मत्ती 12:1-23
मत्ती 12:1-23 पवित्र बाइबल (HERV)
लगभग उसी समय यीशु सब्त के दिन अनाज के खेतों से होकर जा रहा था। उसके शिष्यों को भूख लगी और वे गेहूँ की कुछ बालें तोड़ कर खाने लगे। फरीसियों ने ऐसा होते देख कर कहा, “देख, तेरे शिष्य वह कर रहे हैं जिसका सब्त के दिन किया जाना मूसा की व्यवस्था के अनुसार उचित नहीं है।” इस पर यीशु ने उनसे पूछा, “क्या तुमने नहीं पढ़ा कि दाऊद और उसके साथियों ने, जब उन्हें भूख लगी, क्या किया था? उसने परमेश्वर के घर में घुसकर परमेश्वर को चढ़ाई पवित्र रोटियाँ कैसे खाई थीं? यद्यपि उसको और उसके साथियों को उनका खाना मूसा की व्यवस्था के विरुद्ध था। उनको केवल याजक ही खा सकते थे। या मूसा की व्यवस्था में तुमने यह नहीं पढ़ा कि सब्त के दिन मन्दिर के याजक ही वास्तव में सब्त को बिगाड़ते हैं। और फिर भी उन्हें कोई कुछ नहीं कहता। किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ, यहाँ कोई है जो मन्दिर से भी बड़ा है। यदि तुम शास्त्रों में जो लिखा है, उसे जानते कि, ‘मैं लोगों में दया चाहता हूँ, पशु बलि नहीं’ तो तुम उन्हें दोषी नहीं ठहराते, जो निर्दोष हैं। “हाँ, मनुष्य का पुत्र सब्त के दिन का भी स्वामी है।” फिर वह वहाँ से चल दिया और यहूदी आराधनालय में पहुँचा। वहाँ एक व्यक्ति था, जिसका हाथ सूख चुका था। सो लोगों ने यीशु से पूछा, “मूसा के विधि के अनुसार सब्त के दिन किसी को चंगा करना, क्या उचित है?” उन्होंने उससे यह इसलिये पूछा था कि, वे उस पर दोष लगा सकें। किन्तु उसने उन्हें उत्तर दिया, “मानो, तुममें से किसी के पास एक ही भेड़ है, और वह भेड़ सब्त के दिन किसी गढ़े में गिर जाती है, तो क्या तुम उसे पकड़ कर बाहर नहीं निकालोगे? फिर आदमी तो एक भेड़ से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है। सो सब्त के दिन ‘मूसा की व्यवस्था’ भलाई करने की अनुमति देती है।” तब यीशु ने उस सूखे हाथ वाले आदमी से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा” और उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। वह पूरी तरह अच्छा हो गया था। ठीक वैसे ही जैसा उसका दूसरा हाथ था। फिर फ़रीसी वहाँ से चले गये और उसे मारने के लिए कोई रास्ता ढूँढने की तरकीब सोचने लगे। यीशु यह जान गया और वहाँ से चल पड़ा। बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। उसने उन्हें चंगा करते हुए चेतावनी दी कि वे उसके बारे में लोगों को कुछ न बतायें। यह इसलिये हुआ कि भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो: “यह मेरा सेवक है, जिसे मैने चुना है। यह मेरा प्यारा है, मैं इससे आनन्दित हूँ। अपनी ‘आत्मा’ इस पर मैं रखूँगा सब देशों के सब लोगों को यही न्याय घोषणा करेगा। यह कभी नहीं चीखेगा या झगड़ेगा लोग इसे गलियों कूचों में नहीं सुनेंगे। यह झुके सरकंडे तक को नहीं तोड़ेगा, यह बुझते दीपक तक को नहीं बुझाएगा, डटा रहेगा, तब तक जब तक कि न्याय विजय न हो। तब फिर सभी लोग अपनी आशाएँ उसमें बाँधेंगे बस केवल उसी नाम में।” फिर यीशु के पास लोग एक ऐसे अन्धे को लाये जो गूँगा भी था क्योंकि उस पर दुष्ट आत्मा सवार थी। यीशु ने उसे चंगा कर दिया और इसीलिये वह गूँगा अंधा बोलने और देखने लगा। इस पर सभी लोगों को बहुत अचरज हुआ और वे कहने लगे, “क्या यह व्यक्ति दाऊद का पुत्र हो सकता है?”
