मारकुस 12:18-44

मारकुस 12:18-44 पवित्र बाइबल (HERV)

फिर कुछ सदूकी, (जो पुनर्जीवन को नहीं मानते) उसके पास आये और उन्होंने उससे पूछा, “हे गुरु, मूसा ने हमारे लिये लिखा है कि यदि किसी का भाई मर जाये और उसकी पत्नी के कोई बच्चा न हो तो उसके भाई को चाहिये कि वह उसे ब्याह ले और फिर अपने भाई के वंश को बढ़ाये। एक बार की बात है कि सात भाई थे। सबसे बड़े भाई ने ब्याह किया और बिना कोई बच्चा छोड़े वह मर गया। फिर दूसरे भाई ने उस स्त्री से विवाह किया, पर वह भी बिना किसी संतान के ही मर गया। तीसरे भाई ने भी वैसा ही किया। सातों में से किसी ने भी कोई बच्चा नहीं छोड़ा। आखिरकार वह स्त्री भी मर गयी। मौत के बाद जब वे लोग फिर जी उठेंगे, तो बता वह स्त्री किस की पत्नी होगी? क्योंकि वे सातों ही उसे अपनी पत्नी के रूप में रख चुके थे।” यीशु ने उनसे कहा, “तुम न तो शास्त्रों को जानते हो, और न ही परमेश्वर की शक्ति को। निश्चय ही क्या यही कारण नहीं है जिससे तुम भटक गये हो? क्योंकि वे लोग जब मरे हुओं में से जी उठेंगे तो उनके विवाह नहीं होंगे, बल्कि वे स्वर्गदूतों के समान स्वर्ग में होंगे। मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या तुमने मूसा की पुस्तक में झाड़ी के बारे में जो लिखा गया है, नहीं पढ़ा? वहाँ परमेश्वर ने मूसा से कहा था, ‘मैं इब्राहीम का परमेश्वर हूँ, इसहाक का परमेश्वर हूँ और याकूब का परमेश्वर हूँ।’ वह मरे हुओं का नहीं, बल्कि जीवितों का परमेश्वर है। तुम लोग बहुत बड़ी भूल में पड़े हो!” फिर एक यहूदी धर्मशास्त्री आया और उसने उन्हें वाद-विवाद करते सुना। यह देख कर कि यीशु ने उन्हें किस अच्छे ढंग से उत्तर दिया है, उसने यीशु से पूछा, “सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण आदेश कौन सा है?” यीशु ने उत्तर दिया, “सबसे महत्त्वपूर्ण आदेश यह है: ‘हे इस्राएल, सुन! केवल हमारा परमेश्वर ही एकमात्र प्रभु है। समूचे मन से, समूचे जीवन से, समूची बुद्धि से और अपनी सारी शक्ति से तुझे प्रभु अपने परमेश्वर से प्रेम करना चाहिये।’ दूसरा आदेश यह है: ‘अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम कर जैसे तू अपने आप से करता है।’ इन आदेशों से बड़ा और कोई आदेश नहीं है।” इस पर यहूदी धर्मशास्त्री ने उससे कहा, “गुरु, तूने ठीक कहा। तेरा यह कहना ठीक है कि परमेश्वर एक है, उसके अलावा और दूसरा कोई नहीं है। अपने समूचे मन से, सारी समझ-बूझ से, सारी शक्ति से परमेश्वर को प्रेम करना और अपने समान अपने पड़ोसी से प्यार रखना, सारी बलियों और समर्पित भेटों से जिनका विधान किया गया है, अधिक महत्त्वपूर्ण है।” जब यीशु ने देखा कि उस व्यक्ति ने समझदारी के साथ उत्तर दिया है तो वह उससे बोला, “तू परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं है।” इसके बाद किसी और ने उससे कोई और प्रश्न पूछने का साहस नहीं किया। फिर यीशु ने मन्दिर में उपदेश देते हुए कहा, “धर्मशास्त्री कैसे कहते हैं कि मसीह दाऊद का पुत्र है? दाऊद ने स्वयं पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर कहा था: ‘प्रभु परमेश्वर ने मेरे प्रभु (मसीह) से कहा: मेरी दाहिनी ओर बैठ जब तक मैं तेरे शत्रुओं को तेरे पैरों तले न कर दूँ।’ दाऊद स्वयं उसे ‘प्रभु’ कहता है। फिर मसीह दाऊद का पुत्र कैसे हो सकता है?” एक बड़ी भीड़ प्रसन्नता के साथ उसे सुन रही थी। अपने उपदेश में उसने कहा, “धर्मशास्त्रियों से सावधान रहो। वे अपने लम्बे चोगे पहने हुए इधर उधर घूमना पसंद करते हैं। बाजारों में अपने को नमस्कार करवाना उन्हें भाता है। और आराधनालयों में वे महत्वपूर्ण आसनों पर बैठना चाहते हैं। वे जेवनारों में भी अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान पाने की इच्छा रखते हैं। वे विधवाओं की सम्पति हड़प जाते हैं। दिखावे के लिये वे लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ बोलते हैं। इन लोगों को कड़े से कड़ा दण्ड मिलेगा।” यीशु दान-पात्र के सामने बैठा हुआ देख रहा था कि लोग दान पात्र में किस तरह धन डाल रहे हैं। बहुत से धनी लोगों ने बहुत सा धन डाला। फिर वहाँ एक गरीब विधवा आयी और उसने उसमें दो दमड़ियाँ डालीं जो एक पैसे के बराबर भी नहीं थीं। फिर उसने अपने चेलों को पास बुलाया और उनसे कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, धनवानों द्वारा दान-पात्र में डाले गये प्रचुर दान से इस निर्धन विधवा का यह दान कहीं महान है। क्योंकि उन्होंने जो कुछ उनके पास फालतु था, उसमें से दान दिया, किन्तु इसने अपनी दीनता में जो कुछ इसके पास था सब कुछ दे डाला। इसके पास इतना सा ही था जो इसके जीवन का सहारा था!”

मारकुस 12:18-44 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

सदूकी सम्‍प्रदाय के कुछ लोग येशु के पास आए। उनकी धारणा है कि मृतकों का पुनरुत्‍थान नहीं होता। उन्‍होंने येशु से यह प्रश्‍न पूछा, “गुरुवर! मूसा ने हमारे लिए यह नियम बनाया है : यदि किसी का भाई, अपनी पत्‍नी के रहते निस्‍सन्‍तान मर जाए, तो वह अपने भाई की विधवा से विवाह करे और अपने भाई के लिए सन्‍तान उत्‍पन्न करे। सात भाई थे। पहले ने विवाह किया और वह निस्‍सन्‍तान मर गया। दूसरा भाई भी, उसकी विधवा से विवाह कर, निस्‍सन्‍तान मर गया। तीसरे के साथ भी वही हुआ। इस प्रकार सातों भाई निस्‍सन्‍तान मर गये। सबके अंत में वह स्‍त्री भी मर गयी। जब वे पुनरुत्‍थान में जी उठेंगे, तो वह किसकी पत्‍नी होगी? वह तो सातों भाइयों की पत्‍नी रह चुकी है।” येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “क्‍या तुम इस कारण भ्रम में नहीं पड़े हुए हो कि तुम न तो धर्मग्रन्‍थ जानते हो और न परमेश्‍वर की शक्‍ति? क्‍योंकि जब वे मृतकों में से जी उठते हैं, तब न तो पुरुष विवाह करते और न स्‍त्रियाँ विवाह में दी जाती हैं; बल्‍कि वे स्‍वर्गदूतों के सदृश होते हैं। “जहाँ तक मृतकों के जी उठने का प्रश्‍न है, क्‍या तुम ने मूसा के ग्रन्‍थ में, जलती झाड़ी की कथा में, यह