तब मूसा इस्राएलियों को लाल समुद्र से आगे ले गया, और वे शूर नाम जंगल में आए; और जंगल में जाते हुए तीन दिन तक पानी का सोता न मिला। फिर मारा नाम एक स्थान पर पहुंचे, वहां का पानी खारा था, उसे वे न पी सके; इस कारण उस स्थान का नाम मारा पड़ा। तब वे यह कहकर मूसा के विरुद्ध बकझक करने लगे, कि हम क्या पीएं? तब मूसा ने यहोवा की दोहाई दी, और यहोवा ने उसे एक पौधा बतला दिया, जिसे जब उसने पानी में डाला, तब वह पानी मीठा हो गया। वहीं यहोवा ने उनके लिये एक विधि और नियम बनाया, और वहीं उसने यह कहकर उनकी परीक्षा की, कि यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, और उसकी आज्ञाओं पर कान लगाए, और उसकी सब विधियों को माने, तो जितने रोग मैं ने मिस्रियों पर भेजा है उन में से एक भी तुझ पर न भेजूंगा; क्योंकि मैं तुम्हारा चंगा करने वाला यहोवा हूं॥ तब वे एलीम को आए, जहां पानी के बारह सोते और सत्तर खजूर के पेड़ थे; और वहां उन्होंने जल के पास डेरे खड़े किए॥
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