इब्रानियों 11:23-28
इब्रानियों 11:23-28 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
विश्वास ही से मूसा के माता पिता ने उसको, उत्पन्न होने के बाद तीन महीने तक छिपा रखा; क्योंकि उन्होंने देखा, कि बालक सुन्दर है, और वे राजा की आज्ञा से न डरे। (निर्ग. 1:22, निर्ग. 2:2) विश्वास ही से मूसा ने सयाना होकर फ़िरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्कार किया। (निर्ग. 2:11) इसलिए कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुःख भोगना और भी उत्तम लगा। और मसीह के कारण निन्दित होने को मिस्र के भण्डार से बड़ा धन समझा क्योंकि उसकी आँखें फल पाने की ओर लगी थीं। (1 पत. 4:14, मत्ती 5:12) विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डरकर उसने मिस्र को छोड़ दिया, क्योंकि वह अनदेखे को मानो देखता हुआ दृढ़ रहा। (निर्ग. 2:15, निर्ग. 10:28,29) विश्वास ही से उसने फसह और लहू छिड़कने की विधि मानी, कि पहिलौठों का नाश करनेवाला इस्राएलियों पर हाथ न डाले। (निर्ग. 12:21-29)
इब्रानियों 11:23-28 पवित्र बाइबल (HERV)
विश्वास के आधार पर ही, मूसा के माता-पिता ने, मूसा के जन्म के बाद उसे तीन महीने तक छुपाए रखा क्योंकि उन्होंने देख लिया था कि वह कोई सामान्य बालक नहीं था और वे राजा की आज्ञा से नहीं डरे। विश्वास से ही, मूसा जब बड़ा हुआ तो उसने फिरौन की पुत्री का बेटा कहलाने से इन्कार कर दिया। उसने पाप के क्षणिक सुख भोगों की अपेक्षा परमेश्वर के संत जनों के साथ दुर्व्यवहार झेलना ही चुना। उसने मसीह के लिए अपमान झेलने को मिस्र के धन भंडारों की अपेक्षा अधिक मूल्यवान माना क्योंकि वह अपना प्रतिफल पाने की बाट जोह रहा था। विश्वास के कारण ही, राजा के कोप से न डरते हुए उसने मिस्र का परित्याग कर दिया; वह डटा रहा, मानो उसे अदृश्य परमेश्वर दिख रहा हो। विश्वास से ही, उसने फसह पर्व और लहू छिड़कने का पालन किया, ताकि पहली संतानों का विनाश करने वाला, इस्राएल की पहली संतान को छू तक न पाए।
इब्रानियों 11:23-28 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
विश्वास के कारण मूसा के माता-पिता ने यह देख कर कि शिशु सुन्दर है, उसे जन्म के बाद तीन महीनों तक छिपाये रखा और वे राजा के आदेश से भयभीत नहीं हुए। विश्वास के कारण बड़े हो जाने पर मूसा ने फरओ की पुत्री का बेटा कहलाना अस्वीकार किया। उन्होंने पाप का अल्पस्थायी सुख भोगने की अपेक्षा परमेश्वर की प्रजा के साथ अत्याचार सहना अधिक उचित समझा। उन्होंने मिस्र की धन-सम्पत्ति की अपेक्षा मसीह का अपयश अधिक मूल्यवान् समझा, क्योंकि उनकी दृष्टि भविष्य में प्राप्त होने वाले पुरस्कार पर लगी हुई थी। विश्वास के कारण उन्होंने मिस्र देश को छोड़ दिया। वह राजा फरओ के क्रोध से भयभीत नहीं हुए, बल्कि दृढ़ बने रहे, मानो वह अदृश्य परमेश्वर को देख रहे थे। विश्वास के कारण मूसा ने “पास्का” की विधियों का पालन किया और रक्त छिड़का, जिससे पहलौठों का विनाशक दूत इस्राएलियों के पहलौठे पुत्रों पर हाथ न डाले।
इब्रानियों 11:23-28 Hindi Holy Bible (HHBD)
विश्वास ही से मूसा के माता पिता ने उस को, उत्पन्न होने के बाद तीन महीने तक छिपा रखा; क्योंकि उन्होंने देखा, कि बालक सुन्दर है, और वे राजा की आज्ञा से न डरे। विश्वास ही से मूसा ने सयाना होकर फिरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्कार किया। इसलिये कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुख भोगना और उत्तम लगा। और मसीह के कारण निन्दित होने को मिसर के भण्डार से बड़ा धन समझा: क्योंकि उस की आंखे फल पाने की ओर लगी थीं। विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डर कर उस ने मिसर को छोड़ दिया, क्योंकि वह अनदेखे को मानों देखता हुआ दृढ़ रहा। विश्वास ही से उस ने फसह और लोहू छिड़कने की विधि मानी, कि पहिलौठों का नाश करने वाला इस्त्राएलियों पर हाथ न डाले।
इब्रानियों 11:23-28 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
विश्वास ही से मूसा के माता पिता ने उसको, उत्पन्न होने के बाद तीन महीने तक छिपा रखा, क्योंकि उन्होंने देखा कि बालक सुन्दर है, और वे राजा की आज्ञा से न डरे। विश्वास ही से मूसा ने सयाना होकर फ़िरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्कार किया। इसलिये कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दु:ख भोगना अधिक उत्तम लगा। उसने मसीह के कारण निन्दित होने को मिस्र के भण्डार से बड़ा धन समझा, क्योंकि उसकी आँखें फल पाने की ओर लगी थीं। विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डरकर उसने मिस्र को छोड़ दिया, क्योंकि वह अनदेखे को मानो देखता हुआ दृढ़ रहा। विश्वास ही से उस ने फसह और लहू छिड़कने की विधि मानी, कि पहिलौठों का नाश करनेवाला इस्राएलियों पर हाथ न डाले।
इब्रानियों 11:23-28 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
यह विश्वास ही था कि जब मोशेह का जन्म हुआ, उनके माता-पिता ने उन्हें तीन माह तक छिपाए रखा. उन्होंने देखा कि शिशु सुंदर है इसलिये वे राज आज्ञा से भयभीत न हुए. यह विश्वास ही था कि मोशेह ने बड़े होने पर फ़रोह की पुत्री की संतान कहलाना अस्वीकार कर दिया. और पाप के क्षण-भर के सुखों के आनंद की बजाय परमेश्वर की प्रजा के साथ दुःख सहना सही समझा. उनकी दृष्टि में मसीह के लिए सही गई निंदा मिस्र देश के भंडारों से कहीं अधिक कीमती थी क्योंकि उनकी आंखें उस ईनाम पर स्थिर थी. यह विश्वास ही था कि मोशेह मिस्र देश को छोड़कर चले गए. उन्हें फ़रोह के क्रोध का कोई भय न था. वह आगे ही बढ़ते चले गए मानो वह उन्हें देख रहे थे, जो अनदेखे हैं. यह विश्वास ही था कि मोशेह ने इस्राएलियों को फ़सह उत्सव मनाने तथा बलि-लहू छिड़कने की आज्ञा दी कि वह, जो पहलौठे पुत्रों का नाश कर रहा था, उनमें से किसी को स्पर्श न करे.