1 शमूएल 17:1-50

1 शमूएल 17:1-50 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

अब पलिश्तियों ने युद्ध के लिये अपनी सेनाओं को इकट्ठा किया; और यहूदा देश के सोको में एक साथ होकर सोको और अजेका के बीच एपेसदम्मीम में डेरे डाले। शाऊल और इस्राएली पुरुषों ने भी इकट्ठे होकर एला नामक तराई में डेरे डाले, और युद्ध के लिये पलिश्तियों के विरुद्ध पाँति बाँधी। पलिश्ती तो एक ओर के पहाड़ पर और इस्राएली दूसरी ओर के पहाड़ पर खड़े रहे; और दोनों के बीच तराई थी। तब पलिश्तियों की छावनी में से गोलियत नामक एक वीर निकला, जो गत नगर का था, और उसकी लम्बाई छ: हाथ एक बित्ता थी। उसके सिर पर पीतल का टोप था; और वह एक पत्तर का झिलम पहिने हुए था, जिसका तौल पाँच हज़ार शेकेल पीतल का था। उसकी टाँगों पर पीतल के कवच थे, और उस के कन्धों के बीच बरछी बंधी थी। उसके भाले की छड़ जुलाहे के डोंगी के समान थी, और उस भाले का फल छ: सौ शेकेल लोहे का था, और बड़ी ढाल लिए हुए एक जन उसके आगे आगे चलता था। वह खड़ा होकर इस्राएली पाँतियों को ललकार के बोला, “तुम ने यहाँ आकर लड़ाई के लिये क्यों पाँति बाँधी है? क्या मैं पलिश्ती नहीं हूँ, और तुम शाऊल के अधीन नहीं हो? अपने में से एक पुरुष चुनो, कि वह मेरे पास उतर आए। यदि वह मुझ से लड़कर मुझे मार सके, तब तो हम तुम्हारे अधीन हो जाएँगे; परन्तु यदि मैं उस पर प्रबल होकर मारूँ, तो तुम को हमारे अधीन होकर हमारी सेवा करनी पड़ेगी।” फिर वह पलिश्ती बोला, “मैं आज के दिन इस्राएली पाँतियों को ललकारता हूँ, किसी पुरुष को मेरे पास भेजो, कि हम एक दूसरे से लड़ें।” उस पलिश्ती की इन बातों को सुनकर शाऊल और समस्त इस्राएलियों का मन कच्‍चा हो गया, और वे अत्यन्त डर गए। दाऊद यहूदा के बैतलहम के उस एप्राती पुरुष का पुत्र था, जिसका नाम यिशै था, और उसके आठ पुत्र थे और वह पुरुष शाऊल के दिनों में बूढ़ा और निर्बल हो गया था। यिशै के तीन बड़े पुत्र शाऊल के पीछे होकर लड़ने को गए थे; और उसके तीन पुत्रों के नाम जो लड़ने को गए थे ये थे, अर्थात् ज्येष्‍ठ का नाम एलीआब, दूसरे का अबीनादाब, और तीसरे का शम्मा था। सबसे छोटा दाऊद था; और तीनों बड़े पुत्र शाऊल के पीछे होकर गए थे, और दाऊद बैतलहम में अपने पिता की भेड़ बकरियाँ चराने को शाऊल के पास से आया जाया करता था। वह पलिश्ती तो चालीस दिन तक सबेरे और साँझ को निकट जाकर खड़ा हुआ करता था। यिशै ने अपने पुत्र दाऊद से कहा, “यह एपा भर भुना हुआ अनाज और ये दस रोटियाँ लेकर छावनी में अपने भाइयों के पास दौड़ जा; और पनीर की ये दस टिकियाँ उनके सहस्रपति के लिये ले जा। और अपने भाइयों का कुशल देखकर उनकी कोई निशानी ले आना। शाऊल, और तेरे भाई, और समस्त इस्राएली पुरुष एला नामक तराई में पलिश्तियों से लड़ रहे हैं।” अत: दाऊद सबेरे उठ, भेड़ बकरियों को किसी रखवाले के हाथ में छोड़कर, यिशै की आज्ञा के अनुसार उन वस्तुओं को लेकर चला; और जब सेना रणभू्मि को जा रही और संग्राम के लिये ललकार रही थी, उसी समय वह गाड़ियों के पड़ाव पर पहुँचा। तब इस्राएलियों और पलिश्तियों ने अपनी अपनी सेना आमने–सामने करके पाँति बाँधी। दाऊद अपनी सामग्री सामान के रखवाले के हाथ में छोड़कर रणभू्मि को दौड़ा, और अपने भाइयों के पास जाकर उनका कुशल क्षेम पूछा। वह उनके साथ बातें कर ही रहा था, कि पलिश्तियों की पाँतियों में से वह वीर, अर्थात् गतवासी गोलियत नामक वह पलिश्ती योद्धा चढ़ आया, और पहले की सी बातें कहने लगा और दाऊद ने उन्हें सुना। उस पुरुष को देखकर सब इस्राएली अत्यन्त भय खाकर उसके सामने से भागे। फिर इस्राएली पुरुष कहने लगे, “क्या तुम ने उस पुरुष को देखा है जो चढ़ा आ रहा है? निश्‍चय वह इस्राएलियों को ललकारने को चढ़ा आता है; और जो कोई उसे मार डालेगा उसको राजा बहुत धन देगा, और अपनी बेटी का विवाह उससे कर देगा, और उसके पिता के घराने को इस्राएल में स्वतंत्र कर देगा।” तब दाऊद ने उन पुरुषों से जो उसके आसपास खड़े थे पूछा, “जो उस पलिश्ती को मारके इस्राएलियों की नामधराई दूर करेगा उसके लिये क्या किया जाएगा? वह खतनारहित पलिश्ती क्या है कि जीवित परमेश्‍वर की सेना को ललकारे?” तब लोगों ने उससे वही बातें कहीं, अर्थात् यह, कि जो कोई उसे मारेगा उससे ऐसा किया जाएगा। जब दाऊद उन मनुष्यों से बातें कर रहा था, तब उसका बड़ा भाई एलीआब सुन रहा था; और एलीआब दाऊद से बहुत क्रोधित होकर कहने लगा, “तू यहाँ क्यों आया है? और जंगल में उन थोड़ी सी भेड़ बकरियों को तू किस के पास छोड़ आया है? तेरा अभिमान और तेरे मन की बुराई मुझे मालूम है; तू तो लड़ाई देखने के लिये यहाँ आया है।” दाऊद ने कहा, “अब मैं ने क्या किया है? वह तो निरी बात थी।” तब उसने उसके पास से मुँह फेरके दूसरे के सम्मुख होकर वैसी ही बात कही; और लोगों ने उसे पहले के समान उत्तर दिया। जब दाऊद की बातों की चर्चा हुई, तब शाऊल को भी सुनाई गई; और उसने उसे बुलवा भेजा। तब दाऊद ने शाऊल से कहा, “किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्‍चा न हो; तेरा दास जाकर उस पलिश्ती से लड़ेगा।” शाऊल ने दाऊद से कहा, “तू जाकर उस पलिश्ती के विरुद्ध युद्ध नहीं कर सकता; क्योंकि तू तो लड़का ही है, और वह लड़कपन ही से योद्धा है।” दाऊद ने शाऊल से कहा, “तेरा दास अपने पिता की भेड़ बकरियाँ चराता था; और जब कोई सिंह या भालू झुण्ड में से मेम्ना उठा ले जाता, तब मैं उसका पीछा करके उसे मारता, और मेम्ने को उसके मुँह से छुड़ा लेता; और जब वह मुझ पर हमला करता, तब मैं उसके केश को पकड़कर उसे मार डालता था। तेरे दास ने सिंह और भालू दोनों को मारा है। और वह खतनारहित पलिश्ती उनके समान हो जाएगा, क्योंकि उसने जीवित परमेश्‍वर की सेना को ललकारा है।” फिर दाऊद ने कहा, “यहोवा जिसने मुझे सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा।” शाऊल ने दाऊद से कहा, “जा, यहोवा तेरे साथ रहे।” तब शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहिनाए, और पीतल का टोप उसके सिर पर रख दिया, और झिलम उसको पहिनाया। तब दाऊद ने उसकी तलवार वस्त्र के ऊपर कसी, और चलने का यत्न किया; उसने तो उनको न परखा था। इसलिये दाऊद ने शाऊल से कहा, “इन्हें पहिने हुए मुझ से चला नहीं जाता, क्योंकि मैं ने इन्हें नहीं परखा है।” और दाऊद ने उन्हें उतार दिया। तब उसने अपनी लाठी हाथ में ली, और नाले में से पाँच चिकने पत्थर छाँटकर अपनी चरवाही की थैली, अर्थात् अपने झोले में रखे; और अपना गोफन हाथ में लेकर पलिश्ती के निकट गया। पलिश्ती चलते चलते दाऊद के निकट पहुँचने लगा, और जो जन उसकी बड़ी ढाल लिए था वह उसके आगे आगे चला। जब पलिश्ती ने दृष्‍टि