2 कुरिन्थियों 5:1-9

2 कुरिन्थियों 5:1-9 पवित्र बाइबल (HERV)

क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी यह काया अर्थात् यह तम्बू जिसमें हम इस धरती पर रहते हैं गिरा दिया जाये तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग में एक चिरस्थायी भवन मिल जाता है जो मनुष्य के हाथों बना नहीं होता। सो हम जब तक इस आवास में हैं, हम रोते-धोते रहते हैं और यही चाहते रहते हैं कि अपने स्वर्गीय भवन में जा बसें। निश्चय ही हमारी यह धारणा है कि हम उसे पायेंगे और फिर बेघर नहीं रहेंगे। हममें से वे जो इस तम्बू यानी भौतिक शरीर में स्थित हैं, बोझ से दबे कराह रहे हैं। कारण यह है कि हम इन वस्त्रों को त्यागना नहीं चाहते बल्कि उनके ही ऊपर उन्हें धारण करना चाहते हैं ताकि जो कुछ नाशवान है, उसे अनन्त जीवन निगल ले। जिसने हमें इस प्रयोजन के लिये ही तैयार किया है, वह परमेश्वर ही है। उसी ने इस आश्वासन के रूप में कि अपने वचन के अनुसार वह हमको देगा, बयाने के रूप में हमें आत्मा दी है। हमें पूरा विश्वास है, क्योंकि हम जानते हैं कि जब तक हम अपनी देह में रह रहे हैं, प्रभु से दूर हैं। क्योंकि हम विश्वास के सहारे जीते हैं। बस आँखों देखी के सहारे नहीं। हमें विश्वास है, इसी से मैं कहता हूँ कि हम अपनी देह को त्याग कर प्रभु के साथ रहने को अच्छा समझते हैं। इसी से हमारी यह अभिलाषा है कि हम चाहे उपस्थित रहें और चाहे अनुपस्थित, उसे अच्छे लगते रहें।

2 कुरिन्थियों 5:1-9 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

हम जानते हैं कि जब यह तम्‍बू, पृथ्‍वी पर हमारा यह घर, गिरा दिया जायेगा तो हमें परमेश्‍वर द्वारा निर्मित एक निवास मिलेगा। वह एक ऐसा घर है, जो हाथ का बना हुआ नहीं है और अनन्‍तकाल तक स्‍वर्ग में बना रहेगा। इसलिए हम इस शरीर में कराहते रहते और उसके ऊपर अपना स्‍वर्गिक निवास धारण करने की तीव्र अभिलाषा करते हैं, बशर्ते हम नग्‍न नहीं, बल्‍कि वस्‍त्र पहने पाये जायें। हम इस तम्‍बू में रहते समय भार से दबते हुए कराहते रहते हैं; क्‍योंकि बिना पुराना वस्‍त्र उतारे हम उसके ऊपर नया धारण करना चाहते हैं; जिससे जो मरणशील है, वह अमर जीवन में विलीन हो जाये परमेश्‍वर ने स्‍वयं इस उद्देश्‍य के लिए हमें गढ़ा है और अग्रिम राशि के रूप में हमें पवित्र आत्‍मा प्रदान किया है। इसलिए हम सदा ही परमेश्‍वर पर भरोसा रखते हैं। हम यह जानते हैं कि हम जब तक इस शरीर में हैं, तब तक हम प्रभु से दूर, परदेश में निवास करते हैं; क्‍योंकि हम आंखों-देखी बातों पर नहीं, बल्‍कि विश्‍वास पर चलते हैं। हमें तो परमेश्‍वर पर पूरा भरोसा है। हम शरीर का घर छोड़ कर प्रभु के यहां बस जाना अधिक पसन्‍द करते हैं। इसलिए हम चाहे घर में हों चाहे परदेश में, हमारी एकमात्र अभिलाषा यह है कि हम प्रभु को अच्‍छे लगें

2 कुरिन्थियों 5:1-9 Hindi Holy Bible (HHBD)

