नीतिवचन 13:1-12

नीतिवचन 13:1-12 पवित्र बाइबल (HERV)

समझदार पुत्र निज पिता की शिक्षा पर कान देता, किन्तु उच्छृंखल झिड़की पर भी ध्यान नहीं देता। सज्जन अपनी वाणी के सुफल का आनन्द लेता है, किन्तु दुर्जन तो सदा हिंसा चाहता हैं। जो अपनी वाणी के प्रति चौकसी रहता है, वह अपने जीवन की रक्षा करता है। पर जो गाल बजाता रहता है, अपने विनाश को प्राप्त करता है। आलसी मनोरथ पालता है पर कुछ नहीं पाता, किन्तु परिश्रमी की जितनी भी इच्छा है, पूर्ण हो जाती है। धर्मी उससे घृणा करता है, जो झूठ है जबकि दुष्ट लज्जा और अपमान लाते हैं। सच्चरित्र जन की रक्षक नेकी है जबकि बदी पापी को, उलट फेंक देती है। एक व्यक्ति जो धनी का दिखावा करता है; किन्तु उसके पास कुछ भी नहीं होता है। और एक अन्य जो दरिद्र का सा आचरण करता किन्तु उसके पास बहुत धन होता है। धनवान को अपना जीवन बचाने उसका धन फिरौती में लगाना पड़ेगा किन्तु दीन जन ऐसे किसी धमकी के भय से मुक्त है। धर्मी का तेज बहुत चमचमाता किन्तु दुष्ट का दीया बुझा दिया जाता है। अहंकार केवल झगड़ों को पनपाता है किन्तु जो सम्मति की बात मानता है, उनमें ही विवेक पाया जाता है। बेइमानी का धन यूँ ही धूल हो जाता है किन्तु जो बूँद—बूँद करके धन संचित करता है, उसका धन बढ़ता है। आशा हीनता मन को उदास करती है, किन्तु कामना की पूर्ति प्रसन्नता होती है।

नीतिवचन 13:1-12 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

बुद्धिमान पुत्र अपने पिता की शिक्षा की बातें सुनता है, परन्‍तु पिता की हंसी उड़ानेवाला कुपुत्र डांट-कपट पर भी ध्‍यान नहीं देता। सज्‍जन अपने मीठे वचनों से मीठा फल ही खाता है; किन्‍तु विश्‍वासघाती मनुष्‍य की इच्‍छा सदा हिंसा ही होती है। अपनी वाणी पर संयम रखनेवाला मनुष्‍य अपने जीवन की रक्षा करता है; पर व्‍यर्थ गाल बजानेवाला व्यक्‍ति अपने ही पैरों पर कुल्‍हाड़ी मारता है। आलसी मनुष्‍य के हृदय में इच्‍छाएं उत्‍पन्न होती हैं, पर वह उनको पूरा नहीं कर पाता; किन्‍तु कठोर परिश्रम करनेवाले की सब अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं। धार्मिक मनुष्‍य झूठ से घृणा करता है; पर दुर्जन निर्लज्‍जता और बदनामी के काम करता है। धार्मिकता उस मनुष्‍य की रक्षा करती है, जिसका आचरण निष्‍कपट होता है; पर पाप दुर्जन को उखाड़कर फेंक देता है। झूठी शानवाला व्यक्‍ति धन-सम्‍पत्ति न होने पर भी धनी होने का ढोंग करता है; प्रदर्शन को पसन्‍द न करनेवाला मनुष्‍य धनी होने पर भी निर्धन होने का बहाना करता है। मनुष्‍य का जीवन उसके धन से बच सकता है; पर गरीब के पास अपने प्राण की रक्षा के लिए कुछ नहीं होता। धार्मिक मनुष्‍य का प्रकाश आनन्‍द प्रदान करता है; किन्‍तु दुर्जन का दीया बुझ जाता है। अविवेकी मनुष्‍य घमण्‍ड के कारण लड़ाई-झगड़े मोल लेता है; पर दूसरों की सलाह माननेवाला मनुष्‍य निस्‍सन्‍देह बुद्धिमान है। अचानक प्राप्‍त हुआ धन घर में टिकता नहीं; पर अपने परिश्रम से थोड़ा-थोड़ा धन एकत्र करनेवाला मनुष्‍य उसको और बढ़ाता है। जब आशा पूरी होने में विलम्‍ब होता है तब हृदय उदास हो जाता है; पर इच्‍छा की पूर्ति का अर्थ है : जीवन-वृक्ष!

