1 शमूएल 17
17
दाऊद और गोलयत
1पलिश्तियों ने युद्ध के लिए अपने सैन्यदल एकत्र किए। वे यहूदा प्रदेश के सोकोह नगर में, एकत्र हुए। उन्होंने एफस-दम्मीम क्षेत्र में सोकोह और अजेकाह नगर के मध्य पड़ाव डाला। 2अत: शाऊल और इस्राएल देश के समस्त सैनिक एकत्र हुए। उन्होंने एलाह घाटी में पड़ाव डाला। उन्होंने पलिश्तियों का सामना करने के लिए युद्ध की व्यूह-रचना की। 3पलिश्ती सैनिक पहाड़ की एक ओर खड़े थे, और इस्राएली सैनिक पहाड़ की दूसरी ओर। उनके मध्य एक घाटी थी।
4तब पलिश्ती पड़ाव से एक पराक्रमी योद्धा निकला। उसका नाम गोलयत था। वह गत नगर का रहने वाला था। उसकी ऊंचाई प्राय: तीन मीटर#17:4 अर्थात्, “छ: हाथ एक बीता” अथवा “साढ़े नौ फुट” थी।#2 शम 21:19 5उसके सिर पर पीतल का शिरस्त्राण था। वह शरीर पर पीतल का कवच पहिने हुए था। कवच का भार सत्तावन किलो था। 6उसके पैरों में भी पीतल का कवच था। उसके कन्धों के मध्य पीतल का नेजा बाँधा था। 7उसके भाले का डण्डा करघे के डण्डे के समान था। भाले के लोहे के फल का भार प्राय: सात किलो था। गोलयत का ढालवाहक उसके आगे-आगे चल रहा था।
8गोलयत इस्राएली सैनिकों की पंिक्तयों के सम्मुख खड़ा हुआ। उसने उन्हें पुकारा, ‘तुमने युद्ध की व्यूह-रचना क्यों की? क्या मैं पलिश्ती सैनिक नहीं हूँ? क्या तुम शाऊल के गुलाम नहीं हो? तुम अपने में से एक योद्धा को चुनो। वह पहाड़ से उतरकर मेरे पास आए। 9यदि वह मुझसे लड़ सकेगा, और मुझे मार देगा, तो हम-पलिश्ती तुम्हारे गुलाम बन जाएँगे। परन्तु यदि मैं उसको पराजित कर उसे मार डालूँगा, तो तुम हमारे गुलाम बन जाओगे और हमारी गुलामी करोगे।’ 10पलिश्ती योद्धा ने आगे कहा, ‘मैं आज इस्राएली सैनिकों को चुनौती देता हूँ। तुम मुझे अपना एक योद्धा दो। हम द्वन्द्वयुद्ध करेंगे।’ 11जब शाऊल और इस्राएल देश के सैनिकों ने पलिश्ती योद्धा की ये बातें सुनीं, तब वे हिम्मत हार गए। वे बहुत डर गए।
12दाऊद यिशय का पुत्र था। यिशय यहूदा प्रदेश के बेतलेहम नगर का रहने वाला था। वह एप्रताह जिले का निवासी था। यिशय के आठ पुत्र थे। वह शाऊल के राज्य-काल तक बहुत वृद्ध हो गया था।#रूत 4:22 13यिशय के तीन बड़े पुत्र शाऊल के साथ युद्ध में गए थे। उसके उन तीन पुत्रों के नाम, जो युद्ध में गए थे, ये हैं : ज्येष्ठ पुत्र एलीअब, उसके बाद का अबीनादब, और तीसरा पुत्र शम्माह। 14दाऊद सबसे छोटा पुत्र था। उसके तीन बड़े भाई शाऊल के पीछे-पीछे युद्ध में गए थे। 15दाऊद बेतलेहम नगर में अपने पिता की भेड़-बकरियों की देखभाल करने के लिए शाऊल के पास से लौटकर आता था। 16पलिश्ती योद्धा चालीस दिन तक, सबेरे और शाम को, इस्राएली सेना के सम्मुख आता और खड़ा हो जाता था।
