उत्‍पत्ति 32:6-32

उत्‍पत्ति 32:6-32 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

वे दूत याक़ूब के पास लौट के कहने लगे, “हम तेरे भाई एसाव के पास गए थे, और वह भी तुझ से भेंट करने को चार सौ पुरुष संग लिये हुए चला आता है।” तब याक़ूब बहुत डर गया, और संकट में पड़ा; और यह सोचकर अपने साथियों के, और भेड़–बकरियों के, और गाय–बैलों, और ऊँटों के भी अलग–अलग दो दल कर लिये, कि यदि एसाव आकर पहले दल को मारने लगे, तो दूसरा दल भागकर बच जाएगा। फिर याक़ूब ने कहा, “हे यहोवा, हे मेरे दादा अब्राहम के परमेश्‍वर, हे मेरे पिता इसहाक के परमेश्‍वर, तू ने तो मुझ से कहा था कि अपने देश और जन्मभूमि में लौट जा, और मैं तेरी भलाई करूँगा : तू ने जो जो काम अपनी करुणा और सच्‍चाई से अपने दास के साथ किए हैं, कि मैं जो अपनी छड़ी ही लेकर इस यरदन नदी के पार उतर आया, और अब मेरे दो दल हो गए हैं; तेरे ऐसे ऐसे कामों में से मैं एक के भी योग्य तो नहीं हूँ। मेरी विनती सुनकर मुझे मेरे भाई एसाव के हाथ से बचा : मैं तो उससे डरता हूँ, कहीं ऐसा न हो कि वह आकर मुझे और माँ समेत लड़कों को भी मार डाले। तू ने तो कहा है कि मैं निश्‍चय तेरी भलाई करूँगा, और तेरे वंश को समुद्र की बालू के किनकों के समान बहुत करूँगा, जो बहुतायत के मारे गिने नहीं जा सकते।” उसने उस दिन रात वहीं बिताई; और जो कुछ उसके पास था उसमें से अपने भाई एसाव की भेंट के लिये छाँट छाँटकर निकाला; अर्थात् दो सौ बकरियाँ, और बीस बकरे, और दो सौ भेड़ें, और बीस मेढ़े, और बच्‍चों समेत दूध देनेवाली तीस ऊँटनियाँ, और चालीस गायें, और दस बैल, और बीस गदहियाँ और उनके दस बच्‍चे। इनको उसने झुण्ड–झुण्ड करके, अपने दासों को सौंपकर उनसे कहा, “मेरे आगे बढ़ जाओ; और झुण्डों के बीच बीच में अन्तर रखो।” फिर उसने अगले झुण्ड के रखवाले को यह आज्ञा दी, “जब मेरा भाई एसाव तुझे मिले, और पूछने लगे, ‘तू किसका दास है, और कहाँ जाता है, और ये जो तेरे आगे आगे हैं, वे किसके हैं?’ तब कहना, ‘यह तेरे दास याक़ूब के हैं। हे मेरे प्रभु एसाव, ये भेंट के लिये तेरे पास भेजे गए हैं, और वह आप भी हमारे पीछे–पीछे आ रहा है’।” और उसने दूसरे और तीसरे रखवालों को भी, वरन् उन सभों को जो झुण्डों के पीछे–पीछे थे ऐसी ही आज्ञा दी कि जब एसाव तुम को मिले तब इसी प्रकार उससे कहना। और यह भी कहना, “तेरा दास याक़ूब हमारे पीछे–पीछे आ रहा है।” क्योंकि उसने यह सोचा कि यह भेंट जो मेरे आगे आगे जाती है, इसके द्वारा मैं उसके क्रोध को शान्त करके तब उसका दर्शन करूँगा; हो सकता है वह मुझ से प्रसन्न हो जाए। इसलिये वह भेंट याक़ूब से पहले पार उतर गई, और वह आप उस रात को छावनी में रहा। उसी रात वह उठा और अपनी दोनों स्त्रियों, और दोनों दासियों और ग्यारहों लड़कों को संग लेकर घाट से यब्बोक नदी के पार उतर गया। उसने उन्हें उस नदी के पार उतार दिया, वरन् अपना सब कुछ पार उतार दिया। और याक़ूब आप अकेला रह गया; तब कोई पुरुष आकर पौ फटने तक उससे मल्‍लयुद्ध करता रहा। जब उसने देखा कि मैं याक़ूब पर प्रबल नहीं होता, तब उसकी जाँघ की नस को छुआ; और याक़ूब की जाँघ की नस उससे मल्‍लयुद्ध करते ही करते चढ़ गई। तब उसने कहा, “मुझे जाने दे, क्योंकि भोर होने वाला है,” याक़ूब ने कहा, “जब तक तू मुझे आशीर्वाद न दे, तब तक मैं तुझे जाने न दूँगा।” और उसने याक़ूब से पूछा, “तेरा नाम क्या है?” उसने कहा, “याक़ूब।” उसने कहा, “तेरा नाम अब याक़ूब नहीं, परन्तु इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्‍वर से और मनुष्यों से भी युद्ध करके प्रबल हुआ है।” याक़ूब ने कहा, “मैं विनती करता हूँ, मुझे अपना नाम बता।” उसने कहा, “तू मेरा नाम क्यों पूछता है?” तब उसने उसको वहीं आशीर्वाद दिया। तब याक़ूब ने यह कहकर उस स्थान का नाम पनीएल रखा; “परमेश्‍वर को आमने–सामने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है।” पनीएल के पास से चलते–चलते सूर्य उदय हो गया, और वह जाँघ से लंगड़ाता था। इस्राएली जो पशुओं की जाँघ को जोड़वाले जंघानस को आज के दिन तक नहीं खाते, इसका कारण यही है कि उस पुरुष ने याक़ूब की जाँघ के जोड़ में जंघानस को छुआ था।

