पर तू ऐसी बातें कहा कर जो खरे उपदेश के योग्य हैं। अर्थात् बूढ़े पुरुष सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उनका विश्वास और प्रेम और धीरज पक्का हो। इसी प्रकार बूढ़ी स्त्रियों का चाल–चलन पवित्र लोगों–सा हो; वे दोष लगानेवाली और पियक्कड़ नहीं, पर अच्छी बातें सिखानेवाली हों ताकि वे जवान स्त्रियों को चेतावनी देती रहें कि अपने पतियों और बच्चों से प्रीति रखें; और संयमी, पतिव्रता, घर का कारबार करनेवाली, भली, और अपने–अपने पति के अधीन रहनेवाली हों, ताकि परमेश्वर के वचन की निन्दा न होने पाए। ऐसे ही जवान पुरुषों को भी समझाया कर कि संयमी हों। सब बातों में अपने आप को भले कामों का नमूना बना। तेरे उपदेश में सफाई, गम्भीरता, और ऐसी खराई पाई जाए कि कोई उसे बुरा न कह सके, जिससे विरोधी हम पर कोई दोष लगाने का अवसर न पाकर लज्जित हों। दासों को समझा कि अपने–अपने स्वामी के अधीन रहें, और सब बातों में उन्हें प्रसन्न रखें, और उलटकर जवाब न दें; चोरी चालाकी न करें, पर सब प्रकार से पूरे विश्वासी निकलें कि वे सब बातों में हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर के उपदेश की शोभा बढ़ाएँ। क्योंकि परमेश्वर का वह अनुग्रह प्रगट है, जो सब मनुष्यों के उद्धार का कारण है, और हमें चेतावनी देता है कि हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर इस युग में संयम और धर्म और भक्ति से जीवन बिताएँ; और उस धन्य आशा की अर्थात् अपने महान् परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें। जिस ने अपने आप को हमारे लिये दे दिया कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले–भले कामों में सरगर्म हो। पूरे अधिकार के साथ ये बातें कह, और समझा और सिखाता रह। कोई तुझे तुच्छ न जानने पाए।
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