1 कुरिन्थियों 15:29-58
1 कुरिन्थियों 15:29-58 पवित्र बाइबल (HERV)
नहीं तो जिन्होंने अपने प्राण दे दिये हैं, उनके कारण जिन्होंने बपतिस्मा लिया है, वे क्या करेंगे। यदि मरे हुए कभी पुनर्जीवित होते ही नहीं तो लोगों को उनके लिये बपतिस्मा दिया ही क्यों जाता है? और हम भी हर घड़ी संकट क्यों झेलते रहते है? भाइयो। तुम्हारे लिए मेरा वह गर्व जिसे मैं हमारे प्रभु यीशु मसीह में स्थित होने के नाते रखता हूँ, उसे साक्षी करके शपथ पूर्वक कहता हूँ कि मैं हर दिन मरता हूँ। यदि मैं इफ्रिसुस में जंगली पशुओं के साथ मानवीय स्तर पर ही लड़ा था तो उससे मुझे क्या मिला। यदि मरे हुए जिलाये नहीं जाते, “तो आओ, खायें, पीएँ (मौज मनायें) क्योंकि कल तो मर ही जाना है।” भटकना बंद करो: “बुरी संगति से अच्छी आदतें नष्ट हो जाती हैं।” होश में आओ, अच्छा जीवन अपनाओ, जैसा कि तुम्हें होना चाहिये। पाप करना बंद करो। क्योंकि तुममें से कुछ तो ऐसे हैं जो परमेश्वर के बारे में कुछ भी नहीं जानते। मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि तुम्हें लज्जा आए। किन्तु कोई पूछ सकता है, “मरे हुए कैसे जिलाये जाते हैं? और वे फिर कैसी देह धारण करके आते हैं?” तुम कितने मूर्ख हो। तुम जो बोते हो वह जब तक पहले मर नहीं जाता, जीवित नहीं होता। और जहाँ तक जो तुम बोते हो, उसका प्रश्न है, तो जो पौधा विकसित होता है, तुम उस भरेपुरे पौधे को तो धरती में नहीं बोते। बस केवल बीज बोते हो, चाहे वह गेहूँ का दाना हो और चाहे कुछ और। फिर परमेश्वर जैसा चाहता है, वैसा रूप उसे देता है। हर बीज को वह उसका अपना शरीर प्रदान करता है। सभी जीवित प्राणियों के शरीर एक जैसे नहीं होते। मनुष्यों का शरीर एक तरह का होता है जबकि पशुओं का शरीर दूसरी तरह का। चिड़ियाओं की देह अलग प्रकार की होती है और मछलियों की अलग। कुछ देह दिव्य होती हैं और कुछ पार्थिव किन्तु दिव्य देह की आभा एक प्रकार की होती है और पार्थिव शरीरों की दूसरे प्रकार की। सूरज का तेज एक प्रकार का होता है और चाँद का दूसरे प्रकार का। तारों में भी एक भिन्न प्रकार का प्रकाश रहता है। और हाँ, तारों का प्रकाश भी एक दूसरे से भिन्न रहता है। सो जब मरे हुए जी उठेंगे तब भी ऐसा ही होगा। वह देह जिसे धरती में दफना कर “बोया” गया है, नाशमान है किन्तु वह देह जिसका पुनरुत्थान हुआ है, अविनाशी है। वह काया जो धरती में “दफनाई” गयी है, अनादरपूर्ण है किन्तु वह काया जिसका पुनरुत्थान हुआ है, महिमा से मंडित है। वह काया जिसे धरती में “गाड़ा” गया है, दुर्बल है किन्तु वह काया जिसे पुनर्जीवित किया गया है, शक्तिशाली है। जिस काया को धरती में “दफनाया” गया है, वह प्राकृतिक है किन्तु जिसे पुनर्जीवित किया गया है, वह आध्यात्मिक शरीर है। यदि प्राकृतिक शरीर होते हैं तो आध्यात्मिक शरीरों का भी अस्तित्व है। शास्त्र कहता है: “पहला मनुष्य (आदम) एक सजीव प्राणी बना।” किन्तु अंतिम आदम (मसीह) जीवनदाता आत्मा बना। आध्यात्मिक पहले नहीं आता, बल्कि पहले आता है भौतिक और फिर उसके बाद ही आता है आध्यात्मिक। पहले मनुष्य को धरती की मिट्टी से बनाया गया और दूसरा मनुष्य (मसीह) स्वर्ग से आया। जैसे उस मनुष्य की रचना मिट्टी से हुई, वैसे ही सभी लोग मिट्टी से ही बने। और उस दिव्य पुरुष के समान अन्य दिव्य पुरुष भी स्वर्गीय हैं। सो जैसे हम उस मिट्टी से बने का रूप धारण करते हैं, वैसे ही उस स्वर्गिक का रूप भी हम धारण करेंगे। हे भाइयो, मैं तुम्हें यह बता रहा हूँ: मांस और लहू (हमारे ये पार्थिव शरीर) परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकार नहीं पा सकते। और न ही जो विनाशमान है, वह अविनाशी का उत्तराधिकारी हो सकता है। सुनो, मैं तुम्हें एक रहस्यपूर्ण सत्य बताता हूँ: हम सभी मरेंगे नहीं, बल्कि हम सब बदल दिये जायेंगे। जब अंतिम तुरही बजेगी तब पलक झपकते एक क्षण में ही ऐसा हो जायेगा क्योंकि तुरही बजेगी और मरे हुए अमर हो कर जी उठेंगे और हम जो अभी जीवित हैं, बदल दिये जायेंगे। क्योंकि इस नाशवान देह का