मारकुस 7:31-37

मारकुस 7:31-37 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

फिर वह सूर और सैदा के देशों से निकलकर दिकापुलिस से होता हुआ गलील की झील पर पहुँचा। तो लोगों ने एक बहिरे को जो हक्ला भी था, उसके पास लाकर उससे विनती की कि अपना हाथ उस पर रखे। तब वह उसको भीड़ से अलग ले गया, और अपनी उंगलियाँ उसके कानों में डालीं, और थूककर उसकी जीभ को छुआ; और स्वर्ग की ओर देखकर आह भरी, और उस से कहा, “इप्फत्तह!” अर्थात् “खुल जा”! उसके कान खुल गए, और उस की जीभ की गाँठ भी खुल गई, और वह साफ साफ बोलने लगा। तब उसने उन्हें चिताया कि किसी से न कहना; परन्तु जितना उसने उन्हें चिताया उतना ही वे और प्रचार करने लगे। वे बहुत ही आश्‍चर्य में होकर कहने लगे, “उसने जो कुछ किया सब अच्छा किया है; वह बहिरों को सुनने की, और गूँगों को बोलने की शक्‍ति देता है।”

मारकुस 7:31-37 पवित्र बाइबल (HERV)

फिर वह सूर के इलाके से वापस आ गया और दिकपुलिस यानी दस-नगर के रास्ते सिदोन होता हुआ झील गलील पहुँचा। वहाँ कुछ लोग यीशु के पास एक व्यक्ति को लाये जो बहरा था और ठीक से बोल भी नहीं पाता था। लोगों ने यीशु से प्रार्थना की कि वह उस पर अपना हाथ रख दे। यीशु उसे भीड़ से दूर एक तरफ़ ले गया। यीशु ने अपनी उँगलियाँ उसके कानों में डालीं और फिर उसने थूका और उस व्यक्ति की जीभ छुई। फिर स्वर्ग की ओर ऊपर देख कर गहरी साँस भरते हुए उससे कहा, “ इप्फतह। ” (अर्थात् “खुल जा!”) और उसके कान खुल गए, और उसकी जीभ की गांठ भी खुल गई, और वह साफ साफ बोलने लगा। फिर यीशु ने उन्हें आज्ञा दी कि वे किसी को कुछ न बतायें। पर उसने लोगों को जितना रोकना चाहा, उन्होंने उसे उतना ही अधिक फैलाया। लोग आश्चर्यचकित होकर कहने लगे, “यीशु जो करता है, भला करता है। यहाँ तक कि वह बहरों को सुनने की शक्ति और गूँगों को बोली देता है।”

मारकुस 7:31-37 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

येशु सोर के इस सीमा-क्षेत्र से चले गये। वह सीदोन से होते हुए और दिकापुलिस के सीमा-क्षेत्र को पार कर गलील की झील के तट पर पहुँचे। वहाँ लोग उनके पास एक मनुष्‍य को लाए। वह बहरा था और बोलते समय बहुत हकलाता था। उन्‍होंने येशु से अनुरोध किया, “आप उस पर हाथ रख दीजिए।” येशु ने उसे भीड़ से अलग एकान्‍त में ले जा कर उसके कानों में अपनी उँगलियाँ डालीं और उसकी जीभ पर अपना थूक लगाया। फिर आकाश की ओर आँखें उठा कर उन्‍होंने आह भरी और उससे कहा, “एफ्‍फथा” अर्थात् “खुल जा”। उसी क्षण उसके कान खुल गये और उसकी जीभ का बन्‍धन भी छूट गया, जिससे वह अच्‍छी तरह बोलने लगा। येशु ने लोगों को आदेश दिया कि वे यह बात किसी से नहीं कहें, परन्‍तु वह जितना ही अधिक मना करते थे, लोग उतना ही अधिक इसका प्रचार करते थे। लोगों के आश्‍चर्य की सीमा न रही। वे कहते थे, “वह जो कुछ करते हैं, अच्‍छा ही करते हैं। वह बहरों को कान और गूँगों को वाणी देते हैं।”

