यिर्मयाह 50
50
बाबेल के विरुद्ध भविष्यद्वाणी
1बाबेल और कसदियों के देश के विषय में यहोवा ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा यह वचन कहा: 2“जातियों में बताओ, सुनाओ और झण्डा खड़ा करो; सुनाओ, मत छिपाओ कि बाबेल ले लिया गया, बेल का मुँह काला हो गया, मरोदक#50:2 मरोदक: यह बाबेल का संरक्षक देवता था और नबूकदनेस्सर अपने पुत्र को दुष्ट मरोदक कहता है तो वह विशेष करके इसी देवता को समर्पित सेवक प्रतीत होता है। विस्मित हो गया। बाबेल की प्रतिमाएँ लज्जित हुई और उसकी बेडौल मूरतें विस्मित हो गई। 3क्योंकि उत्तर दिशा से एक जाति उस पर चढ़ाई करके उसके देश को यहाँ तक उजाड़ कर देगी, कि क्या मनुष्य, क्या पशु, उसमें कोई भी न रहेगा; सब भाग जाएँगे।
4“यहोवा की यह वाणी है, कि उन दिनों में इस्राएली और यहूदा एक संग आएँगे, वे रोते हुए अपने परमेश्वर यहोवा को ढूँढ़ने के लिये चले आएँगे। 5वे सिय्योन की ओर मुँह किए हुए उसका मार्ग पूछते और आपस में यह कहते आएँगे, ‘आओ हम यहोवा से मेल कर लें, उसके साथ ऐसी वाचा बाँधे जो कभी भूली न जाए, परन्तु सदा स्थिर रहे।’
6“मेरी प्रजा खोई हुई भेड़ें हैं; उनके चरवाहों ने उनको भटका दिया और पहाड़ों पर भटकाया है; वे पहाड़-पहाड़ और पहाड़ी-पहाड़ी घूमते-घूमते अपने बैठने के स्थान को भूल गई हैं। (मत्ती 10:6) 7जितनों ने उन्हें पाया वे उनको खा गए; और उनके सतानेवालों ने कहा, ‘इसमें हमारा कुछ दोष नहीं, क्योंकि उन्होंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है जो धर्म का आधार है, और उनके पूर्वजों का आश्रय#50:7 आश्रय: यिर्म.31:23 यरूशलेम के संदर्भ में है। जहाँ यहोवा ही उनका सच्चा शरणस्थान है। उसी में उसकी प्रजा की सुरक्षा, विश्राम और समृद्धि है। था।’
8“बाबेल के बीच में से भागो, कसदियों के देश से निकल आओ। जैसे बकरे अपने झुण्ड के अगुए होते हैं, वैसे ही बनो। (प्रका. 18:4) 9क्योंकि देखो, मैं उत्तर के देश से बड़ी जातियों को उभारकर उनकी मण्डली बाबेल पर चढ़ा ले आऊँगा, और वे उसके विरुद्ध पाँति बाँधेंगे; और उसी दिशा से वह ले लिया जाएगा। उनके तीर चतुर वीर के से होंगे; उनमें से कोई अकारथ न जाएगा। 10कसदियों का देश ऐसा लुटेगा कि सब लूटनेवालों का पेट भर जाएगा, यहोवा की यह वाणी है।
11“हे मेरे भाग के लूटनेवालों, तुम जो मेरी प्रजा पर आनन्द करते और फुले नहीं समाते हो, और घास चरनेवाली बछिया के समान उछलते और बलवन्त घोड़ों के समान हिनहिनाते हो, 12तुम्हारी माता अत्यन्त लज्जित होगी और तुम्हारी जननी का मुँह काला होगा। क्योंकि वह सब जातियों में नीच होगी, वह जंगल और मरु और निर्जल देश हो जाएगी। 13यहोवा के क्रोध के कारण, वह देश निर्जन रहेगा, वह उजाड़ ही उजाड़ होगा; जो कोई बाबेल के पास से चलेगा वह चकित होगा, और उसके सब दुःख देखकर ताली बजाएगा। 14हे सब धनुर्धारियो, बाबेल के चारों ओर उसके विरुद्ध पाँति बाँधो; उस पर तीर चलाओ, उन्हें मत रख छोड़ो, क्योंकि उसने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। 15चारों ओर से उस पर ललकारो, उसने हार मानी; उसके कोट गिराए गए, उसकी शहरपनाह ढाई गई। क्योंकि यहोवा उससे अपना बदला लेने पर है; इसलिए तुम भी उससे अपना-अपना बदला लो, जैसा उसने किया है, वैसा ही तुम भी उससे करो। (प्रका. 18:6) 16बाबेल में से बोनेवाले और काटनेवाले दोनों को नाश करो, वे दुःखदाई तलवार के डर के मारे अपने-अपने लोगों की ओर फिरें, और अपने-अपने देश को भाग जाएँ।