अविनाशी चोले को धारण करना आवश्यक है और इस मरणशील काया का अमर चोला धारण कर लेना अनिवार्य है। सो जब यह नाशमान देह अविनाशी चोले को धारण कर लेगी और वह मरणशील काया अमर चोले को ग्रहण कर लेगी तो शास्त्र का लिखा यह पूरा हो जायेगा: “विजय ने मृत्यु को निगल लिया है।” “हे मृत्यु तेरी विजय कहाँ है? ओ मृत्यु, तेरा दंश कहाँ है?” पाप मृत्यु का दंश है और पाप को शक्ति मिलती है व्यवस्था से। किन्तु परमेश्वर का धन्यवाद है जो प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें विजय दिलाता है। सो मेरे प्यारे भाइयो, अटल बने डटे रहो। प्रभु के कार्य के प्रति अपने आपको सदा पूरी तरह समर्पित कर दो। क्योंकि तुम तो जानते ही हो कि प्रभु में किया गया तुम्हारा कार्य व्यर्थ नहीं है।
1 कुरिन्थियों 15:29-58 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
यदि ऐसा नहीं है, तो वे लोग क्या करें जो मृतकों के लिए बपतिस्मा लेते हैं? यदि मृतकों का पुनरुत्थान बिल्कुल नहीं होता, तो वे मृतकों के लिए बपतिस्मा क्यों लें? और हम स्वयं-हम क्यों हर समय संकटों का सामना करते हैं? हे भाइयो और बहिनो! आप हमारे प्रभु येशु मसीह में मेरे गौरव हैं। मैं आपकी शपथ खा कर कहता हूँ कि मुझे प्रतिदिन मृत्यु का सामना करना पड़ता है। यह मैं मनुष्य की दृष्टि से कह रहा हूँ: यदि मुझे इफिसुस नगर में “हिंस्र पशुओं” से लड़ना पड़ा तो इससे मुझे क्या लाभ? यदि मृतकों का पुनरुत्थान नहीं होता, तो “हम खायें और पियें; क्योंकि कल हमें मरना ही है!” धोखा न खाइए; बुरी संगति उत्तम चरित्र को भी नष्ट कर देती है। होश में आइए, जैसा कि उचित है, और पाप करना छोड़ दीजिए। आप में कुछ लोग परमेश्वर के सम्बन्ध में कुछ नहीं जानते-मैं आप को लज्जित करने के लिए यह कह रहा हूँ। अब कोई यह प्रश्न पूछ सकता है, “मृतक कैसे जी उठते हैं? वे कौन-सा शरीर ले कर आते हैं?” अरे मूर्ख! तू जो बोता है, वह जब तक नहीं मरता तब तक उसमें जीवन नहीं आता। तू जो बोता है, वह उस शरीर-रूप में नहीं है जो बाद में उत्पन्न होगा, बल्कि तू निरा दाना बोता है, चाहे वह गेहूँ का हो या दूसरे प्रकार का। परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उसे शरीर प्रदान करता है-प्रत्येक दाने को उसका अपना शरीर। प्रत्येक देह एक-जैसी नहीं होती। मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों और मछलियों की देह अपने-अपने प्रकार की होती हैं। स्वर्गिक देह है और पार्थिव देह भी, किन्तु स्वर्गिक देह का तेज एक प्रकार का है और पार्थिव देह का तेज दूसरे प्रकार का। सूर्य, चन्द्रमा और नक्षत्रों का तेज अपने-अपने प्रकार का होता है, क्योंकि एक नक्षत्र का तेज दूसरे नक्षत्र के तेज से भिन्न है। मृतकों के पुनरुत्थान के विषय में भी यही बात है। जो बोया जाता है, वह नश्वर है। जो जी उठता है, वह अनश्वर है। जो बोया जाता है, वह दीन-हीन है। जो जी उठता है, वह महिमान्वित है। जो बोया जाता है, वह दुर्बल है, जो जी उठता है, वह शक्तिशाली है। एक प्राकृत शरीर बोया जाता है और एक आध्यात्मिक शरीर जी उठता है। प्राकृत शरीर भी होता है और आध्यात्मिक शरीर भी। धर्मग्रन्थ में लिखा है कि “प्रथम मनुष्य आदम एक जीवन्त प्राणी बन गया।” अन्तिम आदम तो एक जीवनदायक आत्मा बन गया। जो पहला है, वह आध्यात्मिक नहीं, बल्कि प्राकृत है। इसके बाद ही आध्यात्मिक आता है। प्रथम मनुष्य मिट्टी का बना है और पृथ्वी का है, द्वितीय मनुष्य स्वर्ग का है। मिट्टी का बना मनुष्य जैसा था, वैसे ही मिट्टी के बने मनुष्य हैं और स्वर्गिक मनुष्य जैसा है, वैसे ही वे हैं जो स्वर्ग के हैं। जिस तरह हमने मिट्टी के बने मनुष्य का रूप धारण किया है, उसी तरह हम स्वर्गिक मनुष्य का भी रूप धारण करेंगे। भाइयो और बहिनो! मेरे कहने का अभिप्राय यह है कि मांस और रक्त वाला मनुष्य परमेश्वर के राज्य का अधिकारी नहीं हो सकता और नश्वरता अनश्वरता की अधिकारी नहीं होती। मैं आप को एक रहस्य बता रहा हूँ। हम सब नहीं मरेंगे, बल्कि क्षण भर में, पलक मारते, अन्तिम