दानिएल 11:1-20

दानिएल 11:1-20 पवित्र बाइबल (HERV)

“मादी राजा दारा के शासन काल के पहले वर्ष मीकाएल को फारस के युवराज (स्वर्गदूत) के विरूद्ध युद्ध में सहारा देने और उसे सशक्त बनाने को मैं उठ खड़ा हुआ। “अब देख, दानिय्येल मैं, तुझे सच्ची बात बताता हूँ। फारस में तीन राजाओं का शासन और होगा। यह इसके बाद एक चौथा राजा आयेगा। यह चौथा राजा अपने पहले के फारस के अन्य राजाओं से कहीं अधिक धनवान होगा। वह चौथा राजा शक्ति पाने के लिये अपने धन का प्रयोग करेगा। वह हर किसी को यूनान के विरोध में कर देगा। इसके बाद एक बहुत अधिक शक्तिशाली राजा आयेगा, वह बड़ी शक्ति के साथ शासन करेगा। वह जो चाहेगा वही करेगा। राजा के आने के बाद उसके राज्य के टुकड़े हो जायेंगे। उसका राज्य संसार में चार भागों में बंट जायेगा। उसका राज्य उसके पुत्र—पोतों के बीच नहीं बटेगा। जो शक्ति उसमें थी, वह उसके राज्य में नहीं रहेगी। ऐसा क्यों होगा ऐसा इसलिये होगा कि उसका राज्य उखाड़ दिया जायेगा और उसे अन्य लोगों को दे दिया जायेगा। “दक्षिण का राजा शक्तिशाली हो जायेगा। किन्तु इसके बाद उसका एक सेनापति उससे भी अधिक शक्तिशाली हो जाएगा। वह सेना नायक शासन करने लगेगा और बहुत बलशाली हो जायेगा। “फिर कुछ वर्षों बाद एक समझौता होगा और दक्षिणी राजा की पुत्री उत्तरी राजा से ब्याही जायेगी। वह शांति स्थापना के लिये ऐसा करागी। किन्तु वह और दक्षिणी राजा पर्याप्त शक्तिशाली नही होंगे। फिर लोग उसके और उस व्यक्ति के जो उसे उस देश में लाया था, विरूद्ध हो जायेंगे और वे लोग उसके बच्चे के और उस स्त्री के हिमायती व्यक्ति के भी विरूद्ध हो जायेंगे। “किन्तु उस स्त्री के परिवार का एक व्यक्ति दक्षिणी राजा के स्थान को ले लेने के लिये आयेगा। वह उत्तर के राजा की सेनाओं पर आक्रमण करेगा। वह राजा के सुदृढ़ किले में प्रवेश करेगा। वह युद्ध करेगा और विजयी होगा। वह उनके देवताओं की मूर्तियों को ले लेगा। वह उनके धातु के बने मूर्तियों तथा उनकी चाँदी—सोने की बहुमूल्य वस्तुओं पर कब्जा कर लेगा। वह उन वस्तुओं को वहाँ से मिस्र ले जायेगा। फिर कुछ वर्षों तक वह उत्तर के राजा को तंग नहीं करेगा। उत्तर का राजा दक्षिण के राज्य पर हमला करेगा। किन्तु पराजित होगा और फिर अपने देश को लौट जायेगा। “उत्तर के राजा के पुत्रों ने युद्ध की तैयारियाँ करेंगे। वे एक विशाल सेना जुटायेंगे। वह सेना एक शक्तिशाली बाढ़ की तरह बड़ी तेज़ी से धरती पर आगे बढ़ती चली जायेगी। वह सेना दक्षिण के राजा के सुदृढ़ दुर्ग तक सारे रास्ते युद्ध करती जायेगी। फिर दक्षिण का राजा क्रोध से तिलमिला उठेगा। उत्तर के राजा से युद्ध करने के लिये वह बाहर निकल आयेगा। उत्तर का राजा यद्यपि एक बहुत बड़ी सेना जुटायेगा किन्तु युद्ध में हार जायेगा। उत्तर की सेना पराजित हो जायेगी, और उन सैनिकों को कहीं ले जाया जायेगा। दक्षिणी राजा को बहुत अभिमान हो जायेगा और वह उत्तरी सेना के हजारों सैनिकों को मौत के घाट उतार देगा। किन्तु वह इसी प्रकार से सफलता नहीं प्राप्त करता रहेगा। उत्तर का राजा एक और सेना जुटायेगा। यह सेना पहली सेना से अधिक बड़ी होगी। कई वर्षो बाद वह आक्रमण करेगा। वह सेना बुहत विशाल होगी और उसके पास बहुत से हथियार होंगे। वह