क्योंकि हम जानते हैं, कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा, जो हाथों से बना हुआ घर नहीं परन्तु चिरस्थाई है। इस में तो हम कराहते, और बड़ी लालसा रखते हैं; कि अपने स्वर्गीय घर को पहिन लें। कि इस के पहिनने से हम नंगे न पाए जाएं। और हम इस डेरे में रहते हुए बोझ से दबे कराहते रहते हैं; क्योंकि हम उतारना नहीं, वरन और पहिनना चाहते हैं, ताकि वह जो मरनहार है जीवन में डूब जाए। और जिस ने हमें इसी बात के लिये तैयार किया है वह परमेश्वर है, जिस ने हमें बयाने में आत्मा भी दिया है। सो हम सदा ढाढ़स बान्धे रहते हैं और यह जानते हैं; कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं। क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं। इसलिये हम ढाढ़स बान्धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं। इस कारण हमारे मन की उमंग यह है, कि चाहे साथ रहें, चाहे अलग रहें पर हम उसे भाते रहें।

2 कुरिन्थियों 5:1-9 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

क्योंकि हम जानते हैं कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा, तो हमें परमेश्‍वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों से बना हुआ घर नहीं, परन्तु चिरस्थाई है। इसमें तो हम कराहते और बड़ी लालसा रखते हैं कि अपने स्वर्गीय घर को पहिन लें कि इस के पहिनने से हम नंगे न पाए जाएँ। और हम इस डेरे में रहते हुए बोझ से दबे कराहते रहते हैं, क्योंकि हम उतारना नहीं वरन् और पहिनना चाहते हैं, ताकि वह जो मरनहार है जीवन में डूब जाए। जिसने हमें इसी बात के लिये तैयार किया है वह परमेश्‍वर है, जिसने हमें बयाने में आत्मा भी दिया है। अत: हम सदा ढाढ़स बाँधे रहते हैं और यह जानते हैं कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं – क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्‍वास से चलते हैं – इसलिये हम ढाढ़स बाँधे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं। इस कारण हमारे मन की उमंग यह है कि चाहे साथ रहें चाहे अलग रहें, पर हम उसे भाते रहें।

2 कुरिन्थियों 5:1-9 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

क्योंकि हम जानते हैं, कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा, जो हाथों से बना हुआ घर नहीं परन्तु चिरस्थाई है। (इब्रा. 9:11, अय्यू. 4:19) इसमें तो हम कराहते, और बड़ी लालसा रखते हैं; कि अपने स्वर्गीय घर को पहन लें। कि इसके पहनने से हम नंगे न पाए जाएँ। और हम इस डेरे में रहते हुए बोझ से दबे कराहते रहते हैं; क्योंकि हम उतारना नहीं, वरन् और पहनना चाहते हैं, ताकि वह जो मरनहार है जीवन में डूब जाए। और जिसने हमें इसी बात के लिये तैयार किया है वह परमेश्वर है, जिसने हमें बयाने में आत्मा भी दिया है। इसलिए हम सदा ढाढ़स बाँधे रहते हैं और यह जानते हैं; कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं। क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं। इसलिए हम ढाढ़स बाँधे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं। इस कारण हमारे मन की उमंग यह है, कि चाहे साथ रहें, चाहे अलग रहें पर हम उसे भाते रहें।

2 कुरिन्थियों 5:1-9 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

हमें यह मालूम है कि जब हमारे सांसारिक तंबू—हमारी देह—को, जिसमें हम रहते हैं, गिरा दिया जाएगा तो हमारे लिए परमेश्वर की ओर से एक ऐसा घर तय किया गया है, जो मनुष्य के हाथ का बनाया हुआ नहीं परंतु स्वर्गीय और अनंत काल का है. यह एक सच्चाई है कि हम कराहते हुए वर्तमान घर में उस स्वर्गीय घर को धारण करने की लालसा करते रहते हैं क्योंकि उसे धारण करने के बाद हम नंगे न रह जाएंगे. सच यह है कि इस घर में रहते हुए हम बोझ में दबे हुए कराहते रहते हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि हम नंगे न रहें परंतु वस्त्र धारण करें कि जो कुछ शारीरिक है, वह जीवन का निवाला बन जाए. जिन्होंने हमें इस उद्देश्य के लिए तैयार किया है, वह परमेश्वर हैं, जिन्होंने अपना आत्मा हमें बयाने के रूप में दे दिया. यही अहसास हमें हमेशा प्रोत्साहित करता रहता है कि जब तक हम अपनी शारीरिक देह के इस घर में हैं, हम प्रभु—अपने घर—से दूर हैं क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, विश्वास से जीवित हैं. हम पूरी तरह आश्वस्त हैं तथा हमारी इच्छा है कि हम शरीर से अलग हो प्रभु के साथ खुशी में निवास करें. हमारी बड़ी इच्छा भी यही है कि चाहे हम घर में हों या उससे दूर, हम प्रभु को भाते रहें