तुरही बजते ही हम सब-के-सब रूपान्तरित हो जायेंगे। तुरही बजेगी, मृतक अनश्वर बन कर पुनर्जीवित होंगे और हम रूपान्तरित हो जायेंगे; क्योंकि यह आवश्यक है कि यह नश्वर शरीर अनश्वरता को और यह मरणशील शरीर अमरता को धारण करे। जब यह नश्वर शरीर अनश्वरता को धारण करेगा, जब यह मरणशील शरीर अमरता को धारण करेगा, तब धर्मग्रन्थ का यह कथन पूरा हो जायेगा : “मृत्यु विजय में विलीन हो गई ओ मृत्यु! कहाँ है तेरी विजय? ओ मृत्यु! कहाँ है तेरा डंक?” मृत्यु का डंक तो पाप है और पाप को व्यवस्था से बल मिलता है। परमेश्वर को धन्यवाद, जो हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा हमें विजय प्रदान करता है! मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! आप विश्वास में दृढ़ तथा अटल बने रहें। आप प्रभु के कार्य में निरंतर बढ़ते जाएं, और आप यह निश्चित जानिए कि प्रभु के लिए किया गया आप का परिश्रम व्यर्थ नहीं है।
1 कुरिन्थियों 15:29-58 Hindi Holy Bible (HHBD)
नहीं तो जो लोग मरे हुओं के लिये बपतिस्मा लेते हैं, वे क्या करेंगे? यदि मुर्दे जी उठते ही नहीं तो फिर क्यों उन के लिये बपतिस्मा लेते हैं? और हम भी क्यों हर घड़ी जाखिम में पड़े रहते हैं? हे भाइयो, मुझे उस घमण्ड की सोंह जो हमारे मसीह यीशु में मैं तुम्हारे विषय में करता हूं, कि मैं प्रति दिन मरता हूं। यदि मैं मनुष्य की रीति पर इफिसुस में वन-पशुओं से लड़ा, तो मुझे क्या लाभ हुआ? यदि मुर्दे जिलाए नहीं जाएंगे, तो आओ, खाए-पीए, क्योंकि कल तो मर ही जाएंगे। धोखा न खाना, बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है। धर्म के लिये जाग उठो और पाप न करो; क्योंकि कितने ऐसे हैं जो परमेश्वर को नहीं जानते, मैं तुम्हें लज्ज़ित करते के लिये यह कहता हूं॥ अब कोई यह कहेगा, कि मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और कैसी देह के साथ आते हैं? हे निर्बुद्धि, जो कुछ तु बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता। ओर जो तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्पन्न होनेवाली है, परन्तु निरा दाना है, चाहे गेहूं का, चाहे किसी और अनाज का। परन्तु परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उस को देह देता है; और हर एक बीज को उस की विशेष देह। सब शरीर एक सरीखे नहीं, परन्तु मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछिलयों का शरीर और है। स्वर्गीय देह है, और पार्थिव देह भी है: परन्तु स्वर्गीय देहों का तेज और है, और पार्थिव का और। सूर्य का तेज और है, चान्द का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, (क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है)। मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशमान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है। वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ के साथ जी उठता है। स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है: जब कि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है। ऐसा ही लिखा भी है, कि प्रथम मनुष्य, अर्थात आदम, जीवित प्राणी बना और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना। परन्तु पहिले आत्मिक न था, पर स्वाभाविक था, इस के बाद आत्मिक हुआ। प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है। जैसा वह मिट्टी का था वैसे ही और मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही और भी स्वर्गीय हैं। और जैसे हम ने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे॥ हे भाइयों, मैं यह कहता हूं कि मांस और लोहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न विनाश अविनाशी का अधिकारी हो सकता है। देखे, मैं तुम से भेद की बात कहता हूं: कि हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे। और यह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूंकते ही होगा: क्योंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जांएगे, और हम बदल जाएंगे। क्योंकि अवश्य है, कि यह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले। और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तक वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया। हे मृत्यु तेरी जय कहां रही? हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है। परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है। सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है॥
