1 कुरिन्थियों 15:29-58

1 कुरिन्थियों 15:29-58 HINCLBSI

यदि ऐसा नहीं है, तो वे लोग क्‍या करें जो मृतकों के लिए बपतिस्‍मा लेते हैं? यदि मृतकों का पुनरुत्‍थान बिल्‍कुल नहीं होता, तो वे मृतकों के लिए बपतिस्‍मा क्‍यों लें? और हम स्‍वयं-हम क्‍यों हर समय संकटों का सामना करते हैं? हे भाइयो और बहिनो! आप हमारे प्रभु येशु मसीह में मेरे गौरव हैं। मैं आपकी शपथ खा कर कहता हूँ कि मुझे प्रतिदिन मृत्‍यु का सामना करना पड़ता है। यह मैं मनुष्‍य की दृष्‍टि से कह रहा हूँ: यदि मुझे इफिसुस नगर में “हिंस्र पशुओं” से लड़ना पड़ा तो इससे मुझे क्‍या लाभ? यदि मृतकों का पुनरुत्‍थान नहीं होता, तो “हम खायें और पियें; क्‍योंकि कल हमें मरना ही है!” धोखा न खाइए; बुरी संगति उत्तम चरित्र को भी नष्‍ट कर देती है। होश में आइए, जैसा कि उचित है, और पाप करना छोड़ दीजिए। आप में कुछ लोग परमेश्‍वर के सम्‍बन्‍ध में कुछ नहीं जानते-मैं आप को लज्‍जित करने के लिए यह कह रहा हूँ। अब कोई यह प्रश्‍न पूछ सकता है, “मृतक कैसे जी उठते हैं? वे कौन-सा शरीर ले कर आते हैं?” अरे मूर्ख! तू जो बोता है, वह जब तक नहीं मरता तब तक उसमें जीवन नहीं आता। तू जो बोता है, वह उस शरीर-रूप में नहीं है जो बाद में उत्‍पन्न होगा, बल्‍कि तू निरा दाना बोता है, चाहे वह गेहूँ का हो या दूसरे प्रकार का। परमेश्‍वर अपनी इच्‍छा के अनुसार उसे शरीर प्रदान करता है-प्रत्‍येक दाने को उसका अपना शरीर। प्रत्‍येक देह एक-जैसी नहीं होती। मनुष्‍यों, पशुओं, पक्षियों और मछलियों की देह अपने-अपने प्रकार की होती हैं। स्‍वर्गिक देह है और पार्थिव देह भी, किन्‍तु स्‍वर्गिक देह का तेज एक प्रकार का है और पार्थिव देह का तेज दूसरे प्रकार का। सूर्य, चन्‍द्रमा और नक्षत्रों का तेज अपने-अपने प्रकार का होता है, क्‍योंकि एक नक्षत्र का तेज दूसरे नक्षत्र के तेज से भिन्न है। मृतकों के पुनरुत्‍थान के विषय में भी यही बात है। जो बोया जाता है, वह नश्‍वर है। जो जी उठता है, वह अनश्‍वर है। जो बोया जाता है, वह दीन-हीन है। जो जी उठता है, वह महिमान्‍वित है। जो बोया जाता है, वह दुर्बल है, जो जी उठता है, वह शक्‍तिशाली है। एक प्राकृत शरीर बोया जाता है और एक आध्‍यात्‍मिक शरीर जी उठता है। प्राकृत शरीर भी होता है और आध्‍यात्‍मिक शरीर भी। धर्मग्रन्‍थ में लिखा है कि “प्रथम मनुष्‍य आदम एक जीवन्‍त प्राणी बन गया।” अन्‍तिम आदम तो एक जीवनदायक आत्‍मा बन गया। जो पहला है, वह आध्‍यात्‍मिक नहीं, बल्‍कि प्राकृत है। इसके बाद ही आध्‍यात्‍मिक आता है। प्रथम मनुष्‍य मिट्टी का बना है और पृथ्‍वी का है, द्वितीय मनुष्‍य स्‍वर्ग का है। मिट्टी का बना मनुष्‍य जैसा था, वैसे ही मिट्टी के बने मनुष्‍य हैं और स्‍वर्गिक मनुष्‍य जैसा है, वैसे ही वे हैं जो स्‍वर्ग के हैं। जिस तरह हमने मिट्टी के बने मनुष्‍य का रूप धारण किया है, उसी तरह हम स्‍वर्गिक मनुष्‍य का भी रूप धारण करेंगे। भाइयो और बहिनो! मेरे कहने का अभिप्राय यह है कि मांस और रक्‍त वाला मनुष्‍य परमेश्‍वर के राज्‍य का अधिकारी नहीं हो सकता और नश्‍वरता अनश्‍वरता की अधिकारी नहीं होती। मैं आप को एक रहस्‍य बता रहा हूँ। हम सब नहीं मरेंगे, बल्‍कि क्षण भर में, पलक मारते, अन्‍तिम तुरही बजते ही हम सब-के-सब रूपान्‍तरित हो जायेंगे। तुरही बजेगी, मृतक अनश्‍वर बन कर पुनर्जीवित होंगे और हम रूपान्‍तरित हो जायेंगे; क्‍योंकि यह आवश्‍यक है कि यह नश्‍वर शरीर अनश्‍वरता को और यह मरणशील शरीर अमरता को धारण करे। जब यह नश्‍वर शरीर अनश्‍वरता को धारण करेगा, जब यह मरणशील शरीर अमरता को धारण करेगा, तब धर्मग्रन्‍थ का यह कथन पूरा हो जायेगा : “मृत्‍यु विजय में विलीन हो गई ओ मृत्‍यु! कहाँ है तेरी विजय? ओ मृत्‍यु! कहाँ है तेरा डंक?” मृत्‍यु का डंक तो पाप है और पाप को व्‍यवस्‍था से बल मिलता है। परमेश्‍वर को धन्‍यवाद, जो हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा हमें विजय प्रदान करता है! मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! आप विश्‍वास में दृढ़ तथा अटल बने रहें। आप प्रभु के कार्य में निरंतर बढ़ते जाएं, और आप यह निश्‍चित जानिए कि प्रभु के लिए किया गया आप का परिश्रम व्‍यर्थ नहीं है।