“मैं मादी कौम के सम्राट दारा के राज्यकाल के प्रथम वर्ष से उसकी सहायता करता आ रहा हूं, और मैंने उसको शक्ति भी प्रदान की है। “अब मैं तुझे सत्य के दर्शन कराऊंगा। देख, फारस साम्राज्य में तीन नए सम्राट उदित होंगे, पर एक और सम्राट उदित होगा। यह चौथा सम्राट अन्य तीनों सम्राटों से अधिक धनवान होगा। जब वह अपने धन के बल पर शक्तिशाली हो जाएगा, तब वह यूनान राज्य के विरोध में अन्य राज्यों को भड़काएगा। तब एक नया राजा उत्पन्न होगा जो महायोद्धा होगा। वह एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करेगा और अपनी इच्छा के अनुसार उस पर शासन करेगा। पर साम्राज्य में उसके पैर जम ही नहीं पाएंगे कि उसका साम्राज्य बिखर जाएगा, और चारों दिशाओं में बंट जाएगा। यह साम्राज्य उसके वंशजों को नहीं मिलेगा और न ही वे इतने शक्तिशाली होंगे जितना वह था। उसका राज्य उखड़ जाएगा और उसके वंशजों को नहीं बल्कि दूसरों को प्राप्त होगा। “तब दक्षिण देश का राजा शक्तिशाली बनेगा। किन्तु उसके सामन्तों में से एक सामन्त उससे भी अधिक शक्तिशाली हो जाएगा, और वह एक नया राज्य स्थापित करेगा, और उसका राज्य विशाल साम्राज्य बन जाएगा। कुछ वर्ष के पश्चात् वे परस्पर सन्धि करेंगे। उनमें रोटी-बेटी का सम्बन्ध स्थापित होगा। सम्बन्ध स्थापित करने के लिए दक्षिण देश का राजा अपनी कन्या का विवाह उत्तर देश के राजा से करेगा। किन्तु वहां उसकी पुत्री की शक्ति सदा बनी नहीं रहेगी और उसके वंशज टिक नहीं पाएंगे। उसकी पुत्री, पुत्री की सेविकाएँ, उसका नाती और उसकी पुत्री को संकट-काल में शक्ति देनेवाला, ये सब मौत के घाट उतार दिए जाएंगे। “तब उसकी पुत्री के वंश-वृक्ष में एक टहनी निकलेगी। यह वंशज उसके स्थान पर बढ़ेगा। वह उत्तर देश की सेना पर आक्रमण करेगा, और राजा के गढ़ पर कब्जा कर लेगा। वह उनसे अपनी इच्छा के अनुसार व्यवहार करेगा और उन पर प्रबल होगा। वह उनके देवताओं की मूर्तियाँ, ढाली गई प्रतिमाएँ, मन्दिरों के सोना-चांदी के बहुमूल्य पात्र मिस्र देश को ले जाएगा। तब वह कुछ वर्ष तक उत्तर देश के राजा पर आक्रमण नहीं करेगा। परन्तु उत्तर देश का राजा उस पर आक्रमण करेगा, पर उसको पराजय का मुंह देखना पड़ेगा और वह स्वदेश को लौट जाएगा। “फिर उत्तर देश के राजा के पुत्र युद्ध छेड़ देंगे। वे विशाल सेनाओं का समूह एकत्र करेंगे, जो बाढ़ की तरह दक्षिण देश को ढक लेंगी। वे उसमें से गुजरती हुई उसके गढ़ तक पहुंच जाएंगी। तब दक्षिण देश का राजा क्रोध में भर कर उठेगा। वह गढ़ के बाहर निकलेगा, और उत्तर देश के राजा से युद्ध करेगा। उत्तर देश का राजा विशाल सेना खड़ी करेगा। पर उसकी सेना दक्षिण देश के राजा के हाथ में सौंप दी जाएगी। “जब दक्षिण देश का राजा उसकी सेना को पराजित कर देगा, तब उसका हृदय घमण्ड से फूल उठेगा। वह लाखों सैनिकों का वध करेगा, परन्तु वह उस पर प्रबल न होगा; क्योंकि उत्तर देश का राजा पुन: विशाल सेना एकत्र करेगा; और यह सेना प्रथम विशाल सेना से अधिक विशाल होगी। उत्तर देश का राजा कई वर्षों बाद अपनी इस महाविशाल सेना के साथ और अपार रसद-सामग्री लेकर दक्षिण देश के राजा पर आक्रमण करेगा। “उन दिनों में दक्षिण देश के राजा के विरुद्ध अनेक सामन्त विद्रोह करेंगे। स्वयं तेरी कौम के कुछ लोग जो हिंसक होंगे, किसी दिव्य दर्शन को पूर्ण करने की आशा से, विद्रोह करेंगे। पर तेरी कौम के ये हिंसक व्यक्ति अपने लक्ष्य में सफल न होंगे। “तब उत्तर देश का राजा चढ़ाई करेगा, और मोर्चाबन्दी कर एक सुदृढ़ नगर पर कब्जा कर लेगा। दक्षिण देश की सेनाएँ उसके सामने टिक न पाएंगी, और न उसके चुने हुए योद्धाओं के दलों में इतनी शक्ति होगी कि वे उसका सामना कर सकें। इसलिए उत्तर देश का आक्रमणकारी राजा अपनी इच्छा के अनुसार सब राज्यों के साथ व्यवहार करेगा; उसका सामना करनेवाला कोई न होगा। वह हमारे “वैभव-सम्पन्न देश’ में पैर जमा लेगा, और समस्त देश पर उसका अधिकार हो जाएगा। इसके बाद वह अपने राज्य की सम्पूर्ण शक्ति को संचित करेगा और दक्षिण देश के साम्राज्य को अपने अधिकार में करने के लिए इच्छुक होगा। पहले वह राजा के साथ सन्धि करेगा और फिर उसको नष्ट करने के उद्देश्य से उसके साथ अपनी सुकुमारी पुत्री का विवाह भी कर देगा। फिर भी उसकी यह कूटनीति सफल न होगी और उसे कुछ लाभ न होगा। “तत्पश्चात् वह समुद्रतट के राज्यों पर चढ़ाई करेगा। वह वहां के अनेक राज्यों पर अधिकार कर लेगा; किन्तु एक सेनाध्यक्ष उसके अहंकार को खत्म कर देगा। वह उसके अहंकार के अनुकूल उसको बदला देगा। उत्तर देश का राजा अपने देश के गढ़ों की ओर लौटने के लिए मुंह मोड़ेगा। पर वह मार्ग में ठोकर खाकर गिरेगा और उसका कहीं पता तक न चलेगा। “तब उसके स्थान पर एक ऐसा राजा आएगा जो हमारे ‘महिमामंडित राज्य’ में कर एकत्र करनेवाले को भेजेगा। किन्तु कुछ दिन बाद ही उसका पतन हो जाएगा। उसका पतन न क्रोध के कारण होगा और न युद्ध में हारने के कारण होगा।
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