निर्गमन 30
30
धूप–वेदी
(निर्ग 37:25–28)
1“फिर धूप जलाने के लिये बबूल की लकड़ी की वेदी बनाना। 2उसकी लम्बाई एक हाथ और चौड़ाई एक हाथ की हो, वह चौकोर हो, और उसकी ऊँचाई दो हाथ की हो, और उसके सींग उसी टुकड़े से बनाए जाएँ। 3और वेदी के ऊपरवाले पल्ले और चारों ओर के बाजुओं और सींगों को चोखे सोने से मढ़ना, और इसके चारों ओर सोने की एक बाड़ बनाना। 4और इसकी बाड़ के नीचे इसके आमने–सामने के दोनों पल्लों पर सोने के दो दो कड़े बनाकर इसके दोनों ओर लगाना, वे इसके उठाने के डण्डों के खानों का काम देंगे। 5डण्डों को बबूल की लकड़ी के बनाकर उनको सोने से मढ़ना। 6और तू उसको उस परदे के आगे रखना जो साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने है, अर्थात् प्रायश्चित्त वाले ढकने के आगे जो साक्षीपत्र के ऊपर है, वहीं मैं तुझ से मिला करूँगा। 7और उसी वेदी पर हारून सुगन्धित धूप जलाया करे; प्रतिदिन भोर को जब वह दीपक को ठीक करे तब वह धूप जलाए, 8और गोधूलि के समय जब हारून दीपकों को जलाए#30:8 मूल में, चढ़ाएगा तब धूप जलाया करे, यह धूप यहोवा के सामने तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में नित्य जलाया जाए। 9उस वेदी पर तुम किसी अन्य प्रकार का धूप न जलाना, और न उस पर होमबलि और न अन्नबलि चढ़ाना; और न उस पर अर्घ देना। 10हारून वर्ष में एक बार इसके सींगों पर प्रायश्चित्त करे; और तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में वर्ष में एक बार प्रायश्चित्त के पापबलि के लहू से इस पर प्रायश्चित्त किया जाए; यह यहोवा के लिये परमपवित्र है।”
प्राणों के प्रायश्चित्त का रुपया
11तब यहोवा ने मूसा से कहा, 12“जब तू इस्राएलियों की गिनती लेने लगे, तब गिनने के समय जिनकी गिनती हुई हो वे अपने अपने प्राणों के लिये यहोवा को प्रायश्चित्त दें, जिससे जब तू उनकी गिनती कर रहा हो उस समय कोई विपत्ति उन पर न आ पड़े। 13जितने लोग गिने जाएँ वे पवित्रस्थान के शेकेल के अनुसार आधा शेकेल#30:13 ‘आधा शेकेल’ बराबर लगभग 6 ग्राम दें (यह शेकेल बीस गेरा#30:13 ‘बीस गेरा’ बराबर लगभग 12 ग्राम का होता है), यहोवा की भेंट आधा शेकेल हो।#निर्ग 38:25,26; मत्ती 17:24 14बीस वर्ष के या उससे अधिक अवस्था के जितने गिने जाएँ उनमें से एक एक जन यहोवा को भेंट दे। 15जब तुम्हारे प्राणों के प्रायश्चित्त के निमित्त यहोवा की भेंट अर्पित की जाए, तब न तो धनी लोग आधे शेकेल से अधिक दें; और न दरिद्र लोग उससे कम दें। 16और तू इस्राएलियों से प्रायश्चित्त का रुपया लेकर मिलापवाले तम्बू के काम में लगाना; जिससे वह यहोवा के सम्मुख इस्राएलियों के स्मरणार्थ चिह्न ठहरे, और उनके प्राणों का प्रायश्चित्त भी हो।”
पीतल की हौदी