सेना युद्ध को तैयार होगी। “उन दिनों बहुत से लोग दक्षिण के राजा के विरोध में हो जायेंगे। कुछ तुम्हारे अपने ही ऐसे लोग, जिन्हें युद्ध प्रिय है, दक्षिण के राजा के विरूद्ध बगावत करेंगे। वे जीतेंगे तो नहीं किन्तु ऐसा करते हुए वे उस दर्शन को सत्य सिद्ध करेगे। फिर इसके बाद उत्तर का राजा आयेगा और वह नगर परकोटे पर ढ़लवाँ चबूतरे बना कर उस सुदृढ़ नगर पर कब्जा कर लेगा। दक्षिण के राजा की सेना युद्ध का उत्तर नही दे पायेगी। यहाँ तक कि दक्षिणी सेना के सर्वात्तम सैनिक भी इतने शक्तिशाली नही होंगे कि वे उत्तर की सेना को रोक पायें। “उत्तर का राजा जैसा चाहेगा, वैसा करेगा। उसे कोई भी रोक नहीं पायेगा। इस सुन्दर धरती पर वह नियन्त्रण करके शक्ति पालेगा। उसे इस प्रदेश को नष्ट करने की शक्ति प्राप्त हो जायेगी। फिर उत्तर का राजा दक्षिण के राजा से युद्ध करने के लिये अपनी सारी शक्ति का उपयोग करने का निश्चय करेगा। वह दक्षिण के राजा के साथ एक सन्धि करेगा। उत्तर का राजा दक्षिण के राजा से अपनी एक पुत्री का विवाह कर देगा। उत्तर का राजा ऐसा इसलिये करेगा कि वह दक्षिण के राजा को हरा सके। किन्तु उसकी वे योजनाएँ फलीभूत नहीं होंगी। इन योजनाओं से उसे कोई सहायता नहीं मिलेगी। “इसके बाद उत्तर का राजा भूमध्य—सागर के तट से लगते हुए देशों पर अपना ध्यान लगायेगा। वह उन देशों में से बहुत से देशों को जीत लेगा। किन्तु फिर एक सेनापति उत्तर के राजा के उस अहंकार और उस बगावत का अंत कर देगा। वह सेनापति उस उत्तर के राजा को लज्जित करेगा। “ऐसा घटने के बाद उत्तर का वह राजा स्वयं अपने देश के सुदृढ़ किलों की ओर लौट जायेगा। किन्तु वह दुर्बल हो चुका होगा और उसका पतन हो जायेगा। फिर उसका पता भी नहीं चलेगा। “उत्तर के उस राजा के बाद एक नया शासक आयेगा। वह शासका किसी कर वसूलने वाले को भेजेगा। वह शासक ऐसा इसलिये करेगा कि वह सम्पन्नता के साथ जीवन बिताने के लिये पर्याप्त धन जुटा सके। किन्तु थोड़े ही वर्षो में उस शासक का अंत हो जायेगा। किन्तु वह युद्ध में नही मारा जायेगा।

दानिएल 11:1-20 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

“मैं मादी कौम के सम्राट दारा के राज्‍यकाल के प्रथम वर्ष से उसकी सहायता करता आ रहा हूं, और मैंने उसको शक्‍ति भी प्रदान की है। “अब मैं तुझे सत्‍य के दर्शन कराऊंगा। देख, फारस साम्राज्‍य में तीन नए सम्राट उदित होंगे, पर एक और सम्राट उदित होगा। यह चौथा सम्राट अन्‍य तीनों सम्राटों से अधिक धनवान होगा। जब वह अपने धन के बल पर शक्‍तिशाली हो जाएगा, तब वह यूनान राज्‍य के विरोध में अन्‍य राज्‍यों को भड़काएगा। तब एक नया राजा उत्‍पन्न होगा जो महायोद्धा होगा। वह एक विशाल साम्राज्‍य की स्‍थापना करेगा और अपनी इच्‍छा के अनुसार उस पर शासन करेगा। पर साम्राज्‍य में उसके पैर जम ही नहीं पाएंगे कि उसका साम्राज्‍य बिखर जाएगा, और चारों दिशाओं में बंट जाएगा। यह साम्राज्‍य उसके वंशजों को नहीं मिलेगा और न ही वे इतने शक्‍तिशाली होंगे जितना वह था। उसका राज्‍य उखड़ जाएगा और उसके वंशजों को नहीं बल्‍कि दूसरों को प्राप्‍त होगा। “तब दक्षिण देश का राजा शक्‍तिशाली बनेगा। किन्‍तु उसके सामन्‍तों में से एक सामन्‍त उससे भी अधिक शक्‍तिशाली हो