नीतिवचन 13:1-12 Hindi Holy Bible (HHBD)

बुद्धिमान पुत्रा पिता की शिक्षा सुनता है, परन्तु ठट्ठा करने वाला घुड़की को भी नहीं सुनता। सज्जन अपनी बातों के कारण उत्तम वस्तु खाने पाता है, परन्तु विश्वासघाती लोगों का पेट उपद्रव से भरता है। जो अपने मुंह की चौकसी करता है, वह अपने प्राण की रक्षा करता है, परन्तु जो गाल बजाता है उसका विनाश जो जाता है। आलसी का प्राण लालसा तो करता है, और उस को कुछ नहीं मिलता, परन्तु कामकाजी हृष्ट पुष्ट हो जाते हैं। धर्मी झूठे वचन से बैर रखता है, परन्तु दुष्ट लज्जा का कारण और लज्जित हो जाता है। धर्म खरी चाल चलने वाले की रक्षा करता है, परन्तु पापी अपनी दुष्टता के कारण उलट जाता है। कोई तो धन बटोरता, परन्तु उसके पास कुछ नहीं रहता, और कोई धन उड़ा देता, तौभी उसके पास बहुत रहता है। प्राण की छुड़ौती मनुष्य का धन है, परन्तु निर्धन घुड़की को सुनता भी नहीं। धर्मियों की ज्योति आनन्द के साथ रहती है, परन्तु दुष्टों का दिया बुझ जाता है। झगड़े रगड़े केवल अंहकार ही से होते हैं, परन्तु जो लोग सम्मति मानते हैं, उनके पास बुद्धि रहती है। निर्धन के पास माल नहीं रहता, परन्तु जो अपने परिश्रम से बटोरता, उसकी बढ़ती होती है। जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है, परन्तु जब लालसा पूरी होती है, तब जीवन का वृक्ष लगता है।

नीतिवचन 13:1-12 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

बुद्धिमान पुत्र पिता की शिक्षा सुनता है, परन्तु ठट्ठा करनेवाला घुड़की को भी नहीं सुनता। सज्जन अपनी बातों के कारण उत्तम वस्तु खाने पाता है, परन्तु विश्‍वासघाती लोगों का पेट उपद्रव से भरता है। जो अपने मुँह की चौकसी करता है, वह अपने प्राण की रक्षा करता है, परन्तु जो गाल बजाता है उसका विनाश हो जाता है। आलसी का प्राण लालसा तो करता है, और उसको कुछ नहीं मिलता, परन्तु काम–काजी हृष्‍ट पुष्‍ट हो जाते हैं। धर्मी झूठे वचन से बैर रखता है, परन्तु दुष्‍ट लज्जा का कारण और लज्जित हो जाता है। धर्म खरी चाल चलनेवाले की रक्षा करता है, परन्तु पापी अपनी दुष्‍टता के कारण उलट जाता है। कोई तो धन बटोरता, परन्तु उसके पास कुछ नहीं रहता, और कोई धन उड़ा देता, तौभी उसके पास बहुत रहता है। प्राण की छुड़ौती मनुष्य का धन है, परन्तु निर्धन घुड़की को सुनता भी नहीं। धर्मियों की ज्योति आनन्द के साथ रहती है, परन्तु दुष्‍टों का दिया बुझ जाता है। झगड़े रगड़े केवल अहंकार ही से होते हैं, परन्तु जो लोग सम्मति मानते हैं, उनके पास बुद्धि रहती है। निर्धन के पास माल नहीं रहता, परन्तु जो अपने परिश्रम से बटोरता, उसकी बढ़ती होती है। जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है, परन्तु जब लालसा पूरी होती है, तब जीवन का वृक्ष लगता है।