करके दाऊद को देखा, तब उसे तुच्छ जाना; क्योंकि वह लड़का ही था, और उसके मुख पर लाली झलकती थी, और वह सुन्दर था। तब पलिश्ती ने दाऊद से कहा, “क्या मैं कुत्ता हूँ, कि तू लाठी लेकर मेरे पास आता है?” तब पलिश्ती अपने देवताओं के नाम लेकर दाऊद को कोसने लगा। फिर पलिश्ती ने दाऊद से कहा, “मेरे पास आ, मैं तेरा मांस आकाश के पक्षियों और वनपशुओं को दे दूँगा।” दाऊद ने पलिश्ती से कहा, “तू तो तलवार और भाला और साँग लिये हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूँ, जो इस्राएली सेना का परमेश्‍वर है, और उसी को तू ने ललकारा है। आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूँगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूँगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना के शव आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव जन्तुओं को दे दूँगा; तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्‍वर है। और यह समस्त मण्डली जान लेगी कि यहोवा तलवार या भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।” जब पलिश्ती उठकर दाऊद का सामना करने के लिये निकट आया, तब दाऊद सेना की ओर पलिश्ती का समाना करने के लिये फुर्ती से दौड़ा। फिर दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डालकर उसमें से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रखकर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुँह के बल गिर पड़ा। यों दाऊद ने पलिश्ती पर गोफन और एक ही पत्थर के द्वारा प्रबल होकर उसे मार डाला; परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार न थी।

1 शमूएल 17:1-50 पवित्र बाइबल (HERV)

पलिश्तियों ने अपनी सेना युद्ध के लिये इकट्ठी की। वे यहूदा स्थित सोको में युद्ध के लिये एकत्र हुए। उनका डेरा सोको और अजेका के बीच एपेसदम्मीम नामक नगर में था। शाऊल और इस्राएली सैनिक भी वहाँ एक साथ एकत्रित हुए। उनका डेरा एला की घाटी में था। शाऊल के सैनिक मोर्चा लगाये पलिश्तियों से युद्ध करने के लिये तैयार थे। पलिश्ती एक पहाड़ी पर थे और इस्राएली दूसरी पर। घाटी इन दोनों पहाड़ियों के बीच में थी। पलिश्तियों में एक गोलियत नाम का अजेय योद्धा था। गोलियत गत का था। गोलियत लगभग नौ फीट ऊँचा था। गोलियत पलिश्ती डेरे से बाहर आया। उसके सिर पर काँसे का टोप था। उसने पट्टीदार कवच का कोट पहन रखा था। यह कवच काँसे का बना था और इसका तौल लगभग एक सौ पच्चीस पौंड था। गोलियत ने अपने पैरों में काँसे के रक्षा कवच पहने थे। उसके पास काँसे का भाला था जो उसकी पीठ पर बंधा था। गोलियत के भाले का फल जुलाहे की छड़ की तरह था। भाले की फल की तोल पन्द्रह पौंड थी। गोलियत का सहायक गोलियत की ढाल को लिये हुए उसके आगे आगे चल रहा था। गोलियत बाहर निकला और उसने इस्राएली सैनिकों को जोर से पुकार कर कहा, “तुम्हारे सभी सैनिक युद्ध के लिये मोर्चा क्यों लगाये हुए हैं? तुम शाऊल के सेवक हो। मैं एक पलिश्ती हूँ। इसलिये किसी एक व्यक्ति को चुनो और उसे मुझसे लड़ने को भेजो। यदि वह व्यक्ति मुझे मार डालता है तो हम पलिश्ती तुम्हारे दास हो जाएंगे। किन्तु यदि मैं उसे जीत लूँ और तुम्हारे व्यक्ति को मार डालूँ तो तुम हमारे दास हो जाना। तब तुम हमारी सेवा करोगे!” पलिश्ती ने यह भी कहा, “आज मैं खड़ा हूँ और इस्राएल की सेना का मजाक उड़ा रहा हूँ! मुझे अपने में से एक के साथ लड़ने दो!” शाऊल और इस्राएली सैनिकों ने जो गोलियत कहा था, उसे सुना और वे बहुत भयभीत हो उठे। दाऊद यिशै का पुत्र था। यिशै एप्राती परिवार के यहूदा बेतलेहेम से था। यिशै के आठ पुत्र थे। शाऊल के समय में यिशै एक बूढ़ा आदमी था। यिशै के तीन बड़े पुत्र शाऊल के साथ युद्ध में गये थे। प्रथम पुत्र एलीआब था। दूसरा पुत्र अबीनादाब था और तीसरा पुत्र शम्मा था। दाऊद सबसे छोटा पुत्र था। तीनों पुत्र शाऊल की सेना में थे। किन्तु दाऊद कभी—कभी बेतलेहेम में अपने पिता की भेड़ों की रखवाली के लिये शाऊल के पास से चला जाता था। पलिश्ती गोलियत हर एक प्रात: एवं सन्ध्या को बाहर आता था और इस्राएल की सेना के सामने खड़ा हो जाता था। गोलियत ने चालीस दिन तक इस प्रकार इस्राएल का मजाक उड़ाया। एक दिन यिशै ने अपने पुत्र दाऊद से कहा, “पके अन्न की टोकरी और इन दस रोटियों को डेरे में अपने भाईयों के पास ले जाओ। पनीर की इन दस पिंडियों को भी एक हजार सैनिकों वाली अपने भाई की टुकड़ी के संचालक अधिकारी के लिये ले जाओ। देखो कि तुम्हारे भाई कैसे हैं। कुछ ऐसा लाओ जिससे मुझे पता चले कि तुम्हारे भाई ठीक—ठाक हैं। तुम्हारे भाई शाऊल के साथ हैं और इस्राएल के सारे सैनिक एला घाटी में हैं। वे पलिश्तियों के विरुद्ध लड़ रहे हैं।” सवेरे तड़के ही दाऊद, ने भेड़ों की रखवाली दूसरे गड़रिये को सौंपी। दाऊद ने भोजन लिया और वहाँ के लिये चल पड़ा जहाँ के लिये यिशै ने कहा था। दाऊद अपनी गाड़ी को डेरे में ले गया। उस समय सैनिक लड़ाई में अपने मोर्चे संभालने जा रहे थे जब दाऊद वहाँ पहुँचा। सैनिक अपना युद्ध उद्घोष करने लगे। इस्राएली और पलिश्ती अपने पुरुषों को युद्ध में एक—दूसरे से भिड़ने के लिये इकट्ठा कर रहे थे। दाऊद ने भोजन और चीजों को उस व्यक्ति के पास छोड़ा जो सामग्री का वितरण करता था। दाऊद दौड़ कर उस स्थान पर पहुँचा जहाँ इस्राएली सैनिक थे। दाऊद ने अपने भाईयों के विषय में पूछा। दाऊद ने अपने भाईयों के साथ बात करनी आरम्भ की। उसी समय वह पलिश्ती वीर योद्धा जिसका नाम गोलियत था और जो गत का निवासी था, पलिश्ती सेना से बाहर आया। पहले की तरह गोलियत ने इस्राएल के विरुद्ध वही बातें चिल्लाकर कहीं। इस्राएली सैनिकों ने गोलियत को देखा और वे भाग खड़े हुए। वे सभी उससे भयभीत थे। इस्राएली व्यक्तियों में से एक ने कहा, “अरे लोगों, तुममें से किसी ने उस देखा है! उसे देखो! वह गोलियत आ रहा है जो बार—बार इस्राएल का मजाक उड़ाता है। जो कोई उस व्यक्ति को मार देगा, धनी हो जायेगा! राजा शाऊल उसे बहुत धन देगा। शाऊल अपनी पुत्री का विवाह भी उस व्यक्ति से कर देगा, जो गोलियत को मारेगा और शाऊल उस व्यक्ति के परिवार को इस्राएल में स्वतन्त्र कर देगा।” दाऊद ने समीप खड़े आदमी से पूछा, “उसने क्या कहा? इस पलिश्ती को मारने और इस्राएल के इस अपमान को दूर करने का पुरस्कार क्या है? अन्तत: यह गोलियत है ही क्या? यह बस एक विदेशी मात्र है। गोलियत एक पलिश्ती से अधिक कुछ नहीं। वह क्यों सोचता है कि वह साक्षात् परमेश्वर की सेना के विरुद्ध बोल सकता है?” इसलिए इस्राएलियों ने गोलियत को मारने के लिये पुरस्कार के बारे में बताया। दाऊद के बड़े भाई एलीआब ने दाऊद