जाएगा, और वह एक नया राज्‍य स्‍थापित करेगा, और उसका राज्‍य विशाल साम्राज्‍य बन जाएगा। कुछ वर्ष के पश्‍चात् वे परस्‍पर सन्‍धि करेंगे। उनमें रोटी-बेटी का सम्‍बन्‍ध स्‍थापित होगा। सम्‍बन्‍ध स्‍थापित करने के लिए दक्षिण देश का राजा अपनी कन्‍या का विवाह उत्तर देश के राजा से करेगा। किन्‍तु वहां उसकी पुत्री की शक्‍ति सदा बनी नहीं रहेगी और उसके वंशज टिक नहीं पाएंगे। उसकी पुत्री, पुत्री की सेविकाएँ, उसका नाती और उसकी पुत्री को संकट-काल में शक्‍ति देनेवाला, ये सब मौत के घाट उतार दिए जाएंगे। “तब उसकी पुत्री के वंश-वृक्ष में एक टहनी निकलेगी। यह वंशज उसके स्‍थान पर बढ़ेगा। वह उत्तर देश की सेना पर आक्रमण करेगा, और राजा के गढ़ पर कब्‍जा कर लेगा। वह उनसे अपनी इच्‍छा के अनुसार व्‍यवहार करेगा और उन पर प्रबल होगा। वह उनके देवताओं की मूर्तियाँ, ढाली गई प्रतिमाएँ, मन्‍दिरों के सोना-चांदी के बहुमूल्‍य पात्र मिस्र देश को ले जाएगा। तब वह कुछ वर्ष तक उत्तर देश के राजा पर आक्रमण नहीं करेगा। परन्‍तु उत्तर देश का राजा उस पर आक्रमण करेगा, पर उसको पराजय का मुंह देखना पड़ेगा और वह स्‍वदेश को लौट जाएगा। “फिर उत्तर देश के राजा के पुत्र युद्ध छेड़ देंगे। वे विशाल सेनाओं का समूह एकत्र करेंगे, जो बाढ़ की तरह दक्षिण देश को ढक लेंगी। वे उसमें से गुजरती हुई उसके गढ़ तक पहुंच जाएंगी। तब दक्षिण देश का राजा क्रोध में भर कर उठेगा। वह गढ़ के बाहर निकलेगा, और उत्तर देश के राजा से युद्ध करेगा। उत्तर देश का राजा विशाल सेना खड़ी करेगा। पर उसकी सेना दक्षिण देश के राजा के हाथ में सौंप दी जाएगी। “जब दक्षिण देश का राजा उसकी सेना को पराजित कर देगा, तब उसका हृदय घमण्‍ड से फूल उठेगा। वह लाखों सैनिकों का वध करेगा, परन्‍तु वह उस पर प्रबल न होगा; क्‍योंकि उत्तर देश का राजा पुन: विशाल सेना एकत्र करेगा; और यह सेना प्रथम विशाल सेना से अधिक विशाल होगी। उत्तर देश का राजा कई वर्षों बाद अपनी इस महाविशाल सेना के साथ और अपार रसद-सामग्री लेकर दक्षिण देश के राजा पर आक्रमण करेगा। “उन दिनों में दक्षिण देश के राजा के विरुद्ध अनेक सामन्‍त विद्रोह करेंगे। स्‍वयं तेरी कौम के कुछ लोग जो हिंसक होंगे, किसी दिव्‍य दर्शन को पूर्ण करने की आशा से, विद्रोह करेंगे। पर तेरी कौम के ये हिंसक व्यक्‍ति अपने लक्ष्य में सफल न होंगे। “तब उत्तर देश का राजा चढ़ाई करेगा, और मोर्चाबन्‍दी कर एक सुदृढ़ नगर पर कब्‍जा कर लेगा। दक्षिण देश की सेनाएँ उसके सामने टिक न पाएंगी, और न उसके चुने हुए योद्धाओं के दलों में इतनी शक्‍ति होगी कि वे उसका सामना कर सकें। इसलिए उत्तर देश का आक्रमणकारी राजा अपनी इच्‍छा के अनुसार सब राज्‍यों के साथ व्‍यवहार करेगा; उसका सामना करनेवाला कोई न होगा। वह हमारे “वैभव-सम्‍पन्न देश’ में पैर जमा लेगा, और समस्‍त देश पर उसका अधिकार हो जाएगा। इसके बाद वह अपने राज्‍य की सम्‍पूर्ण शक्‍ति को संचित करेगा और दक्षिण देश के साम्राज्‍य को अपने अधिकार में करने के लिए इच्‍छुक होगा। पहले वह राजा के साथ सन्‍धि करेगा और फिर उसको नष्‍ट करने के उद्देश्‍य से उसके साथ अपनी सुकुमारी पुत्री का विवाह भी कर देगा। फिर भी उसकी यह कूटनीति सफल न होगी और उसे कुछ लाभ न