लोग कहा करते हैं, “तू हमको उपदेश मत दे। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिये, हम पर कोई भी बुरी बात नहीं पड़ेगी।” हे याकूब के लोगों, किन्तु मुझे यह बातें कहनी है, जो काम तूने किये हैं, यहोवा उनसे क्रोधित हो रहा है। यदि तुम लोग उचित रीति से जीवन जीते तो मैं तुम्हारे लिये अच्छे शब्द कहता। किन्तु अभी हाल में, मेरे ही लोग मेरे शत्रु हो गये हैं। तुम राहगीरों के कपड़े उतारते हो। जो लोग सोचते हैं कि वे सुरक्षित हैं, किन्तु तुम उनसे ही वस्तुएँ छींनते हो जैसे वे युद्धबन्दी हो। मेरे लोगों की स्त्रियों को तुमने उनके घर से निकल जाने को विवश किया जो घर सुन्दर और आराम देह थे। तुमने मेरी महिमा को उनके नन्हे बच्चों से सदा—सदा के लिये छीन लिया है। उठो और यहाँ से भागो! यह विश्राम का स्थान नहीं है। क्योंकी यह स्थान पवित्र नहीं है, यह नष्ट हो गया! यह भयानक विनाश है! सम्भव है, कोई झूठा नबी आये और वह झूठ बोले। सम्भव है, वह कहे, “ऐसा समय आयेगा जब दाखमधु बहुत होगा, जब मन्दिर बहुतायत में होगी और फिर इस तरह वह उसका नबी बन जायेगा।”
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