को सैनिकों से बातें करते सुना। एलीआब ने दाऊद पर क्रोधित हुआ। एलीआब दाऊद से पूछा, “तुम यहाँ क्यों आये? मरुभूमि में उन थोड़ी सी भेड़ों को किस के पास छोड़कर आये हो? मैं जानता हूँ कि तुम यहाँ क्यों आये हो! तुम वह करना नहीं चाहते जो तुमसे करने को कहा गया था। तुम केवल यहाँ युद्ध देखने के लिये आना चाहते थे!” दाऊद ने कहा, “ऐसा मैंने क्या किया है? मैंने कोई गलती नहीं की! मैं केवल बातें कर रहा था।” दाऊद दूसरे लोगों की तरफ मुड़ा और उनसे वे ही प्रश्न किये। उन्होने दाऊद को वे ही पहले जैसे उत्तर दिये। कुछ व्यक्तियों ने दाऊद को बातें करते सुना। उन्होंने दाऊद के बारे में शाऊल से कहा। शाऊल ने आदेश दिया कि वे दाऊद को उसके पास लाएं। दाऊद ने शाऊल से कहा, “किसी व्यक्ति को उसके कारण हतोत्साहित मत होने दो। मैं आपका सेवक हूँ। मैं इस पलिश्ती से लड़ने जाऊँगा।” शाऊल ने उत्तर दिया, “तुम नहीं जा सकते और इस पलिश्ती गोलियत से नहीं लड़ सकते। तुम सैनिक भी नहीं हो! तुम अभी बच्चे हो और गोलियत जब बच्चा था, तभी से युद्धों में लड़ रहा है।” किन्तु दाऊद ने शाऊल से कहा, “मैं आपका सेवक हूँ और मैं अपने पिता की भेड़ों की रखवाली भी करता रहा हूँ। यदि कोई शेर या रीछ आता और झुंड से किसी भेड़ को उठा ले जाता। तो मैं उसका पीछा करता था। मैं उस जंगली जानवर पर आक्रमण करता था और उसके मुँह से भेड़ को बचा लेता था और उससे युद्ध करता था तथा उसे मार डालता था। मैंने एक शेर और एक रीछ को मार डाला है! मैं उस विदेशी गोलियत को वैसे ही मार डालूँगा। गोलियत मरेगा, क्योंकि उसने साक्षात परमेश्वर की सेना का मजाक उड़ाया है। यहोवा ने मुझे शेर और रीछ से बचाया है। यहोवा इस पलिश्ती गोलियत से भी मेरी रक्षा करेगा।” शाऊल ने दाऊद से कहा, “जाओ यहोवा तुम्हारे साथ हो।” शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहनाये। शाऊल ने एक काँसे का टोप दाऊद के सिर पर रखा और उसके शरीर पर कवच पहनाया। दाऊद ने तलवार ली और चारों ओर चलने का प्रयत्न किया। इस प्रकार दाऊद ने शाऊल की वर्दी को पहनने का प्रयत्न किया। किन्तु दाऊद को उन भारी चीज़ों को पहनने का अभ्यास नहीं था। दाऊद ने शाऊल से कहा, “मैं इन चीज़ों के साथ नहीं लड़ सकता। मेरा अभ्यास इनके लिये नहीं है।” इसलिये दाऊद ने उन सब को उतार दिया। दाऊद ने अपनी छड़ी अपने हाथों में ली। घाटी से दाऊद ने पाँच चिकने पत्थर चुने। उसने पाँचों पत्थरों को अपने गड़रिये वाले थैले में रखा। उसने अपना गोफन (गुलेल) अपने हाथों में लिया और वह पलिश्ती (गोलियत) से मिलने चल पड़ा। पलिश्ती (गोलियत) धीरे—धीरे दाऊद के समीप और समीपतर होता गया। गोलियत का सहायक उसकी ढाल लेकर उसके आगे चल रहा था। गोलियत ने दाऊद को देखा और हँसा। गोलियत ने देखा कि दाऊद सैनिक नहीं है। वह तो केवल सुनहरे बालों वाला युवक है। गोलियत ने दाऊद से कहा, “यह छड़ी किस लिये है? क्या तुम कुत्ते की तरह मेरा पीछा करके मुझे भगाने आये हो?” तब गोलियत ने अपने देवताओं का नाम लेकर दाऊद के विरुद्ध अपशब्द कहे। गोलियत ने दाऊद से कहा, “यहाँ आओ, मैं तुम्हरे शरीर को पक्षियों और पशूओं को खिला दूँगा!” दाऊद ने पलिश्ती (गोलियत) से कहा, “तुम मेरे पास तलवार, बर्छा और भाला चलाने आये हो। किन्तु मैं तुम्हारे पास इस्राएल की सेना के परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा के नाम पर आया हूँ। तुमने उसके विरुद्ध बुरी बातें कहीं हैं। आज यहोवा तुमको मेरे द्वारा पराजित कराएगा। मैं तुमको मार डालूँगा। आज मैं तुम्हारा सिर काट डालूँगा और तुम्हारे शरीर को पक्षियों और जंगली जानवरों को खिला दूँगा। हम लोग अन्य पलिश्तियों के साथ भी यही करेंगे। तब सारा संसार जानेगा कि इस्राएल में परमेश्वर है! यहाँ इकट्ठे सभी लोग जानेंगे कि लोगों की रक्षा के लिये यहोवा को तलवार और भाले की आवश्यकता नहीं। युद्ध यहोवा का है और यहोवा तुम सभी पलिश्तियों को हराने में हमारी सहायता करेगा।” पलिश्ती (गोलियत) दाऊद पर आक्रमण करने उसके पास आया। दाऊद गोलियत से भिड़ने के लिये तेजी से दौड़ा दाऊद ने एक पत्थर अपने थैले से निकाला। उसने उसे अपने गोफन (गुलेल) पर चढ़ाया और उसे चला दिया। पत्थर गुलेल से उड़ा और उसने गोलियत के माथे पर चोट की। पत्थर उसके सिर में गहरा घुस गया और गोलियत मुँह के बल गिर पड़ा। इस प्रकार दाऊद ने एक गोफन और एक पत्थर से पलिश्ती को हरा दिया। उसने पलिश्ती पर चोट की और उसे मार डाला। दाऊद के पास कोई तलवार नहीं थी।

1 शमूएल 17:1-50 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

पलिश्‍तियों ने युद्ध के लिए अपने सैन्‍यदल एकत्र किए। वे यहूदा प्रदेश के सोकोह नगर में, एकत्र हुए। उन्‍होंने एफस-दम्‍मीम क्षेत्र में सोकोह और अजेकाह नगर के मध्‍य पड़ाव डाला। अत: शाऊल और इस्राएल देश के समस्‍त सैनिक एकत्र हुए। उन्‍होंने एलाह घाटी में पड़ाव डाला। उन्‍होंने पलिश्‍तियों का सामना करने के लिए युद्ध की व्‍यूह-रचना की। पलिश्‍ती सैनिक पहाड़ की एक ओर खड़े थे, और इस्राएली सैनिक पहाड़ की दूसरी ओर। उनके मध्‍य एक घाटी थी। तब पलिश्‍ती पड़ाव से एक पराक्रमी योद्धा निकला। उसका नाम गोलयत था। वह गत नगर का रहने वाला था। उसकी ऊंचाई प्राय: तीन मीटर थी। उसके सिर पर पीतल का शिरस्‍त्राण था। वह शरीर पर पीतल का कवच पहिने हुए था। कवच का भार सत्तावन किलो था। उसके पैरों में भी पीतल का कवच था। उसके कन्‍धों के मध्‍य पीतल का नेजा बाँधा था। उसके भाले का डण्‍डा करघे के डण्‍डे के समान था। भाले के लोहे के फल का भार प्राय: सात किलो था। गोलयत का ढालवाहक उसके आगे-आगे चल रहा था। गोलयत इस्राएली सैनिकों की पंिक्‍तयों के सम्‍मुख खड़ा हुआ। उसने उन्‍हें पुकारा, ‘तुमने युद्ध की व्‍यूह-रचना क्‍यों की? क्‍या मैं पलिश्‍ती सैनिक नहीं हूँ? क्‍या तुम शाऊल के गुलाम नहीं हो? तुम अपने में से एक योद्धा को चुनो। वह पहाड़ से उतरकर मेरे पास आए। यदि वह मुझसे लड़ सकेगा, और मुझे मार देगा, तो हम-पलिश्‍ती तुम्‍हारे गुलाम बन जाएँगे। परन्‍तु यदि मैं उसको पराजित कर उसे मार डालूँगा, तो तुम हमारे गुलाम बन जाओगे और हमारी गुलामी करोगे।’ पलिश्‍ती योद्धा ने आगे कहा, ‘मैं आज इस्राएली सैनिकों को चुनौती देता हूँ। तुम मुझे अपना एक योद्धा दो। हम द्वन्‍द्वयुद्ध करेंगे।’ जब शाऊल और इस्राएल देश के सैनिकों ने पलिश्‍ती योद्धा की ये बातें सुनीं, तब वे हिम्‍मत हार गए। वे बहुत डर गए। दाऊद यिशय का पुत्र था। यिशय यहूदा प्रदेश के बेतलेहम नगर का रहने वाला था। वह एप्रताह जिले का निवासी था। यिशय के आठ पुत्र थे। वह शाऊल के राज्‍य-काल तक बहुत वृद्ध हो गया था। यिशय के तीन बड़े पुत्र शाऊल के साथ युद्ध में गए थे। उसके उन तीन पुत्रों के नाम, जो युद्ध में गए थे, ये हैं : ज्‍येष्‍ठ पुत्र एलीअब, उसके बाद का अबीनादब, और तीसरा पुत्र शम्‍माह। दाऊद सबसे छोटा पुत्र था। उसके तीन बड़े भाई शाऊल के पीछे-पीछे युद्ध में गए थे। दाऊद बेतलेहम नगर में अपने पिता की भेड़-बकरियों की देखभाल करने के लिए शाऊल के पास से लौटकर आता था। पलिश्‍ती योद्धा चालीस दिन तक, सबेरे और शाम को, इस्राएली सेना के सम्‍मुख आता और खड़ा हो जाता था। एक दिन यिशय ने अपने पुत्र दाऊद से कहा, ‘अपने भाइयों के लिए यह दस किलो भुना हुआ अनाज और ये दस रोटियाँ ले, और तुरन्‍त उनके पड़ाव में जा। उनके सहस्रपति के लिए पनीर की ये दस टिकियाँ भी ले जा। अपने भाइयों से उनका कुशल-क्षेम पूछना, और उनकी कुशलता का प्रमाण-चिह्‍न लाना। वे शाऊल और समस्‍त इस्राएलियों के साथ एलाह घाटी में पलिश्‍तियों से युद्ध कर रहे हैं।’ अत: दाऊद सबेरे उठा। उसने भेड़-बकरियाँ रखवाले के पास छोड़ीं। उसने सामान उठाया और चला गया, जैसा उसके पिता यिशय ने आदेश दिया था। वह पड़ाव में आया। उस समय सेना युद्ध-भूमि की ओर जा रही थी। सैनिक युद्ध के नारे लगा रहे थे। इस्राएली और पलिश्‍ती सेनाएँ युद्ध के लिए एक-दूसरे के सामने पंिक्‍तबद्ध खड़ी हो गईं। दाऊद सामान के रखवाले के हाथ में अपनी वस्‍तुएँ छोड़कर युद्ध-भूमि की ओर दौड़ा। वह युद्ध-भूमि में पहुँचा। उसने अपने भाइयों से उनका कुशल-क्षेम पूछा। जब वह उनसे बात कर रहा था तब गत नगर का रहने वाला पलिश्‍ती योद्धा, जिसका नाम गोलयत था, पलिश्‍ती सेना के पड़ाव से निकल कर आया। वह पहले के समान बोलने लगा। दाऊद ने उसकी बातें सुनीं। जब इस्राएली सैनिकों ने पलिश्‍ती योद्धा को देखा, तब वे सब उसके सामने से भाग गए। वे बहुत डर गए। इस्राएली सैनिकों ने कहा, ‘क्‍या तुमने उस पुरुष को देखा, जो आ रहा है? निस्‍सन्‍देह वह इस्राएलियों को चुनौती देने आया है। जो व्यक्‍ति द्वन्‍द्व-युद्ध में उसे मार डालेगा, उसको राजा धन-सम्‍पत्ति से माला-माल कर देगा। राजा उसके साथ अपनी पुत्री का विवाह करेगा, और उसके पिता के परिवार को कर से मुक्‍त कर देगा।’ दाऊद ने अपने पास खड़े सैनिकों से पूछा, ‘जो व्यक्‍ति इस पलिश्‍ती योद्धा को मार डालेगा, और इस्राएल के इस अपमान को दूर करेगा, उसके साथ कैसा व्‍यवहार किया जाएगा? यह बेखतना पलिश्‍ती कौन है, जो जीवन्‍त परमेश्‍वर के सैन्‍यदलों को चुनौती दे रहा है?’ सैनिकों ने उसे वही उत्तर दिया, ‘जो व्यक्‍ति द्वन्‍द्व-युद्ध में उसे मार डालेगा, उसके साथ इस प्रकार का व्‍यवहार किया जाएगा........।’ जब दाऊद सैनिकों से बात कर रहा था तब उसके बड़े भाई एलीअब ने उसको सुन लिया। उसका क्रोध दाऊद के प्रति भड़क उठा। उसने कहा, ‘तू यहाँ क्‍यों आया? तूने चन्‍द भेड़-बकरियों को निर्जन इलाके में किसके पास छोड़ा? मैं तेरी ढिठाई को, तेरे दुष्‍ट हृदय को जानता हूँ। तू युद्ध देखने के लिए आया है।’ दाऊद ने कहा, ‘अब मैंने क्‍या किया? क्‍या मैं बात भी न करूँ?’ दाऊद उसके पास से मुड़कर दूसरे सैनिक के सम्‍मुख खड़ा हुआ। दाऊद ने उससे वही प्रश्‍न पूछा। उसने तथा अन्‍य सैनिकों ने दाऊद को पहले-जैसा उत्तर दिया। परन्‍तु सैनिकों ने दाऊद की बातों पर ध्‍यान दिया, और उनको ज्‍यों का त्‍यों शाऊल के सम्‍मुख दुहरा दिया। शाऊल ने दूत भेजकर दाऊद को बुलाया। दाऊद ने शाऊल से कहा, ‘मेरे स्‍वामी का हृदय पलिश्‍ती योद्धा के कारण निराश न हो। मैं, आपका सेवक, उस पलिश्‍ती योद्धा से द्वन्‍द्व-युद्ध करने जाऊंगा।’ शाऊल ने दाऊद से कहा, ‘तुम युद्ध-भूमि जाकर पलिश्‍ती योद्धा से युद्ध नहीं कर सकते। तुम अभी लड़के ही हो, जब कि वह जवानी से ही अनुभवी सैनिक है।’ दाऊद ने शाऊल से कहा, ‘मैं आपका सेवक, अपने पिता की भेड़-बकरियों की देखभाल करता हूँ। जब सिंह अथवा भालू आता और रेवड़ में से मेमना उठा ले जाता तब मैं उसका पीछा करता, उस पर प्रहार करता, और उसके मुंह से मेमने को छुड़ाता हूँ। यदि वह मुझ पर हमला करता तो मैं उसके जबड़े के बालों को पकड़ता और उस पर प्रहार करता हूँ। इस प्रकार मैं उसको मार डालता हूँ। मैंने, आपके सेवक ने, सिंह और भालू दोनों को मारा है। यह बेखतना पलिश्‍ती भी उनके समान मारा जाएगा; क्‍योंकि इसने जीवन्‍त परमेश्‍वर के सैन्‍यदलों को चुनौती दी है।’ दाऊद ने आगे कहा, ‘जिस प्रभु ने मुझे सिंह के पंजे से, भालू के पंजे से बचाया था, वह मुझे इस पलिश्‍ती योद्धा के हाथ से भी बचाएगा।’ शाऊल ने दाऊद से कहा, ‘जाओ! प्रभु तुम्‍हारे साथ हो!’ तब शाऊल ने उसे अपना बख्‍तर पहिनाया। उसने दाऊद के सिर पर पीतल का शिरस्‍त्राण रखा। उसके शरीर पर कवच पहिनाया। उसने दाऊद के बख्‍तर के नीचे अपनी तलवार बांधी। तब दाऊद ने चलने का प्रयत्‍न किया। परन्‍तु वह चल न सका; क्‍योंकि उसे इन शस्‍त्रों का अभ्‍यास न था। उसने शाऊल से कहा, ‘मैं इन शस्‍त्रों को पहिनकर चल नहीं सकता। मुझे इनका अभ्‍यास नहीं है’ अत: दाऊद ने उनको उतार दिया। दाऊद ने अपनी लाठी अपने हाथ में ली। उसने नदी के तट से पांच चिकने पत्‍थर चुने, और उनको चरवाहे की थैली में, अपने झोले में रख लिया। उसके हाथ में उसका गोफन था। वह पलिश्‍ती योद्धा के समीप पहुंचा। पलिश्‍ती योद्धा दाऊद की ओर गया। वह उसके पास पहुँचा। पलिश्‍ती योद्धा का शस्‍त्र-वाहक उसके आगे-आगे था। उसने दृष्‍टि दौड़ायी और दाऊद को देखा। उसने दाऊद को हेय समझा; क्‍योंकि दाऊद अभी लड़का ही था। उससे किशोरावस्‍था की ललाई झलकती थी। वह देखने में सुन्‍दर था। पलिश्‍ती योद्धा ने दाऊद से कहा, ‘क्‍या मैं कुत्ता हूँ जो तू डण्‍डा लेकर मेरे पास आया है?’ तब वह अपने देवताओं के नाम से दाऊद को शाप देने लगा। उसने दाऊद से कहा, ‘आ, मेरे पास आ! मैं तेरा मांस आकाश के पक्षियों और जंगल के पशुओं को खाने के लिए दूंगा।’ दाऊद ने पलिश्‍ती योद्धा को उत्तर दिया, ‘तू तलवार, भाला और नेजा के साथ मुझसे लड़ने आया है। पर मैं स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु, इस्राएली सैन्‍यदलों के परमेश्‍वर के नाम से जिसको तूने चुनौती दी है, तुझसे लड़ने आया हूँ। आज प्रभु तुझे मेरे हाथ में सौंप देगा। मैं तुझ पर प्रहार करूंगा। तेरे सिर को धड़ से अलग करूंगा। आज मैं तेरी लोथ और पलिश्‍ती पड़ाव के सैनिकों की लोथ आकाश के पक्षियों को और धरती के वन- पशुओं को खाने के लिए दूंगा। तब समस्‍त पृथ्‍वी को ज्ञात होगा कि इस्राएल का अपना परमेश्‍वर है। इस धर्म-सभा को ज्ञात होगा कि प्रभु तलवार और भाले के द्वारा नहीं बचाता। यह युद्ध प्रभु का है। वह तुम पलिश्‍तियों को हमारे हाथ में सौंप देगा।’ पलिश्‍ती योद्धा द्वन्‍द्व के लिए तैयार हुआ। वह दाऊद का सामना करने के लिए उसकी ओर गया। वह समीप आया। दाऊद ने सैनिक-पंिक्‍त छोड़ी। वह पलिश्‍ती योद्धा का मुकाबला करने के लिए उसकी ओर दौड़ा। उसने थैली में अपना हाथ डाला। उसमें से एक पत्‍थर निकाला। उसको गोफन में रखा, और पलिश्‍ती योद्धा की ओर फेंका। पत्‍थर उसके माथे में धंस गया। वह मुंह के बल भूमि पर गिर पड़ा। यों दाऊद ने गोफन और पत्‍थर से पलिश्‍ती योद्धा पर विजय प्राप्‍त की। उसने उस पर प्रहार किया और उसे मार डाला। दाऊद के हाथ में तलवार नहीं थी।