मत्ती 12:1-23 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
येशु किसी विश्राम के दिन गेहूँ के खेतों से हो कर जा रहे थे। उनके शिष्यों को भूख लगी और वे बालें तोड़-तोड़ कर खाने लगे। यह देख कर फरीसियों ने येशु से कहा, “देखिए, जो काम विश्राम के दिन करना मना है, आपके शिष्य वही कर रहे हैं।” येशु ने उनसे कहा, “क्या तुम लोगों ने यह नहीं पढ़ा कि जब दाऊद और उसके साथियों को भूख लगी, तो दाऊद ने क्या किया था? उसने परमेश्वर के भवन में प्रवेश किया और अपने साथियों के साथ भेंट की रोटियाँ खायीं, जिनका खाना उसके और उसके साथियों के लिए मना था। भेंट की रोटियाँ केवल पुरोहित खा सकते थे। “अथवा क्या तुम लोगों ने मूसा की व्यवस्था में यह नहीं पढ़ा कि पुरोहित विश्राम के दिन मन्दिर में विश्राम के नियम का उल्लंघन करने पर भी दोषी नहीं होते? “मैं तुम से कहता हूँ; यहाँ वह है, जो मन्दिर से भी महान है। ‘मैं बलिदान नहीं, बल्कि दया चाहता हूँ’ − यदि तुम लोगों ने इस कथन का अर्थ समझ लिया होता, तो निर्दोष को दोषी नहीं ठहराते; क्योंकि मानव-पुत्र विश्राम के दिन का स्वामी है।” येशु वहाँ से आगे बढ़े और उनके सभागृह में आये। वहाँ एक मनुष्य था, जिसका हाथ सूख गया था। येशु पर दोष लगाने के लिए लोगों ने उनसे यह पूछा, “क्या विश्राम के दिन किसी रोगी को स्वस्थ करना व्यवस्था के अनुसार उचित है?” येशु ने उनसे कहा, “यदि तुम्हारे एक ही भेड़ हो और वह विश्राम के दिन गड्ढे में गिर जाए, तो तुम लोगों में ऐसा कौन होगा, जो उसे पकड़ कर निकाल नहीं लेगा? मनुष्य तो भेड़ से कहीं श्रेष्ठ है। इसलिए विश्राम के दिन भलाई करना व्यवस्था की दृष्टि में उचित है।” तब येशु ने उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ बढ़ाओ।” उसने अपना हाथ बढ़ाया और वह दूसरे हाथ की तरह स्वस्थ हो गया। इस पर फरीसी सभागृह से बाहर निकले, और उन्होंने येशु के विरुद्ध यह परामर्श किया कि हम किस तरह उनका विनाश करें। येशु यह जान कर वहाँ से चले गये। बहुत लोग येशु के पीछे हो लिये। येशु ने सब को स्वस्थ कर दिया, किन्तु उन्हें यह चेतावनी दी, “तुम मुझे प्रकट मत करना।” इस प्रकार नबी यशायाह का यह कथन पूरा हुआ : “यह मेरा सेवक है, इसे मैंने चुना है; यह मेरा परमप्रिय है, मैं इस पर अति प्रसन्न हूँ। मैं इसे अपना आत्मा प्रदान करूँगा और यह गैर-यहूदियों को मेरा न्याय- सिद्धान्त घोषित करेगा। यह न तो विवाद करेगा और न चिल्लाएगा और न चौराहों में कोई इसकी आवाज सुनेगा। यह न तो कुचला हुआ सरकण्डा ही तोड़ेगा। और न बुझता हुआ दीपक ही बुझाएगा, जब तक वह न्याय को विजयी न बनाए। इसके नाम पर सब जातियाँ आशा रखेंगी।” तब लोग एक अन्धें-गूँगे भूतग्रस्त मनुष्य को येशु के पास लाए। येशु ने उसे स्वस्थ कर दिया और वह गूँगा बोलने और देखने लगा। सब लोग आश्चर्य में पड़ कर यह कहने लगे, “कहीं यही तो दाऊद के वंशज नहीं हैं?”
