निर्गमन 30:1-9
निर्गमन 30:1-9 पवित्र बाइबल (HERV)
परमेश्वर ने मूसा से कहा, “बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनाओ। तुम इस वेदी का उपयोग धूप जलाने के लिए करोगे। तुम्हें वेदी को वर्गाकार अट्ठारह इंच लम्बी और अट्ठारह इंच चौड़ी बनानी चाहिए। यह छत्तीस इंच ऊँची होनी चाहिए। चारों कोनों पर सींग लगे होने चाहिए। ये सींग वेदी के साथ एक ही इकाई के रूप में वेदी के साथ जड़े जाने चाहिए। वेदी के ऊपरी सिरे तथा उसकी सभी भुजाओं को शुद्ध सोने से मढ़ो। वेदी के चारों ओर सोने की पट्टी लगाओ। इस पट्टी के नीचे सोने के दो छल्ले होने चाहिए। वेदी के दूसरी ओर भी सोने के दो छल्ले होने चाहिए। ये छल्ले वेदी को ले जाने के लिए बल्लियों को फँसाने के लिए होंगे। बल्लियों को भी बबूल की लकड़ी से ही बनाओ। बल्लियों को सोने से मढ़ो। वेदी को विशेष पर्दे के सामने रखो। साक्षीपत्र का सन्दूक उस पर्दे के दूसरी ओर है। उस सन्दूक को ढकने वाले ढक्कन के सामने वेदी रहेगी। यही वह स्थान है जहाँ मैं तुमसे मिलूँगा। “हारून हर प्रातः सुगन्धित धूप वेदी पर जलाएगा। वह यह तब करेगा जब वह दीपकों की देखभाल करने आएगा। उसे शाम को जब वह दीपकों की देखभाल करने आए फिर धूप जलानी चाहिए। जिससे यहोवा के सामने नित्य प्रति सुबह शाम धूप जलती रहे। इस वेदी का उपयोग किसी अन्य प्रकार की धूप या होमबलि के लिए मत करना। इस वेदी का उपयोग अन्नबलि या पेय भेंट के लिए मत करना।
निर्गमन 30:1-9 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
‘धूप जलाने के लिए एक वेदी बनाना। तू उसको बबूल की लकड़ी का बनाना। उसकी लम्बाई पैंतालीस सेंटीमीटर होगी। वह वर्गाकार होगी। उसकी ऊंचाई नब्बे सेंटीमीटर होगी। उसके सींग उसी टुकड़े से बनाए जाएंगे। तू उसके उपरले ढक्कन, उसके चारों ओर के बाजुओं, और उसके सींगों को शुद्ध सोने से मढ़ना। उसके चारों ओर सोने की भित्ति बनाना। उसके लिए सोने के दो कड़े बनाना। उन्हें भित्ति के नीचे दोनों ओर बाजुओं में लगाना। वे डण्डों के जकड़-पट्टे बनेंगे जिससे वेदी उठाई जा सके। तू डण्डों को बबूल की लकड़ी का बनाना, और उन्हें सोने से मढ़ना। वेदी को साक्षी-मंजूषा के सामने लटके हुए अन्त:पट के आगे रखना, अर्थात् साक्षी-मंजूषा पर रखे हुए दया-आसन के आगे, जहाँ मैं तुझ से मिला करूँगा। हारून वेदी पर सुगन्धित धूप जलाएगा। प्रतिदिन सबेरे, जब वह दीपकों को सजाकर रखेगा तब उसको जलाएगा। सन्ध्या समय, जब वह दीपकों को जलाए तब भी धूप जलाएगा। यह धूप पीढ़ी दर पीढ़ी प्रभु के सम्मुख निरन्तर जलाई जाए। तुम उस पर अपवित्र धूप न जलाना, न अग्नि-बलि और न अन्न-बलि चढ़ाना। तुम उस पर पेय-बलि न उण्डेलना।
निर्गमन 30:1-9 Hindi Holy Bible (HHBD)
फिर धूप जलाने के लिये बबूल की लकड़ी की वेदी बनाना। उसकी लम्बाई एक हाथ और चौड़ाई एक हाथ की हो, वह चौकोर हो, और उसकी ऊंचाई दो हाथ की हो, और उसके सींग उसी टुकड़े से बनाए जाएं। और वेदी के ऊपर वाले पल्ले और चारों ओर की अलंगों और सींगों को चोखे सोने से मढ़ना, और इसकी चारों ओर सोने की एक बाड़ बनाना। और इसकी बाड़ के नीचे इसके दानों पल्ले पर सोने के दो दो कड़े बनाकर इसके दोनों ओर लगाना, वे इसके उठाने के डण्डों के खानों का काम देंगे। और डण्डों को बबूल की लकड़ी के बनाकर उन को सोने से मढ़ना। और तू उसको उस पर्दे के आगे रखना जो साक्षीपत्र के सन्दूक के साम्हने है, अर्थात प्रायश्चित्त वाले ढकने के आगे जो साक्षीपत्र के ऊपर है, वहीं मैं तुझ से मिला करूंगा। और उसी वेदी पर हारून सुगन्धित धूप जलाया करे; प्रतिदिन भोर को जब वह दीपक को ठीक करे तब वह धूप को जलाए, तब गोधूलि के समय जब हारून दीपकों को जलाए तब धूप जलाया करे, यह धूप यहोवा के साम्हने तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में नित्य जलाया जाए। और उस वेदी पर तुम और प्रकार का धूप न जलाना, और न उस पर होमबलि और न अन्नबलि चढ़ाना; और न इस पर अर्घ देना।