1 शमूएल 17:1-50 Hindi Holy Bible (HHBD)

अब पलिश्तियों ने युद्ध के लिये अपनी सेनाओं को इकट्ठा किया; और यहूदा देश के सोको में एक साथ हो कर सोको और अजेका के बीच एपेसदम्मीम में डेरे डाले। और शाऊल और इस्राएली पुरूषों ने भी इकट्ठे हो कर एला नाम तराई में डेरे डाले, और युद्ध के लिये पलिश्तियों के विरुद्ध पांती बान्धी। पलिश्ती तो एक ओर के पहाड़ पर और इस्राएली दूसरी ओर के पहाड़ पर और इस्राएली दूसरी ओर के पहाड़ पर खड़े रहे; और दोनों के बीच तराई थी। तब पलिश्तियों की छावनी में से एक वीर गोलियत नाम निकला, जो गत नगर का था, और उसके डील की लम्बाई छ: हाथ एक बित्ता थी। उसके सिर पर पीतल का टोप था; और वह एक पत्तर का फिलम पहिने हुए था, जिसका तौल पांच हजार शेकेल पीतल का था। उसकी टांगों पर पीतल के कवच थे, और उस से कन्धों के बीच बरछी बन्धी थी। उसके भाले की छड़ जुलाहे के डोंगी के समान थी, और उस भाले का फल छ: सौ शेकेल लोहे का था, और बड़ी ढाल लिए हुए एक जन उसके आगे आगे चलता था वह खड़ा हो कर इस्राएली पांतियों को ललकार के बोला, तुम ने यहां आकर लड़ाई के लिये क्यों पांति बान्धी है? क्या मैं पलिश्ती नहीं हूं, और तुम शाऊल के आधीन नहीं हो? अपने में से एक पुरूष चुना, कि वह मेरे पास उत्तर आए। यदि वह मुझ से लड़कर मुझे मार सके, तब तो हम तुम्हारे आधीन हो जाएंगे; परन्तु यदि मैं उस पर प्रबल हो कर मांरू, तो तुम को हमारे आधीन हो कर हमारी सेवा करनी पड़ेगी। फिर वह पलिश्ती बोला, मैं आज के दिन इस्राएली पांतियों को ललकारता हूं, किसी पुरूष को मेरे पास भेजो, कि हम एक दूसरे से लड़ें। उस पलिश्ती की इन बातों को सुनकर शाऊल और समस्त इस्राएलियों का मन कच्चा हो गया, और वे अत्यन्त डर गए॥ दाऊद तो यहूदा के बेतलेहेम के उस एप्राती पुरूष को पुत्र था, जिसका नाम यिशै था, और उसके आठ पुत्र थे और वह पुरूष शाऊल के दिनों में बूढ़ा और निर्बल हो गया था। यिशै के तीन बड़े पुत्र शाऊल के पीछे हो कर लड़ने को गए थे; और उसके तीन पुत्रों के नाम जो लड़ने को गए थे ये थे, अर्थात ज्येष्ठ का नाम एलीआब, दूसरे का अबीनादाब, और तीसरे का शम्मा था। और सब से छोटा दाऊद था; और तीनों बड़े पुत्र शाऊल के पीछे हो कर गए थे, और दाऊद बेतलहेम में अपने पिता की भेड़ बकरियां चराने को शाऊल के पास से आया जाया करता था॥ वह पलिश्ती तो चालीस दिन तक सवेरे और सांझ को निकट आकर खड़ा हुआ करता था। और यिशै ने अपने पुत्र दाऊद से कहा, यह एपा भर चबैना, और ये दस रोटियां ले कर छावनी में अपने भाइयों के पास दौड़ जा; और पनीर की ये दस टिकियां उनके सहस्रपति के लिये ले जा। और अपने भाइयों का कुशल देखकर उन की कोई चिन्हानी ले आना। शाऊल, और वे भाई, और समस्त इस्राएली पुरूष एला नाम तराई में पलिश्तियों से लड़ रहे थे। और दाऊद बिहान को सबेरे उठ, भेड़ बकरियों को किसी रखवाले के हाथ में छोड़कर, उन वस्तुओं को ले कर चला; और जब सेना रणभूमि को जा रही, और संग्राम के लिये ललकार रही थी, उसी समय वह गाडिय़ों के पड़ाव पर पहुंचा। तब इस्राएलियों और पलिश्तियों ने अपनी अपनी सेना आम्हने साम्हने करके पांति बांन्धी। औ दाऊद अपनी समग्री सामान के रखवाले के हाथ में छोड़कर रणभूमि को दौड़ा, और अपने भाइयों के पास जा कर उनका कुशल क्षेम पूछा। वह उनके साथ बातें कर ही रहा था, कि पलिश्तियों की पांतियों में से वह वीर, अर्थात गतवासी गोलियत नाम वह पलिश्ती योद्धा चढ़ आया, और पहिले की सी बातें कहने लगा। और दाऊद ने उन्हें सुना। उस पुरूष को देखकर सब इस्राएली अत्यन्त भय खाकर उसके साम्हने से भागे। फिर इस्राएली पुरूष कहने लगे, क्या तुम ने उस पुरूष को देखा है जो चढ़ा आ रहा है? निश्चय वह इस्राएलियों को ललकारने को चढ़ा आता है; और जो कोई उसे मार डालेगा उसको राजा बहुत धन देगा, और अपनी बेटी ब्याह देगा, और उसके पिता के घराने को इस्राएल में स्वतन्त्र कर देगा। तब दाऊद ने उन पुरूषों से जो उसके आस पास खड़े थे पूछा, कि जो उस पलिश्ती को मार के इस्राएलियों की नामधराई दूर करेगा उसके लिये क्या किया जाएगा? वह खतनारहित पलिश्ती तो क्या है कि जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारे? तब लोगों ने उस से वही बातें कहीं, अर्थात यह, कि जो कोई उसे मारेगा उस से ऐसा ऐसा किया जाएगा। जब दाऊद उन मनुष्यों से बातें कर रहा था, तब उसका बड़ा भाई एलीआब सुन रहा था; और एलीआब दाऊद से बहुत क्रोधित हो कर कहने लगा, तू यहां क्या आया है? और जंगल में उन थोड़ी सी भेड़ बकरियों को तू किस के पास छोड़ आया है? तेरा अभिमान और तेरे मन की बुराई मुझे मालूम है; तू तो लड़ाई देखने के लिये यहां आया है। दाऊद ने कहा, मैं ने अब क्या किया है, वह तो निरी बात थी? तब उसने उसके पास से मुंह फेरके दूसरे के सम्मुख हो कर वैसी ही बात कही; और लोगों ने उसे पहिले की नाईं उत्तर दिया। जब दाऊद की बातों की चर्चा हुई, तब शाऊल को भी सुनाईं गई; और उसने उसे बुलवा भेजा। तब दाऊद ने शाऊल से कहा, किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्चा न हो; तेरा दास जा कर उस पलिश्ती से लड़ेगा। शाऊल ने दाऊद से कहा, तू जा कर उस पलिश्ती के विरुद्ध नहीं युद्ध कर सकता; क्योंकि तू तो लड़का ही है, और वह लड़कपन ही से योद्धा है। दाऊद ने शाऊल से कहा, तेरा दास अपने पिता की भेड़ बकरियां चराता था; और जब कोई सिंह वा भालू झुंड में से मेम्ना उठा ले गया, तब मैं ने उसका पीछा करके उसे मारा, और मेम्ने को उसके मुंह से छुड़ाया; और जब उसने मुझ पर चढ़ाई की, तब मैं ने उसके केश को पकड़कर उसे मार डाला। तेरे दास ने सिंह और भालू दोनों को मार डाला; और वह खतनारहित पलिश्ती उनके समान हो जाएगा, क्योंकि उसने जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारा है। फिर दाऊद ने कहा, यहोवा जिसने मुझ सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा। शाऊल ने दाऊद से कहा, जा, यहोवा तेरे साथ रहे। तब शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहिनाए, और पीतल का टोप उसके सिर पर रख दिया, और झिलम उसको पहिनाया। और