नीतिवचन 13:1-12 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

बुद्धिमान पुत्र पिता की शिक्षा सुनता है, परन्तु ठट्ठा करनेवाला घुड़की को भी नहीं सुनता। सज्जन अपनी बातों के कारण उत्तम वस्तु खाने पाता है, परन्तु विश्वासघाती लोगों का पेट उपद्रव से भरता है। जो अपने मुँह की चौकसी करता है, वह अपने प्राण की रक्षा करता है, परन्तु जो गाल बजाता है उसका विनाश हो जाता है। आलसी का प्राण लालसा तो करता है, परन्तु उसको कुछ नहीं मिलता, परन्तु कामकाजी हष्ट-पुष्ट हो जाते हैं। धर्मी झूठे वचन से बैर रखता है, परन्तु दुष्ट लज्जा का कारण होता है और लज्जित हो जाता है। धर्म खरी चाल चलनेवाले की रक्षा करता है, परन्तु पापी अपनी दुष्टता के कारण उलट जाता है। कोई तो धन बटोरता, परन्तु उसके पास कुछ नहीं रहता, और कोई धन उड़ा देता, फिर भी उसके पास बहुत रहता है। धनी मनुष्य के प्राण की छुड़ौती उसके धन से होती है, परन्तु निर्धन ऐसी घुड़की को सुनता भी नहीं। धर्मियों की ज्योति आनन्द के साथ रहती है, परन्तु दुष्टों का दिया बुझ जाता है। अहंकार से केवल झगड़े होते हैं, परन्तु जो लोग सम्मति मानते हैं, उनके पास बुद्धि रहती है। धोखे से कमाया धन जल्दी घटता है, परन्तु जो अपने परिश्रम से बटोरता, उसकी बढ़ती होती है। जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन निराश होता है, परन्तु जब लालसा पूरी होती है, तब जीवन का वृक्ष लगता है।

नीतिवचन 13:1-12 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

समझदार संतान अपने पिता की शिक्षा का पालन करती है, किंतु ठट्ठा करनेवाले के लिए फटकार भी प्रभावहीन होती है. मनुष्य अपनी बातों का ही प्रतिफल प्राप्‍त करता है, किंतु हिंसा ही विश्वासघाती का लक्ष्य होता है. जो कोई अपने मुख पर नियंत्रण रखता है, वह अपने जीवन को सुरक्षित रखता है, किंतु वह, जो बिना विचारे बक-बक करता रहता है, अपना ही विनाश आमंत्रित कर लेता है. आलसी मात्र लालसा ही करता रह जाता है. किंतु उसे प्राप्‍त कुछ भी नहीं होता, जबकि परिश्रमी की इच्छा पूर्ण हो जाती है. धर्मी के लिए झूठ घृणित है, किंतु दुष्ट दुर्गंध तथा घृणा ही समेटता है. जिसका चालचलन निर्दोष होता है, धार्मिकता उसकी सुरक्षा बन जाती है, किंतु पाप दुर्जन के समूल विनाश का कारण होता है. कोई तो धनाढ्य होने का प्रदर्शन करता है, किंतु वस्तुतः वह निर्धन होता है; अन्य ऐसा है, जो प्रदर्शित करता है कि वह निर्धन है, किंतु वस्तुतः वह है अत्यंत सम्पन्‍न! धन किसी व्यक्ति के लिए छुटकारा हो सकता है, किंतु निर्धन पर यह स्थिति नहीं आती. धर्मी आनन्दायी प्रखर ज्योति समान हैं, जबकि दुष्ट बुझे हुए दीपक समान. अहंकार और कुछ नहीं, कलह को ही जन्म देता है, किंतु वे, जो परामर्श का चालचलन करते हैं, बुद्धिमान प्रमाणित होते हैं. बेईमानी का धन शीघ्र ही समाप्‍त भी हो जाता है, किंतु परिश्रम से प्राप्‍त किया धन बढ़ता जाता है. आशा की वस्तु उपलब्ध न होने पर हृदय खिन्‍न हो जाता है, किंतु अभिलाषा की पूर्ति जीवन वृक्ष प्रमाणित होती है.