इब्रानियों 3:15-19

इब्रानियों 3:15-19 पवित्र बाइबल (HERV)

जैसा कि कहा भी गया है: “यदि आज उसकी आवाज सुनो, अपने हृदय जड़ मत करो, जैसे बगावत के दिनों में किये थे।” भला वे कौन थे जिन्होंने सुना और विद्रोह किया? क्या वे, वे ही नहीं थे जिन्हें मूसा ने मिस्र से बचा कर निकाला था? वह चालीस वर्षों तक किन पर क्रोधित रहा? क्या उन्हीं पर नहीं जिन्होंने पाप किया था और जिनके शव मरुस्थल में पड़े रहे थे? परमेश्वर ने किनके लिए शपथ उठायी थी कि वे उसकी विश्राम में प्रवेश नहीं कर पायेंगे? क्या वे ही नहीं थे जिन्होंने उसकी आज्ञा का उल्लंघन किया था? इस प्रकार हम देखते हैं कि वे अपने अविश्वास के कारण ही वहाँ प्रवेश पाने में समर्थ नहीं हो सके थे।

इब्रानियों 3:15-19 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

धर्मग्रन्‍थ कहता है, “यदि तुम आज उसकी वाणी सुनो तो अपना हृदय कठोर न करना, जैसा कि पहले, विद्रोह के समय हुआ था।” जिन लोगों ने वाणी सुन कर विद्रोह किया, वे कौन थे? निश्‍चय ही वे सब लोग, जो मूसा के नेतृत्‍व में मिस्र देश से निकल आये थे। परमेश्‍वर चालीस वर्षों तक किन लोगों पर अप्रसन्न रहा? निश्‍चय ही उन लोगों पर, जिन्‍होंने पाप किया था और जिनके शव निर्जन प्रदेश में पड़े रहे। किन लोगों के विषय में उसने शपथ खाकर कहा कि “ये मेरे विश्रामस्‍थान में प्रवेश नहीं करेंगे”? निश्‍चय ही उनके विषय में, जिन्‍होंने विश्‍वास करना अस्‍वीकार किया। इस प्रकार हम देखते हैं कि वे अपने अविश्‍वास के कारण प्रवेश नहीं कर पाये।

इब्रानियों 3:15-19 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

जैसा कि वर्णन किया गया है: “यदि आज तुम उनकी आवाज सुनो तो अपने हृदय कठोर न कर लेना, जैसा तुमने उस समय मुझे उकसाते हुए किया था.” कौन थे वे, जिन्होंने उनकी आवाज सुनने के बाद उन्हें उकसाया था? क्या वे सभी नहीं, जिन्हें मोशेह मिस्र देश से बाहर निकाल लाए थे? और कौन थे वे, जिनसे वह चालीस वर्ष तक क्रोधित रहे? क्या वे ही नहीं, जिन्होंने पाप किया और जिनके शव बंजर भूमि में पड़े रहे? और फिर कौन थे वे, जिनके संबंध में उन्होंने शपथ खाई थी कि वे लोग उनके विश्राम में प्रवेश नहीं पाएंगे? क्या ये सब वे ही नहीं थे, जिन्होंने आज्ञा नहीं मानी थी? इसलिये यह स्पष्ट है कि अविश्वास के कारण वे प्रवेश नहीं पा सके.