इस्राएलियों की वापसी
17“इस्राएल भगाई हुई भेड़ है#50:17 इस्राएल भगाई हुई भेड़ है: अर्थात् सिंहों द्वारा पीछा किए जाने के कारण भेड़ों के लिए तितर-बितर होने जैसा।, सिंहों ने उसको भगा दिया है। पहले तो अश्शूर के राजा ने उसको खा डाला, और तब बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने उसकी हड्डियों को तोड़ दिया है। 18इस कारण इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा यह कहता है, देखो, जैसे मैंने अश्शूर के राजा को दण्ड दिया था, वैसे ही अब देश समेत बाबेल के राजा को दण्ड दूँगा। 19मैं इस्राएल को उसकी चराई में लौटा लाऊँगा, और वह कर्मेल और बाशान में फिर चरेगा, और एप्रैम के पहाड़ों पर और गिलाद में फिर भर पेट खाने पाएगा। 20यहोवा की यह वाणी है, कि उन दिनों में इस्राएल का अधर्म ढूँढ़ने पर भी नहीं मिलेगा, और यहूदा के पाप खोजने पर भी नहीं मिलेंगे; क्योंकि जिन्हें मैं बचाऊँ, उनके पाप भी क्षमा कर दूँगा।
परमेश्वर द्वारा बाबेल का न्याय
21“तू मरातैम देश और पकोद नगर के निवासियों पर चढ़ाई कर। मनुष्यों को तो मार डाल, और धन का सत्यानाश कर; यहोवा की यह वाणी है, और जो-जो आज्ञा मैं तुझे देता हूँ, उन सभी के अनुसार कर। 22सुनो, उस देश में युद्ध और सत्यानाश का सा शब्द हो रहा है। 23जो हथौड़ा सारी पृथ्वी के लोगों को चूर-चूर करता था, वह कैसा काट डाला गया है! बाबेल सब जातियों के बीच में कैसा उजाड़ हो गया है! 24हे बाबेल, मैंने तेरे लिये फंदा लगाया, और तू अनजाने उसमें फँस भी गया; तू ढूँढ़कर पकड़ा गया है, क्योंकि तू यहोवा का विरोध करता था। 25प्रभु, सेनाओं के यहोवा ने अपने शस्त्रों का घर खोलकर, अपने क्रोध प्रगट करने का सामान निकाला है; क्योंकि सेनाओं के प्रभु यहोवा को कसदियों के देश में एक काम करना है। (रोम. 9:22, यशा. 13:5) 26पृथ्वी की छोर से आओ, और उसकी बखरियों को खोलो; उसको ढेर ही ढेर बना दो; ऐसा सत्यानाश करो कि उसमें कुछ भी न बचा रहें। 27उसके सब बैलों को नाश करो, वे घात होने के स्थान में उतर जाएँ। उन पर हाय! क्योंकि उनके दण्ड पाने का दिन आ पहुँचा है।
बाबेल का अपमान
28“सुनो, बाबेल के देश में से भागनेवालों का सा बोल सुनाई पड़ता है जो सिय्योन में यह समाचार देने को दौड़े आते हैं, कि हमारा परमेश्वर यहोवा अपने मन्दिर का बदला ले रहा है।
29“सब धनुर्धारियों को बाबेल के विरुद्ध इकट्ठे करो, उसके चारों ओर छावनी डालो, कोई जन भागकर निकलने न पाए। उसके काम का बदला उसे दो, जैसा उसने किया है, ठीक वैसा ही उसके साथ करो; क्योंकि उसने यहोवा इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध अभिमान किया है। (प्रका. 18:6) 30इस कारण उसके जवान चौकों में गिराए जाएँगे, और सब योद्धाओं का बोल बन्द हो जाएगा, यहोवा की यही वाणी है।
