बुद्धिमान पुत्र अपने पिता की शिक्षा की बातें सुनता है, परन्तु पिता की हंसी उड़ानेवाला कुपुत्र डांट-कपट पर भी ध्यान नहीं देता। सज्जन अपने मीठे वचनों से मीठा फल ही खाता है; किन्तु विश्वासघाती मनुष्य की इच्छा सदा हिंसा ही होती है। अपनी वाणी पर संयम रखनेवाला मनुष्य अपने जीवन की रक्षा करता है; पर व्यर्थ गाल बजानेवाला व्यक्ति अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारता है। आलसी मनुष्य के हृदय में इच्छाएं उत्पन्न होती हैं, पर वह उनको पूरा नहीं कर पाता; किन्तु कठोर परिश्रम करनेवाले की सब अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं। धार्मिक मनुष्य झूठ से घृणा करता है; पर दुर्जन निर्लज्जता और बदनामी के काम करता है। धार्मिकता उस मनुष्य की रक्षा करती है, जिसका आचरण निष्कपट होता है; पर पाप दुर्जन को उखाड़कर फेंक देता है। झूठी शानवाला व्यक्ति धन-सम्पत्ति न होने पर भी धनी होने का ढोंग करता है; प्रदर्शन को पसन्द न करनेवाला मनुष्य धनी होने पर भी निर्धन होने का बहाना करता है। मनुष्य का जीवन उसके धन से बच सकता है; पर गरीब के पास अपने प्राण की रक्षा के लिए कुछ नहीं होता। धार्मिक मनुष्य का प्रकाश आनन्द प्रदान करता है; किन्तु दुर्जन का दीया बुझ जाता है। अविवेकी मनुष्य घमण्ड के कारण लड़ाई-झगड़े मोल लेता है; पर दूसरों की सलाह माननेवाला मनुष्य निस्सन्देह बुद्धिमान है। अचानक प्राप्त हुआ धन घर में टिकता नहीं; पर अपने परिश्रम से थोड़ा-थोड़ा धन एकत्र करनेवाला मनुष्य उसको और बढ़ाता है। जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है तब हृदय उदास हो जाता है; पर इच्छा की पूर्ति का अर्थ है : जीवन-वृक्ष!
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