होगा। “तत्‍पश्‍चात् वह समुद्रतट के राज्‍यों पर चढ़ाई करेगा। वह वहां के अनेक राज्‍यों पर अधिकार कर लेगा; किन्‍तु एक सेनाध्‍यक्ष उसके अहंकार को खत्‍म कर देगा। वह उसके अहंकार के अनुकूल उसको बदला देगा। उत्तर देश का राजा अपने देश के गढ़ों की ओर लौटने के लिए मुंह मोड़ेगा। पर वह मार्ग में ठोकर खाकर गिरेगा और उसका कहीं पता तक न चलेगा। “तब उसके स्‍थान पर एक ऐसा राजा आएगा जो हमारे ‘महिमामंडित राज्‍य’ में कर एकत्र करनेवाले को भेजेगा। किन्‍तु कुछ दिन बाद ही उसका पतन हो जाएगा। उसका पतन न क्रोध के कारण होगा और न युद्ध में हारने के कारण होगा।

दानिएल 11:1-20 Hindi Holy Bible (HHBD)

और दारा नाम मादी राजा के राज्य के पहिले वर्ष में उसको हियाव दिलाने और बल देने के लिये मैं खड़ा हो गया॥ और अब मैं तुझ को सच्ची बात बताता हूं। देख, फारस के राज्य में अब तीन और राजा उठेंगे; और चौथा राजा उन सभों से अधिक धनी होगा; और जब वह धन के कारण सामर्थी होगा, तब सब लोगों को यूनान के राज्य के विरुद्ध उभारेगा। उसके बाद एक पराक्रमी राजा उठ कर अपना राज्य बहुत बढ़ाएगा, और अपनी इच्छा के अनुसार ही काम किया करेगा। और जब वह बड़ा होगा, तब उसका राज्य टूटेगा और चारों दिशाओं में बंटकर अलग अलग हो जाएगा; और न तो उसके राज्य की शक्ति ज्यों की त्यों रहेगी और न उसके वंश को कुछ मिलेगा; क्योंकि उसका राज्य उखड़ कर, उनकी अपेक्षा और लोगों को प्राप्त होगा॥ तब दक्खिन देश का राजा बल पकड़ेगा; परन्तु उसका एक हाकिम उस से अधिक बल पकड़ कर प्रभुता करेगा; यहां तक कि उसकी प्रभुता बड़ी हो जाएगी। कई वर्षों के बीतने पर, वे दोनों आपस में मिलेंगे, और दक्खिन देश के राजा की बेटी उत्तर देश के राजा के पास शान्ति की वाचा बान्धने को आएगी; परन्तु उसका बाहुबल बना न रहेगा, और न वह राजा और न उसका नाम रहेगा; परन्तु वह स्त्री अपने पहुंचाने वालों और अपने पिता और अपने सम्भालने वालों समेत अलग कर दी जाएगी॥ फिर उसकी जड़ों में से एक डाल उत्पन्न हो कर उसके स्थान में बढ़ेगी; वह सेना समेत उत्तर के राजा के गढ़ में प्रवेश करेगा, और उन से युद्ध कर के प्रबल होगा। तब वह उसके देवताओं की ढली हुई मूरतों, और सोने-चान्दी के मनभाऊ पात्रों को छीनकर मिस्र में ले जाएगा; इसके बाद वह कुछ वर्ष तक उत्तर देश के राजा के विरुद्ध हाथ रोके रहेगा। तब वह राजा दक्खिन देश के राजा के देश में आएगा, परन्तु फिर अपने देश में लौट जाएगा॥ उसके पुत्र झगड़ा मचा कर बहुत से बड़े बड़े दल इकट्टे करेंगे, और उमण्डने वाली नदी की नाईं आकर देश के बीच हो कर जाएंगे, फिर लौटते हुए उसके गढ़ तक झगड़ा मचाते जाऐंगे। तब दक्खिन देश का राजा चिढ़ेगा, और निकल कर उत्तर देश के उस राजा से युद्ध करेगा, और वह राजा लड़ने के लिये बड़ी भीड़ इकट्ठी करेगा, परन्तु वह भीड़ उसके हाथ में कर दी जाएगी। उस भीड़ को जीत कर के उसका मन फूल उठेगा, और वह लाखों लोगों को गिराएगा, परन्तु वह प्रबल न होगा। क्योंकि उत्तर देश का राजा लौट कर पहिली से भी बड़ी भीड़ इकट्ठी करेगा; और कई दिनों वरन वर्षों के बीतने पर वह निश्चय बड़ी सेना और सम्पत्ति लिए हुए आएगा॥ उन दिनों में बहुत से लोग दक्खिन देश के राजा के विरुद्ध उठेंगे; वरन तेरे लोगों में से भी बलात्कारी लोग उठ खड़े होंगे, जिस से इस दर्शन की बात पूरी हो जाएगी; परन्तु वे ठोकर खाकर गिरेंगे। तब उत्तर देश का राजा आकर किला बान्धेगा और दृढ़ नगर ले लेगा। और दक्खिन देश के न तो प्रधान खड़े रहेंगे और न बड़े वीर; क्योंकि किसी के खड़े रहने का बल न रहेगा। तब जो भी उनके विरुद्ध आएगा, वह अपनी इच्छा पूरी करेगा, और वह हाथ में सत्यानाश लिए हुए शिरोमणि देश में भी खड़ा होगा और उसका साम्हना करने वाला कोई न रहेगा। तब वह अपने राज्य के पूर्ण बल समेत, कई सीधे लोगों को संग लिए हुए आने लगेगा, और अपनी इच्छा के अनुसार काम किया करेगा। और वह उसको एक स्त्री इसलिये देगा कि उसका राज्य बिगाडा जाए; परन्तु वह स्थिर न रहेगी, न उस राजा की होगी। तब वह द्वीपों की ओर मुंह कर के बहुतों को ले लेगा; परन्तु एक सेनापति उसके अहंकार को मिटाएगा; वरन उसके अहंकार के अनुकूल उसे बदला देगा। तब वह अपने देश के गढ़ों की ओर मुंह फेरेगा, और वह ठोकर खाकर गिरेगा, और कहीं उसका पता न रहेगा। तब उसके स्थान में कोई ऐसा उठेगा, जो शिरोमणि राज्य में अन्धेर करने वाले को घुमाएगा; परन्तु थोड़े दिन बीतने पर वह क्रोध वा युद्ध किए बिना ही नाश हो जाएगा।

दानिएल 11:1-20 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

“दारा नामक मादी राजा के राज्य के पहले वर्ष में उसको हियाव दिलाने और बल देने के लिये मैं ही खड़ा हो गया। “अब मैं तुझ को सच्‍ची बात बताता हूँ। देख, फारस के राज्य में अब तीन और राजा उठेंगे; और चौथा राजा उन सभों से अधिक धनी होगा; और जब वह धन के कारण सामर्थी होगा, तब सब लोगों को यूनान के राज्य के विरुद्ध उभारेगा। उसके बाद एक पराक्रमी राजा उठकर अपना राज्य बहुत बढ़ाएगा, और अपनी इच्छा के अनुसार ही काम किया करेगा। जब वह बड़ा होगा, तब उसका राज्य टूटेगा और चारों दिशाओं में बटकर अलग अलग हो जाएगा; और न तो उसके राज्य की शक्‍ति ज्यों की त्यों रहेगी और न उसके वंश को कुछ मिलेगा; क्योंकि उसका राज्य उखड़कर, उनकी अपेक्षा और लोगों को प्राप्‍त होगा। “तब दक्षिण देश का राजा बल पकड़ेगा : परन्तु उसका एक हाकिम उस से अधिक बल पकड़कर प्रभुता करेगा; यहाँ तक कि उसकी प्रभुता बड़ी हो जाएगी। कई वर्षों के बीतने पर, ये दोनों आपस में मिलेंगे, और दक्षिण देश के राजा की बेटी उत्तर देश के राजा के पास शान्ति की वाचा बाँधने को आएगी; परन्तु उसका बाहुबल बना न रहेगा, और न वह राजा और न उसका नाम रहेगा; परन्तु वह स्त्री अपने पहुँचाने वालों और अपने पिता और अपने सम्भालनेवालों समेत अलग कर दी जाएगी। “फिर उसकी जड़ों में से एक डाल उत्पन्न होकर उसके स्थान में बढ़ेगी; वह सेना समेत उत्तर के राजा के गढ़ में प्रवेश करेगा, और उन से युद्ध करके प्रबल होगा। तब वह उनके देवताओं की ढली हुई मूरतों, और सोने–चाँदी के बहुमूल्य पात्रों को छीनकर मिस्र में ले जाएगा; इसके बाद वह कुछ वर्ष तक उत्तर देश के राजा के विरुद्ध हाथ रोके रहेगा। तब वह राजा दक्षिण देश के राजा के देश में आएगा, परन्तु फिर अपने देश में लौट जाएगा। “उसके पुत्र झगड़ा मचाकर बहुत से बड़े बड़े दल इकट्ठे करेंगे, और उमण्डनेवाली नदी के समान आकर देश के बीच होकर जाएँगे, फिर लौटते हुए उसके गढ़ तक झगड़ा मचाते जाएँगे। तब