उत्‍पत्ति 32:6-32 पवित्र बाइबल (HERV)

दूत याकूब के पास लौटा और बोला, “हम तुम्हारे भाई एसाव के पास गए। वह तुमसे मिलने आ रहा है। उसके साथ चार सौ सशस्त्र वीर हैं।” उस सन्देश ने याकूब को डरा दिया। उसने अपने सभी साथीयों को दो दलों में बाँट दिया। उसने अपनी सभी रेवड़ों, मवेशियों के झुण्ड और ऊँटों को दो भागों में बाँटा। याकूब ने सोचा, “यदि एसाव आकर एक भाग को नष्ट करता है तो दूसरा भाग सकता है और बच सकता है।” याकूब ने कहा, “हे मेरे पूर्वज इब्राहीम के परमेश्वर। हे मेरे पिता इसहाक के परमेश्वर। तूने मुझे अपने देश में लौटने और अपने परिवार में आने के लिए कहा। तूने कहा कि तू मेरी भलाई करेगा। तू मुझ पर बहुत दयालु रहा है। तूने मेरे लिए बहुत अच्छी चीजें की हैं। पहली बार मैंने यरदन नदी के पास यात्रा की, मेरे पास टहलने की छड़ी के अतिरिक्त कुछ भी न था। किन्तु मेरे पास अब इतनी चीजें हैं कि मैं उनको पूरे दो दलों में बाँट सकूँ। तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि कृपा करके मुझे मेरे भाई एसाव से बचा। मैं उससे डरा हुआ हूँ। इसलिए कि वह आएगा और हम सभी को, यहाँ तक कि बच्चों सहित माताओं को भी जान से मार डालेगा। हे यहोवा, तूने मुझसे कहा, ‘मैं तुम्हारी भलाई करूँगा। मैं तुम्हारे परिवार को बढ़ाऊँगा और तुम्हारे वंशजों को समुद्र के बालू के कणों के समान बढ़ा दूँगा। वे इतने अधिक होंगे कि गिने नहीं जा सकेंगे।’” याकूब रात को उस जगह ठहरा। याकूब ने कुछ चीजें एसाव को भेंट देने के लिए तैयार कीं। याकूब ने दो सौ बकरियाँ, बीस बकरे, दो सौ भेड़ें तथा बीस नर भेड़े लिए। याकूब ने तीस ऊँट और उनके बच्चे, चालीस गायें और दस बैल, बीस गदहियाँ और दस गदहे लिए। याकूब ने जानवरों का हर एक झुण्ड नौकरों को दिया। तब याकूब ने नौकरों से कहा, “सब जानवरों के हर झुण्ड को अलग कर लो। मेरे आगे—आगे चलो और हर झुण्ड के बीच कुछ दूरी रखो।” याकूब ने उन्हें आदेश दिया। जानवरों के पहले झुण्ड वाले नौकर से याकूब ने कहा, “मेरा भाई एसाव जब तुम्हारे पास आए और तुमसे पूछे, ‘यह किसके जानवर हैं? तुम कहाँ जा रहे हो? तुम किसके नौकर हो?’ तब तुम उत्तर देना, ‘ये जानवर आपके सेवक याकूब के हैं। याकूब ने इन्हें अपने स्वामी एसाव को भेंट के रूप में भेजे हैं, और याकूब भी हम लोगों के पीछे आ रहा है।’” याकूब ने दूसरे नौकर, तीसरे नौकर, और सभी अन्य नौकरों को यही बात करने का आदेश दिया। उसने कहा, “जब तुम लोग एसाव से मिलो तो यही एक बात कहोगे। तुम लोग कहोगे, ‘यह आपकी भेंट है, और आपका सेवक याकूब भी लोगों के पीछे आ रहा है।’” याकूब ने सोचा, “यदि मैं भेंट के साथ इन पुरुषों को आगे भेजता हूँ तो यह हो सकता है कि एसाव मुझे क्षमा कर दे और मुझको स्वीकार कर ले।” इसलिए याकूब ने एसाव को भेंट भेजी। किन्तु याकूब उस रात अपने पड़ाव में ही ठहरा। बाद में उसी रात याकूब उठा और उस जगह को छोड़ दिया। याकूब ने अपनी दोनों पत्नियों, अपनी दोनों दासियों और अपने ग्यारह पुत्रों को साथ लिया। घाट पर जाकर याकूब ने यब्बोक नदी को पार किया। याकूब ने अपने परिवार को नदी के उस पार भेजा। तब याकूब ने अपनी सभी चीजें नदी के उस पार भेज दीं। याकूब नदी को पार करने वाला