नहीं पढ़ा कि परमेश्‍वर ने मूसा से कहा, ‘मैं अब्राहम का परमेश्‍वर, इसहाक का परमेश्‍वर और याकूब का परमेश्‍वर हूँ’? वह मृतकों का नहीं वरन् जीवितों का परमेश्‍वर है। तुम भ्रम में पड़े हुए हो!” एक शास्‍त्री यह शास्‍त्रार्थ सुन रहा था। उसने देखा कि येशु ने सदूकियों को ठीक उत्तर दिया। वह आगे बढ़ा और उसने येशु से पूछा, “सब से पहली आज्ञा कौन-सी है?” येशु ने उत्तर दिया, “पहली आज्ञा यह है : ‘इस्राएल सुनो! हमारा प्रभु परमेश्‍वर एकमात्र प्रभु है। अपने प्रभु परमेश्‍वर को अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण प्राण, सम्‍पूर्ण बुद्धि और सम्‍पूर्ण शक्‍ति से प्रेम करो।’ दूसरी आज्ञा यह है, ‘अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करो।’ इन से बड़ी कोई आज्ञा नहीं।” शास्‍त्री ने उन से कहा, “हे गुरुवर! क्‍या सुन्‍दर बात है! आपने सच कहा कि एक ही परमेश्‍वर है। उसके अतिरिक्‍त और कोई परमेश्‍वर नहीं है। उसे अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण ज्ञान और सम्‍पूर्ण शक्‍ति से प्रेम करना और अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करना, यह हर प्रकार की अग्‍नि-बलि और पशु-बलि चढ़ाने से अधिक महत्‍वपूर्ण है।” जब येशु ने देखा कि उसने विवेकपूर्ण उत्तर दिया है, तो उन्‍होंने उससे कहा, “तुम परमेश्‍वर के राज्‍य से दूर नहीं हो।” इसके बाद किसी को येशु से और प्रश्‍न पूछने का साहस नहीं हुआ। येशु ने, मन्‍दिर में शिक्षा देते समय, यह प्रश्‍न उठाया, “शास्‍त्री कैसे कह सकते हैं कि मसीह दाऊद के वंशज हैं? दाऊद ने स्‍वयं पवित्र आत्‍मा की प्रेरणा से कहा, ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा : तुम मेरे सिंहासन की दाहिनी ओर बैठो, जब तक मैं तुम्‍हारे शत्रुओं को तुम्‍हारे पैरों तले न डाल दूँ।’ “दाऊद स्‍वयं उन्‍हें प्रभु कहते हैं, तो वह उनके वंशज कैसे हो सकते हैं?” विशाल जनसमूह येशु की बातें सुनने में रस ले रहा था। येशु ने शिक्षा देते समय कहा, “शास्‍त्रियों से सावधान रहो। लम्‍बे लबादे पहन कर घूमना, बाजारों में प्रणाम-प्रणाम सुनना, सभागृहों में प्रमुख आसनों पर और भोजों में सम्‍मानित स्‍थानों पर बैठना−यह सब उन्‍हें पसन्‍द है। किन्‍तु वे विधवाओं की सम्‍पत्ति चट कर जाते और दिखावे के लिए लम्‍बी-लम्‍बी प्रार्थनाएँ करते हैं। उन को बड़ा कठोर दण्‍ड मिलेगा।” येशु मन्‍दिर के खजाने के सामने बैठ कर लोगों को उसमें सिक्‍के डालते हुए देख रहे थे। अनेक धनवान व्यक्‍ति बहुत भेंट चढ़ा रहे थे। एक गरीब विधवा आयी और दो अधेले अर्थात् एक पैसा खजाने में डाला। इस पर येशु ने अपने शिष्‍यों को बुला कर कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ; खजाने में भेंट चढ़ाने वालों में इस गरीब विधवा ने सब से अधिक डाला है; क्‍योंकि सब ने अपनी समृद्धि से कुछ चढ़ाया, परन्‍तु इसने तंगी में रहते हुए भी, इसके पास जो कुछ था, वह सब अर्थात् अपनी सारी जीविका ही अर्पित कर दी!”