मारकुस 7:31-37 Hindi Holy Bible (HHBD)

फिर वह सूर और सैदा के देशों से निकलकर दिकपुलिस देश से होता हुआ गलील की झील पर पहुंचा। और लोगों ने एक बहिरे को जो हक्ला भी था, उसके पास लाकर उस से बिनती की, कि अपना हाथ उस पर रखे। तब वह उस को भीड़ से अलग ले गया, और अपनी उंगलियां उसके कानों में डालीं, और थूक कर उस की जीभ को छूआ। और स्वर्ग की ओर देखकर आह भरी, और उस से कहा; इप्फत्तह, अर्थात खुल जा। और उसके कान खुल गए, और उस की जीभ की गांठ भी खुल गई, और वह साफ साफ बोलने लगा। तब उस ने उन्हें चिताया कि किसी से न कहना; परन्तु जितना उस ने उन्हें चिताया उतना ही वे और प्रचार करने लगे। और वे बहुत ही आश्चर्य में होकर कहने लगे, उस ने जो कुछ किया सब अच्छा किया है; वह बहिरों को सुनने, की, और गूंगों को बोलने की शक्ति देता है॥

मारकुस 7:31-37 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

फिर वह सोर और सीदोन के देशों से निकलकर दिकापुलिस देश से होता हुआ गलील की झील पर पहुँचा। और लोगों ने एक बहरे को जो हक्ला भी था, उसके पास लाकर उससे विनती की, कि अपना हाथ उस पर रखे। तब वह उसको भीड़ से अलग ले गया, और अपनी उँगलियाँ उसके कानों में डाली, और थूककर उसकी जीभ को छुआ। और स्वर्ग की ओर देखकर आह भरी, और उससे कहा, “इप्फत्तह!” अर्थात् “खुल जा!” और उसके कान खुल गए, और उसकी जीभ की गाँठ भी खुल गई, और वह साफ-साफ बोलने लगा। तब उसने उन्हें चेतावनी दी कि किसी से न कहना; परन्तु जितना उसने उन्हें चिताया उतना ही वे और प्रचार करने लगे। और वे बहुत ही आश्चर्य में होकर कहने लगे, “उसने जो कुछ किया सब अच्छा किया है; वह बहरों को सुनने की, और गूँगों को बोलने की शक्ति देता है।”

मारकुस 7:31-37 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

तब वह सोर के क्षेत्र से निकलकर सीदोन क्षेत्र से होते हुए गलील झील के पास आए, जो देकापोलिस अंचल में था. लोग उनके पास एक ऐसे व्यक्ति को लाए जो बहिरा था तथा बड़ी कठिनाई से बोल पाता था. लोगों ने मसीह येशु से उस व्यक्ति पर हाथ रखने की विनती की. मसीह येशु उस व्यक्ति को भीड़ से दूर एकांत में ले गए. वहां उन्होंने उसके कानों में अपनी उंगलियां डालीं. इसके बाद अपनी लार उसकी जीभ पर लगाई. तब एक गहरी आह भरते हुए स्वर्ग की ओर दृष्टि उठाकर उन्होंने उस व्यक्ति को संबोधित कर कहा, “एफ़्फ़ाथा!” (अर्थात् खुल जा!) उस व्यक्ति के कान खुल गए, उसकी जीभ की रुकावट भी जाती रही और वह सामान्य रूप से बातें करने लगा. मसीह येशु ने लोगों को आज्ञा दी कि वे इसके विषय में किसी से न कहें किंतु मसीह येशु जितना रोकते थे, वे उतना ही अधिक प्रचार करते जाते थे. लोग आश्चर्य से भरकर कहा करते थे, “वह जो कुछ करते हैं, भला ही करते हैं—यहां तक कि वह बहिरे को सुनने की तथा गूंगे को बोलने की शक्ति प्रदान करते हैं.”