तीतुस 2:1-15
तीतुस 2:1-15 पवित्र बाइबल (HERV)
किन्तु तुम सदा ऐसी बातें बोला करो जो सदशिक्षा के अनुकूल हो। वृद्ध पुरुषों को शिक्षा दो कि वे शालीन और अपने पर नियन्त्रण रखने वाले बनें। वे गंभीर, विवेकी, प्रेम और विश्वास में दृढ़ और धैर्यपूर्वक सहनशील हों। इसी प्रकार वृद्ध महिलाओं को सिखाओ कि वे पवित्र जनों के योग्य उत्तम व्यवहार वाली बनें। निन्दक न बनें तथा बहुत अधिक दाखमधु पान की लत उन्हें न हो। वे अच्छी-अच्छी बातें सिखाने वाली बनें ताकि युवतियों को अपने-अपने बच्चों और पतियों से प्रेम करने की सीख दे सकें। जिससे वे संयमी, पवित्र, अपने-अपने घरों की देखभाल करने वाली, दयालु अपने पतियों की आज्ञा मानने वाली बनें जिससे परमेश्वर के वचन की निन्दा न हो। इसी तरह युवकों को सिखाते रहो कि वे संयमी बनें। तुम अपने आपको हर बात में आदर्श बनाकर दिखाओ। तेरा उपदेश शुद्ध और गम्भीर होना चाहिए। ऐसी सद्वाणी का प्रयोग करो, जिसकी आलोचना न की जा सके ताकि तेरे विरोधी लज्जित हों क्योंकि उनके पास तेरे विरोध में बुरा कहने को कुछ नहीं होगा। दासों को सिखाओ कि वे हर बात में अपने स्वामियों की आज्ञा का पालन करें। उन्हें प्रसन्न करते रहें। उलट कर बात न बोलें। चोरी चालाकी न करें। बल्कि सम्पूर्ण विश्वसनीयता का प्रदर्शन करें। ताकि हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर के उपदेश की हर प्रकार से शोभा बढ़े। क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह सब मनुष्यों के उद्धार के लिए प्रकट हुआ है। इससे हमें सीख मिलती है कि हम परमेश्वर विहीनता को नकारें और सांसारिक इच्छाओं का निषेध करते हुए ऐसा जीवन जीयें जो विवेकपूर्ण नेक, भक्ति से भरपूर और पवित्र हो। आज के इस संसार में आशा के उस धन्य दिन की प्रतीक्षा करते रहें जब हमारे परम परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा प्रकट होगी। उसने हमारे लिये अपने आपको दे डाला। ताकि वह सभी प्रकार की दुष्टताओं से हमें बचा सके और अपने चुने हुए लोगों के रूप में अपने लिये हमें शुद्ध कर ले—हमें, जो उत्तम कर्म करने को लालायित है। इन बातों को पूरे अधिकार के साथ कह और समझाता रह, उत्साहित करता रह और विरोधियों को झिड़कता रह। ताकि कोई तेरी अनसुनी न कर सके।
तीतुस 2:1-15 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
तुम ऐसी बातें सिखाओ, जो हितकारी शिक्षा के अनुकूल हों। वृद्धों को समझाओ कि उन्हें संयमी, गम्भीर एवं समझदार होना चाहिए और विश्वास, भ्रातृ-प्रेम एवं धैर्य में परिपक्व। इसी प्रकार वृद्धाओं का आचरण प्रभु-भक्तों के अनुरूप हो। वे किसी की झूठी निन्दा न करें और न मदिरा की व्यसनी हों। वे अपने सदाचरण द्वारा तरुण स्त्रियों को ऐसी शिक्षा दें कि वे अपने पति और अपने बच्चों को प्यार करें, समझदार, शुद्ध और सुशील हों, अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करें और अपने पति के अधीन रहें, जिससे लोग परमेश्वर के शुभ-संदेश की निन्दा न कर सकें। नवयुवकों को समझाओ कि वे सब बातों में संयम से रहें और तुम स्वयं अपने भले कार्यों से उन्हें अच्छा उदाहरण दो। तुम्हारी शिक्षा प्रामाणिक और गम्भीर हो। तुम्हारे उपदेश हितकर और अनिन्दनीय हों। इस प्रकार विरोधी किसी भी बात के विषय में हमारी निन्दा न कर सकने के कारण लज्जित होगा। दासों को समझाओ कि वे सब बातों में अपने स्वामियों के अधीन रहें, उनको संतुष्ट रखें; आपत्ति किये बिना उनकी आज्ञाएँ मानें और चोरी-चालाकी नहीं करें, बल्कि अपने को पूर्ण रूप से विश्वसनीय प्रमाणित करें। यह सब करने से वे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की हितकारी शिक्षा की प्रतिष्ठा बढ़ायेंगे। परमेश्वर की कृपा सब मनुष्यों की मुक्ति के लिए प्रकट हो गयी है। वह हमें यह शिक्षा देती है कि अधार्मिकता तथा विषय-वासना त्याग कर हम इस युग-संसार में संयम, न्याय तथा भक्ति का जीवन बितायें और उस मंगल दिन की प्रतीक्षा करें, जब हमारी आशाएँ पूरी हो जायेंगी और हमारे महान् परमेश्वर एवं मुक्तिदाता येशु मसीह की महिमा प्रकट होगी। येशु ने हमारे लिए अपने को बलि चढ़ाया, जिससे वह हमें हर प्रकार की बुराई से मुक्त करें और हमें एक ऐसी प्रजा बनायें, जो शुद्ध हो, जो उनकी अपनी हो और जो भलाई करने के लिए उत्सुक हो। तुम इन बातों की शिक्षा देते हुए उपदेश दिया करो और अधिकारपूर्वक लोगों को समझाओ। कोई तुम्हारा तिरस्कार नहीं करे।
