यशायाह 11:1-5

यशायाह 11:1-5 IRVHIN

तब यिशै के ठूँठ में से एक डाली फूट निकलेगी और उसकी जड़ में से एक शाखा निकलकर फलवन्त होगी। (प्रेरि. 13:23, यिर्म. 23:5, प्रका. 22:16) और यहोवा की आत्मा, बुद्धि और समझ की आत्मा, युक्ति और पराक्रम की आत्मा, और ज्ञान और यहोवा के भय की आत्मा उस पर ठहरी रहेगी। (इफि. 1:17, यशा. 42:1, यूह. 14:17) ओर उसको यहोवा का भय सुगन्ध—सा भाएगा। वह मुँह देखा न्याय न करेगा और न अपने कानों के सुनने के अनुसार निर्णय करेगा; (यूह. 8:15,16, यूह. 7:24) परन्तु वह कंगालों का न्याय धार्मिकता से, और पृथ्वी के नम्र लोगों का निर्णय खराई से करेगा; और वह पृथ्वी को अपने वचन के सोंटे से मारेगा, और अपनी फूँक के झोंके से दुष्ट को मिटा डालेगा। (2 थिस्स. 2:8, प्रका. 19:15, नीति. 31:8,9) उसकी कटि का फेंटा धार्मिकता और उसकी कमर का फेंटा सच्चाई होगी। (यशा. 59:17, इफि. 6:14)