अन्तिम व्यक्ति था। किन्तु पार करने से पहले जब तक वह अकेला ही था, एक व्यक्ति आया और उससे मल्ल युद्ध करने लगा। उस व्यक्ति ने उससे तब तक मल्ल युद्ध किया जब तक सूरज न निकला। व्यक्ति ने देखा कि वह याकूब को हरा नहीं सकता। इसलिए उसने याकूब के पैर को उसके कूल्हे के जोड़ पर छुआ। उस समय याकूब के कूल्हे का जोड़ अपने स्थान से हट गया। तब उस व्यक्ति ने याकूब से कहा, “मुझे छोड़ दो। सूरज ऊपर चढ़ रहा है।” किन्तु याकूब ने कहा, “मैं तुमको नहीं छोड़ूँगा। मुझको तुम्हें आशीर्वाद देना होगा।” और उस व्यक्ति ने उससे कहा, “तुम्हारा क्या नाम है?” और याकूब ने कहा, “मेरा नाम याकूब है।” तब व्यक्ति ने कहा, “तुम्हारा नाम याकूब नहीं रहेगा। अब तुम्हारा नाम इस्राएल होगा। मैं तुम्हें यह नाम इसलिए देता हूँ कि तुमने परमेश्वर के साथ और मनुष्यों के साथ युद्ध किया है और तुम हराए नहीं जा सके हो।” तब याकूब ने उस से पूछा, “कृपया मुझे अपना नाम बताएं।” किन्तु उस व्यक्ति ने कहा, “तुम मेरा नाम क्यों पूछते हो?” उस समय उस व्यक्ति ने याकूब को आशीर्वाद दिया। इसलिए याकूब ने उस जगह का नाम पनीएल रखा। याकूब ने कहा, “इस जगह मैंने परमेश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन किया है। किन्तु मेरे जीवन की रक्षा हो गई।” जैसे ही वह पनीएल से गुजरा, सूरज निकल आया। याकूब अपने पैरों के कारण लंगड़ाकर चल रहा था। इसलिए आज भी इस्राएल के लोग पुट्ठे की माँसपेशी को नहीं खाते क्योंकि इसी माँसपेशी पर याकूब को चोट लगी थी।

उत्‍पत्ति 32:6-32 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

दूत याकूब के पास लौट आए। अन्‍होंने कहा, ‘हम आपके भाई एसाव के पास गए थे। वह आपसे भेंट करने आ रहे हैं। उनके साथ चार सौ पुरुष हैं। याकूब बहुत डर गया। वह संकट में पड़ गया। उसने अपने साथ के लोगों को, भेड़-बकरियों को, गाय-बैलों और ऊंटों को विभक्‍त कर दो दल बनाए। उसने सोचा, ‘यदि एसाव आकर एक दल को नष्‍ट करेगा तो दूसरा दल भागकर बच जाएगा।’ याकूब ने परमेश्‍वर से प्रार्थना की, ‘मेरे दादा अब्राहम के परमेश्‍वर, मेरे पिता इसहाक के परमेश्‍वर! हे प्रभु, तूने मुझसे कहा था, “अपने देश, अपने जन्‍म-स्‍थान को लौट जा। मैं तेरे साथ भलाई करूंगा।” जो करुणा और सच्‍चाई तूने अपने सेवक पर की है, उसके लिए मैं सर्वथा अयोग्‍य हूं। जब मैंने यह यर्दन नदी पार की थी तब सम्‍पत्ति के नाम पर मेरे पास मात्र एक लाठी थी; किन्‍तु अब मैं इतना समृद्ध हूँ कि मैं दो दलों में विभक्‍त हो लौट रहा हूँ। कृपया मुझे मेरे भाई एसाव के हाथ से मुक्‍त कर। मैं उससे डरता हूँ। ऐसा न हो कि वह आकर हम सब को, बच्‍चों समेत माताओं को मार डाले। तूने कहा था, “मैं तेरे साथ भलाई करूँगा, और तेरे वंश को समुद्र के रेतकणों के सदृश असंख्‍य बनाऊंगा, जिनका अधिकता के कारण गिनना असम्‍भव होता है।” ’ याकूब ने वह रात वहीं व्‍यतीत की। उसने अपने भाई एसाव को भेंट में देने के लिए अपनी समस्‍त सम्‍पत्ति में से ये पशु चुने: दो सौ बकरियाँ, बीस बकरे, दो सौ भेड़ें, बीस मेढ़े, अपने-अपने बच्‍चों समेत तीस दुधारू ऊंटनियां, चालीस गायें, दस बैल, बीस गदहियां और दस गधे। याकूब ने इनके अलग-अलग झुण्‍ड बनाकर उनको अपने सेवकों के हाथ में सौंप दिया और उनसे कहा, ‘तुम लोग मुझसे पहले प्रस्‍थान करो। झुण्‍डों के बीच में पर्याप्‍त दूरी रखना।’ तत्‍पश्‍चात् उसने आगे वाले झुण्‍ड के रखवाले को आदेश दिया, ‘जब तुम्हें मेरे भाई एसाव मिलें और वह तुमसे पूछें, “तुम किसके सेवक हो? तुम कहां जा रहे हो? यह तुम्‍हारे सामने किसके पशु हैं?” तब तुम कहना, “यह आपके सेवक याकूब के पशु हैं। उन्‍होंने अपने स्‍वामी एसाव को भेंट के रूप में इनको भेजा है। आपके सेवक याकूब भी हमारे पीछे आ रहे हैं।” इसी प्रकार उसने दूसरे, तीसरे तथा उन सब रखवालों को, जो झुण्‍ड के पीछे-पीछे चल रहे थे, आदेश दिया, ‘जब तुम एसाव से मिलो तब ये ही बातें उनसे कहना। यह भी कहना, “आपके सेवक याकूब हमारे पीछे आ रहे हैं।” वह सोचता था, ‘सम्‍भवत: मैं अपने आगे जाने वाली भेंट के माध्‍यम से एसाव का क्रोध शान्‍त कर सकूँ। इसके पश्‍चात् मैं उनका दर्शन करूँगा। कदाचित् वह मुझे स्‍वीकार करें।’ अत: उसने भेंट अपने पहले ही भेज दी और वह स्‍वयं उस रात पड़ाव पर रह गया। याकूब उसी रात उठा। उसने अपनी दोनों पत्‍नियों और दोनों सेविकाओं एवं ग्‍यारह पुत्रों को लेकर यब्‍बोक नदी का घाट पार किया। उसने उन्‍हें नदी के पार भेज दिया। जो कुछ उसके पास था, उसे उसने नदी के पार भेज दिया। याकूब अकेला रह गया। एक मनुष्‍य आया और वह उससे प्रात:काल तक लड़ता रहा। जब उस मनुष्‍य ने देखा कि वह याकूब को पराजित नहीं कर सकता, तब उसने याकूब की जांघ के जोड़ को स्‍पर्श किया। अत: उससे लड़ते-लड़ते याकूब की जांघ का जोड़ उखड़ गया। उस मनुष्‍य ने कहा, ‘मुझे जाने दे। सबेरा हो रहा है।’ याकूब बोला, ‘जब तक तू मुझे आशीर्वाद नहीं देगा, मैं तुझे नहीं जाने दूँगा।’ उसने पूछा, ‘तेरा नाम क्‍या है?’ याकूब ने उत्तर दिया, ‘याकूब।’ तब वह बोला, ‘अब तेरा नाम याकूब न होगा, वरन् “इस्राएल” होगा; क्‍योंकि तूने परमेश्‍वर और मनुष्‍य से लड़कर विजय प्राप्‍त की है।’ याकूब ने पूछा, ‘कृपया, मुझे अपना नाम बता।’ उसने कहा, ‘तूने मेरा नाम क्‍यों पूछा?’ तत्‍पश्‍चात् उसने याकूब को आशीर्वाद दिया। याकूब ने उस स्‍थान का नाम ‘पनीएल’ रखा; क्‍योंकि उसने कहा, ‘मैंने परमेश्‍वर को साक्षात् देखा फिर भी मैं जीवित रहा!’ जब याकूब ने पनीएल से प्रस्‍थान किया तब वह अपनी जांघ के कारण लंगड़ा रहा था और सूर्य उस पर चमकने लगा था। इस्राएली जाति के लोग आज तक पशु के कूल्‍हे की नस को, जो जांघ के जोड़ों पर होती है, नहीं खाते; क्‍योंकि उस मनुष्‍य ने याकूब की जांघ में कूल्‍हे की नस को स्‍पर्श किया था।

उत्‍पत्ति 32:6-32 Hindi Holy Bible (HHBD)

वे दूत याकूब के पास लौट के कहने लगे, हम तेरे भाई ऐसाव के पास गए थे, और वह भी तुझ से भेंट करने को चार सौ पुरूष संग लिये हुए चला आता है। तब याकूब निपट डर गया, और संकट में पड़ा: और यह सोच कर, अपने संग वालों के, और भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों, और ऊंटो के भी अलग अलग दो दल कर लिये, कि यदि ऐसाव आकर पहिले दल को मारने लगे, तो दूसरा दल भाग कर बच जाएगा। फिर याकूब ने कहा, हे यहोवा, हे मेरे दादा इब्राहीम के परमेश्वर, तू ने तो मुझ से कहा, कि अपने देश और जन्म भूमि में लौट जा, और मैं तेरी भलाई करूंगा: तू ने जो जो काम अपनी करूणा और सच्चाई से अपने दास के साथ किए हैं, कि मैं जो अपनी छड़ी ही ले कर इस यरदन नदी के पार उतर आया, सो अब मेरे दो दल हो गए हैं, तेरे ऐसे ऐसे कामों में से मैं एक के भी योग्य तो नहीं हूं। मेरी विनती सुन कर मुझे मेरे भाई ऐसाव के हाथ से बचा: मैं तो उससे डरता हूं, कहीं ऐसा ने हो कि वह आकर मुझे और मां समेत लड़कों को भी मार डाले। तू ने तो कहा है, कि मैं निश्चय तेरी भलाई करूंगा, और तेरे वंश को समुद्र की बालू के किनकों के समान बहुत करूंगा, जो बहुतायत के मारे गिने नहीं जो सकते। और उसने उस दिन की रात वहीं बिताई; और जो कुछ उसके पास था उस में से अपने भाई ऐसाव की भेंट के लिये छांट छांट कर निकाला; अर्थात दो सौ बकरियां, और बीस बकरे, और दो सौ भेड़ें, और बीस मेढ़े, और बच्चों समेत दूध देने वाली तीस ऊंटनियां, और चालीस गायें, और दस बैल, और बीस गदहियां और उनके दस