तीतुस 2:1-15 Hindi Holy Bible (HHBD)
पर तू ऐसी बातें कहा कर, जो खरे उपदेश के योग्य हैं। अर्थात बूढ़े पुरूष, सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उन का विश्वास और प्रेम और धीरज पक्का हो। इसी प्रकार बूढ़ी स्त्रियों का चाल चलन पवित्र लोगों सा हो, दोष लगाने वाली और पियक्कड़ नहीं; पर अच्छी बातें सिखाने वाली हों। ताकि वे जवान स्त्रियों को चितौनी देती रहें, कि अपने पतियों और बच्चों से प्रीति रखें। और संयमी, पतिव्रता, घर का कारबार करने वाली, भली और अपने अपने पति के आधीन रहने वाली हों, ताकि परमेश्वर के वचन की निन्दा न होने पाए। ऐसे ही जवान पुरूषों को भी समझाया कर, कि संयमी हों। सब बातों में अपने आप को भले कामों का नमूना बना: तेरे उपदेश में सफाई, गम्भीरता और ऐसी खराई पाई जाए, कि कोई उसे बुरा न कह सके; जिस से विरोधी हम पर कोई दोष लगाने का अवसर न पाकर लज्ज़ित हों। दासों को समझा, कि अपने अपने स्वामी के आधीन रहें, और सब बातों में उन्हें प्रसन्न रखें, और उलट कर जवाब न दें। चोरी चालाकी न करें; पर सब प्रकार से पूरे विश्वासी निकलें, कि वे सब बातों में हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर के उपदेश को शोभा दें। क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह प्रगट है, जो सब मनुष्यों के उद्धार का कारण है। और हमें चिताता है, कि हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेर कर इस युग में संयम और धर्म और भक्ति से जीवन बिताएं। और उस धन्य आशा की अर्थात अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें। जिस ने अपने आप को हमारे लिये दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले भले कामों में सरगर्म हो॥ पूरे अधिकार के साथ ये बातें कह और समझा और सिखाता रह: कोई तुझे तुच्छ न जानने पाए॥
तीतुस 2:1-15 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
पर तू ऐसी बातें कहा कर जो खरे उपदेश के योग्य हैं। अर्थात् बूढ़े पुरुष सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उनका विश्वास और प्रेम और धीरज पक्का हो। इसी प्रकार बूढ़ी स्त्रियों का चाल–चलन पवित्र लोगों–सा हो; वे दोष लगानेवाली और पियक्कड़ नहीं, पर अच्छी बातें सिखानेवाली हों ताकि वे जवान स्त्रियों को चेतावनी देती रहें कि अपने पतियों और बच्चों से प्रीति रखें; और संयमी, पतिव्रता, घर का कारबार करनेवाली, भली, और अपने–अपने पति के अधीन रहनेवाली हों, ताकि परमेश्वर के वचन की निन्दा न होने पाए। ऐसे ही जवान पुरुषों को भी समझाया कर कि संयमी हों। सब बातों में अपने आप को भले कामों का नमूना बना। तेरे उपदेश में सफाई, गम्भीरता, और ऐसी खराई पाई जाए कि कोई उसे बुरा न कह सके, जिससे विरोधी हम पर कोई दोष लगाने का अवसर न पाकर लज्जित हों। दासों को समझा कि अपने–अपने स्वामी के अधीन रहें, और सब बातों में उन्हें प्रसन्न रखें, और उलटकर जवाब न दें; चोरी चालाकी न करें, पर सब प्रकार से पूरे विश्वासी निकलें कि वे सब बातों में हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर के उपदेश की शोभा बढ़ाएँ। क्योंकि परमेश्वर का वह अनुग्रह प्रगट है, जो सब मनुष्यों के उद्धार का कारण है, और हमें चेतावनी देता है कि हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर इस युग में संयम और धर्म और भक्ति से जीवन बिताएँ; और उस धन्य आशा की अर्थात् अपने महान् परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें। जिस ने अपने आप को हमारे लिये दे दिया कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले–भले कामों में सरगर्म हो। पूरे अधिकार के साथ ये बातें कह, और समझा और सिखाता रह। कोई तुझे तुच्छ न जानने पाए।