दाऊद ने उसकी तलवार वस्त्र के ऊपर कसी, और चलने का यत्न किया; उसने तो उन को न परखा था। इसलिये दाऊद ने शाऊल से कहा, इन्हें पहिने हुए मुझ से चला नहीं जाता, क्योंकि मैं ने नहीं परखा। और दाऊद ने उन्हें उतार दिया। तब उसने अपनी लाठी हाथ में ले नाले में से पांच चिकने पत्थर छांटकर अपनी चरवाही की थैली, अर्थात अपने झोले में रखे; और अपना गोफन हाथ में ले कर पलिश्ती के निकट चला। और पलिश्ती चलते चलते दाऊद के निकट पहुंचने लगा, और जो जन उसकी बड़ी ढाल लिए था वह उसके आगे आगे चला। जब पलिश्ती ने दृष्टि करके दाऊद को देखा, तब उसे तुच्छ जाना; क्योंकि वह लड़का ही था, और उसके मुख पर लाली झलकती थी, और वह सुन्दर था। तब पलिश्ती ने दाऊद से कहा, क्या मैं कुत्ता हूं, कि तू लाठी ले कर मेरे पास आता है? तब पलिश्ती अपने देवताओं के नाम ले कर दाऊद को कोसने लगा। फिर पलिश्ती ने दाऊद से कहा, मेरे पास आ, मैं तेरा मांस आकाश के पक्षियों और वनपशुओं को दे दूंगा। दाऊद ने पलिश्ती से कहा, तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है। आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूंगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूंगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना की लोथें आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव जन्तुओं को दे दूंगा; तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है। और यह समस्त मण्डली जान लेगी की यहोवा तलवार वा भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा। जब पलिश्ती उठ कर दाऊद का साम्हना करने के लिये निकट आया, तब दाऊद सेना की ओर पलिश्ती का साम्हना करने के लिये फुर्ती से दौड़ा। फिर दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डालकर उस में से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रखकर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुंह के बल गिर पड़ा। यों दाऊद ने पलिश्ती पर गोफन और एक ही पत्थर के द्वारा प्रबल हो कर उसे मार डाला; परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार न थी।

1 शमूएल 17:1-50 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

अब पलिश्तियों ने युद्ध के लिये अपनी सेनाओं को इकट्ठा किया; और यहूदा देश के सोको में एक साथ होकर सोको और अजेका के बीच एपेसदम्मीम में डेरे डाले। शाऊल और इस्राएली पुरुषों ने भी इकट्ठे होकर एला नामक तराई में डेरे डाले, और युद्ध के लिये पलिश्तियों के विरुद्ध पाँति बाँधी। पलिश्ती तो एक ओर के पहाड़ पर और इस्राएली दूसरी ओर के पहाड़ पर खड़े रहे; और दोनों के बीच तराई थी। तब पलिश्तियों की छावनी में से गोलियत नामक एक वीर निकला, जो गत नगर का था, और उसकी लम्बाई छः हाथ एक बित्ता थी। उसके सिर पर पीतल का टोप था; और वह एक पत्तर का झिलम पहने हुए था, जिसका तौल पाँच हजार शेकेल पीतल का था। उसकी टाँगों पर पीतल के कवच थे, और उसके कंधों के बीच बरछी बंधी थी। उसके भाले की छड़ जुलाहे के डोंगी के समान थी, और उस भाले का फल छः सौ शेकेल लोहे का था, और बड़ी ढाल लिए हुए एक जन उसके आगे-आगे चलता था वह खड़ा होकर इस्राएली पाँतियों को ललकार के बोला, “तुम ने यहाँ आकर लड़ाई के लिये क्यों पाँति बाँधी है? क्या मैं पलिश्ती नहीं हूँ, और तुम शाऊल के अधीन नहीं हो? अपने में से एक पुरुष चुनो, कि वह मेरे पास उतर आए। यदि वह मुझसे लड़कर मुझे मार सके, तब तो हम तुम्हारे अधीन हो जाएँगे; परन्तु यदि मैं उस पर प्रबल होकर मारूँ, तो तुम को हमारे अधीन होकर हमारी सेवा करनी पड़ेगी।” फिर वह पलिश्ती बोला, “मैं आज के दिन इस्राएली पाँतियों को ललकारता हूँ, किसी पुरुष को मेरे पास भेजो, कि हम एक दूसरे से लड़ें।” उस पलिश्ती की इन बातों को सुनकर शाऊल और समस्त इस्राएलियों का मन कच्चा हो गया, और वे अत्यन्त डर गए। दाऊद यहूदा के बैतलहम के उस एप्राती पुरुष का पुत्र था, जिसका नाम यिशै था, और उसके आठ पुत्र थे और वह पुरुष शाऊल के दिनों में बूढ़ा और निर्बल हो गया था। यिशै के तीन बड़े पुत्र शाऊल के पीछे होकर लड़ने को गए थे; और उसके तीन पुत्रों के नाम जो लड़ने को गए थे, ये थे, अर्थात् ज्येष्ठ का नाम एलीआब, दूसरे का अबीनादाब, और तीसरे का शम्मा था। सबसे छोटा दाऊद था; और तीनों बड़े पुत्र शाऊल के पीछे होकर गए थे, और दाऊद बैतलहम में अपने पिता की भेड़ बकरियाँ चराने को शाऊल के पास से आया-जाया करता था। वह पलिश्ती तो चालीस दिन तक सवेरे और साँझ को निकट जाकर खड़ा हुआ करता था। यिशै ने अपने पुत्र दाऊद से कहा, “यह एपा भर भुना हुआ अनाज, और ये दस रोटियाँ लेकर छावनी में अपने भाइयों के पास दौड़ जा; और पनीर की ये दस टिकियाँ उनके सहस्त्रपति के लिये ले जा। और अपने भाइयों का कुशल देखकर उनकी कोई निशानी ले आना। शाऊल, और तेरे भाई, और समस्त इस्राएली पुरुष एला नामक तराई में पलिश्तियों से लड़ रहे है।” अतः दाऊद सवेरे उठ, भेड़ बकरियों को किसी रखवाले के हाथ में छोड़कर, यिशै की आज्ञा के अनुसार उन वस्तुओं को लेकर चला; और जब सेना रणभूमि को जा रही, और संग्राम के लिये ललकार रही थी, उसी समय वह गाड़ियों के पड़ाव पर पहुँचा। तब इस्राएलियों और पलिश्तियों ने अपनी-अपनी सेना आमने-सामने करके पाँति बाँधी। दाऊद अपनी सामग्री सामान के रखवाले के हाथ में छोड़कर रणभूमि को दौड़ा, और अपने भाइयों के पास जाकर उनका कुशल क्षेम पूछा। वह उनके साथ बातें कर ही रहा था, कि पलिश्तियों की पाँतियों में से वह वीर, अर्थात् गतवासी गोलियत नामक वह पलिश्ती योद्धा चढ़ आया, और पहले की सी बातें कहने लगा। और दाऊद ने उन्हें सुना। उस पुरुष को देखकर सब इस्राएली अत्यन्त भय खाकर उसके सामने से भागे। फिर इस्राएली पुरुष कहने लगे, “क्या तुम ने उस पुरुष को देखा है जो चढ़ा आ रहा है? निश्चय वह इस्राएलियों को ललकारने को चढ़ा आता है; और जो कोई उसे मार डालेगा उसको राजा बहुत धन देगा, और अपनी बेटी का विवाह उससे कर देगा, और उसके पिता के घराने को इस्राएल में स्वतंत्र कर देगा।” तब दाऊद ने उन पुरुषों से जो उसके आस-पास खड़े थे पूछा, “जो उस पलिश्ती को मारकर इस्राएलियों की नामधराई दूर करेगा उसके लिये क्या किया जाएगा? वह खतनारहित पलिश्ती क्या है कि जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारे?” तब लोगों ने उससे वही बातें कहीं, अर्थात् यह, कि जो कोई उसे मारेगा उससे ऐसा-ऐसा किया जाएगा। जब दाऊद उन मनुष्यों से बातें कर रहा था, तब उसका बड़ा भाई एलीआब सुन रहा था; और एलीआब दाऊद से बहुत क्रोधित होकर कहने लगा, “तू यहाँ क्यों आया है? और जंगल में उन थोड़ी सी भेड़ बकरियों को तू किसके पास छोड़ आया है? तेरा अभिमान और तेरे मन की बुराई मुझे मालूम है; तू तो लड़ाई देखने के लिये यहाँ आया है।” दाऊद ने कहा, “अब मैंने क्या किया है? वह तो निरी बात थी।” तब उसने उसके पास से मुँह फेर के दूसरे के सम्मुख होकर वैसी ही बात कही; और लोगों ने उसे पहले के समान उत्तर दिया। जब दाऊद की बातों की चर्चा हुई, तब शाऊल को भी सुनाई गई; और उसने उसे बुलवा भेजा। तब दाऊद ने शाऊल से कहा, “किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्चा न हो; तेरा दास जाकर उस पलिश्ती से लड़ेगा।” शाऊल ने दाऊद से कहा, “तू जाकर उस पलिश्ती के विरुद्ध युद्ध नहीं कर सकता; क्योंकि तू तो लड़का ही है, और वह लड़कपन ही से योद्धा है।” (इब्रा. 