लूकस 2:41-50

लूकस 2:41-50 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

उसके माता–पिता प्रति वर्ष फसह के पर्व में यरूशलेम जाया करते थे। जब यीशु बारह वर्ष का हुआ, तो वे पर्व की रीति के अनुसार यरूशलेम को गए। जब वे उन दिनों को पूरा करके लौटने लगे, तो बालक यीशु यरूशलेम में रह गया; और यह उसके माता–पिता नहीं जानते थे। वे यह समझकर कि वह अन्य यात्रियों के साथ होगा, एक दिन का पड़ाव निकल गए : और उसे अपने कुटुम्बियों और जान–पहचान वालों में ढूँढ़ने लगे। पर जब नहीं मिला, तो ढूँढ़ते–ढूँढ़ते यरूशलेम को फिर लौट गए, और तीन दिन के बाद उन्होंने उसे मन्दिर में उपदेशकों के बीच में बैठे, उनकी सुनते और उनसे प्रश्न करते हुए पाया। जितने उसकी सुन रहे थे, वे सब उसकी समझ और उसके उत्तरों से चकित थे। तब वे उसे देखकर चकित हुए और उसकी माता ने उससे कहा, “हे पुत्र, तू ने हम से क्यों ऐसा व्यवहार किया? देख, तेरा पिता और मैं कुढ़ते हुए तुझे ढूँढ़ते थे?” उसने उनसे कहा, “तुम मुझे क्यों ढूँढ़ते थे? क्या नहीं जानते थे कि मुझे अपने पिता के भवन में होना अवश्य है?” परन्तु जो बात उसने उनसे कही, उन्होंने उसे नहीं समझा।

लूकस 2:41-50 पवित्र बाइबल (HERV)

फ़सह पर्व पर हर वर्ष उसके माता-पिता यरूशलेम जाया करते थे। जब वह बारह साल का हुआ तो सदा की तरह वे पर्व पर गये। जब पर्व समाप्त हुआ और वे घर लौट रहे थे तो यीशु वहीं यरूशलेम में रह गया किन्तु माता-पिता को इसका पता नहीं चल पाया। यह सोचते हुए कि वह दल में कहीं होगा, वे दिन भर यात्रा करते रहे। फिर वे उसे अपने संबन्धियों और मित्रों के बीच खोजने लगे। और जब वह उन्हें नहीं मिला तो उसे ढूँढते ढूँढते वे यरूशलेम लौट आये। और फिर हुआ यह कि तीन दिन बाद वह उपदेशकों के बीच बैठा, उन्हें सुनता और उनसे प्रश्न पूछता मन्दिर में उन्हें मिला। वे सभी जिन्होंने उसे सुना था, उसकी सूझबूझ और उसके प्रश्नोत्तरों से आश्चर्यचकित थे। जब उसके माता-पिता ने उसे देखा तो वे दंग रह गये। उसकी माता ने उससे पूछा, “बेटे, तुमने हमारे साथ ऐसा क्यों किया? तेरे पिता और मैं तुझे ढूँढते हुए बुरी तरह व्याकुल थे।” तब यीशु ने उनसे कहा, “आप मुझे क्यों ढूँढ रहे थे? क्या तुम नहीं जानते कि मुझे मेरे पिता के घर में ही होना चाहिये?” किन्तु यीशु ने उन्हें जो उत्तर दिया था, वे उसे समझ नहीं पाये।

लूकस 2:41-50 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

येशु के माता-पिता प्रति वर्ष पास्‍का (फसह) का पर्व मनाने के लिए यरूशलेम नगर जाया करते थे। जब बालक बारह वर्ष का था, तब वे प्रथा के अनुसार पर्व मनाने के लिए तीर्थनगर यरूशलेम गये। पर्व के दिन समाप्‍त हुए तो वे लौटे; परन्‍तु किशोर येशु यरूशलेम में ही रह गया। उसके माता-पिता यह नहीं जानते थे। वे यह समझ रहे थे कि वह यात्रीदल के साथ है। इसलिए वे एक दिन की यात्रा पूरी करने के बाद उसे अपने कुटुम्‍बियों और परिचितों के बीच ढूँढ़ने लगे। जब उन्‍होंने उसे नहीं पाया तब वे उसे ढूँढ़ते-ढूँढ़ते यरूशलेम लौटे। तीन दिनों के बाद उन्‍होंने येशु को मन्‍दिर में धर्मगुरुओं के बीच बैठे, उनकी बातें सुनते और उनसे प्रश्‍न पूछते हुए पाया। सभी सुनने वाले उसकी बुद्धि और उसके उत्तरों पर चकित थे। उसके माता-पिता उसे देख कर अचम्‍भे में पड़ गये। उसकी माता ने उससे कहा, “पुत्र! तुमने हमारे साथ ऐसा क्‍यों किया? देखो, तुम्‍हारे पिता और मैं चिंतित थे, और तुम को ढूँढ़ रहे थे।” उसने अपने माता-पिता से कहा, “आप मुझे क्‍यों ढूँढ़ रहे थे? क्‍या आप यह नहीं जानते थे कि मैं निश्‍चय ही अपने पिता के घर में होऊंगा? परन्‍तु येशु का यह कथन उनकी समझ में नहीं आया।

