भजन संहिता 141

141
दाऊद का एक स्तुति पद।
1हे यहोवा, मैं तुझको सहायता पाने के लिये पुकारता हूँ।
जब मैं विनती करुँ तब तू मेरी सुन ले।
जल्दी कर और मुझको सहारा दे।
2हे यहोवा, मेरी विनती तेरे लिये जलती धूप के उपहार सी हो
मेरी विनती तेरे लिये दी गयी साँझ कि बलि सी हो।
3हे यहोवा, मेरी वाणी पर मेरा काबू हो।
अपनी वाणी पर मैं ध्यान रख सकूँ, इसमें मेरा सहायक हो।
4मुझको बुरी बात मत करने दे।
मुझको रोके रह बुरों की संगती से उनके सरस भोजन से और बुरे कामों से।
मुझे भाग मत लेने दे ऐसे उन कामों में जिन को करने में बुरे लोग रख लेते हैं।
5सज्जन मेरा सुधार कर सकता है।
तेरे भक्त जन मेरे दोष कहे, यह मेरे लिये भला होगा।
मैं दुर्जनों कि प्रशंसा ग्रहण नहीं करुँगा।
क्यों क्योंकि मैं सदा प्रार्थना किया करता हूँ।
उन कुकर्मो के विरुद्ध जिनको बुरे लोग किया करते हैं।
6उनके राजाओं को दण्डित होने दे
और तब लोग जान जायेंगे कि मैंने सत्य कहा था।
7लोग खेत को खोद कर जोता करते हैं और मिट्टी को इधर—उधर बिखेर देते हैं।
उन दुष्टों कि हड्डियाँ इसी तरह कब्रों में इधर—उधर बिखरेंगी।
8हे यहोवा, मेरे स्वामी, सहारा पाने को मेरी दृष्टि तुझ पर लगी है।
मुझको तेरा भरोसा है। कृपा कर मुझको मत मरने दे।
9मुझको दुष्टों के फँदों में मत पड़ने दे।
उन दुष्टों के द्वारा मुझ को मत बंध जाने दे।
10वे दुष्ट स्वयं अपने जालों में फँस जायें
जब मैं बचकर निकल जाऊँ।
बिना हानि उठाये।

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