मारकुस 12:18-44 Hindi Holy Bible (HHBD)

फिर सदूकियों ने भी, जो कहते हैं कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उसके पास आकर उस से पूछा। कि हे गुरू, मूसा ने हमारे लिये लिखा है, कि यदि किसी का भाई बिना सन्तान मर जाए, और उस की पत्नी रह जाए, तो उसका भाई उस की पत्नी को ब्याह ले और अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे: सात भाई थे। पहिला भाई ब्याह करके बिना सन्तान मर गया। तब दूसरे भाई ने उस स्त्री को ब्याह लिया और बिना सन्तान मर गया; और वैसे ही तीसरे ने भी। और सातों से सन्तान न हुई: सब के पीछे वह स्त्री भी मर गई। सो जी उठने पर वह उन में से किस की पत्नी होगी? क्योंकि वह सातों की पत्नी हो चुकी थी। यीशु ने उन से कहा; क्या तुम इस कारण से भूल में नहीं पड़े हो, कि तुम न तो पवित्र शास्त्र ही को जानते हो, और न परमेश्वर की सामर्थ को। क्योंकि जब वे मरे हुओं में से जी उठेंगे, तो उन में ब्याह शादी न होगी; पर स्वर्ग में दूतों की नाईं होंगे। मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या तुम ने मूसा की पुस्तक में झाड़ी की कथा में नहीं पढ़ा, कि परमेश्वर ने उस से कहा, मैं इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर हूं? परमेश्वर मरे हुओं का नहीं, वरन जीवतों का परमेश्वर है: सो तुम बड़ी भूल में पड़े हो॥ और शास्त्रियों में से एक ने आकर उन्हें विवाद करते सुना, और यह जानकर कि उस ने उन्हें अच्छी रीति से उत्तर दिया; उस से पूछा, सब से मुख्य आज्ञा कौन सी है? यीशु ने उसे उत्तर दिया, सब आज्ञाओं में से यह मुख्य है; हे इस्राएल सुन; प्रभु हमारा परमेश्वर एक ही प्रभु है। और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना। और दूसरी यह है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना: इस से बड़ी और कोई आज्ञा नहीं। शास्त्री ने उस से कहा; हे गुरू, बहुत ठीक! तू ने सच कहा, कि वह एक ही है, और उसे छोड़ और कोई नहीं। और उस से सारे मन और सारी बुद्धि और सारे प्राण और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमों और बलिदानों से बढ़कर है। जब यीशु ने देखा कि उस ने समझ से उत्तर दिया, तो उस से कहा; तू परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं: और किसी को फिर उस से कुछ पूछने का साहस न हुआ॥ फिर यीशु ने मन्दिर में उपदेश करते हुए यह कहा, कि शास्त्री क्योंकर कहते हैं, कि मसीह दाऊद का पुत्र है? दाऊद ने आप ही पवित्र आत्मा में होकर कहा है, कि प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा; मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों की पीढ़ी न कर दूं। दाऊद तो आप ही उसे प्रभु कहता है, फिर वह उसका पुत्र कहां से ठहरा? और भीड़ के लोग उस की आनन्द से सुनते थे॥ उस ने अपने उपदेश में उन से कहा, शस्त्रियों से चौकस रहो, जो लम्बे वस्त्र पहिने हुए फिरना। और बाजारों में नमस्कार, और आराधनालयों में मुख्य मुख्य आसन और जेवनारों में मुख्य मुख्य स्थान भी चाहते हैं। वे विधवाओं के घरों को खा जाते हैं, और दिखाने के लिये बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हैं, ये अधिक दण्ड पाएंगे॥ और वह मन्दिर के भण्डार के साम्हने बैठकर देख रहा था, कि लोग मन्दिर के भण्डार में किस प्रकार पैसे डालते हैं, और बहुत धनवानों ने बहुत कुछ डाला। इतने में एक कंगाल विधवा ने आकर दो दमडिय़ां, जो एक अधेले के बराबर होती है, डालीं। तब उस ने अपने चेलों को पास बुलाकर उन से कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि मन्दिर के भण्डार में डालने वालों में से इस कंगाल विधवा ने सब से बढ़कर डाला है। क्योंकि सब ने अपने धन की बढ़ती में से डाला है, परन्तु इस ने अपनी घटी में से जो कुछ उसका था, अर्थात अपनी सारी जीविका डाल दी है।

मारकुस 12:18-44 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

फिर सदूकियों ने भी, जो कहते हैं कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उसके पास आकर उस से पूछा, “हे गुरु, मूसा ने हमारे लिये लिखा है कि यदि किसी का भाई बिना सन्तान मर जाए और उस की पत्नी रह जाए, तो उसका भाई उसकी पत्नी से विवाह कर ले और अपने भाई के लिए वंश उत्पन्न करे। सात भाई थे। पहला भाई विवाह करके बिना सन्तान मर गया। तब दूसरे भाई ने उस स्त्री से विवाह कर लिया और बिना सन्तान मर गया; और वैसे ही तीसरे ने भी किया। और सातों से सन्तान न हुई। सब के पीछे वह स्त्री भी मर गई। अत: जी उठने पर वह उनमें से किस की पत्नी होगी? क्योंकि वह सातों की पत्नी हो चुकी थी।” यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम इस कारण से भूल में नहीं पड़े हो कि तुम न तो पवित्रशास्त्र ही को जानते हो, और न ही परमेश्‍वर की सामर्थ्य को? क्योंकि जब वे मरे हुओं में से जी उठेंगे, तो वे न विवाह करेंगे और न विवाह में दिए जाएँगे, परन्तु स्वर्ग में दूतों के समान होंगे। मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या तुम ने मूसा की पुस्तक में झाड़ी की कथा में नहीं पढ़ा कि परमेश्‍वर ने उससे कहा, ‘मैं अब्राहम का परमेश्‍वर, और इसहाक का परमेश्‍वर, और याकूब का परमेश्‍वर हूँ’? परमेश्‍वर मरे हुओं का नहीं वरन् जीवतों का परमेश्‍वर है; अत: तुम बड़ी भूल में पड़े हो।” शास्त्रियों में से एक ने आकर उन्हें विवाद करते सुना, और यह जानकर कि उसने उन्हें अच्छी रीति से उत्तर दिया, उससे पूछा, “सबसे मुख्य आज्ञा कौन सी है?” यीशु ने उसे उत्तर दिया, “सब आज्ञाओं में से यह मुख्य है : ‘हे इस्राएल सुन! प्रभु हमारा परमेश्‍वर एक ही प्रभु है, और तू प्रभु अपने परमेश्‍वर से अपने सारे मन से, और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्‍ति से प्रेम रखना।’ और दूसरी यह है, ‘तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना। ’ इससे बड़ी और कोई आज्ञा नहीं।” शास्त्री ने उससे कहा, “हे गुरु, बहुत ठीक! तू ने सच कहा कि वह एक ही है, और उसे छोड़ और कोई नहीं। और उससे सारे मन, और सारी बुद्धि, और सारे प्राण, और सारी शक्‍ति के साथ प्रेम रखना; और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमबलियों और बलिदानों से बढ़कर है। ” जब यीशु ने देखा कि उसने समझ से उत्तर दिया, तो उससे कहा, “तू परमेश्‍वर के राज्य से दूर नहीं।” और किसी को फिर उससे कुछ पूछने का साहस न हुआ। फिर यीशु ने मन्दिर में उपदेश करते हुए यह कहा, “शास्त्री कैसे कहते हैं कि मसीह दाऊद का पुत्र है? दाऊद ने आप ही पवित्र आत्मा में होकर कहा है : ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा, “मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों की पीढ़ी न कर दूँ।”’ दाऊद तो आप ही उसे प्रभु कहता है, फिर वह उसका पुत्र कहाँ से ठहरा?” और भीड़ के लोग उसकी आनन्द से सुनते थे। उसने अपने उपदेश में उनसे कहा, “शास्त्रियों से चौकस रहो, जो लम्बे–लम्बे चोगे पहिने हुए फिरना और बाजारों में नमस्कार, और आराधनालयों में मुख्य मुख्य आसन और भोज में मुख्य मुख्य स्थान भी चाहते हैं। वे विधवाओं के घरों को खा जाते हैं, और दिखाने के लिये बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हैं। ये अधिक दण्ड पाएँगे।” वह मन्दिर के भण्डार के सामने बैठकर देख रहा था कि लोग मन्दिर के भण्डार में किस प्रकार पैसे डालते हैं; और बहुत से धनवानों ने बहुत कुछ डाला। इतने में एक कंगाल विधवा ने आकर दो दमड़ियाँ, जो एक अधेले के बराबर होती हैं, डालीं। तब उसने अपने चेलों को पास बुलाकर उन से कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि मन्दिर के भण्डार में डालने वालों में से इस कंगाल विधवा ने सबसे बढ़कर डाला है; क्योंकि सब ने अपने धन की बढ़ती में से डाला है, परन्तु इसने अपनी घटी में से जो कुछ उसका था, अर्थात् अपनी सारी जीविका डाल दी है।”

मारकुस 12:18-44 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

फिर सदूकियों ने भी, जो कहते हैं कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उसके पास आकर उससे पूछा, “हे गुरु, मूसा ने हमारे लिये लिखा है, कि यदि किसी का भाई बिना सन्तान मर जाए, और उसकी पत्नी रह जाए, तो उसका भाई उसकी पत्नी से विवाह कर ले और अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे। (उत्प. 38:8, व्यव. 25:5) सात भाई थे। पहला भाई विवाह करके बिना सन्तान मर गया। तब दूसरे भाई ने उस स्त्री से विवाह कर लिया और बिना सन्तान मर गया; और वैसे ही तीसरे ने भी। और सातों से सन्तान न हुई। सब के पीछे वह स्त्री भी मर गई। अतः जी उठने पर वह उनमें से किसकी पत्नी होगी? क्योंकि वह सातों की पत्नी हो चुकी थी।” यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम इस कारण से भूल में नहीं पड़े हो कि तुम न तो पवित्रशास्त्र ही को जानते हो, और न परमेश्वर की सामर्थ्य को? क्योंकि जब वे मरे हुओं में से जी उठेंगे, तो उनमें विवाह-शादी न होगी; पर स्वर्ग में दूतों के समान होंगे। मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या तुम ने मूसा की पुस्तक में झाड़ी की कथा में नहीं पढ़ा कि परमेश्वर ने उससे कहा: ‘मैं अब्राहम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर हूँ?’ परमेश्वर मरे हुओं का नहीं, वरन् जीवितों का परमेश्वर है, तुम बड़ी भूल में पड़े हो।” और शास्त्रियों में से एक ने आकर उन्हें विवाद करते सुना, और यह जानकर कि उसने उन्हें अच्छी रीति से उत्तर दिया, उससे पूछा, “सबसे मुख्य आज्ञा कौन सी है?” यीशु ने उसे उत्तर दिया, “सब आज्ञाओं में से यह मुख्य है: ‘हे इस्राएल सुन, प्रभु हमारा परमेश्वर एक ही प्रभु है। और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से, और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना।’ और दूसरी यह है, ‘तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना।’ इससे बड़ी और कोई आज्ञा नहीं।” शास्त्री ने उससे कहा, “हे गुरु, बहुत ठीक! तूने सच कहा कि वह एक ही है, और उसे छोड़ और कोई नहीं। (यशा. 45:18, व्यव. 4:35) “और उससे सारे मन, और सारी बुद्धि, और सारे प्राण, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना; और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमबलियों और बलिदानों से बढ़कर है।” (व्यव. 6:4,5, लैव्य. 19:18, होशे 6:6) जब यीशु ने देखा कि उसने समझ से उत्तर दिया, तो उससे कहा, “तू परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं।” और किसी को फिर उससे कुछ पूछने का साहस न हुआ। फिर यीशु ने मन्दिर में उपदेश करते हुए यह कहा, “शास्त्री क्यों कहते हैं, कि मसीह दाऊद का पुत्र है? दाऊद ने आप ही पवित्र आत्मा में होकर कहा है: ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा, “मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों की चौकी न कर दूँ।”’ (भज. 110:1) “दाऊद तो आप ही उसे प्रभु कहता है, फिर वह उसका पुत्र कहाँ से ठहरा?” और भीड़ के लोग उसकी आनन्द से सुनते थे। उसने अपने उपदेश में उनसे कहा, “शास्त्रियों से सावधान रहो, जो लम्बे वस्त्र पहने हुए फिरना और बाजारों में नमस्कार, और आराधनालयों में मुख्य-मुख्य आसन और भोज में मुख्य-मुख्य स्थान भी चाहते हैं। वे विधवाओं के घरों को खा जाते हैं, और दिखाने के लिये बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हैं, ये अधिक दण्ड पाएँगे।” और वह मन्दिर के भण्डार के सामने बैठकर देख रहा था कि लोग मन्दिर के भण्डार में किस प्रकार पैसे डालते हैं, और बहुत धनवानों ने बहुत कुछ डाला। इतने में एक गरीब विधवा ने आकर दो दमड़ियाँ, जो एक अधेले के बराबर होती है, डाली। तब उसने अपने चेलों को पास बुलाकर उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि मन्दिर के भण्डार में डालने वालों में से इस गरीब विधवा ने सबसे बढ़कर डाला है; क्योंकि सब ने अपने धन की बढ़ती में से डाला है, परन्तु इसने अपनी घटी में से जो कुछ उसका था, अर्थात् अपनी सारी जीविका डाल दी है।”

मारकुस 12:18-44 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

फिर सदूकी लोग, जो पुनरुत्थान में विश्वास नहीं करते, प्रभु येशु के पास आए. उन्होंने उनसे प्रश्न किया, “गुरुवर, हमारे लिए मोशेह के निर्देश हैं यदि किसी निःसंतान पुरुष का पत्नी के रहते हुए निधन हो जाए तो उसका भाई उस स्त्री से विवाह कर अपने भाई के लिए संतान पैदा करे. इसी संदर्भ में एक घटना इस प्रकार है: सात भाई थे. पहले ने विवाह किया और बिना संतान ही चल बसा. दूसरे भाई ने उसकी पत्नी से विवाह कर लिया, वह भी बिना संतान ही चल बसा. तीसरे भाई की भी यही स्थिति रही. इस प्रकार सातों भाइयों की मृत्यु बिना संतान ही हो गई. इसके बाद उस स्त्री की भी मृत्यु हो गई. अब यह बताइए कि पुनरुत्थान पर वह किसकी पत्नी कहलाएगी? क्योंकि उसका विवाह तो सातों भाइयों से हुआ था.” मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हारी इस भूल का कारण यह है कि तुमने न तो पवित्र शास्त्र के लेखों को समझा है और न ही परमेश्वर के सामर्थ्य को. पुनरुत्थान में लोग न तो