बच्चे। इन को उसने झुण्ड झुण्ड करके, अपने दासों को सौंप कर उन से कहा, मेरे आगे बढ़ जाओ; और झुण्डों के बीच बीच में अन्तर रखो। फिर उसने अगले झुण्ड के रखवाले को यह आज्ञा दी, कि जब मेरा भाई ऐसाव तुझे मिले, और पूछने लगे, कि तू किस का दास है, और कहां जाता है, और ये जो तेरे आगे आगे हैं, सो किस के हैं? तब कहना, कि यह तेरे दास याकूब के हैं। हे मेरे प्रभु ऐसाव, ये भेंट के लिये तेरे पास भेजे गए हैं, और वह आप भी हमारे पीछे पीछे आ रहा है। और उसने दूसरे और तीसरे रखवालों को भी, वरन उस सभों को जो झुण्डों के पीछे पीछे थे ऐसी ही आज्ञा दी, कि जब ऐसाव तुम को मिले तब इसी प्रकार उससे कहना। और यह भी कहना, कि तेरा दास याकूब हमारे पीछे पीछे आ रहा है। क्योंकि उसने यह सोचा, कि यह भेंट जो मेरे आगे आगे जाती है, इसके द्वारा मैं उसके क्रोध को शान्त करके तब उसका दर्शन करूंगा; हो सकता है वह मुझ से प्रसन्न हो जाए। सो वह भेंट याकूब से पहिले पार उतर गई, और वह आप उस रात को छावनी में रहा॥ उसी रात को वह उठा और अपनी दोनों स्त्रियों, और दोनों लौंडियों, और ग्यारहों लड़कों को संग ले कर घाट से यब्बोक नदी के पार उतर गया। और उसने उन्हें उस नदी के पार उतार दिया वरन अपना सब कुछ पार उतार दिया। और याकूब आप अकेला रह गया; तब कोई पुरूष आकर पह फटने तक उससे मल्लयुद्ध करता रहा। जब उसने देखा, कि मैं याकूब पर प्रबल नहीं होता, तब उसकी जांघ की नस को छूआ; सो याकूब की जांघ की नस उससे मल्लयुद्ध करते ही करते चढ़ गई। तब उसने कहा, मुझे जाने दे, क्योंकि भोर हुआ चाहता है; याकूब ने कहा जब तक तू मुझे आशीर्वाद न दे, तब तक मैं तुझे जाने न दूंगा। और उसने याकूब से पूछा, तेरा नाम क्या है? उसने कहा याकूब। उसने कहा तेरा नाम अब याकूब नहीं, परन्तु इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्वर से और मनुष्यों से भी युद्ध कर के प्रबल हुआ है। याकूब ने कहा, मैं बिनती करता हूं, मुझे अपना नाम बता। उसने कहा, तू मेरा नाम क्यों पूछता है? तब उसने उसको वहीं आशीर्वाद दिया। तब याकूब ने यह कह कर उस स्थान का नाम पनीएल रखा: कि परमेश्वर को आम्हने साम्हने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है। पनूएल के पास से चलते चलते सूर्य उदय हो गया, और वह जांघ से लंगड़ाता था। इस्राएली जो पशुओं की जांघ की जोड़ वाले जंघानस को आज के दिन तक नहीं खाते, इसका कारण यही है, कि उस पुरूष ने याकूब की जांघ की जोड़ में जंघानस को छूआ था॥

उत्‍पत्ति 32:6-32 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

वे दूत याक़ूब के पास लौट के कहने लगे, “हम तेरे भाई एसाव के पास गए थे, और वह भी तुझ से भेंट करने को चार सौ पुरुष संग लिये हुए चला आता है।” तब याक़ूब बहुत डर गया, और संकट में पड़ा; और यह सोचकर अपने साथियों के, और भेड़–बकरियों के, और गाय–बैलों, और ऊँटों के भी अलग–अलग दो दल कर लिये, कि यदि एसाव आकर पहले दल को मारने लगे, तो दूसरा दल भागकर बच जाएगा। फिर याक़ूब ने कहा, “हे यहोवा, हे मेरे दादा अब्राहम के परमेश्‍वर, हे मेरे पिता इसहाक के परमेश्‍वर, तू ने तो मुझ से कहा था कि अपने देश और जन्मभूमि में लौट जा, और मैं तेरी भलाई करूँगा : तू ने जो जो काम अपनी करुणा और सच्‍चाई से अपने दास के साथ किए हैं, कि मैं जो अपनी छड़ी ही लेकर इस यरदन नदी के पार उतर आया, और अब मेरे दो दल हो गए हैं; तेरे ऐसे ऐसे कामों में से मैं एक के भी योग्य तो नहीं हूँ। मेरी विनती सुनकर मुझे मेरे भाई एसाव के हाथ से बचा : मैं तो उससे डरता हूँ, कहीं ऐसा न हो कि वह आकर मुझे और माँ समेत लड़कों को भी मार डाले। तू ने तो कहा है कि मैं निश्‍चय तेरी भलाई करूँगा, और तेरे