और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे।
और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिस में अशुद्ध आत्मा थी कब्रों से निकल कर उसे मिला।
वह कब्रों में रहा करता था। और कोई उसे सांकलों से भी न बान्ध सकता था।
क्योंकि वह बार बार बेडिय़ों और सांकलों से बान्धा गया था, पर उस ने सांकलों को तोड़ दिया, और बेडिय़ों के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे, और कोई उसे वश में नहीं कर सकता था।
वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ो में चिल्लाता, और अपने को पत्थरों से घायल करता था।
वह यीशु को दूर ही से देखकर दौड़ा, और उसे प्रणाम किया।
और ऊंचे शब्द से चिल्लाकर कहा; हे यीशु, पर मप्रधान परमेश्वर के पुत्र, मुझे तुझ से क्या काम? मैं तुझे परमेश्वर की शपथ देता हूं, कि मुझे पीड़ा न दे।
क्योंकि उस ने उस से कहा था, हे अशुद्ध आत्मा, इस मनुष्य में से निकल आ।
उस ने उस से पूछा; तेरा क्या नाम है? उस ने उस से कहा; मेरा नाम सेना है; क्योंकि हम बहुत हैं।
और उस ने उस से बहुत बिनती की, हमें इस देश से बाहर न भेज।
वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था।
और उन्होंने उस से बिनती करके कहा, कि हमें उन सूअरों में भेज दे, कि हम उन के भीतर जाएं।
सो उस ने उन्हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकलकर सूअरों के भीतर पैठ गई और झुण्ड, जो कोई दो हजार का था, कड़ाडे पर से झपटकर झील में जा पड़ा, और डूब मरा।
और उन के चरवाहों ने भागकर नगर और गांवों में समाचार सुनाया।
और जो हुआ था, लोग उसे देखने आए। और यीशु के पास आकर, वे उस को जिस में दुष्टात्माएं थीं, अर्थात जिस में सेना समाई थी, कपड़े पहिने और सचेत बैठे देखकर, डर गए।
और देखने वालों ने उसका जिस में दुष्टात्माएं थीं, और सूअरों का पूरा हाल, उन को कह सुनाया।
और वे उस से बिनती कर के कहने लगे, कि हमारे सिवानों से चला जा।
और जब वह नाव पर चढ़ने लगा, तो वह जिस में पहिले दुष्टात्माएं थीं, उस से बिनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे।
परन्तु उस ने उसे आज्ञा न दी, और उस से कहा, अपने घर जाकर अपने लोगों को बता, कि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं।
वह जाकर दिकपुलिस में इस बात का प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए; और सब अचम्भा करते थे॥