अय्‍यूब 14:1-6

अय्‍यूब 14:1-6 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

“मनुष्य जो स्त्री से उत्पन्न होता है, वह थोड़े दिनों का और दु:ख से भरा रहता है। वह फूल के समान खिलता, फिर तोड़ा जाता है; वह छाया की रीति पर ढल जाता, और कहीं ठहरता नहीं। फिर क्या तू ऐसे पर दृष्‍टि लगाता है? क्या तू मुझे अपने साथ कचहरी में घसीटता है? अशुद्ध वस्तु से शुद्ध वस्तु को कौन निकाल सकता है? कोई नहीं। मनुष्य के दिन नियुक्‍त किए गए हैं, और उसके महीनों की गिनती तेरे पास लिखी है, और तू ने उसके लिये ऐसी सीमा बाँधी है जिसे वह पार नहीं कर सकता, इस कारण उससे अपना मुँह फेर ले कि वह आराम करे, जब तक कि वह मजदूर के समान अपना दिन पूरा न कर ले।

अय्‍यूब 14:1-6 पवित्र बाइबल (HERV)

अय्यूब ने कहा, “हम सभी मानव है हमारा जीवन छोटा और दु:खमय है! मनुष्य का जीवन एक फूल के समान है जो शीघ्र उगता है और फिर समाप्त हो जाता है। मनुष्य का जीवन है जैसे कोई छाया जो थोड़ी देर टिकती है और बनी नहीं रहती। हे परमेश्वर, क्या तू मेरे जैसे मनुष्य पर ध्यान देगा? क्या तू मेरा न्याय करने मुझे सामने लायेगा? “किसी ऐसी वस्तु से जो स्वयं अस्वच्छ है स्वच्छ वस्तु कौन पा सकता है? कोई नहीं। मनुष्य का जीवन सीमित है। मनुष्य के महीनों की संख्या परमेश्वर ने निश्चित कर दी है। तूने मनुष्य के लिये जो सीमा बांधी है, उसे कोई भी नहीं बदल सकता। सो परमेश्वर, तू हम पर आँख रखना छोड़ दे। हम लोगों को अकेला छोड़ दे। हमें अपने कठिन जीवन का मजा लेने दे, जब तक हमारा समय नहीं समाप्त हो जाता।

अय्‍यूब 14:1-6 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

‘स्‍त्री से जन्‍मा मनुष्‍य अल्‍पायु होता है; उसका सारा जीवन दु:ख से भरा रहता है। वह फूल के समान खिलता है, और फिर मुरझा जाता है; वह छाया के समान ढलता है, और स्‍थिर नहीं रहता है। प्रभु, ऐसे क्षण-भंगुर मनुष्‍य को क्‍या तू जाँचता है? तू अपने साथ ऐसे मनुष्‍य को अदालत में खड़ा करता है? काश! अशुद्ध मनुष्‍यजाति में एक भी मनुष्‍य शुद्ध होता! पर नहीं, एक भी मनुष्‍य शुद्ध नहीं है। उसके जीवन के दिन निश्‍चित हैं, उसकी आयु के महीने तेरे हाथ में हैं। तूने उसके सामने सीमा-रेखा खींच दी है जिसको वह पार नहीं कर सकता। हे प्रभु, उस पर से दृष्‍टि हटा, ताकि वह प्रसन्नवदन हो सके, और एक मजदूर के समान दिन की समाप्‍ति पर आराम कर सके।

अय्‍यूब 14:1-6 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

“मनुष्य जो स्त्री से उत्पन्न होता है, उसके दिन थोड़े और दुःख भरे है। वह फूल के समान खिलता, फिर तोड़ा जाता है; वह छाया की रीति पर ढल जाता, और कहीं ठहरता नहीं। फिर क्या तू ऐसे पर दृष्टि लगाता है? क्या तू मुझे अपने साथ कचहरी में घसीटता है? अशुद्ध वस्तु से शुद्ध वस्तु को कौन निकाल सकता है? कोई नहीं। मनुष्य के दिन नियुक्त किए गए हैं, और उसके महीनों की गिनती तेरे पास लिखी है, और तूने उसके लिये ऐसा सीमा बाँधा है जिसे वह पार नहीं कर सकता, इस कारण उससे अपना मुँह फेर ले, कि वह आराम करे, जब तक कि वह मजदूर के समान अपना दिन पूरा न कर ले।

अय्‍यूब 14:1-6 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

“स्त्री से जन्मे मनुष्य का जीवन, अल्पकालिक एवं दुःख भरा होता है. उस पुष्प समान, जो खिलता है तथा मुरझा जाता है; वह तो छाया-समान द्रुत गति से विलीन हो जाता तथा अस्तित्वहीन रह जाता है. क्या इस प्रकार का प्राणी इस योग्य है कि आप उस पर दृष्टि बनाए रखें तथा उसका न्याय करने के लिए उसे अपनी उपस्थिति में आने दें? अशुद्ध में से किसी शुद्ध वस्तु की सृष्टि कौन कर सकता है? कोई भी इस योग्य नहीं है! इसलिये कि मनुष्य का जीवन सीमित है; उसके जीवन के माह आपने नियत कर रखे हैं. साथ आपने उसकी सीमाएं निर्धारित कर दी हैं, कि वह इनके पार न जा सके. जब तक वह वैतनिक मज़दूर समान अपना समय पूर्ण करता है उस पर से अपनी दृष्टि हटा लीजिए, कि उसे विश्राम प्राप्‍त हो सके.