1 कुरिन्थियों 15:29-58 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
नहीं तो जो लोग मरे हुओं के लिये बपतिस्मा लेते हैं वे क्या करेंगे? यदि मुर्दे जी उठते ही नहीं तो फिर क्यों उनके लिये बपतिस्मा लेते हैं? और हम भी क्यों हर घड़ी जोखिम में पड़े रहते हैं? हे भाइयो, मुझे उस घमण्ड की शपथ जो हमारे मसीह यीशु में मैं तुम्हारे विषय में करता हूँ कि मैं प्रतिदिन मरता हूँ। यदि मैं मनुष्य की रीति पर इफिसुस में वन–पशुओं से लड़ा तो मुझे क्या लाभ हुआ? यदि मुर्दे जिलाए नहीं जाएँगे, “तो आओ, खाएँ–पीएँ, क्योंकि कल तो मर ही जाएँगे।” धोखा न खाना, “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” धर्म के लिये जाग उठो और पाप न करो; क्योंकि कुछ ऐसे हैं जो परमेश्वर को नहीं जानते। मैं तुम्हें लज्जित करने के लिये यह कहता हूँ। अब कोई यह कहेगा, “मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और कैसी देह के साथ आते हैं?” हे निर्बुद्धि! जो कुछ तू बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता। और जो तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्पन्न होनेवाली है, परन्तु निरा दाना है, चाहे गेहूँ का चाहे किसी और अनाज का। परन्तु परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उसको देह देता है, और हर एक बीज को उसकी विशेष देह। सब शरीर एक समान नहीं : मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछलियों का शरीर और है। स्वर्गीय देह हैं और पार्थिव देह भी हैं। परन्तु स्वर्गीय देहों का तेज और है, और पार्थिव का और। सूर्य का तेज और है, चाँद का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, (क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है)। मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशवान् दशा में बोया जाता है और अविनाशी रूप में जी उठता है। वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है, और सामर्थ्य के साथ जी उठता है। स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है : जबकि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है। ऐसा ही लिखा भी है, कि “प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम जीवित प्राणी बना” और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना। परन्तु पहले आत्मिक न था पर स्वाभाविक था, इसके बाद आत्मिक हुआ। प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात् मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है। जैसा वह मिट्टी का था, वैसे ही वे भी हैं जो मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही वे भी हैं जो स्वर्गीय हैं। और जैसे हम ने उसका रूप धारण किया जो मिट्टी का था वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे। हे भाइयो, मैं यह कहता हूँ कि मांस और लहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न नाशवान् अविनाशी का अधिकारी हो सकता है। देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूँ : हम सब नहीं सोएँगे, परन्तु सब बदल जाएँगे, और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा। क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएँगे, और हम बदल जाएँगे। क्योंकि अवश्य है कि यह नाशवान् देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले। और जब यह नाशवान् अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है पूरा हो जाएगा : “जय ने मृत्यु को निगल लिया। हे मृत्यु, तेरी जय कहाँ रही? हे मृत्यु, तेरा डंक कहाँ रहा?” मृत्यु का डंक पाप है, और पाप का बल व्यवस्था है। परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है। इसलिये हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।