निर्गमन 30:1-9 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
“फिर धूप जलाने के लिये बबूल की लकड़ी की वेदी बनाना। उसकी लम्बाई एक हाथ और चौड़ाई एक हाथ की हो, वह चौकोर हो, और उसकी ऊँचाई दो हाथ की हो, और उसके सींग उसी टुकड़े से बनाए जाएँ। और वेदी के ऊपरवाले पल्ले और चारों ओर के बाजुओं और सींगों को चोखे सोने से मढ़ना, और इसके चारों ओर सोने की एक बाड़ बनाना। और इसकी बाड़ के नीचे इसके आमने–सामने के दोनों पल्लों पर सोने के दो दो कड़े बनाकर इसके दोनों ओर लगाना, वे इसके उठाने के डण्डों के खानों का काम देंगे। डण्डों को बबूल की लकड़ी के बनाकर उनको सोने से मढ़ना। और तू उसको उस परदे के आगे रखना जो साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने है, अर्थात् प्रायश्चित्त वाले ढकने के आगे जो साक्षीपत्र के ऊपर है, वहीं मैं तुझ से मिला करूँगा। और उसी वेदी पर हारून सुगन्धित धूप जलाया करे; प्रतिदिन भोर को जब वह दीपक को ठीक करे तब वह धूप जलाए, और गोधूलि के समय जब हारून दीपकों को जलाए तब धूप जलाया करे, यह धूप यहोवा के सामने तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में नित्य जलाया जाए। उस वेदी पर तुम किसी अन्य प्रकार का धूप न जलाना, और न उस पर होमबलि और न अन्नबलि चढ़ाना; और न उस पर अर्घ देना।
निर्गमन 30:1-9 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
“फिर धूप जलाने के लिये बबूल की लकड़ी की वेदी बनाना। उसकी लम्बाई एक हाथ और चौड़ाई एक हाथ की हो, वह चौकोर हो, और उसकी ऊँचाई दो हाथ की हो, और उसके सींग उसी टुकड़े से बनाए जाएँ। और वेदी के ऊपरवाले पल्ले और चारों ओर के बाजुओं और सींगों को शुद्ध सोने से मढ़ना, और इसके चारों ओर सोने की एक बाड़ बनाना। और इसकी बाड़ के नीचे इसके आमने-सामने के दोनों पल्लों पर सोने के दो-दो कड़े बनाकर इसके दोनों ओर लगाना, वे इसके उठाने के डंडों के खानों का काम देंगे। डंडों को बबूल की लकड़ी के बनाकर उनको सोने से मढ़ना। और तू उसको उस पर्दे के आगे रखना जो साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने है, अर्थात् प्रायश्चितवाले ढकने के आगे जो साक्षीपत्र के ऊपर है, वहीं मैं तुझ से मिला करूँगा। और उसी वेदी पर हारून सुगन्धित धूप जलाया करे; प्रतिदिन भोर को जब वह दीपक को ठीक करे तब वह धूप को जलाए, तब साँझ के समय जब हारून दीपकों को जलाए तब धूप जलाया करे, यह धूप यहोवा के सामने तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में नित्य जलाया जाए। और उस वेदी पर तुम और प्रकार का धूप न जलाना, और न उस पर होमबलि और न अन्नबलि चढ़ाना; और न इस पर अर्घ देना।
निर्गमन 30:1-9 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
“धूप जलाने के लिए बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनाना. वेदी चौकोर हो, उसकी लंबाई तथा चौड़ाई पैंतालीस-पैंतालीस सेंटीमीटर तथा ऊंचाई नब्बे सेंटीमीटर की हो, उसकी सींग उसी टुकड़े में से बनाए. वेदी के अंदर-बाहर, ऊपर-नीचे, चारों ओर सोना लगवाना—सींग में भी सोना लगवाना. इसके चारों ओर तुम सोने की किनारी लगवाना. इसकी किनारियों के नीचे सोने के दो-दो कड़े लगवाना. और इसको इन डंडे के द्वारा उठाने के लिए ही दोनों तरफ कड़े लगवाना जो आमने-सामने हो. डंडे बबूल की लकड़ी से बनाकर उसमें सोना लगाना. वेदी को उस पर्दे के सामने रखना, जो साक्षी पट्टिया के संदूक के पास है, अर्थात् करुणासन के आगे जो साक्षी पत्र के ऊपर है, वहीं मैं तुमसे मिला करूंगा. “अहरोन इसी वेदी पर सुगंधधूप जलाया करे, वह हर रोज सुबह दीये को ठीक करके फिर दिया जलाए. अहरोन शाम के समय जब दीयों को जलाए तब धूप भी जलाए; यह धूप याहवेह के सामने पीढ़ी से पीढ़ी तक लगातार जलाया जाए. तुम उस वेदी पर और किसी प्रकार की धूप न जलाना और न उस पर होमबलि अथवा अन्नबलि चढ़ाना तथा न तुम इस वेदी पर कोई पेय बलि उण्डेलना.