तीतुस 2:1-15 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
पर तू, ऐसी बातें कहा कर जो खरे सिद्धान्त के योग्य हैं। अर्थात् वृद्ध पुरुष सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उनका विश्वास और प्रेम और धीरज पक्का हो। इसी प्रकार बूढ़ी स्त्रियों का चाल चलन भक्तियुक्त लोगों के समान हो, वे दोष लगानेवाली और पियक्कड़ नहीं; पर अच्छी बातें सिखानेवाली हों। ताकि वे जवान स्त्रियों को चेतावनी देती रहें, कि अपने पतियों और बच्चों से प्रेम रखें; और संयमी, पतिव्रता, घर का कारबार करनेवाली, भली और अपने-अपने पति के अधीन रहनेवाली हों, ताकि परमेश्वर के वचन की निन्दा न होने पाए। ऐसे ही जवान पुरुषों को भी समझाया कर, कि संयमी हों। सब बातों में अपने आपको भले कामों का नमूना बना; तेरे उपदेश में सफाई, गम्भीरता और ऐसी खराई पाई जाए, कि कोई उसे बुरा न कह सके; जिससे विरोधी हम पर कोई दोष लगाने का अवसर न पाकर लज्जित हों। दासों को समझा, कि अपने-अपने स्वामी के अधीन रहें, और सब बातों में उन्हें प्रसन्न रखें, और उलटकर जवाब न दें; चोरी चालाकी न करें; पर सब प्रकार से पूरे विश्वासी निकलें, कि वे सब बातों में हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर के उपदेश की शोभा बढ़ा दें। क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह प्रगट है, जो सब मनुष्यों में उद्धार लाने में सक्षम है। और हमें चिताता है, कि हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर इस युग में संयम और धार्मिकता से और भक्ति से जीवन बिताएँ; और उस धन्य आशा की अर्थात् अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की प्रतीक्षा करते रहें। जिसने अपने आपको हमारे लिये दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले-भले कामों में सरगर्म हो। (निर्ग. 19:5, व्यव. 4:20, व्यव. 7:6, व्यव. 14:2, भज. 72:14, भज. 130:8, यहे. 37:23) पूरे अधिकार के साथ ये बातें कह और समझा और सिखाता रह। कोई तुझे तुच्छ न जानने पाए।
तीतुस 2:1-15 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
किंतु तुम्हारे लिए सही यह है कि तुम ऐसी शिक्षा दो, जो खरे उपदेश के अनुसार है. बुज़ुर्ग पुरुष संयमी, सम्मानीय, विवेकशील तथा विश्वास, प्रेम व धीरज में अटल हों. इसी प्रकार बुज़ुर्ग स्त्रियां भी सम्मानीय हों. वे न तो दूसरों की बुराई करनेवाली हों और न मदिरा पीने वाली हों, परंतु वे अच्छी बातों की सीखानेवाली हों कि वे युवतियों को प्रेरित करें कि वे अपने पति तथा अपनी संतान से प्रेम करें, और वे विवेकशील, पवित्र, सुघड़ गृहणी व सुशील हों और अपने-अपने पति के अधीन रहें, जिससे परमेश्वर के वचन की निंदा न हो. युवकों को विवेकशील होने के लिए प्रोत्साहित करो. हर एक क्षेत्र में तुम भले कामों में आदर्श माने जाओ. सही शिक्षा सच्चाई और गंभीरता में दी जाए. तुम्हारी बातचीत के विषय में कोई बुराई न कर सके कि तुम्हारे विरोधी लज्जित हो जाएं तथा उनके सामने हमारे विरोध में कुछ भी कहने का विषय न रहे. दासों को सिखाओ कि हर एक परिस्थिति में वे अपने-अपने स्वामियों के अधीन रहें. वे उन्हें प्रसन्न रखें, उनसे वाद-विवाद न करें, चोरी न करें, किंतु स्वयं को विश्वासयोग्य प्रमाणित करें कि इससे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की शिक्षा की शोभा बन जाए. सारी मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर का अनुग्रह प्रकट हुआ है, जिसकी हमारे लिए शिक्षा है कि हम “गलत” कामों और सांसारिक अभिलाषाओं का त्याग कर इस युग में संयम, धार्मिकता और परमेश्वर भक्ति का जीवन जिए, तथा अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता मसीह येशु की महिमा के प्रकट होने की सुखद आशा की प्रतीक्षा करें, जिन्होंने स्वयं को हमारे लिए बलिदान कर हमें हर एक दुष्टता से छुड़ाकर, अपने लिए शुद्ध कर भले कामों के लिए उत्साही प्रजा बना लिया है. अधिकारपूर्वक इन सब विषयों की शिक्षा देते हुए लोगों को समझाओ और प्रोत्साहित करो. इसमें कोई भी तुम्हें तुच्छ न जाने.