1 कुरिन्थियों 15:29-58 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
नहीं तो जो लोग मरे हुओं के लिये बपतिस्मा लेते हैं, वे क्या करेंगे? यदि मुर्दे जी उठते ही नहीं तो फिर क्यों उनके लिये बपतिस्मा लेते हैं? और हम भी क्यों हर घड़ी जोखिम में पड़े रहते हैं? हे भाइयों, मुझे उस घमण्ड की शपथ जो हमारे मसीह यीशु में मैं तुम्हारे विषय में करता हूँ, कि मैं प्रतिदिन मरता हूँ। यदि मैं मनुष्य की रीति पर इफिसुस में वन-पशुओं से लड़ा, तो मुझे क्या लाभ हुआ? यदि मुर्दे जिलाए नहीं जाएँगे, “तो आओ, खाएँ-पीएँ, क्योंकि कल तो मर ही जाएँगे।” (यशा. 22:13) धोखा न खाना, “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” धार्मिकता के लिये जाग उठो और पाप न करो; क्योंकि कितने ऐसे हैं जो परमेश्वर को नहीं जानते, मैं तुम्हें लज्जित करने के लिये यह कहता हूँ। अब कोई यह कहेगा, “मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और किस देह के साथ आते हैं?” हे निर्बुद्धि, जो कुछ तू बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता। और जो तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्पन्न होनेवाली है, परन्तु केवल दाना है, चाहे गेहूँ का, चाहे किसी और अनाज का। परन्तु परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उसको देह देता है; और हर एक बीज को उसकी विशेष देह। (उत्प. 1:11) सब शरीर एक समान नहीं, परन्तु मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछलियों का शरीर और है। स्वर्गीय देह है, और पार्थिव देह भी है: परन्तु स्वर्गीय देहों का तेज और है, और पार्थिव का और। सूर्य का तेज और है, चाँद का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है। मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशवान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है। वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ्य के साथ जी उठता है। स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है: जबकि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है। ऐसा ही लिखा भी है, “प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम, जीवित प्राणी बना” और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना। परन्तु पहले आत्मिक न था, पर स्वाभाविक था, इसके बाद आत्मिक हुआ। प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात् मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है। (यूह. 3:31) जैसा वह मिट्टी का था वैसे ही वे भी हैं जो मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही वे भी स्वर्गीय हैं। और जैसे हमने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे। (1 यूह. 3:2) हे भाइयों, मैं यह कहता हूँ कि माँस और लहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न नाशवान अविनाशी का अधिकारी हो सकता है। देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूँ: कि हम सब तो नहीं सोएँगे, परन्तु सब बदल जाएँगे। और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएँगे, और हम बदल जाएँगे। क्योंकि अवश्य है, कि वह नाशवान देह अविनाश को पहन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहन ले। और जब यह नाशवान अविनाश को पहन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, “जय ने मृत्यु को निगल लिया। (यशा. 25:8) हे मृत्यु तेरी जय कहाँ रहीं? हे मृत्यु तेरा डंक कहाँ रहा?” (होशे 13:14) मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है। परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है। इसलिए हे मेरे प्रिय भाइयों, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है। (गला. 6:9)