17एक दिन यिशय ने अपने पुत्र दाऊद से कहा, ‘अपने भाइयों के लिए यह दस किलो भुना हुआ अनाज और ये दस रोटियाँ ले, और तुरन्त उनके पड़ाव में जा। 18उनके सहस्रपति के लिए पनीर की ये दस टिकियाँ भी ले जा। अपने भाइयों से उनका कुशल-क्षेम पूछना, और उनकी कुशलता का प्रमाण-चिह्न लाना। 19वे शाऊल और समस्त इस्राएलियों के साथ एलाह घाटी में पलिश्तियों से युद्ध कर रहे हैं।’
20अत: दाऊद सबेरे उठा। उसने भेड़-बकरियाँ रखवाले के पास छोड़ीं। उसने सामान उठाया और चला गया, जैसा उसके पिता यिशय ने आदेश दिया था। वह पड़ाव में आया। उस समय सेना युद्ध-भूमि की ओर जा रही थी। सैनिक युद्ध के नारे लगा रहे थे।
21इस्राएली और पलिश्ती सेनाएँ युद्ध के लिए एक-दूसरे के सामने पंिक्तबद्ध खड़ी हो गईं। 22दाऊद सामान के रखवाले के हाथ में अपनी वस्तुएँ छोड़कर युद्ध-भूमि की ओर दौड़ा। वह युद्ध-भूमि में पहुँचा। उसने अपने भाइयों से उनका कुशल-क्षेम पूछा। 23जब वह उनसे बात कर रहा था तब गत नगर का रहने वाला पलिश्ती योद्धा, जिसका नाम गोलयत था, पलिश्ती सेना के पड़ाव से निकल कर आया। वह पहले के समान बोलने लगा। दाऊद ने उसकी बातें सुनीं।
24जब इस्राएली सैनिकों ने पलिश्ती योद्धा को देखा, तब वे सब उसके सामने से भाग गए। वे बहुत डर गए। 25इस्राएली सैनिकों ने कहा, ‘क्या तुमने उस पुरुष को देखा, जो आ रहा है? निस्सन्देह वह इस्राएलियों को चुनौती देने आया है। जो व्यक्ति द्वन्द्व-युद्ध में उसे मार डालेगा, उसको राजा धन-सम्पत्ति से माला-माल कर देगा। राजा उसके साथ अपनी पुत्री का विवाह करेगा, और उसके पिता के परिवार को कर से मुक्त कर देगा।’ 26दाऊद ने अपने पास खड़े सैनिकों से पूछा, ‘जो व्यक्ति इस पलिश्ती योद्धा को मार डालेगा, और इस्राएल के इस अपमान को दूर करेगा, उसके साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा? यह बेखतना पलिश्ती कौन है, जो जीवन्त परमेश्वर के सैन्यदलों को चुनौती दे रहा है?’ 27सैनिकों ने उसे वही उत्तर दिया, ‘जो व्यक्ति द्वन्द्व-युद्ध में उसे मार डालेगा, उसके साथ इस प्रकार का व्यवहार किया जाएगा........।’
28जब दाऊद सैनिकों से बात कर रहा था तब उसके बड़े भाई एलीअब ने उसको सुन लिया। उसका क्रोध दाऊद के प्रति भड़क उठा। उसने कहा, ‘तू यहाँ क्यों आया? तूने चन्द भेड़-बकरियों को निर्जन इलाके में किसके पास छोड़ा? मैं तेरी ढिठाई को, तेरे दुष्ट हृदय को जानता हूँ। तू युद्ध देखने के लिए आया है।’ 29दाऊद ने कहा, ‘अब मैंने क्या किया? क्या मैं बात भी न करूँ?’ 30दाऊद उसके पास से मुड़कर दूसरे सैनिक के सम्मुख खड़ा हुआ। दाऊद ने उससे वही प्रश्न पूछा। उसने तथा अन्य सैनिकों ने दाऊद को पहले-जैसा उत्तर दिया।