11:33) दाऊद ने शाऊल से कहा, “तेरा दास अपने पिता की भेड़-बकरियाँ चराता था; और जब कोई सिंह या भालू झुण्ड में से मेम्ना उठा ले जाता, तब मैं उसका पीछा करके उसे मारता, और मेम्ने को उसके मुँह से छुड़ा लेता; और जब वह मुझ पर हमला करता, तब मैं उसके केश को पकड़कर उसे मार डालता। तेरे दास ने सिंह और भालू दोनों को मारा है। और वह खतनारहित पलिश्ती उनके समान हो जाएगा, क्योंकि उसने जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारा है।” फिर दाऊद ने कहा, “यहोवा जिसने मुझे सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा।” शाऊल ने दाऊद से कहा, “जा, यहोवा तेरे साथ रहे।” तब शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहनाए, और पीतल का टोप उसके सिर पर रख दिया, और झिलम उसको पहनाया। तब दाऊद ने उसकी तलवार वस्त्र के ऊपर कसी, और चलने का यत्न किया; उसने तो उनको न परखा था। इसलिए दाऊद ने शाऊल से कहा, “इन्हें पहने हुए मुझसे चला नहीं जाता, क्योंकि मैंने इन्हें नहीं परखा है।” और दाऊद ने उन्हें उतार दिया। तब उसने अपनी लाठी हाथ में ली और नदी में से पाँच चिकने पत्थर छाँटकर अपनी चरवाही की थैली, अर्थात् अपने झोले में रखे; और अपना गोफन हाथ में लेकर पलिश्ती के निकट गया। और पलिश्ती चलते-चलते दाऊद के निकट पहुँचने लगा, और जो जन उसकी बड़ी ढाल लिए था वह उसके आगे-आगे चला। जब पलिश्ती ने दृष्टि करके दाऊद को देखा, तब उसे तुच्छ जाना; क्योंकि वह लड़का ही था, और उसके मुख पर लाली झलकती थी, और वह सुन्दर था। तब पलिश्ती ने दाऊद से कहा, “क्या मैं कुत्ता हूँ, कि तू लाठी लेकर मेरे पास आता है?” तब पलिश्ती अपने देवताओं के नाम लेकर दाऊद को कोसने लगा। फिर पलिश्ती ने दाऊद से कहा, “मेरे पास आ, मैं तेरा माँस आकाश के पक्षियों और वन-पशुओं को दे दूँगा।” दाऊद ने पलिश्ती से कहा, “तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूँ, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तूने ललकारा है। आज के दिन यहोवा तुझको मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझको मारूँगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूँगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना के शव आकाश के पक्षियों को दे दूँगा; तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है। और यह समस्त मण्डली जान लेगी कि यहोवा तलवार या भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिए कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।” जब पलिश्ती उठकर दाऊद का सामना करने के लिये निकट आया, तब दाऊद सेना की ओर पलिश्ती का सामना करने के लिये फुर्ती से दौड़ा। (भज. 27:3) फिर दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डालकर उसमें से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रखकर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुँह के बल गिर पड़ा। अतः दाऊद ने पलिश्ती पर गोफन और एक ही पत्थर के द्वारा प्रबल होकर उसे मार डाला; परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार न थी।

1 शमूएल 17:1-50 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

इस समय फिलिस्तीनियों ने युद्ध के लिए अपनी सेना इकट्ठी की हुई थी. वे यहूदिया के सोकोह नामक स्थान पर एकत्र थे. उन्होंने सोकोह तथा अज़ेका के मध्यवर्ती क्षेत्र में अपने शिविर खड़े किए थे. शाऊल और उनकी सेना एलाह घाटी में एकत्र थी, जहां उन्होंने अपने शिविर खड़े किए थे. फिलिस्तीनियों से युद्ध के लिए उन्होंने यहीं अपनी सेना संयोजित की थी. फिलिस्तीनी सेना एक पहाड़ी पर तथा इस्राएली सेना अन्य पहाड़ी पर मोर्चा बांधे खड़ी थी, और उनके मध्य घाटी थी. इसी समय फिलिस्तीनियों के शिविर से एक योद्धा बाहर आया. उसका नाम था गोलियथ, जो गाथ प्रदेश का वासी था. कद में वह लगभग तीन मीटर ऊंचा था. उसने अपने सिर पर कांसे का टोप पहन रखा था. उसके शरीर पर पीतल का कवच था, जिसका भार सत्तावन किलो था. उसके पैरों पर भी पीतल का कवच था. उसके कंधों के मध्य कांसे की बर्छी लटकी हुई थी उसके भाले का दंड करघे के दंड समान था. भाले के लोहे का फल लगभग सात किलो था. उसके आगे-आगे उसका ढाल संवाहक चल रहा था. इस्राएल की सेना पंक्ति के सामने खड़े हो उसने उन्हें संबोधित कर उच्च स्वर में कहना शुरू किया, “क्या कर रहे हो तुम यहां युद्ध संरचना में संयोजित होकर? शाऊल के दासों, मैं फिलिस्तीनी हूं. अपने मध्य से एक योद्धा चुनो कि वह मेरे पास आए. यदि वह मुझसे युद्ध कर सके और मेरा वध कर सके, तो हम तुम्हारे सेवक बन जाएंगे; मगर यदि मैं उसे पराजित करूं और उसका वध करूं, तो तुम्हें हमारे दास बनकर हमारी सेवा करनी होगी.” वह फिलिस्तीनी यह भी कह रहा था, “आज मैं इस्राएली सेना को चुनौती देता हूं! मुझसे युद्ध करने के लिए एक योद्धा भेजो.” जब शाऊल तथा इस्राएली सेना ने यह सब सुना तो वे सभी निराश हो गए, और उनमें भय समा गया. दावीद यहूदिया प्रदेश में इफ्ऱथ क्षेत्र के बेथलेहेम नगर के यिशै नामक व्यक्ति के पुत्र थे. यिशै के आठ पुत्र थे. शाऊल के शासनकाल में यिशै वयोवृद्ध हो चुके थे. उनके तीन बड़े पुत्र शाऊल की सेना में शामिल थे: एलियाब उनका जेठा पुत्र, अबीनादाब दूसरा, तथा तीसरा पुत्र शम्माह. दावीद इन सबसे छोटे थे. तीन बड़े भाई ही शाऊल की सेना में शामिल हुए थे. दावीद शाऊल की उपस्थिति से बेथलेहेम जा-जाकर अपने पिता की भेड़ों की देखभाल किया करते थे. वह फिलिस्तीनी चालीस दिन तक हर सुबह तथा शाम इस्राएली सेना के सामने आकर खड़ा हो जाया करता था. यिशै ने अपने पुत्र दावीद से कहा, “अपने भाइयों के लिए शीघ्र यह एफाह भर भुने अन्‍न, तथा दस रोटियों की टोकरी ले जाओ. इसके अतिरिक्त उनके सैन्य अधिकारी के लिए ये दस पनीर टिकियां भी ले जाओ. अपने भाइयों का हाल भी