2 कुरिन्थियों 5
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1हम जानते हैं कि जब यह तम्बू, पृथ्वी पर हमारा यह घर, गिरा दिया जायेगा तो हमें परमेश्वर द्वारा निर्मित एक निवास मिलेगा। वह एक ऐसा घर है, जो हाथ का बना हुआ नहीं है और अनन्तकाल तक स्वर्ग में बना रहेगा।#2 पत 1:13-14; अय्य 4:19; प्रज्ञ 9:15 2इसलिए हम इस शरीर में कराहते रहते और उसके ऊपर अपना स्वर्गिक निवास धारण करने की तीव्र अभिलाषा करते हैं,#रोम 8:23 3बशर्ते हम नग्न नहीं, बल्कि वस्त्र पहने पाये जायें।#5:3 पाठांतर, “बशर्ते वस्त्र उतारने के बाद भी हम नग्न नहीं पाये जाएँ”। 4हम इस तम्बू में रहते समय भार से दबते हुए कराहते रहते हैं; क्योंकि बिना पुराना वस्त्र उतारे हम उसके ऊपर नया धारण करना चाहते हैं; जिससे जो मरणशील है, वह अमर जीवन में विलीन हो जाये#1 कुर 15:53 5परमेश्वर ने स्वयं इस उद्देश्य के लिए हमें गढ़ा है और अग्रिम राशि के रूप में हमें पवित्र आत्मा प्रदान किया है।#2 कुर 1:22; इफ 1:13; रोम 8:16,23
6इसलिए हम सदा ही परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं। हम यह जानते हैं कि हम जब तक इस शरीर में हैं, तब तक हम प्रभु से दूर, परदेश में निवास करते हैं;#इब्र 11:13 7क्योंकि हम आंखों-देखी बातों पर नहीं, बल्कि विश्वास पर चलते हैं।#1 कुर 13:12 8हमें तो परमेश्वर पर पूरा भरोसा है। हम शरीर का घर छोड़ कर प्रभु के यहां बस जाना अधिक पसन्द करते हैं।#फिल 1:23 9इसलिए हम चाहे घर में हों चाहे परदेश में, हमारी एकमात्र अभिलाषा यह है कि हम प्रभु को अच्छे लगें,#भज 39:12 10क्योंकि हम-सब को मसीह के न्यायासन के सामने प्रस्तुत किया जायेगा। प्रत्येक व्यक्ति ने शरीर में रहते समय जो कुछ किया है, चाहे वह भलाई हो या बुराई, उसे उसका प्रतिफल मिलेगा।#प्रे 17:31; रोम 2:16; 14:10
मसीह के द्वारा परमेश्वर से मेल-मिलाप
11इस कारण प्रभु का भय हम में बना रहता है। हम मनुष्यों को समझाने का प्रयत्न करते रहते हैं। हमारा सारा जीवन परमेश्वर के लिए प्रकट है और मैं आशा करता हूँ कि वह आप लोगों के अन्त:करण के लिए भी प्रकट होगा।#2 कुर 4:2 12हम फिर आप लोगों के सामने अपनी प्रशंसा#5:12 अथवा, “सिफारिश”। नहीं करेंगे। हम चाहते हैं कि आप को हम पर गर्व करने का अवसर मिले और आप उन लोगों का मुंह बन्द कर सकें, जो हृदय की बातों पर नहीं, बल्कि दिखावे की बातों पर गर्व करते हैं।#2 कुर 3:1 13यदि हमें अपनी सुध-बुध नहीं रह गयी थी, तो यह परमेश्वर के लिए था और यदि हम अब सन्तुलित हैं, तो यह आप लोगों के कल्याण के लिए है; 14क्योंकि मसीह का प्रेम हमें प्रेरित#5:14 अथवा, “विवश” करता रहता है। हम तो यह समझ गये हैं कि जब एक सब के लिए मर गया, तब सभी मर गये हैं। 15मसीह सब के लिए मरे, जिससे जो जीवित हैं, वे अब से अपने लिए नहीं, बल्कि उनके लिए जीवन बिताएं, जो उनके लिए मर गये और जी उठे हैं।#1 तिम 2:6; रोम 14:7-8 16इसलिए हम अब से किसी को भी सांसारिक दृष्टि से#5:16 अक्षरश:, “शरीर के अनुसार”। नहीं देखते। हमने मसीह को पहले सांसारिक दृष्टि से देखा, किन्तु अब हम ऐसा नहीं करते।
17इसका अर्थ यह है कि यदि कोई मसीह के साथ एक हो गया है, तो वह नयी सृष्टि बन गया है। पुरानी बातें समाप्त हो गयी हैं और अब नई बातें आ गयी हैं।#रोम 8:1,10; गल 6:15; प्रक 21:5; यश 43:18; 65:17 18परमेश्वर ने यह सब किया है-उसने मसीह के द्वारा अपने से हमारा मेल कराया और इस मेल-मिलाप का सेवा-कार्य हमें सौंपा है।#रोम 5:10 19इसका अर्थ यह है कि परमेश्वर ने मनुष्यों के अपराध उनके खर्चे में न लिख कर मसीह के द्वारा अपने से संसार का मेल कराया और इस मेल-मिलाप के सन्देश का प्रचार हमें सौंप दिया।#रोम 3:24-25; कुल 1:19-20
20इसलिए हम मसीह के राजदूत हैं, मानो परमेश्वर हमारे द्वारा आप लोगों से अनुरोध कर रहा है। हम मसीह के नाम पर आप से यह विनती करते हैं कि आप परमेश्वर से मेल कर लें।#यश 52:7 21मसीह, जो आप से अपरिचित ही थे, उनको परमेश्वर ने हमारे लिए पाप#5:21 अथवा, “पाप-बलि”। बना दिया, जिससे हम उनके द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता प्राप्त कर सकें।#यो 8:46; इब्र 4:15; गल 3:13; 1 कुर 1:30; फिल 3:9; 1 पत 2:22
वर्तमान में चयनित:
2 कुरिन्थियों 5: HINCLBSI
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