दक्षिण देश का राजा चिढ़ेगा, और निकलकर उत्तर देश के उस राजा से युद्ध करेगा, और वह राजा लड़ने के लिए बड़ी भीड़ इकट्ठी करेगा, परन्तु वह भीड़ उसके हाथ में कर दी जाएगी। उस भीड़ को जीत कर उसका मन फूल उठेगा, और वह लाखों लोगों को गिराएगा, परन्तु वह प्रबल न होगा। क्योंकि उत्तर देश का राजा लौटकर पहली से भी बड़ी भीड़ इकट्ठी करेगा; और कई दिनों वरन् वर्षों के बीतने पर वह निश्‍चय बड़ी सेना और सम्पत्ति लिए हुए आएगा। “उन दिनों में बहुत से लोग दक्षिण देश के राजा के विरुद्ध उठेंगे; वरन् तेरे लोगों में से भी उपद्रवी लोग उठ खड़े होंगे, जिस से इस दर्शन की बात पूरी हो जाएगी; परन्तु वे ठोकर खाकर गिरेंगे। तब उत्तर देश का राजा आकर घेराबन्दी करेगा और दृढ़ नगर ले लेगा; और दक्षिण देश के न तो प्रधान खड़े रहेंगे और न बड़े वीर, क्योंकि किसी में खड़े रहने का बल न रहेगा। तब जो भी उनके विरुद्ध आएगा, वह अपनी इच्छा पूरी करेगा, और वह हाथ में सत्यानाश लिए हुए शिरोमणि देश में भी खड़ा होगा और उसका सामना करनेवाला कोई न रहेगा। तब वह अपने राज्य के पूर्ण बल समेत, कई सीधे लोगों को संग लिए हुए आने लगेगा, और अपनी इच्छा के अनुसार काम किया करेगा। वह उसको एक स्त्री इसलिये देगा कि उसका राज्य बिगाड़ा जाए; परन्तु वह स्थिर न रहेगी, न उस राजा की होगी। तब वह द्वीपों की ओर मुँह करके बहुतों को ले लेगा; परन्तु एक सेनापति उसके अहंकार को मिटाएगा; वरन् उसके अहंकार के अनुकूल उसे बदला देगा। तब वह अपने देश के गढ़ों की ओर मुँह फेरेगा, और वह ठोकर खाकर गिरेगा, और कहीं उसका पता न रहेगा। “तब उसके स्थान में कोई ऐसा उठेगा, जो शिरोमणि राज्य में अन्धेर करनेवाले को घुमाएगा; परन्तु थोड़े दिन बीतने पर वह क्रोध या युद्ध किए बिना ही नष्‍ट हो जाएगा।

दानिएल 11:1-20 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

“दारा नामक मादी राजा के राज्य के पहले वर्ष में उसको हियाव दिलाने और बल देने के लिये मैं खड़ा हो गया। “और अब मैं तुझको सच्ची बात बताता हूँ। देख, फारस के राज्य में अब तीन और राजा उठेंगे; और चौथा राजा उन सभी से अधिक धनी होगा; और जब वह धन के कारण सामर्थी होगा, तब सब लोगों को यूनान के राज्य के विरुद्ध उभारेगा। उसके बाद एक पराक्रमी राजा उठकर अपना राज्य बहुत बढ़ाएगा, और अपनी इच्छा के अनुसार ही काम किया करेगा। और जब वह बड़ा होगा, तब उसका राज्य टूटेगा और चारों दिशाओं में बटकर अलग-अलग हो जाएगा; और न तो उसके राज्य की शक्ति ज्यों की त्यों रहेगी और न उसके वंश को कुछ मिलेगा; क्योंकि उसका राज्य उखड़कर, उनकी अपेक्षा और लोगों को प्राप्त होगा। “तब दक्षिण देश का राजा बल पकड़ेगा; परन्तु उसका एक हाकिम उससे अधिक बल पकड़कर प्रभुता करेगा; यहाँ तक कि उसकी प्रभुता बड़ी हो जाएगी। कई वर्षों के बीतने पर, वे दोनों आपस में मिलेंगे, और दक्षिण देश के राजा की बेटी उत्तर देश के राजा के पास शान्ति की वाचा बाँधने को आएगी; परन्तु उसका बाहुबल बना न रहेगा, और न वह राजा और न उसका नाम रहेगा; परन्तु वह स्त्री अपने पहुँचानेवालों और अपने पिता और अपने सम्भालनेवालों समेत अलग कर दी जाएगी। “फिर उसकी जड़ों में से एक डाल उत्पन्न होकर उसके स्थान में बढ़ेगी; वह सेना समेत उत्तर