17यहोवा ने मूसा से कहा, 18“धोने के लिये पीतल की एक हौदी, और उसका पाया भी पीतल का बनाना। उसे मिलापवाले तम्बू और वेदी के बीच में रखकर उसमें जल भर देना;#निर्ग 38:8 19और उसमें हारून और उसके पुत्र अपने अपने हाथ पाँव धोया करें। 20जब जब वे मिलापवाले तम्बू में प्रवेश करें तब तब वे हाथ पाँव जल से धोएँ, नहीं तो मर जाएँगे; और जब जब वे वेदी के पास सेवा टहल करने, अर्थात् यहोवा के लिये हव्य जलाने को आएँ तब तब वे हाथ पाँव धोएँ, न हो कि मर जाएँ। 21यह हारून और उसके पीढ़ी पीढ़ी के वंश के लिये सदा की विधि ठहरे।”
अभिषेक का तेल
22फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 23“तू उत्तम से उत्तम सुगन्ध द्रव्य ले, अर्थात् पवित्रस्थान के शेकेल के अनुसार पाँच सौ शेकेल#30:23 ‘पाँच सौ शेकेल’ बराबर लगभग 6 किलोग्राम अपने आप निकला हुआ गन्धरस, और उसका आधा, अर्थात् ढाई सौ शेकेल#30:23 ‘ढाई सौ शेकेल’ बराबर लगभग तीन किलोग्राम सुगन्धित दालचीनी, और ढाई सौ शेकेल#30:23 ‘ढाई सौ शेकेल’ बराबर लगभग तीन किलोग्राम सुगन्धित अगर, 24और पाँच सौ शेकेल तज, और एक हीन#30:24 ‘एक हीन’ बराबर लगभग चार लिटर जैतून का तेल लेकर 25उनसे अभिषेक का पवित्र तेल, अर्थात् गन्धी की रीति से तैयार किया हुआ सुगन्धित तेल बनवाना; यह अभिषेक का पवित्र तेल ठहरे। 26और उससे मिलापवाले तम्बू का, और साक्षीपत्र के सन्दूक का, 27और सारे सामान समेत मेज का, और सामान समेत दीवट का, और धूपवेदी का, 28और सारे सामान समेत होमवेदी का, और पाए समेत हौदी का अभिषेक करना, 29और उनको पवित्र करना, जिससे वे परमपवित्र ठहरें; और जो कुछ उनसे छू जाएगा वह पवित्र हो जाएगा। 30फिर हारून का उसके पुत्रों के साथ अभिषेक करना, और इस प्रकार उन्हें मेरे लिये याजक का काम करने के लिये पवित्र करना। 31और इस्राएलियों को मेरी यह आज्ञा सुनाना, ‘यह तेल तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में मेरे लिये पवित्र अभिषेक का तेल होगा। 32यह किसी मनुष्य की देह पर न डाला जाए, और मिलावट में उसके समान और कुछ न बनाना; यह पवित्र है, यह तुम्हारे लिये भी पवित्र होगा। 33जो कोई इसके समान कुछ बनाए, या जो कोई इसमें से कुछ पराए कुलवाले पर लगाए, वह अपने लोगों में से नष्ट किया जाए’।”
पवित्र सुगन्ध द्रव्य
34फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “बोल, नखी और कुन्दरू, ये सुगन्ध द्रव्य शुद्ध लोबान समेत ले लेना, ये सब एक तौल के हों, 35और इनका धूप अर्थात् नमक मिलाकर गन्धी की रीति के अनुसार चोखा और पवित्र सुगन्ध द्रव्य बनवाना। 36फिर उसमें से कुछ पीसकर बारीक कर डालना, तब उसमें से कुछ मिलापवाले तम्बू में साक्षीपत्र के आगे, जहाँ पर मैं तुझ से मिला करूँगा, रखना; वह तुम्हारे लिये परमपवित्र होगा। 37जो धूप तू बनवाएगा, मिलावट में उसके समान तुम लोग अपने लिये और कुछ न बनवाना; वह तुम्हारे आगे यहोवा के लिये पवित्र होगा। 38जो कोई सूँघने के लिये उसके समान कुछ बनाए वह अपने लोगों में से नष्ट किया जाए।”#निर्ग 37:29
वर्तमान में चयनित:
निर्गमन 30: HINOVBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
Copyright © 2012 by The Bible Society of India
Used by permission. All rights reserved worldwide.