड़कर घूमनेवाला मनुष्य उस चिड़िया के समान है, जो घोंसला छोड़कर उड़ती फिरती है। जैसे तेल और सुगन्ध से, वैसे ही मित्र के हृदय की मनोहर सम्मति से मन आनन्दित होता है। जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना; और अपनी विपत्ति के दिन, अपने भाई के घर न जाना। प्रेम करनेवाला पड़ोसी, दूर रहनेवाले भाई से कहीं उत्तम है।

नीतिवचन 27:1-10 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

भावी कल तुम्हारे गर्व का विषय न हो, क्योंकि तुम यह नहीं जानते कि दिन में क्या घटनेवाला है. कोई अन्य तुम्हारी प्रशंसा करे तो करे, तुम स्वयं न करना; कोई अन्य कोई अपरिचित तुम्हारी प्रशंसा करे तो करे, तुम स्वयं न करना, स्वयं अपने मुख से नहीं. पत्थर भारी होता है और रेत का भी बोझ होता है, किंतु इन दोनों की अपेक्षा अधिक भारी होता है मूर्ख का क्रोध. कोप में क्रूरता निहित होती है तथा रोष में बाढ़ के समान उग्रता, किंतु ईर्ष्या के समक्ष कौन ठहर सकता है? छिपे प्रेम से कहीं अधिक प्रभावशाली है प्रत्यक्ष रूप से दी गई फटकार. मित्र द्वारा किए गए घाव भी विश्वासयोग्य है, किंतु विरोधी चुम्बनों की वर्षा करता है! जब भूख अच्छी रीति से तृप्‍त की जा चुकी है, तब मधु भी अप्रिय लगने लगता है, किंतु अत्यंत भूखे व्यक्ति के लिए कड़वा भोजन भी मीठा हो जाता है. अपने घर से दूर चला गया व्यक्ति वैसा ही होता है जैसे अपने घोंसले से भटक चुका पक्षी. तेल और सुगंध द्रव्य हृदय को मनोहर कर देते हैं, उसी प्रकार सुखद होता है खरे मित्र का परामर्श. अपने मित्र तथा अपने माता-पिता के मित्र की उपेक्षा न करना. अपनी विपत्ति की स्थिति में अपने भाई के घर भेंट करने न जाना. दूर देश में जा बसे तुम्हारे भाई से उत्तम है तुम्हारे निकट निवास कर रहा पड़ोसी.