मत्ती 12:1-23 Hindi Holy Bible (HHBD)
उस समय यीशु सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेलों को भूख लगी, सो वे बालें तोड़ तोड़ कर खाने लगे। फरीसियों ने यह देखकर उस से कहा, देख तेरे चेले वह काम कर रहे हैं, जो सब्त के दिन करना उचित नहीं। उस ने उन से कहा; क्या तुम ने नहीं पढ़ा, कि दाऊद ने, जब वह और उसके साथी भूखे हुए तो क्या किया? वह क्योंकर परमेश्वर के घर में गया, और भेंट की रोटियां खाईं, जिन्हें खाना न तो उसे और उसके साथियों को, पर केवल याजकों को उचित था? या तुम ने व्यवस्था में नहीं पढ़ा, कि याजक सब्त के दिन मन्दिर में सब्त के दिन के विधि को तोड़ने पर भी निर्दोष ठहरते हैं। पर मैं तुम से कहता हूं, कि यहां वह है, जो मन्दिर से भी बड़ा है। यदि तुम इस का अर्थ जानते कि मैं दया से प्रसन्न हूं, बलिदान से नहीं, तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते। मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु है॥ वहां से चलकर वह उन की सभा के घर में आया। और देखो, एक मनुष्य था, जिस का हाथ सूखा हुआ था; और उन्होंने उस पर दोष लगाने के लिये उस से पूछा, कि क्या सब्त के दिन चंगा करना उचित है? उस ने उन से कहा; तुम में ऐसा कौन है, जिस की एक ही भेड़ हो, और वह सब्त के दिन गड़हे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर न निकाले? भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़ कर है; इसलिये सब्त के दिन भलाई करना उचित है: तब उस ने उस मनुष्य से कहा, अपना हाथ बढ़ा। उस ने बढ़ाया, और वह फिर दूसरे हाथ की नाईं अच्छा हो गया। तब फरीसियों ने बाहर जाकर उसके विरोध में सम्मति की, कि उसे किस प्रकार नाश करें? यह जानकर यीशु वहां से चला गया; और बहुत लोग उसके पीछे हो लिये; और उस ने सब को चंगा किया। और उन्हें चिताया, कि मुझे प्रगट न करना। कि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो। कि देखो, यह मेरा सेवक है, जिसे मैं ने चुना है; मेरा प्रिय, जिस से मेरा मन प्रसन्न है: मैं अपना आत्मा उस पर डालूंगा; और वह अन्यजातियों को न्याय का समाचार देगा। वह न झगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा; और न बाजारों में कोई उसका शब्द सुनेगा। वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगा; और धूआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, जब तक न्याय को प्रबल न कराए। और अन्यजातियां उसके नाम पर आशा रखेंगी। तब लोग एक अन्धे-गूंगे को जिस में दुष्टात्मा थी, उसके पास लाए; और उस ने उसे अच्छा किया; और वह गूंगा बोलने और देखने लगा। इस पर सब लोग चकित होकर कहने लगे, यह क्या दाऊद की सन्तान का है?
मत्ती 12:1-23 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
उस समय यीशु सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेलों को भूख लगी तो वे बालें तोड़–तोड़कर खाने लगे। फरीसियों ने यह देखकर उससे कहा, “देख, तेरे चेले वह काम कर रहे हैं, जो सब्त के दिन करना उचित नहीं।” उसने उनसे कहा, “क्या तुम ने नहीं पढ़ा, कि दाऊद ने, जब वह और उसके साथी भूखे हुए तो क्या किया? वह कैसे परमेश्वर के घर में गया, और भेंट की रोटियाँ खाईं, जिन्हें खाना न तो उसे और न उसके साथियों को पर केवल याजकों को उचित था? या क्या तुम ने व्यवस्था में नहीं पढ़ा कि याजक सब्त के दिन मन्दिर में सब्त के दिन की विधि को तोड़ने पर भी निर्दोष ठहरते हैं? पर मैं तुम से कहता हूँ कि यहाँ वह है जो मन्दिर से भी बड़ा है। यदि तुम इसका अर्थ जानते, ‘मैं दया से प्रसन्न होता हूँ, बलिदान से नहीं,’ तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते। मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु है।” वहाँ से चलकर वह उन के आराधनालय में आया। वहाँ एक मनुष्य था, जिसका हाथ सूखा हुआ था। उन्होंने यीशु पर दोष लगाने के लिये उससे पूछा, “क्या सब्त के दिन चंगा करना उचित है?” उसने उनसे कहा, “तुम में ऐसा कौन है जिसकी एक ही भेड़ हो, और वह सब्त के दिन गड़हे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर न निकाले? भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़कर है! इसलिये सब्त के दिन भलाई करना उचित है।” तब उसने उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ बढ़ा।” उसने बढ़ाया, और वह फिर दूसरे हाथ की तरह अच्छा हो गया। तब फरीसियों ने बाहर जाकर उसके विरोध में सम्मति की कि उसे किस प्रकार नष्ट करें। यह जानकर यीशु वहाँ से चला गया। और बहुत लोग उसके पीछे हो लिए, और उस ने सब को चंगा किया, और उन्हें चिताया कि मुझे प्रगट न करना, ताकि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो : “देखो, यह मेरा सेवक है, जिसे मैं ने चुना है; मेरा प्रिय, जिससे मेरा मन प्रसन्न है : मैं अपना आत्मा उस पर डालूँगा, और वह अन्य–जातियों को न्याय का समाचार देगा। वह न झगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा, और न बाजारों में कोई उसका शब्द सुनेगा। वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगा, और धूआँ देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, जब तक वह न्याय को प्रबल न कराए। और अन्यजातियाँ उसके नाम पर आशा रखेंगी।” तब लोग एक अंधे–गूँगे को जिसमें दुष्टात्मा थी, उसके पास लाए; और उसने उसे अच्छा किया, और वह बोलने और देखने लगा। इस पर सब लोग चकित होकर कहने लगे, “यह क्या दाऊद की सन्तान है!”