मालूम कर आना, और मुझे आकर सारी ख़बर देना. शाऊल और उनकी सारी सेना फिलिस्तीनियों से युद्ध करने के लक्ष्य से एलाह की घाटी में एकत्र हैं.” दावीद प्रातः जल्दी उठे और अपनी भेड़ें एक कर्मी की सुरक्षा में छोड़कर पिता के आदेश के अनुरूप सारा प्रावधान लेकर प्रस्थान किया. वह शिविर ठीक उस मौके पर पहुंचे, जब सेना युद्ध क्षेत्र के लिए बाहर आ ही रही थी. इसी समय वे सब युद्ध घोष नारा भी लगा रहे थे. इस्राएली सेना और फिलिस्तीनी सेना आमने-सामने खड़ी हो गई. दावीद अपने साथ लाई हुई सामग्री सामान के रखवाले को सौंपकर रणभूमि की ओर दौड़ गए, कि अपने भाइयों से उनके कुशल क्षेम के बारे में पूछताछ की. जब वह उनसे संवाद कर ही रहे थे, गाथ प्रदेश से आया वह गोलियथ नामक फिलिस्तीनी योद्धा, फिलिस्तीनी सेना का पड़ाव से बाहर आ रहा था. आज भी उसने वही शब्द दोहराए, जो वह अब तक दोहराता आया था, और दावीद ने आज वे शब्द सुने. उसे देखते ही संपूर्ण इस्राएली सेना बहुत ही भयभीत होकर उसकी उपस्थिति से दूर भागने लगी. कुछ सैनिकों ने दावीद से बातचीत करते हुए पूछा, “देख रहे हो न इस व्यक्ति को, जो हमारी ओर बढ़ा चला आ रहा है? वह इस्राएल को तुच्छ साबित करने के उद्देश्य से रोज-रोज यही कर रहा है. जो कोई उसे धराशायी कर देगा, राजा उसे समृद्ध सम्पन्‍न कर देंगे, उससे अपनी बेटी का विवाह कर देंगे तथा उसके पिता के संपूर्ण परिवार को कर मुक्त भी कर देंगे.” दावीद ने बातें कर रहे उन सैनिकों से प्रश्न किया, “उस व्यक्ति को क्या प्रतिफल दिया जाएगा, जो इस फिलिस्तीनी का संहार कर इस्राएल के उस अपमान को मिटा देगा? क्योंकि यह अख़तनित फिलिस्तीनी होता कौन है, जो जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं की ऐसी उपेक्षा करे?” उन सैनिकों ने दावीद को उत्तर देते हुए वही कहा, जो वे उसके पूर्व उन्हें बता चुके थे, “जो कोई इसका वध करेगा, उसे वही प्रतिफल दिया जाएगा, जैसा हम बता चुके हैं.” दावीद के बड़े भाई एलियाब ने दावीद को सैनिकों से बातें करते सुना. एलियाब ने दावीद पर क्रोधित हुआ. एलियाब दावीद से पूछा, “तुम यहां क्यों आये? मरुभूमि में उन थोड़ी सी भेड़ों को किसके पास छोड़कर आये हो? मैं जानता हूं कि तुम यहां क्यों आये हो! मुझे पता है कि तू कितना अभिमानी है! मैं तेरे दुष्ट हृदय को जानता! तुम केवल यहां युद्ध देखने के लिये आना चाहते थे!” दावीद ने उत्तर दिया, “अरे! मैंने किया ही क्या है? क्या मुझे पूछताछ करने का भी अधिकार नहीं?” यह कहकर दावीद वहां से चले गए, और किसी अन्य सैनिक से उन्होंने वही प्रश्न पूछा, जिसका उन्हें वही उत्तर प्राप्‍त हुआ, जो उन्हें इसके पहले दिया गया था. किसी ने दावीद का वक्तव्य शाऊल के सामने जा दोहराया. शाऊल ने उन्हें अपने पास लाए जाने का आदेश दिया. दावीद ने शाऊल से कहा, “किसी को भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है. मैं, आपका सेवक, जाकर उस फिलिस्तीनी से युद्ध करूंगा.” शाऊल ने दावीद को सलाह देते हुए कहा, “यह असंभव है कि तुम जाकर इस फिलिस्तीनी से युद्ध करो; तुम सिर्फ एक बालक हो और वह जवानी से एक योद्धा.” दावीद ने शाऊल को उत्तर दिया, “मैं, आपका सेवक, अपने पिता की भेड़ों की रखवाली करता रहा हूं. जब कभी सिंह या भालू भेड़ों के झुंड में से किसी भेड़ को उठाकर ले जाता है, मैं उसका पीछा कर, उस पर प्रहार कर उसके मुख से भेड़ को निकाल लाता हूं, यदि वह मुझ पर हमला करता है, मैं उसका जबड़ा पकड़, उस पर वार कर उसे मार डालता हूं. आपके सेवक ने सिंह तथा भालू दोनों ही का संहार किया है. इस अख़तनित फिलिस्तीनी की भी वही नियति होने पर है, जो उनकी हुई है, क्योंकि उसने जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं को तुच्छ समझा है. याहवेह, जिन्होंने मेरी रक्षा सिंह तथा रीछ से की है मेरी रक्षा इस फिलिस्तीनी से भी करेंगे.” इस पर शाऊल ने दावीद से कहा, “बहुत बढ़िया! जाओ, याहवेह की उपस्थिति तुम्हारे साथ बनी रहे.” यह कहते हुए शाऊल ने दावीद को अपने हथियारों से सुसज्जित करना शुरू कर दिया. दावीद ने इनके ऊपर शाऊल की तलवार भी कस ली और फिर इन सबके साथ चलने की कोशिश करने लगे, क्योंकि इसके पहले उन्होंने इनका प्रयोग कभी न किया था. उन्होंने शाऊल से कहा, “इन्हें पहनकर तो मेरे लिए चलना फिरना मुश्किल हो रहा है; क्योंकि मैंने इनका प्रयोग पहले कभी नहीं किया है.” यह कहते हुए दावीद ने वे सब उतार दिए. फिर दावीद ने अपनी लाठी ली, नदी के तट से पांच चिकने-सुडौल पत्थर उठाए, उन्हें अपनी चरवाहे की झोली में डाला, अपने हाथ में अपनी गोफन लिए हुए फिलिस्तीनी की ओर बढ़ चला. वह फिलिस्तीनी भी बढ़ते हुए दावीद के निकट आ पहुंचा. उसके आगे-आगे उसका ढाल उठानेवाला चल रहा था. जब उस फिलिस्तीनी ने ध्यानपूर्वक दावीद की ओर देखा, तो उसके मन में दावीद के प्रति घृणा के भाव उत्पन्‍न हो गए, क्योंकि दावीद सिर्फ एक बालक ही थे—कोमल गुलाबी त्वचा और बहुत ही सुंदर. उस फिलिस्तीनी ने दावीद को संबोधित करते हुए कहा, “मैं कोई कुत्ता हूं, जो मेरी ओर यह लाठी लिए हुए बढ़े चले आ रहे हो?” और वह अपने देवताओं के नाम लेकर दावीद का शाप देने लगा. दावीद को संबोधित कर वह कहने लगा, “आ जा! आज मैं तेरा मांस पशु पक्षियों का आहार बना छोड़ूंगा.” तब दावीद ने उस फिलिस्तीनी से कहा, “तुम मेरी ओर यह भाला, यह तलवार, बरछा तथा शूल लिए हुए बढ़ रहे हो, मगर मैं तुम्हारा सामना सेनाओं के याहवेह के नाम में कर रहा हूं, जो इस्राएल की सेनाओं के परमेश्वर हैं, तुमने जिनकी प्रतिष्ठा को भ्रष्‍ट किया है. आज ही याहवेह तुम्हें मेरे अधीन कर देंगे. मैं तुम्हारा संहार करूंगा और तुम्हारा सिर काटकर देह से अलग कर दूंगा. और मैं आज फिलिस्तीनी सेना के शव पक्षियों और वन्य पशुओं के लिए छोड़ दूंगा कि सारी पृथ्वी को यह मालूम हो जाए कि परमेश्वर इस्राएल राष्ट्र में हैं, तथा यहां उपस्थित हर एक व्यक्ति को यह अहसास हो जाएगा कि याहवेह के लिए छुड़ौती के साधन तलवार और बर्छी नहीं हैं. यह युद्ध याहवेह का है और वही तुम्हें हमारे अधीन कर देंगे.” यह सुनकर वह फिलिस्तीनी दावीद पर प्रहार करने के लक्ष्य से आगे बढ़ा. वहां दावीद भी फिलिस्तीनी पर हमला करने युद्ध रेखा की ओर दौड़े. दावीद ने अपने झोले से एक पत्थर निकाला, गोफन में रख उसे फेंका और वह पत्थर जाकर फिलिस्तीनी के माथे पर जा लगा, और भीतर गहरा चला गया और वह भूमि पर मुख के बल गिर पड़ा. इस प्रकार दावीद सिर्फ गोफन और पत्थर के द्वारा उस फिलिस्तीनी पर विजयी हो गए. उन्होंने इनके द्वारा उस फिलिस्तीनी पर वार किया और उसकी मृत्यु हो गई. दावीद के पास तलवार तो थी नहीं.