धर्मग्रन्थ कहता है, “यदि तुम आज उसकी वाणी सुनो तो अपना हृदय कठोर न करना, जैसा कि पहले, विद्रोह के समय हुआ था।” जिन लोगों ने वाणी सुन कर विद्रोह किया, वे कौन थे? निश्चय ही वे सब लोग, जो मूसा के नेतृत्व में मिस्र देश से निकल आये थे। परमेश्वर चालीस वर्षों तक किन लोगों पर अप्रसन्न रहा? निश्चय ही उन लोगों पर, जिन्होंने पाप किया था और जिनके शव निर्जन प्रदेश में पड़े रहे। किन लोगों के विषय में उसने शपथ खाकर कहा कि “ये मेरे विश्रामस्थान में प्रवेश नहीं करेंगे”? निश्चय ही उनके विषय में, जिन्होंने विश्वास करना अस्वीकार किया। इस प्रकार हम देखते हैं कि वे अपने अविश्वास के कारण प्रवेश नहीं कर पाये।
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