मत्ती 12:1-23 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
उस समय यीशु सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेलों को भूख लगी, और वे बालें तोड़-तोड़कर खाने लगे। फरीसियों ने यह देखकर उससे कहा, “देख, तेरे चेले वह काम कर रहे हैं, जो सब्त के दिन करना उचित नहीं।” उसने उनसे कहा, “क्या तुम ने नहीं पढ़ा, कि दाऊद ने, जब वह और उसके साथी भूखे हुए तो क्या किया? वह कैसे परमेश्वर के घर में गया, और भेंट की रोटियाँ खाई, जिन्हें खाना न तो उसे और न उसके साथियों को, पर केवल याजकों को उचित था? या क्या तुम ने व्यवस्था में नहीं पढ़ा, कि याजक सब्त के दिन मन्दिर में सब्त के दिन की विधि को तोड़ने पर भी निर्दोष ठहरते हैं? (गिन. 28:9,10, यूह. 7:22,23) पर मैं तुम से कहता हूँ, कि यहाँ वह है, जो मन्दिर से भी महान है। यदि तुम इसका अर्थ जानते कि मैं दया से प्रसन्न होता हूँ, बलिदान से नहीं, तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते। (होशे 6:6) मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु है।” (मर. 2:28) वहाँ से चलकर वह उनके आराधनालय में आया। वहाँ एक मनुष्य था, जिसका हाथ सूखा हुआ था; और उन्होंने उस पर दोष लगाने के लिए उससे पूछा, “क्या सब्त के दिन चंगा करना उचित है?” उसने उनसे कहा, “तुम में ऐसा कौन है, जिसकी एक भेड़ हो, और वह सब्त के दिन गड्ढे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर न निकाले? भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़कर है! इसलिए सब्त के दिन भलाई करना उचित है।” तब यीशु ने उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ बढ़ा।” उसने बढ़ाया, और वह फिर दूसरे हाथ के समान अच्छा हो गया। तब फरीसियों ने बाहर जाकर उसके विरोध में सम्मति की, कि उसे किस प्रकार मार डाले? यह जानकर यीशु वहाँ से चला गया। और बहुत लोग उसके पीछे हो लिये, और उसने सब को चंगा किया। और उन्हें चेतावनी दी, कि मुझे प्रगट न करना। कि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो: “देखो, यह मेरा सेवक है, जिसे मैंने चुना है; मेरा प्रिय, जिससे मेरा मन प्रसन्न है: मैं अपना आत्मा उस पर डालूँगा; और वह अन्यजातियों को न्याय का समाचार देगा। वह न झगड़ा करेगा, और न चिल्लाएगा; और न बाजारों में कोई उसका शब्द सुनेगा। वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगा; और धुआँ देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, जब तक न्याय को प्रबल न कराए। और अन्यजातियाँ उसके नाम पर आशा रखेंगी।” तब लोग एक अंधे-गूँगे को जिसमें दुष्टात्मा थी, उसके पास लाए; और उसने उसे अच्छा किया; और वह गूँगा बोलने और देखने लगा। इस पर सब लोग चकित होकर कहने लगे, “यह क्या दाऊद की सन्तान है?”