के राजा के गढ़ में प्रवेश करेगा, और उनसे युद्ध करके प्रबल होगा। तब वह उसके देवताओं की ढली हुई मूरतों, और सोने-चाँदी के बहुमूल्य पात्रों को छीनकर मिस्र में ले जाएगा; इसके बाद वह कुछ वर्ष तक उत्तर देश के राजा के विरुद्ध हाथ रोके रहेगा। तब वह राजा दक्षिण देश के राजा के देश में आएगा, परन्तु फिर अपने देश में लौट जाएगा। “उसके पुत्र झगड़ा मचाकर बहुत से बड़े-बड़े दल इकट्ठे करेंगे, और उमड़नेवाली नदी के समान आकर देश के बीच होकर जाएँगे, फिर लौटते हुए उसके गढ़ तक झगड़ा मचाते जाएँगे। तब दक्षिण देश का राजा चिढ़ेगा, और निकलकर उत्तर देश के उस राजा से युद्ध करेगा, और वह राजा लड़ने के लिए बड़ी भीड़ इकट्ठी करेगा, परन्तु वह भीड़ उसके हाथ में कर दी जाएगी। उस भीड़ को जीतकर उसका मन फूल उठेगा, और वह लाखों लोगों को गिराएगा, परन्तु वह प्रबल न होगा। क्योंकि उत्तर देश का राजा लौटकर पहली से भी बड़ी भीड़ इकट्ठी करेगा; और कई दिनों वरन् वर्षों के बीतने पर वह निश्चय बड़ी सेना और सम्पत्ति लिए हुए आएगा। “उन दिनों में बहुत से लोग दक्षिण देश के राजा के विरुद्ध उठेंगे; वरन् तेरे लोगों में से भी उपद्रवी लोग उठ खड़े होंगे, जिससे इस दर्शन की बात पूरी हो जाएगी; परन्तु वे ठोकर खाकर गिरेंगे। तब उत्तर देश का राजा आकर किला बाँधेगा और दृढ़ नगर ले लेगा। और दक्षिण देश के न तो प्रधान खड़े रहेंगे और न बड़े वीर; क्योंकि किसी के खड़े रहने का बल न रहेगा। तब जो भी उनके विरुद्ध आएगा, वह अपनी इच्छा पूरी करेगा, और वह हाथ में सत्यानाश लिए हुए शिरोमणि देश में भी खड़ा होगा और उसका सामना करनेवाला कोई न रहेगा। तब उत्तर देश का राजा अपने राज्य के पूर्ण बल समेत, कई सीधे लोगों को संग लिए हुए आने लगेगा, और अपनी इच्छा के अनुसार काम किया करेगा। और वह दक्षिण देश के राजा को एक स्त्री इसलिए देगा कि उसका राज्य बिगाड़ा जाए; परन्तु वह स्थिर न रहेगी, न उस राजा की होगी। तब वह द्वीपों की ओर मुँह करके बहुतों को ले लेगा; परन्तु एक सेनापति उसके अहंकार को मिटाएगा; वरन् उसके अहंकार के अनुकूल उसे बदला देगा। तब वह अपने देश के गढ़ों की ओर मुँह फेरेगा, और वह ठोकर खाकर गिरेगा, और कहीं उसका पता न रहेगा। “तब उसके स्थान में कोई ऐसा उठेगा, जो शिरोमणि राज्य में अंधेर करनेवाले को घुमाएगा; परन्तु थोड़े दिन बीतने पर वह क्रोध या युद्ध किए बिना ही नाश हो जाएगा।

दानिएल 11:1-20 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

मादी वंश के राजा दारयावेश के शासन के पहले साल में, मैं उसको समर्थन देने और उसके बचाव के लिए खड़ा हुआ.) “अब, मैं तुमको सच्ची बात बताता हूं: फारस में तीन और राजाओं का उदय होगा, और उसके बाद एक चौथा राजा होगा, जो दूसरे सब राजाओं से बहुत अधिक धनी होगा. जब वह अपने धन से शक्ति प्राप्‍त कर लेगा, तब वह सब लोगों को यावन राज्य के विरुद्ध भड़काएगा. तब एक पराक्रमी राजा का उदय होगा, जो बड़ी शक्ति से राज्य करेगा और उसे जो अच्छा लगेगा, वही करेगा. उसके उदय होने के बाद, उसका राज्य टूट जाएगा और चारों दिशाओं में बंट जाएगा. यह उसके संतानों के पास नहीं जाएगा और न ही उसके शक्ति का प्रभाव उस राज्य में होगा, क्योंकि उसका राज्य उससे छीनकर दूसरों को दे दिया