31परन्तु सैनिकों ने दाऊद की बातों पर ध्यान दिया, और उनको ज्यों का त्यों शाऊल के सम्मुख दुहरा दिया। शाऊल ने दूत भेजकर दाऊद को बुलाया। 32दाऊद ने शाऊल से कहा, ‘मेरे स्वामी का हृदय#17:32 मूल में “किसी व्यक्ति का हृदय” । पलिश्ती योद्धा के कारण निराश न हो। मैं, आपका सेवक, उस पलिश्ती योद्धा से द्वन्द्व-युद्ध करने जाऊंगा।’ 33शाऊल ने दाऊद से कहा, ‘तुम युद्ध-भूमि जाकर पलिश्ती योद्धा से युद्ध नहीं कर सकते। तुम अभी लड़के ही हो, जब कि वह जवानी से ही अनुभवी सैनिक है।’ 34दाऊद ने शाऊल से कहा, ‘मैं आपका सेवक, अपने पिता की भेड़-बकरियों की देखभाल करता हूँ। जब सिंह अथवा भालू आता और रेवड़ में से मेमना उठा ले जाता 35तब मैं उसका पीछा करता, उस पर प्रहार करता, और उसके मुंह से मेमने को छुड़ाता हूँ। यदि वह मुझ पर हमला करता तो मैं उसके जबड़े के बालों को पकड़ता और उस पर प्रहार करता हूँ। इस प्रकार मैं उसको मार डालता हूँ। 36मैंने, आपके सेवक ने, सिंह और भालू दोनों को मारा है। यह बेखतना पलिश्ती भी उनके समान मारा जाएगा; क्योंकि इसने जीवन्त परमेश्वर के सैन्यदलों को चुनौती दी है।’ 37दाऊद ने आगे कहा, ‘जिस प्रभु ने मुझे सिंह के पंजे से, भालू के पंजे से बचाया था, वह मुझे इस पलिश्ती योद्धा के हाथ से भी बचाएगा।’ शाऊल ने दाऊद से कहा, ‘जाओ! प्रभु तुम्हारे साथ हो!’ 38तब शाऊल ने उसे अपना बख्तर पहिनाया। उसने दाऊद के सिर पर पीतल का शिरस्त्राण रखा। उसके शरीर पर कवच पहिनाया। 39उसने दाऊद के बख्तर के नीचे अपनी तलवार बांधी। तब दाऊद ने चलने का प्रयत्न किया। परन्तु वह चल न सका; क्योंकि उसे इन शस्त्रों का अभ्यास न था। उसने शाऊल से कहा, ‘मैं इन शस्त्रों को पहिनकर चल नहीं सकता। मुझे इनका अभ्यास नहीं है’ अत: दाऊद ने उनको उतार दिया।
40दाऊद ने अपनी लाठी अपने हाथ में ली। उसने नदी के तट से पांच चिकने पत्थर चुने, और उनको चरवाहे की थैली में, अपने झोले में रख लिया। उसके हाथ में उसका गोफन था। वह पलिश्ती योद्धा के समीप पहुंचा।
41पलिश्ती योद्धा दाऊद की ओर गया। वह उसके पास पहुँचा। पलिश्ती योद्धा का शस्त्र-वाहक उसके आगे-आगे था। 42उसने दृष्टि दौड़ायी और दाऊद को देखा। उसने दाऊद को हेय समझा; क्योंकि दाऊद अभी लड़का ही था। उससे किशोरावस्था की ललाई झलकती थी। वह देखने में सुन्दर था।#1 शम 16:12 43पलिश्ती योद्धा ने दाऊद से कहा, ‘क्या मैं कुत्ता हूँ जो तू डण्डा लेकर मेरे पास आया है?’ तब वह अपने देवताओं के नाम से दाऊद को शाप देने लगा। 44उसने दाऊद से कहा, ‘आ, मेरे पास आ! मैं तेरा मांस आकाश के पक्षियों और जंगल के पशुओं को खाने के लिए दूंगा।’ 45दाऊद ने पलिश्ती योद्धा को उत्तर दिया, ‘तू तलवार, भाला और नेजा के साथ मुझसे लड़ने आया है। पर मैं स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु, इस्राएली सैन्यदलों के परमेश्वर के नाम से जिसको तूने चुनौती दी है, तुझसे लड़ने आया हूँ। 