31“प्रभु सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, हे अभिमानी, मैं तेरे विरुद्ध हूँ; तेरे दण्ड पाने का दिन आ गया है। 32अभिमानी ठोकर खाकर गिरेगा और कोई उसे फिर न उठाएगा; और मैं उसके नगरों में आग लगाऊँगा जिससे उसके चारों ओर सब कुछ भस्म हो जाएगा।
बाबेल की निर्जनता
33“सेनाओं का यहोवा यह कहता है, इस्राएल और यहूदा दोनों बराबर पिसे हुए हैं; और जितनों ने उनको बँधुआ किया वे उन्हें पकड़े रहते हैं, और जाने नहीं देते। 34उनका छुड़ानेवाला सामर्थी है; सेनाओं का यहोवा, यही उसका नाम है। वह उनका मुकद्दमा भली भाँति लड़ेगा कि पृथ्वी को चैन दे परन्तु बाबेल के निवासियों को व्याकुल करे। (प्रका. 18:8)
35“यहोवा की यह वाणी है, कसदियों और बाबेल के हाकिम, पंडित आदि सब निवासियों पर तलवार चलेगी! 36बड़ा बोल बोलनेवालों पर तलवार चलेगी, और वे मूर्ख बनेंगे! उसके शूरवीरों पर भी तलवार चलेगी, और वे विस्मित हो जाएँगे! 37उसके सवारों और रथियों पर और सब मिले जुले लोगों पर भी तलवार चलेगी, और वे स्त्रियाँ बन जाएँगे! उसके भण्डारों पर तलवार चलेगी, और वे लुट जाएँगे! 38उसके जलाशयों पर सूखा पड़ेगा, और वे सूख जाएँगे! क्योंकि वह खुदी हुई मूरतों से भरा हुआ देश है, और वे अपनी भयानक प्रतिमाओं पर बावले हैं। (प्रका. 16:12)
39“इसलिए निर्जल देश के जन्तु सियारों के संग मिलकर वहाँ बसेंगे, और शुतुर्मुर्ग उसमें वास करेंगे, और वह फिर सदा तक बसाया न जाएगा, न युग-युग उसमें कोई वास कर सकेगा। (प्रका. 18:2) 40यहोवा की यह वाणी है, कि सदोम और गमोरा और उनके आस-पास के नगरों की जैसी दशा उस समय हुई थी जब परमेश्वर ने उनको उलट दिया था, वैसी ही दशा बाबेल की भी होगी, यहाँ तक कि कोई मनुष्य उसमें न रह सकेगा, और न कोई आदमी उसमें टिकेगा।
41“सुनो, उत्तर दिशा से एक देश के लोग आते हैं, और पृथ्वी की छोर से एक बड़ी जाति और बहुत से राजा उठकर चढ़ाई करेंगे। 42वे धनुष और बर्छी पकड़े हुए हैं; वे क्रूर और निर्दयी हैं; वे समुद्र के समान गरजेंगे; और घोड़ों पर चढ़े हुए तुझ बाबेल की बेटी के विरुद्ध पाँति बाँधे हुए युद्ध करनेवालों के समान आएँगे। 43उनका समाचार सुनते ही बाबेल के राजा के हाथ पाँव ढीले पड़ गए, और उसको जच्चा की सी पीड़ाएँ उठी।
44“सुनो, वह सिंह के समान आएगा जो यरदन के आस-पास के घने जंगल से निकलकर दृढ़ भेड़शालाएँ पर चढ़े, परन्तु मैं उनको उसके सामने से झट भगा दूँगा; तब जिसको मैं चुन लूँ, उसी को उन पर अधिकारी ठहराऊँगा। देखो, मेरे तुल्य कौन है? कौन मुझ पर मुकद्दमा चलाएगा? वह चरवाहा कहाँ है जो मेरा सामना कर सकेगा?” 45इसलिए सुनो कि यहोवा ने बाबेल के विरुद्ध क्या युक्ति की है और कसदियों के देश के विरुद्ध कौन सी कल्पना की है: निश्चय वह भेड़-बकरियों के बच्चों को घसीट ले जाएगा, निश्चय वह उनकी चराइयों को भेड़-बकरियों से खाली कर देगा। 46बाबेल के लूट लिए जाने के शब्द से पृथ्वी काँप उठी है, और उसकी चिल्लाहट जातियों में सुनाई पड़ती है।
वर्तमान में चयनित:
यिर्मयाह 50: IRVHin
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