वंश को समुद्र की बालू के किनकों के समान बहुत करूँगा, जो बहुतायत के मारे गिने नहीं जा सकते।” उसने उस दिन रात वहीं बिताई; और जो कुछ उसके पास था उसमें से अपने भाई एसाव की भेंट के लिये छाँट छाँटकर निकाला; अर्थात् दो सौ बकरियाँ, और बीस बकरे, और दो सौ भेड़ें, और बीस मेढ़े, और बच्‍चों समेत दूध देनेवाली तीस ऊँटनियाँ, और चालीस गायें, और दस बैल, और बीस गदहियाँ और उनके दस बच्‍चे। इनको उसने झुण्ड–झुण्ड करके, अपने दासों को सौंपकर उनसे कहा, “मेरे आगे बढ़ जाओ; और झुण्डों के बीच बीच में अन्तर रखो।” फिर उसने अगले झुण्ड के रखवाले को यह आज्ञा दी, “जब मेरा भाई एसाव तुझे मिले, और पूछने लगे, ‘तू किसका दास है, और कहाँ जाता है, और ये जो तेरे आगे आगे हैं, वे किसके हैं?’ तब कहना, ‘यह तेरे दास याक़ूब के हैं। हे मेरे प्रभु एसाव, ये भेंट के लिये तेरे पास भेजे गए हैं, और वह आप भी हमारे पीछे–पीछे आ रहा है’।” और उसने दूसरे और तीसरे रखवालों को भी, वरन् उन सभों को जो झुण्डों के पीछे–पीछे थे ऐसी ही आज्ञा दी कि जब एसाव तुम को मिले तब इसी प्रकार उससे कहना। और यह भी कहना, “तेरा दास याक़ूब हमारे पीछे–पीछे आ रहा है।” क्योंकि उसने यह सोचा कि यह भेंट जो मेरे आगे आगे जाती है, इसके द्वारा मैं उसके क्रोध को शान्त करके तब उसका दर्शन करूँगा; हो सकता है वह मुझ से प्रसन्न हो जाए। इसलिये वह भेंट याक़ूब से पहले पार उतर गई, और वह आप उस रात को छावनी में रहा। उसी रात वह उठा और अपनी दोनों स्त्रियों, और दोनों दासियों और ग्यारहों लड़कों को संग लेकर घाट से यब्बोक नदी के पार उतर गया। उसने उन्हें उस नदी के पार उतार दिया, वरन् अपना सब कुछ पार उतार दिया। और याक़ूब आप अकेला रह गया; तब कोई पुरुष आकर पौ फटने तक उससे मल्‍लयुद्ध करता रहा। जब उसने देखा कि मैं याक़ूब पर प्रबल नहीं होता, तब उसकी जाँघ की नस को छुआ; और याक़ूब की जाँघ की नस उससे मल्‍लयुद्ध करते ही करते चढ़ गई। तब उसने कहा, “मुझे जाने दे, क्योंकि भोर होने वाला है,” याक़ूब ने कहा, “जब तक तू मुझे आशीर्वाद न दे, तब तक मैं तुझे जाने न दूँगा।” और उसने याक़ूब से पूछा, “तेरा नाम क्या है?” उसने कहा, “याक़ूब।” उसने कहा, “तेरा नाम अब याक़ूब नहीं, परन्तु इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्‍वर से और मनुष्यों से भी युद्ध करके प्रबल हुआ है।” याक़ूब ने कहा, “मैं विनती करता हूँ, मुझे अपना नाम बता।” उसने कहा, “तू मेरा नाम क्यों पूछता है?” तब उसने उसको वहीं आशीर्वाद दिया। तब याक़ूब ने यह कहकर उस स्थान का नाम पनीएल रखा; “परमेश्‍वर को आमने–सामने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है।” पनीएल के पास से चलते–चलते सूर्य उदय हो गया, और वह जाँघ से लंगड़ाता था। इस्राएली जो पशुओं की जाँघ को जोड़वाले जंघानस को आज के दिन तक नहीं खाते, इसका कारण यही है कि उस पुरुष ने याक़ूब की जाँघ के जोड़ में जंघानस को छुआ था।

उत्‍पत्ति 32:6-32 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

वे दूत याकूब के पास लौटकर कहने लगे, “हम तेरे भाई एसाव के पास गए थे, और वह भी तुझ से भेंट करने को चार सौ पुरुष संग लिये हुए चला आता है।” तब याकूब बहुत डर गया, और संकट में पड़ा: और यह सोचकर, अपने साथियों के, और भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों, और ऊँटों के भी अलग-अलग दो दल कर लिये, कि यदि एसाव आकर पहले दल को मारने लगे, तो दूसरा दल भागकर बच जाएगा। फिर याकूब ने कहा, “हे यहोवा, हे मेरे दादा अब्राहम के परमेश्वर, हे मेरे पिता इसहाक के परमेश्वर, तूने तो मुझसे कहा था कि अपने देश और जन्म-भूमि में लौट जा, और मैं तेरी भलाई करूँगा: तूने