1 कुरिन्थियों 15:29-58 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
यदि पुनरुत्थान जैसा कुछ नहीं होता तो उनका क्या होगा, जो मरे हुओं के स्थान पर बपतिस्मित हो रहे हैं? यदि मृतक जीवित नहीं किए जाते तो लोग उनके लिए बपतिस्मित क्यों किए जा रहे हैं? तो फिर हम क्यों हर घड़ी अपने जीवन को जोखिम में डाले फिर रहे हैं? मैं हर दिन मृत्यु का सामना करता हूं. यह मैं उस गौरव की शपथ खाकर कह रहा हूं, जो हमारे प्रभु येशु मसीह में मुझे तुम पर है. इफ़ेसॉस नगर में यदि मैं जंगली पशुओं से सिर्फ मनुष्य की रीति से लड़ता तो मुझे क्या लाभ होता? यदि मरे हुए जीवित नहीं किए जाते तो, जैसी कि उक्ति है: “आओ, हम खाएं-पिएं, क्योंकि कल तो हमारी मृत्यु होनी ही है!” धोखे में मत रहना: बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है. सावधान हो जाओ, पाप करना छोड़ दो. यह मैं तुम्हें लज्जित करने के लिए ही कह रहा हूं क्योंकि तुममें से कुछ तो परमेश्वर को जानते ही नहीं. संभवतः कोई यह पूछे: कैसे जीवित हो जाते हैं मुर्दे? कैसा होता है उनका शरीर? मूर्खता भरा प्रश्न! तुम जो कुछ बोते हो तब तक पोषित नहीं होता, जब तक वह पहले मर न जाए. तुम उस शरीर को, जो पोषित होने को है, नहीं रोपते—तुम तो सिर्फ बीज रोपते हो—चाहे गेहूं या कोई और मगर परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उसे देह प्रदान करते हैं—हर एक बीज को उसकी अपनी विशेष देह. सभी प्राणियों की देह अलग होती है—मनुष्य की देह एक प्रकार की, पशु की देह एक प्रकार की, पक्षी की देह तथा मछली की देह एक प्रकार की. देह स्वर्गीय भी होती है और शारीरिक भी. स्वर्गीय देह का तेज अलग होता है और शारीरिक देह का अलग. सूर्य का तेज एक प्रकार का होता है, चंद्रमा का अन्य प्रकार का और तारों का अन्य प्रकार का और हर एक तारे का तेज अन्य तारे के तेज से अलग होता है. मरे हुओं का जीवित होना भी ऐसा ही होता है. रोपित की जाती नाशमान देह, जीवित होती है अविनाशी देह. यह रोपित की जाती है अनादर के साथ, जीवित होती है तेज में; रोपित की जाती है निर्बल देह, जीवित होती है सामर्थ्य से भरी देह. रोपित की जाती है शारीरिक देह, जीवित होती है आत्मिक देह. यदि शारीरिक देह है तो आत्मिक देह भी है. जैसा कि पवित्र शास्त्र का लेख भी है: “पहला मानव आदम जीवित प्राणी हुआ किंतु अंतिम आदम जीवनदायी आत्मा हुआ.” फिर भी पहला वह नहीं, जो आत्मिक है परंतु वह, जो शारीरिक है. उसके बाद ही आत्मिक का स्थान है. पहला मानव शारीरिक था—मिट्टी का बना हुआ—दूसरा मानव स्वर्गीय. शारीरिक वैसे ही हैं जैसा मिट्टी से बना मानव था तथा स्वर्गीय वैसे ही हैं जैसा वह, जो स्वर्गीय है. ठीक जैसे हमें उस शारीरिक का रूप प्राप्त हुआ है, हमें उस स्वर्गीय का रूप भी प्राप्त होगा. प्रिय भाई बहनो, शारीरिक लहू और मांस का मनुष्य परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता और न ही नाशमान अविनाशी में. सुनो! मैं तुम पर एक भेद प्रकट करता हूं: हम सभी सो नहीं जाएंगे परंतु हम सभी का रूप बदल जाएगा—क्षण-भर में, पलक झपकते ही, आखिरी तुरही के स्वर पर. ज्यों ही आखिरी तुरही का स्वर होगा, मरे हुए अविनाशी दशा में जीवित किए जाएंगे और हमारा रूप बदल जाएगा. यह ज़रूरी है कि नाशमान अविनाशी को धारण करे तथा मरणहार अमरता को. किंतु जब यह नाशमान अविनाशी को तथा मरणहार अमरता को धारण कर लेगा तब पवित्र शास्त्र का यह वचन पूरा हो जाएगा: “मृत्यु विजय का निवाला बन गई.” मृत्यु! कहां है तेरी विजय? मृत्यु! कहां है तेरा ड़ंक? मृत्यु का ड़ंक है पाप और पाप का बल है व्यवस्था. किंतु हम धन्यवाद करते हैं परमेश्वर का, जो हमें हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा विजय प्रदान करते हैं. इसलिये मेरे प्रिय भाई बहनो, इस सच्चाई के प्रकाश में कि प्रभु में तुम्हारा परिश्रम व्यर्थ नहीं है, तुम प्रभु के काम में उन्नत होते हुए हमेशा दृढ़ तथा स्थिर रहो.