जाएगा. “दक्षिण का राजा शक्तिशाली हो जाएगा, परंतु उसका ही एक सेनापति उससे भी ज्यादा शक्तिशाली हो जाएगा और अपने स्वयं के राज्य पर बड़े शक्ति से शासन करेगा. कुछ सालों के बाद, वे सहयोगी बन जाएंगे. दक्षिण के राजा की बेटी उत्तर के राजा के पास एक संधि करने के लिये जाएगी, परंतु उसके पास उसके राज्य की शक्ति न रहेगी, और न ही उत्तर के राजा के पास कोई शक्ति बचेगी. उन दिनों, दक्षिण के राजा की बेटी को उसके शाही रक्षकों और उसके पिता और उसकी मदद करनेवाले सहित धोखा दिया जाएगा. “उसके परिवार का एक जन उसकी जगह में उठ खड़ा होगा. वह उत्तर के राजा के सेना पर आक्रमण करेगा और उसके किले में प्रवेश करेगा; वह उनसे लड़ेगा और विजयी होगा. वह उनके देवताओं को, उनके धातु की मूर्तियों को और उनके चांदी एवं सोने के बहुमूल्य पात्रों को ज़ब्त कर लेगा और अपने साथ मिस्र देश ले जाएगा. कुछ वर्षों तक, वह उत्तर के राजा को अकेला छोड़ देगा. तब उत्तर का राजा दक्षिण के राजा की सीमा का अतिक्रमण करेगा परंतु अपने ही देश को लौट जाएगा. उसके बेटे युद्ध की तैयारी करेंगे और एक बड़ी सेना इकट्ठा करेंगे, जो न रोके जा सकनेवाले बाढ़ के समान तेजी से आगे बढ़ेंगे और लड़ाई को उसके किले तक ले जाएंगे. “तब दक्षिण का राजा क्रोधित होकर आगे बढ़ेगा और वह उत्तर के राजा से लड़ाई करेगा, और उत्तर का राजा एक बड़ी सेना खड़ी करेगा, परंतु वह हार जाएगा. जब इस बड़ी सेना को हरा दिया जाएगा, तब दक्षिण के राजा मन घमंड से भर जाएगा और कई हजार लोगों को मार डालेगा, तौभी वह विजयी बना न रह सकेगा. क्योंकि उत्तर का राजा एक दूसरी सेना खड़ी कर लेगा, जो उसके पहले की सेना से बड़ी होगी; और कई सालों के बाद, वह पूरी तैयारी के साथ एक बड़ी सेना को लेकर आगे बढ़ेगा. “उन दिनों में, बहुत से लोग दक्षिण के राजा के विरुद्ध उठ खड़े होंगे. तुम्हारे अपने लोगों के बीच जो हिंसक प्रवृत्ति के हैं, वे इस दर्शन के पूर्ति में विद्रोह करेंगे, किंतु वे सफल न होंगे. तब उत्तर का राजा आकर सैनिकों का घेरा डालेगा और एक किला वाले शहर पर कब्जा कर लेगा. दक्षिण की सेना में विरोध करने की शक्ति न होगी, और तो और उनके सबसे अच्छे सैन्य-दलों के पास भी सामना करने की शक्ति न होगी. आक्रमणकारी जैसा चाहेगा, वैसा करेगा; कोई भी उसके सामने ठहर न सकेगा. वह अपने आपको उस सुंदर देश में स्थापित करेगा और उसके पास उसे नाश करने की शक्ति होगी. वह अपने सारे राज्य की शक्ति के साथ आने की ठान लेगा और वह दक्षिण के राजा के साथ एक संधि करेगा. और उसके राज्य को जीतने के लिये उस राजा को अपनी एक बेटी विवाह में देगा, परंतु उसकी योजना सफल न होगी या उससे उसे कोई मदद नहीं मिलेगी. तब वह अपना ध्यान समुद्रतटों पर लगाएगा और उनमें से बहुतों को अपने अधिकार में कर लेगा, परंतु एक सेनापति उसके अहंकार का अंत कर देगा और उसके अहंकार के अनुसार उससे बदला लेगा. इसके बाद, वह अपने ही देश के किलों की ओर मुंह मोड़ेगा, किंतु वह लड़खड़ा कर गिरेगा और उसका अस्तित्व ही मिट जाएगा. “तब जो उसकी जगह लेगा, वह राजकीय वैभव को बनाए रखने के लिये कर इकट्ठा करनेवाला भेजेगा. फिर भी, कुछ ही सालों में, वह नाश हो जाएगा, पर उसका विनाश क्रोध में या युद्ध में न होगा.