मत्ती 12:1-23 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
शब्बाथ पर येशु और उनके शिष्य अन्न के खेतों में से होकर जा रहे थे. उनके शिष्यों को भूख लग गई और वे बालें तोड़कर खाने लगे. यह देख फ़रीसियों ने आपत्ति उठाई, “देख लो, तुम्हारे शिष्य वह कर रहे हैं जो शब्बाथ संबंधित व्यवस्था के अनुसार गलत है.” इस पर येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या आप लोगों ने उस घटना के विषय में नहीं पढ़ा जिसमें भूख लगने पर दावीद और उनके साथियों ने क्या किया था? कैसे उन्होंने परमेश्वर के भवन में प्रवेश किया और दावीद और उनके साथियों ने भेंट की वह रोटी खाई, जिसे पुरोहितों के अलावा किसी का भी खाना व्यवस्था के अनुसार न था? या क्या आप लोगों ने व्यवस्था में यह नहीं पढ़ा कि मंदिर में सेवारत पुरोहित शब्बाथ की व्यवस्था का उल्लंघन करने पर भी निर्दोष ही रहते हैं? किंतु मैं तुम्हें बता रहा हूं कि यहां वह है, जो मंदिर से बढ़कर है. वस्तुतः तुमने यदि इस बात का अर्थ समझा होता: ‘मैं बलि की नहीं परंतु दया की कामना करता हूं,’ तो तुमने इन निर्दोषों पर आरोप न लगाया होता. क्योंकि मनुष्य का पुत्र शब्बाथ का स्वामी है.” वहां से चलकर येशु यहूदी सभागृह में गए. वहां एक व्यक्ति था, जिसका हाथ लक़वा मारा हुआ था. उन्होंने येशु से प्रश्न किया, “क्या शब्बाथ पर किसी को स्वस्थ करना व्यवस्था के अनुसार है?” उन्होंने यह प्रश्न इसलिये किया कि वे येशु पर आरोप लगा सकें. येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुममें कौन ऐसा व्यक्ति है जिसके पास एक भेड़ है और यदि वह भेड़ शब्बाथ पर गड्ढे में गिर जाए तो वह उसे हाथ बढ़ाकर बाहर न निकाले? एक भेड़ की तुलना में मनुष्य कितना अधिक कीमती है! इसलिये शब्बाथ पर किया गया भला काम व्यवस्था के अनुसार होता है.” तब येशु ने उस व्यक्ति को आज्ञा दी, “अपना हाथ आगे बढ़ाओ!” उसने हाथ आगे बढ़ाया—वह हाथ दूसरे हाथ के जैसा स्वस्थ हो गया था. इसलिये फ़रीसी बाहर चले गए तथा येशु की हत्या का षड़्यंत्र रचने लगे. येशु को इसका अहसास था इसलिये वह वहां से चले गए. अनेक थे, जो उनके साथ उनके पीछे-पीछे चल रहे थे. येशु ने उनमें से सभी रोगियों को स्वस्थ कर दिया और उन्हें चेतावनी दी कि इस विषय में वे किसी से वर्णन न करें कि वह कौन हैं. यह भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी: यही है मेरा चुना हुआ सेवक, मेरा प्रिय पात्र, जिसमें मेरे प्राण को पूरा संतोष है. मैं उसे अपने आत्मा से भरा करूंगा और वह गैर-यहूदियों में न्याय की घोषणा करेगा. वह न तो विवाद करेगा, न ऊंचे शब्द में कुछ कहेगा और न ही गलियों में कोई उसका शब्द सुन सकेगा. कुचले हुए नरकट को वह तोड़ न फेंकेगा, और न ही वह टिमटिमाती बाती को बुझा देगा, जब तक वह न्याय को विजय तक न पहुंचा दे. उसकी प्रतिष्ठा में गैर-यहूदियों के लिए आशा होगी. तब येशु के सामने एक ऐसा व्यक्ति लाया गया, जो दुष्टात्मा से पीड़ित था, वह अंधा तथा गूंगा था. येशु ने उसे स्वस्थ कर दिया. परिणामस्वरूप वह व्यक्ति बातें करने और देखने लगा. सभी भीड़ चकित रह गई. मौज़ूद लोग आपस में विचार कर रहे थे, “कहीं यही दावीद का वह वंशज तो नहीं?”