विवाहित होते हैं और न ही वहां विवाह कराये जाते हैं—वहां वे स्वर्गदूतों के समान होंगे. जहां तक मरे हुओं के दुबारा जी उठने का प्रश्न है, क्या तुमने मोशेह के ग्रंथ में नहीं पढ़ा, जहां जलती हुई झाड़ी का वर्णन है? परमेश्वर ने मोशेह से कहा था, ‘मैं ही अब्राहाम का परमेश्वर, यित्सहाक का परमेश्वर तथा याकोब का परमेश्वर हूं’? आप लोग बड़ी गंभीर भूल में पड़े हैं! वह मरे हुओं के नहीं परंतु जीवितों के परमेश्वर हैं.” उसी समय एक शास्त्री वहां से जा रहा था. उसने उनका वार्तालाप सुन लिया. यह देख कि मसीह येशु ने उन्हें सटीक उत्तर दिया है, उसने मसीह येशु से पूछा, “सबसे बड़ी आज्ञा कौन सी है?” मसीह येशु ने उत्तर दिया, “सबसे बड़ी आज्ञा है: ‘सुनो, इस्राएलियो! प्रभु हमारे परमेश्वर अद्वितीय प्रभु हैं. तुम प्रभु तुम्हारे परमेश्वर से अपने सारे हृदय, सारे प्राण, सारे समझ तथा सारी शक्ति से प्रेम करो.’ दूसरी आज्ञा है, ‘तुम अपने पड़ोसी से अपने ही समान प्रेम करो.’ इनसे बढ़कर कोई और आज्ञा है ही नहीं.” उस शास्त्री ने मसीह येशु से कहा, “अति सुंदर, गुरुवर! आपका कहना हमेशा ही सत्य है. वही एकमात्र हैं—उनके अतिरिक्त और कोई नहीं है तथा उनसे ही सारे हृदय, सारी समझ तथा सारी शक्ति से प्रेम करना, तथा अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना सभी होमबलियों तथा बलिदानों से बढ़कर है.” जब मसीह येशु ने यह देखा कि उसने बुद्धिमानी से उत्तर दिया है, उन्होंने उससे कहा, “तुम परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं हो.” इसके बाद किसी में भी उनसे और प्रश्न करने का साहस न रहा. मंदिर के आंगन, में शिक्षा देते हुए मसीह येशु ने उनके सामने यह प्रश्न रखा, “शास्त्री यह क्यों कहते हैं कि मसीह दावीद के वंशज हैं? दावीद ने, पवित्र आत्मा, में आत्मलीन हो कहा था: “ ‘प्रभु परमेश्वर ने मेरे प्रभु से कहा: “मेरी दायीं ओर बैठे रहो जब तक मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे अधीन न कर दूं.” ’ स्वयं दावीद उन्हें प्रभु कहकर संबोधित कर रहे हैं इसलिये किस भाव में प्रभु दावीद के पुत्र हुए?” भीड़ उनके इस वाद-विवाद का आनंद ले रही थी. आगे शिक्षा देते हुए मसीह येशु ने कहा, “उन शास्त्रियों से सावधान रहना, जो लंबे ढीले लहराते वस्त्र पहने हुए घूमा करते हैं, सार्वजनिक स्थलों पर सम्मानपूर्ण नमस्कार की आशा करते है. वे यहूदी सभागृहों में मुख्य आसन और दावतों में मुख्य स्थान पसंद करते है. वे विधवाओं के घर हड़प जाते हैं तथा मात्र दिखावे के उद्देश्य से लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएं करते हैं. कठोर होगा इनका दंड!” मसीह येशु मंदिर के कोष के सामने बैठे हुए थे. वह देख रहे थे कि लोग मंदिर कोष में किस प्रकार दान दे रहे हैं. अनेक धनी लोग बड़ी-बड़ी राशि डाल रहे थे. एक निर्धन विधवा भी वहां आई, और उसने तांबे की दो छोटे सिक्‍के डाले हैं. मसीह येशु ने अपने शिष्यों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, “सच यह है कि इस निर्धन विधवा ने कोष में उन सभी से बढ़कर दिया है. क्योंकि शेष सभी ने तो अपने धन की बढ़ती में से दिया है, किंतु इस विधवा ने अपनी निर्धनता में से अपनी सारी संपत्ति ही दे दी—यह उसकी सारी जीविका थी.”