जो-जो काम अपनी करुणा और सच्चाई से अपने दास के साथ किए हैं, कि मैं जो अपनी छड़ी ही लेकर इस यरदन नदी के पार उतर आया, और अब मेरे दो दल हो गए हैं, तेरे ऐसे-ऐसे कामों में से मैं एक के भी योग्य तो नहीं हूँ। मेरी विनती सुनकर मुझे मेरे भाई एसाव के हाथ से बचा मैं तो उससे डरता हूँ, कहीं ऐसा न हो कि वह आकर मुझे और माँ समेत लड़कों को भी मार डाले। तूने तो कहा है, कि मैं निश्चय तेरी भलाई करूँगा, और तेरे वंश को समुद्र के रेतकणों के समान बहुत करूँगा, जो बहुतायत के मारे गिने नहीं जा सकते।” उसने उस दिन की रात वहीं बिताई; और जो कुछ उसके पास था उसमें से अपने भाई एसाव की भेंट के लिये छाँट छाँटकर निकाला; अर्थात् दो सौ बकरियाँ, और बीस बकरे, और दो सौ भेड़ें, और बीस मेढ़े, और बच्चों समेत दूध देनेवाली तीस ऊँटनियाँ, और चालीस गायें, और दस बैल, और बीस गदहियाँ और उनके दस बच्चे। इनको उसने झुण्ड-झुण्ड करके, अपने दासों को सौंपकर उनसे कहा, “मेरे आगे बढ़ जाओ; और झुण्डों के बीच-बीच में अन्तर रखो।” फिर उसने अगले झुण्ड के रखवाले को यह आज्ञा दी, “जब मेरा भाई एसाव तुझे मिले, और पूछने लगे, ‘तू किसका दास है, और कहाँ जाता है, और ये जो तेरे आगे-आगे हैं, वे किसके हैं?’ तब कहना, ‘यह तेरे दास याकूब के हैं। हे मेरे प्रभु एसाव, ये भेंट के लिये तेरे पास भेजे गए हैं, और वह आप भी हमारे पीछे-पीछे आ रहा है।’” और उसने दूसरे और तीसरे रखवालों को भी, वरन् उन सभी को जो झुण्डों के पीछे-पीछे थे ऐसी ही आज्ञा दी कि जब एसाव तुम को मिले तब इसी प्रकार उससे कहना। और यह भी कहना, “तेरा दास याकूब हमारे पीछे-पीछे आ रहा है।” क्योंकि उसने यह सोचा कि यह भेंट जो मेरे आगे-आगे जाती है, इसके द्वारा मैं उसके क्रोध को शान्त करके तब उसका दर्शन करूँगा; हो सकता है वह मुझसे प्रसन्न हो जाए। इसलिए वह भेंट याकूब से पहले पार उतर गई, और वह आप उस रात को छावनी में रहा। उसी रात को वह उठा और अपनी दोनों स्त्रियों, और दोनों दासियों, और ग्यारहों लड़कों को संग लेकर घाट से यब्बोक नदी के पार उतर गया। उसने उन्हें उस नदी के पार उतार दिया, वरन् अपना सब कुछ पार उतार दिया। और याकूब आप अकेला रह गया; तब कोई पुरुष आकर पौ फटने तक उससे मल्लयुद्ध करता रहा। जब उसने देखा कि मैं याकूब पर प्रबल नहीं होता, तब उसकी जाँघ की नस को छुआ; और याकूब की जाँघ की नस उससे मल्लयुद्ध करते ही करते चढ़ गई। तब उसने कहा, “मुझे जाने दे, क्योंकि भोर होनेवाला है।” याकूब ने कहा, “जब तक तू मुझे आशीर्वाद न दे, तब तक मैं तुझे जाने न दूँगा।” और उसने याकूब से पूछा, “तेरा नाम क्या है?” उसने कहा, “याकूब।” उसने कहा, “तेरा नाम अब याकूब नहीं, परन्तु इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्वर से और मनुष्यों से भी युद्ध करके प्रबल हुआ है।” याकूब ने कहा, “मैं विनती करता हूँ, मुझे अपना नाम बता।” उसने कहा, “तू मेरा नाम क्यों पूछता है?” तब उसने उसको वहीं आशीर्वाद दिया। तब याकूब ने यह कहकर उस स्थान का नाम पनीएल रखा; “परमेश्वर को आमने-सामने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है।” पनीएल के पास से चलते-चलते सूर्य उदय हो गया, और वह जाँघ से लँगड़ाता था। इस्राएली जो पशुओं की जाँघ की जोड़वाले जंघानस को आज के दिन तक नहीं खाते, इसका कारण यही है कि उस पुरुष ने याकूब की जाँघ के जोड़ में जंघानस को छुआ था।

उत्‍पत्ति 32:6-32 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

