हे प्रभु, जाग! तू क्यों सोता है? उठ! हम को सदा के लिये त्याग न दे! तू क्यों अपना मुंह छिपा लेता है? और हमारा दु:ख और सताया जाना भूल जाता है? हमारा प्राण मिट्टी से लग गया; हमारा पेट भूमि से सट गया है। हमारी सहायता के लिये उठ खड़ा हो! और अपनी करूणा के निमित्त हम को छुड़ा ले॥
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