46आज प्रभु तुझे मेरे हाथ में सौंप देगा। मैं तुझ पर प्रहार करूंगा। तेरे सिर को धड़ से अलग करूंगा। आज मैं तेरी लोथ और पलिश्ती पड़ाव के सैनिकों की लोथ आकाश के पक्षियों को और धरती के वन- पशुओं को खाने के लिए दूंगा। तब समस्त पृथ्वी को ज्ञात होगा कि इस्राएल का अपना परमेश्वर है।#यहो 4:24 47इस धर्म-सभा को ज्ञात होगा कि प्रभु तलवार और भाले के द्वारा नहीं बचाता। यह युद्ध प्रभु का है। वह तुम पलिश्तियों को हमारे हाथ में सौंप देगा।’#भज 44:6-7; हो 1:7
48पलिश्ती योद्धा द्वन्द्व के लिए तैयार हुआ। वह दाऊद का सामना करने के लिए उसकी ओर गया। वह समीप आया। दाऊद ने सैनिक-पंिक्त छोड़ी। वह पलिश्ती योद्धा का मुकाबला करने के लिए उसकी ओर दौड़ा। 49उसने थैली में अपना हाथ डाला। उसमें से एक पत्थर निकाला। उसको गोफन में रखा, और पलिश्ती योद्धा की ओर फेंका। पत्थर उसके माथे में धंस गया। वह मुंह के बल भूमि पर गिर पड़ा।
50यों दाऊद ने गोफन और पत्थर से पलिश्ती योद्धा पर विजय प्राप्त की। उसने उस पर प्रहार किया और उसे मार डाला। दाऊद के हाथ में तलवार नहीं थी। 51वह पलिश्ती योद्धा की ओर दौड़ा। वह उसके पास खड़ा हुआ। उसने उसकी तलवार को पकड़ा। उसको म्यान से बाहर निकाला और उससे पलिश्ती योद्धा का सिर काट दिया। यों दाऊद ने उसे मार डाला।
जब पलिश्ती सैनिकों ने देखा कि उनका योद्धा मार डाला गया, तब वे भाग गए। 52इस्राएल प्रदेश और यहूदा प्रदेश के सैनिकों ने युद्ध का नारा लगाया। वे तैयार हुए और उन्होंने गत नगर तथा एक्रोन नगर के प्रवेश-द्वार तक पलिश्ती सैनिकों का पीछा किया। घायल पलिश्ती सैनिक शअरइम नगर से गत नगर और एक्रोन नगर तक मार्ग पर बिछ गए। 53इस्राएली सैनिक पलिश्ती सेना का पीछा करके लौटे। उन्होंने पलिश्ती पड़ाव को लूट लिया। 54दाऊद ने पलिश्ती योद्धा का सिर उठाया, और उसको यरूशलेम नगर में ले गया। पर उसने पलिश्ती योद्धा के अस्त्र-शस्त्र अपने तम्बू में ही रखे।#1 शम 21:9; 2 शम 5:6
55जब शाऊल ने देखा कि दाऊद पलिश्ती योद्धा का सामना करने जा रहा है तब उसने अपने सेनापति अब्नेर से पूछा, ‘अब्नेर, यह लड़का किसका पुत्र है?’ अब्नेर ने उत्तर दिया, ‘महाराज, आपके जीवन की सौगन्ध! मैं नहीं जानता।’ #1 शम 16:21; 17:31 56राजा ने कहा, ‘पूछो कि यह किशोर किसका पुत्र है।’
57दाऊद पलिश्ती योद्धा का वध कर वापस आया। अब्नेर इसे लेकर शाऊल के सम्मुख गया। दाऊद के हाथ में पलिश्ती योद्धा का सिर था। 58शाऊल ने उससे पूछा, ‘लड़के, तुम किसके पुत्र हो?’ दाऊद ने उत्तर दिया, ‘महाराज, मैं बेतलेहम नगर में रहने वाले आपके सेवक यिशय का पुत्र हूँ।’
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