जो प्रेम नहीं रखता वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है। जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इससे प्रगट हुआ कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है कि हम उसके द्वारा जीवन पाएँ। प्रेम इसमें नहीं कि हमने परमेश्वर से प्रेम किया पर इसमें है, कि उसने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्चित के लिये अपने पुत्र को भेजा। हे प्रियों, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हमको भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध होता है।
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