जब वे दूत लौटकर याकोब के पास आए और उन्हें बताया, “हम आपके भाई से मिले. वे आपसे मिलने यहां आ रहे हैं और उनके साथ चार सौ व्यक्तियों का झुंड भी है.” यह सुन याकोब बहुत डर गये एवं व्याकुल हो गए. उन्होंने अपने साथ चल रहे लोगों को दो भागों में बांट दिया तथा भेड़-बकरियों, गाय-बैलों तथा ऊंटों के दो समूह बना दिए. यह सोचकर कि, अगर एसाव आकर एक झुंड पर आक्रमण करेगा, तो दूसरा झुंड बचकर भाग जायेगा. याकोब ने कहा, “हे याहवेह, मेरे पिता अब्राहाम तथा यित्सहाक के परमेश्वर, आपने ही मुझे अपने देश जाने को कहा और कहा कि मैं तुम्हें आशीषित करूंगा. आपने मुझे जितना प्रेम किया, बढ़ाया और आशीषित किया, मैं उसके योग्य नहीं हूं, क्योंकि जाते समय मेरे पास एक छड़ी ही थी जिसको लेकर मैंने यरदन नदी पार की थी और अब मैं इन दो समूहों के साथ लौट रहा हूं. प्रभु, मेरी बिनती है कि आप मुझे मेरे भाई एसाव से बचाएं. मुझे डर है कि वह आकर मुझ पर, व इन माताओं और बालकों पर आक्रमण करेगा. आपने कहा था कि निश्चय मैं तुम्हें बढ़ाऊंगा तथा तुम्हारे वंश की संख्या सागर तट के बालू समान कर दूंगा.” याकोब ने रात वहीं बिताई. और उन्होंने अपनी संपत्ति में से अपने भाई एसाव को उपहार देने के लिए अलग किया: दो सौ बकरियां तथा बीस बकरे, दो सौ भेड़ें तथा बीस मेढ़े, तीस दुधार ऊंटनियां तथा उनके शावक, चालीस गायें तथा दस सांड़, बीस गधियां तथा दस गधे. याकोब ने पशुओं के अलग-अलग झुंड बनाकर अपने सेवकों को सौंप दिए, और उन्होंने अपने सेवकों से कहा, “मेरे आगे-आगे चलते जाओ तथा हर एक झुंड के बीच थोड़ी जगह छोड़ना.” जो सबसे आगे था उनसे कहा: “जब तुम मेरे भाई एसाव से मिलोगे और वह तुमसे पूछेगा, ‘कौन है तुम्हारा स्वामी और कहां जा रहे हो? और ये सब पशु, जो आगे जा रहे हैं, किसके हैं?’ तब तुम उनसे कहना, ‘ये सभी आपके भाई याकोब के हैं, जो उपहार में उनके अधिपति एसाव को दिए जा रहे हैं. और याकोब हमारे पीछे आ रहे हैं.’ ” याकोब ने यही बात दूसरे तथा तीसरे तथा उन सभी को कही, जो उनके पीछे-पीछे आ रहे थे. “तुम यह कहना, ‘आपके सेवक याकोब पीछे आ रहे हैं.’ ” क्योंकि याकोब ने सोचा, “इतने उपहार देकर मैं एसाव को खुश कर दूंगा. इसके बाद मैं उनके साथ जाऊंगा. तब ज़रूर, वह मुझे स्वीकार कर लेंगे.” और इसी तरह सब उपहार आगे बढ़ते गये, और याकोब तंबू में रहे. उस रात याकोब उठे और अपनी दोनों पत्नियों, दोनों दासियों एवं बालकों को लेकर यब्बोक के घाट के पार चले गए. याकोब ने सबको नदी की दूसरी तरफ भेज दिया. और याकोब वहीं रुक गये. एक व्यक्ति वहां आकर सुबह तक उनसे मल्ल-युद्ध करता रहा. जब उस व्यक्ति ने यह देखा कि वह याकोब को हरा नहीं सका तब उसने याकोब की जांघ की नस को छुआ और मल्ल-युद्ध करते-करते ही उनकी नस चढ़ गई. यह होने पर उस व्यक्ति ने याकोब से कहा, “अब मुझे जाने दो.” किंतु याकोब ने उस व्यक्ति से कहा, “नहीं, मैं आपको तब तक जाने न दूंगा, जब तक आप मुझे आशीष न देंगे.” तब उसने याकोब से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” उसने कहा, “याकोब.” तब उस व्यक्ति ने उनसे कहा, “अब से तुम्हारा नाम याकोब नहीं बल्कि इस्राएल होगा, क्योंकि परमेश्वर से तथा मनुष्यों से संघर्ष करते हुए तुम जीत गए हो.” तब याकोब ने उस व्यक्ति से कहा, “कृपया आप मुझे अपना नाम बताइए.” उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “क्या करोगे मेरा नाम जानकर?” और तब उस व्यक्ति ने वहीं याकोब को आशीष दी. जहां यह सब कुछ हुआ याकोब ने उस स्थान का नाम पनीएल रखा, यह कहकर कि “मैंने परमेश्वर को आमने-सामने देखा, फिर भी मेरा जीवन बच गया!” जब याकोब पनीएल से निकले तब सूरज उसके ऊपर उग आया था. वह अपनी जांघ के कारण लंगड़ा रहे थे. इस घटना का स्मरण करते हुए इस्राएल वंश आज तक जांघ की पुट्ठे की मांसपेशी को नहीं खाते क्योंकि उस व्यक्ति ने याकोब के जांघ की इसी मांसपेशी पर छुआ था.