लूकस 2:41-50 Hindi Holy Bible (HHBD)

उसके माता-पिता प्रति वर्ष फसह के पर्व में यरूशलेम को जाया करते थे। जब वह बारह वर्ष का हुआ, तो वे पर्व की रीति के अनुसार यरूशलेम को गए। और जब वे उन दिनों को पूरा करके लौटने लगे, तो वह लड़का यीशु यरूशलेम में रह गया; और यह उसके माता-पिता नहीं जानते थे। वे यह समझकर, कि वह और यात्रियों के साथ होगा, एक दिन का पड़ाव निकल गए: और उसे अपने कुटुम्बियों और जान-पहचानों में ढूंढ़ने लगे। पर जब नहीं मिला, तो ढूंढ़ते-ढूंढ़ते यरूशलेम को फिर लौट गए। और तीन दिन के बाद उन्होंने उसे मन्दिर में उपदेशकों के बीच में बैठे, उन की सुनते और उन से प्रश्न करते हुए पाया। और जितने उस की सुन रहे थे, वे सब उस की समझ और उसके उत्तरों से चकित थे। तब वे उसे देखकर चकित हुए और उस की माता ने उस से कहा; हे पुत्र, तू ने हम से क्यों ऐसा व्यवहार किया? देख, तेरा पिता और मैं कुढ़ते हुए तुझे ढूंढ़ते थे। उस ने उन से कहा; तुम मुझे क्यों ढूंढ़ते थे? क्या नहीं जानते थे, कि मुझे अपने पिता के भवन में होना अवश्य है? परन्तु जो बात उस ने उन से कही, उन्होंने उसे नहीं समझा।

लूकस 2:41-50 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

उसके माता-पिता प्रतिवर्ष फसह के पर्व में यरूशलेम को जाया करते थे। (निर्ग. 12:24-27, व्यव. 16:1-8) जब वह बारह वर्ष का हुआ, तो वे पर्व की रीति के अनुसार यरूशलेम को गए। और जब वे उन दिनों को पूरा करके लौटने लगे, तो वह बालक यीशु यरूशलेम में रह गया; और यह उसके माता-पिता नहीं जानते थे। वे यह समझकर, कि वह और यात्रियों के साथ होगा, एक दिन का पड़ाव निकल गए: और उसे अपने कुटुम्बियों और जान-पहचानवालों में ढूँढ़ने लगे। पर जब नहीं मिला, तो ढूँढ़ते-ढूँढ़ते यरूशलेम को फिर लौट गए। और तीन दिन के बाद उन्होंने उसे मन्दिर में उपदेशकों के बीच में बैठे, उनकी सुनते और उनसे प्रश्न करते हुए पाया। और जितने उसकी सुन रहे थे, वे सब उसकी समझ और उसके उत्तरों से चकित थे। तब वे उसे देखकर चकित हुए और उसकी माता ने उससे कहा, “हे पुत्र, तूने हम से क्यों ऐसा व्यवहार किया? देख, तेरा पिता और मैं कुढ़ते हुए तुझे ढूँढ़ते थे।” उसने उनसे कहा, “तुम मुझे क्यों ढूँढ़ते थे? क्या नहीं जानते थे, कि मुझे अपने पिता के भवन में होना अवश्य है?” परन्तु जो बात उसने उनसे कही, उन्होंने उसे नहीं समझा।

लूकस 2:41-50 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

प्रभु येशु के माता-पिता प्रति वर्ष फ़सह उत्सव के उपलक्ष्य में येरूशलेम जाया करते थे. जब प्रभु येशु की अवस्था बारह वर्ष की हुई, तब प्रथा के अनुसार वह भी अपने माता-पिता के साथ उत्सव के लिए येरूशलेम गए. उत्सव की समाप्‍ति पर जब उनके माता-पिता घर लौट रहे थे, बालक येशु येरूशलेम में ही ठहर गए. उनके माता-पिता इससे अनजान थे. यह सोचकर कि बालक यात्री-समूह में ही कहीं होगा, वे उस दिन की यात्रा में आगे बढ़ते गए. जब उन्होंने परिजनों-मित्रों में प्रभु येशु को खोजना प्रारंभ किया, प्रभु येशु उन्हें उनके मध्य नहीं मिले इसलिये वे उन्हें खोजने येरूशलेम लौट गए. तीन दिन बाद उन्होंने प्रभु येशु को मंदिर परिसर में शिक्षकों के साथ बैठा हुआ पाया. वहां बैठे हुए वह उनकी सुन रहे थे तथा उनसे प्रश्न भी कर रहे थे. जिस किसी ने भी उनको सुना, वह उनकी समझ और उनके उत्तरों से चकित थे. उनके माता-पिता उन्हें वहां देख चकित रह गए. उनकी माता ने उनसे प्रश्न किया, “पुत्र! तुमने हमारे साथ ऐसा क्यों किया? तुम्हारे पिता और मैं तुम्हें कितनी बेचैनी से खोज रहे थे!” “क्यों खोज रहे थे आप मुझे?” प्रभु येशु ने उनसे पूछा, “क्या आपको यह मालूम न था कि मेरा मेरे पिता के घर में ही होना उचित है?” मरियम और योसेफ़ को प्रभु येशु की इस बात का अर्थ समझ नहीं आया.